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लापता पत्नी, 11 दिन की मिस्ट्री और फिर... मांस के एक टुकड़े से खुला फौजी की खौफनाक साजिश का राज

क्या क्राइम क्रिमिनल को रास्ता दिखाता है? क्या क्रिमिनल दूसरे क्रिमिनल का आइडिया चुराता है? और क्या क्रिमिनल के दिमाग में चल रहे ऐसे आइडिया को मीडिया के जरिए देखकर बाकी के क्रिमिनल उसी आइडिया को अपना लेते हैं? ये सवाल जाहिर तौर पर चुभनेवाले हैं.

गुरुमूर्ति ने पहले माधवी की लाश के चार टुकड़े किए थे गुरुमूर्ति ने पहले माधवी की लाश के चार टुकड़े किए थे
अब्दुल बशीर
  • हैदराबाद,
  • 30 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 3:11 PM IST

Hyderabad Madhavi Murder Case Disclosure: हैदराबाद पुलिस को जिस मर्डर मिस्ट्री ने पिछले 11 दिनों से उलझा रखा था, उसे मांस के एक छोटे से टुकड़े ने आखिराकर सुलझा ही दिया. इसी के साथ एक फौजी की ऐसी दहलाने वाली करतूत सामने आई, जिसे सुनने के लिए भी मजबूत कलेजा चाहिए. एक पति पूरे दस घंटे तक अपनी पत्नी की लाश के छोटे-छोटे टुकड़े करता है, फिर उन्हें गर्म पानी में उबालता है. इसके बाद उन टुकड़ों को ग्राइंडर में पीस देता है. लेकिन मांस के एक छोटे से टुकड़े ने उसकी खौफनाक करतूत को बेनकाब कर दिया.

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चार मामले, एक जैसी कहानी
क्या क्राइम क्रिमिनल को रास्ता दिखाता है? क्या क्रिमिनल दूसरे क्रिमिनल का आइडिया चुराता है? और क्या क्रिमिनल के दिमाग में चल रहे ऐसे आइडिया को मीडिया के जरिए देखकर बाकी के क्रिमिनल उसी आइडिया को अपना लेते हैं? इन चुभते सवालों के जवाब जानने से पहले बस आपको चार कहानी बताना चाहते हैं. इनमें दो कहानियों में दो फ्रिज हैं. एक कहानी में प्रेशर कुकर और एक कहानी में एक बकेट है. ये सब देश के अलग-अलग शहरों की बातें हैं. मगर चारों की कहानी एक है. 

कहीं फ्रिज में लाश, तो कहीं कुकर में लाश के टुकड़े
शुरुआत दिल्ली में श्रद्धा के टुकड़ों से होती है. जहां एक फ्रिज सामने आता है. श्रद्धा के कुछ वक्त बाद ही दूसरा फ्रिज सामने आता है. उसमें भी लाश के टुकड़े थे. फिर मुंबई के एक घर से पन्नियों में लिपटा एक कुकर सामने आता है. जिसमें एक महिला की लाश के टुकड़े उबाले गए थे और अब हैदराबाद के एक घर से पेंट का एक पुराना बकेट सामने आता है. जिसमें पानी गर्म करने वाले हीटर को डालकर एक पति अपनी पत्नी की लाश के टुक़ड़ों को नर्म कर रहा था. 

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10 घंटे की वारदात!
तो बस इसीलिए इन चार वारदातों के जरिए ही कहीं ना कहीं इस सवाल का जवाब मिल जाता है कि हां, एक वारदात दूसरी वारदात का जाने अनजाने आइडिया दे जाती है. और इसी कड़ी में सबसे लेटेस्ट आइडिया जिसने अपनाया वो है एक नकाबपोश. उस नकाब के पीछे एक पूर्व फौजी और एक पति का चेहरा है. एक ऐसा पति जिसने पहले अपनी बीवी का कत्ल किया. फिर लाश के टुकड़े किए और उसके बाद उसे फेंकने से पहले बाकायदा उबाला. और ये सब कुछ उसने सिर्फ और सिर्फ 10 घंटे में किया.

10 दिन की हिरासत, मगर गिरफ्तारी नहीं
सिर्फ हैदराबाद ही नहीं बल्कि हाल के वक्त का देश का ये शायद इकलौता ऐसा केस होगा, जिसे सुलझाने में हैदराबाद पुलिस के पसीने छुट गए. पूरे 10 दिनों तक हैदराबाद पुलिस इस केस में कुछ यूं उलझी थी कि सुलझन का कोई सिरा ही नहीं मिल रहा था. ये वो इकलौता केस था, जिसमें कातिल पूरे 10 दिनों तक पुलिस की हिरासत में था. लेकिन पुलिस की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो उसे ऑफिशियली अरेस्ट कर पाए. 

पुलिस को मिला इंसानी मांस का टुकड़ा
ये वो केस था जिसमें कातिल खुद कह रहा था कि हां मैने कत्ल किया है. मगर पुलिस कत्ल का मुकदमा दर्ज करने से भी हिचकिचाती रही. ये वो केस था जो था तो एक मर्डर केस मगर पूरे 10 दिनों तक पुलिस इस केस को गुमशुदगी के तौर पर कागजों पर दिखाती रही. 10 दिन बाद फिर एक छोटा सा इंसानी मांस का टुकड़ा पुलिस के हाथ क्या लगा कि पूरा केस ही सुलझ गया. 

