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हाथ के टैटू, वायरलेस फोन, जिगिशा मर्डर के CCTV फुटेज... सौम्या विश्वनाथन के कातिलों तक ऐसे पहुंची थी दिल्ली पुलिस

Soumya Vishwanathan Case: दिल्ली में साल 2008 में हुई पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में अदालत ने चार आरोपियों रवि कपूर, अमित शुक्ला, अजय कुमार और बलजीत मलिक को कोर्ट ने दोषी करार दिया है. आरोपियों तक पुलिस टैटू, सीसीटीवी और टोपी की मदद से पहुंची थी.

2008 में हुई थी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या 2008 में हुई थी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 8:17 AM IST

राजधानी दिल्ली में साल 2008 में हुई पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में अदालत ने चार आरोपियों को दोषी करार दिया है. अधिकारियों ने बताया कि हाथ में बना टैटू, एक पुलिसकर्मी से चोरी हुआ वायरलेस सेट और सीसीटीवी फुटेज ने दिल्ली पुलिस को आईटी पेशेवर जिगिशा घोष की हत्या के मामले को सुलझाने में मदद की और अंततः जांचकर्ताओं को सौम्या विश्वनाथन के हत्यारों तक पहुंचाया.

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रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत मलिक, जिन्हें 2009 में घोष की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, ने बाद में सौम्या विश्वनाथन की हत्या मामले में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली. चारों आरोपियों - कपूर, शुक्ला, मलिक और अजय कुमार को कोर्ट ने एक संगठित हत्या का दोषी ठहराया.अदालत ने पांचवें आरोपी अजय सेठी को धारा 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया.

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दफ्तर से अपने घर लौट रही थीं सौम्या

15 साल पहले 30 सितंबर 2008 को सौम्या विश्वनाथन (25)  रात 3 बजे विडियोकॉन टावर में अपने ऑफिस से वसंत कुंज में अपने घर के लिए निकलीं थीं. सौम्या खुद कार ड्राइव कर रही थीं. उसी वक्त आरोपी रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय भैंगा भी अपनी कार से वहीं से जा रहे थे. चारों को वसंत विहार में इन्हें धीमी गति से जा रही कार में अकेली जाती सौम्या नजर आई. आरोपियों ने उनके पीछे अपनी कार लगा दी. आरोपियों ने कई बार सौम्या को ओवरटेक कर रोकने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे जिसके बाद  गुस्से में आकर रवि ने अपनी पिस्तौल से सौम्या पर फायर कर दिया. गोली कार का सीसा तोड़ते हुए सौम्या के सिर में जा लगी.

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टैटू, वायरलेस सैट और टोपी ने निभाई अहम भूमिका

मामले के जांच अधिकारी अतुल कुमार वर्मा ने बताया, 'जिगिशा घोष के डेबिट कार्ड से खरीदारी करते समय आरोपी ने अपने हाथ पर टैटू बनवाया था. दूसरे ने वायरलेस सेट ले रखा था और टोपी पहनी हुई थी.' 18 मार्च, 2009 को जिगिषा घोष का अपहरण कर लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई. जांच अधिकारी अतुल कुमार वर्मा ने बताया,  "फरीदाबाद के सूरज कुंड इलाके से जिगिशा का शव बरामद होने के दो-तीन दिन बाद पुलिस ने मामले को सुलझा लिया था. हमें पहला सुराग एक सीसीटीवी फुटेज से मिला. जहां जिगिशा के डेबिट कार्ड से खरीदारी करते समय आरोपी के हाथ पर टैटू बना हुआ था और दूसरे शख्स के हाथ में वायरलेस सेट था और उसने टोपी पहन रखी थी.'

इसके बाद अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस के ह्यूमन इंटेलिजेंस नेटवर्क पर बारीकी से काम किया और जल्द ही पुलिस टीम मसूदपुर स्थित मलिक के आवास पर पहुंच गई. कपूर और शुक्ला को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया. मलिक ने अपने हाथ पर अपना नाम लिखवाया हुआ था जबकि कपूर अपने साथ एक वायरलेस सेट रखा था जिसे उसने एक पुलिस अधिकारी से छीन लिया था. वर्मा ने बताया, 'उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने वसंत विहार में जिगिशा के घर के नजदीक से उसका अपहरण कर लिया और बाद में उसकी हत्या कर दी. लूटपाट के बाद उसके शव को फेंक दिया. उन्होंने उसके डेबिट कार्ड का उपयोग करके खरीदारी भी की.'

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अतुल कुमार वर्मा वसंत विहार पुलिस स्टेशन के अधिकारियों की एक टीम का नेतृत्व कर रहे थे. वर्मा ने बताया, 'जब रवि कपूर ने खुद खुलासा किया कि उसने नेल्सन मंडेला मार्ग पर एक और लड़की की हत्या की है, जो वसंत विहार से बहुत दूर नहीं था, तो हमें थोड़ा झटका लगा. उसने यह भी कहा कि दो अन्य सहयोगी - अजय कुमार और अजय सेठी - उस हत्या में शामिल थे.

जांच अधिकारियों को बयान

तत्कालीन पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) एचजीएस धालीवाल ने तुरंत अधिकारियों की एक और टीम गठित की और दोनों हत्या मामलों की जांच के लिए तत्कालीन एसीपी भीष्म सिंह की नियुक्ति की. सिंह ने बताया, 'चूंकि हमारे पास सौम्या हत्याकांड के आरोपियों का कबूलनामा था, इसलिए हमारे सामने बड़ी चुनौती फोरेंसिक सबूत इकट्ठा करने की भी थी.' जिस रात विश्वनाथन की हत्या हुई उस रात का विवरण देते हुए पुलिस ने बताया कि कपूर मारुति वैगन आर कार चला रहा था और शुक्ला उसके बगल में बैठा था. मलिक और कुमार पीछे की सीट पर बैठे थे. पुलिस ने बताया कि वे सभी नशे में थे.

एक अन्य अधिकारी, ओपी ठाकुर ने बताया, '30 सितंबर को, एक कार उनके वाहन के पास से गुजरी. यह एक मारुति जेन कार थी, जिससे सौम्या अपने घर वसंत कुंज जा रही थीं. वह करोल बाग में वीडियोकॉन टॉवर स्थित टीवी टुडे के कार्यालय से लौट रही थीं.यह देखकर कि एक महिला ड्राइवर उनसे आगे निकल रही है और वह अकेली है, उन्होंने अपने वाहन की स्पीड बढ़ा दी और सौम्या के वाहन के करीब आ गए. पहले उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की और जब सौम्या ने अपनी कार नहीं रोकी, तो कपूर ने सौम्या की कार पर गोलियां चला दीं.

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पुलिस ने की कड़ी मशक्कत

गोली सौम्या की कनपटी में लगी जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई और उनकी कार डिवाइडर से टकराकर रुक गई. अधिकारी ने कहा, 'सभी आरोपी मौके से भाग गए लेकिन 20 मिनट बाद उसकी हालत देखने के लिए वापस आए. जब उन्होंने पुलिस कर्मियों को देखा तो वे भाग गए.' ओपी ठाकुर ने बताया. 'आज हमम आज बहुत संतुष्ट हैं. दोषसिद्धि मूल रूप से तीन कारणों से हुई है - अपराध का हथियार जो आरोपी के पास से बरामद किया गया था, घटनास्थल का फोरेंसिक स्केच और घटना का क्रम आरोपी के स्वीकारोक्ति बयान से मेल खाता है.'

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