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17 वर्षों तक फौज में था गुरुमूर्ति
यकीन मानिए बिना कुछ बताए अगर इस कत्ल की सिर्फ बारिकियां ही आपको बता दें तो भी शायद आप पूरा सुनने की हिम्मत ही ना जुटा पाएंगे. फिर भी चलिए थोड़ी हिम्मत जुटाइए और पूरी कहानी सुनिए. हैदराबाद का रहने वाला गुरुमूर्ति 2003 से 2020 तक भारतीय सेना में था. नायब सूबेदार के तौर पर सेना से अलग होने के बाद इसने हैदराबाद में ही डीआरडीओ यानि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन में बतौर सिक्योरिटी गार्ड नौकरी शुरु कर दी थी. 

माधवी ने घरवालों ने दर्ज कराई थी गुमशुदगी
गुरुमूर्ति की पत्नी माधवी है. 2012 में दोनों की शादी हुई थी. और दोनों के दो बच्चे हैं. इसी महीने 16 जनवरी को अचानक माधवी गायब हो जाती है. 18 जनवरी को माधवी के मां-बाप हैदराबाद आते हैं. और पुलिस में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवा देते हैं. गुरुमूर्ति की अपनी ससुराल वालों के साथ बनती नहीं थी. वो उनसे बातचीत भी नही करता था. पुलिस मामले की तफ्तीश शुरु करती है लेकिन माधवी का सुराग नहीं मिलता है. 

गुरुमूर्ति के चाचा ने खोला था राज
इसी बीच गुरुमूर्ति पुलिस को बयान देता है कि 16 जनवरी को पति-पत्नी में झगड़ा हुआ था. माधवी पोंगल के मौके पर अपने मायके जाना चाहती थी. उसने मना कर दिया तो वो गुस्से मे घर छोड़कर चली गई. पुलिस अभी माधवी को ढूंढ ही रही थी कि 18 जनवरी को ही गुरुमूर्ति का एक चाचा पुलिस को जाकर ये बताता है कि गुरुमूर्ति ने माधवी का कत्ल कर दिया है. और ये बात खुद गुरुमूर्ति ने उसे बताई है. चाचा के बयान पर पुलिस गुरुमूर्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ करती है. 18 जनवरी को ही गुरुमूर्ति पुलिस के सामने कुबूल कर लेता है कि उसने माधवी को मार डाला है.

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बाथरूम में किए थे लाश के टुकड़े
अब गुरुमूर्ति पुलिस की हिरासत में था. कत्ल की कहानी सुना चुका था. लेकिन अब खुद पुलिस को उसकी कहानी पर ऐतबार नहीं हो रहा था. क्योंकि कहानी तो थी. पर उसकी कहानी से सबूत नदारद थे. गुरुमूर्ति की कहानी के मुताबिक 16 जनवरी को उसने गुस्से में माधवी का सर दीवार से दे मारा. जब वो मर गई तब बाथरूम में उसकी लाश के टुकड़े किए. फिर उन टुकड़ों को कुकर में उबाला. हड्डियों को बर्नर पर जलाया. उन्हे ग्राइंड किया और फिर सब कुछ ले जाकर घर से 1 किलोमीटर दूर तालाब में बहा दिया. 

28 जनवरी को पलटा पूरा मामला
गुरुमूर्ति के बयान के बाद पुलिस उसके घर और तालाब की खाक छानती रही. मगर एक भी सबूत हाथ नहीं लगा. अब बिना सबूत के पुलिस के सामने चैलेंज ये था कि वो कैसे साबित करे कि माधवी सचमुच मर चुकी है. और जब मरने का सबूत नहीं तो फिर मर्डर का मुकदमा कैसा? और बस इसी मजबूरी में हैदराबाद पुलिस अगले 10 दिनों तक माधवी के केस की जांच एक गुमशुदगी के केस की जांच की तरह ही करती रही. इतना ही नहीं अगले 10 दिनों तक गुरुमूर्ति हैदराबाद पुलिस की हिरासत में तो था. पर बिना सबूत के पुलिस उसे गिरफ्तार भी नहीं दिखा सकती थी. इसी उलझन में 10 दिन बीत गए. अब 28 जनवरी की तारीख आई और अचानक केस पलट गया.

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माधवी के जिस्म का था मांस का टुकड़ा
जी हां. आखिरकार पुलिस को गुरुमूर्ति के घर से एक किलोमीटर दूर मौजूद एक तालाब में इंसानी मांस का एक छोटा सा टुकड़ा मिला. जिसे फौरन फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया. रिपोर्ट आते ही ये साबित हो गया कि माधवी अब इस दुनिया में नहीं है. क्योंकि मांस का वो टुकड़ा माधवी के ही जिस्म का था. जैसे ही ये फॉरेंसिक और साइंटिफिक एविडेंस पुलिस के हाथ लगा, 28 जनवरी को ही पुलिस ने आखिरकार 10 लंबे दिनों के इंतजार के बाद माधवी की गुमशुदगी के केस को मर्डर केस में बदल दिया.

माधवी का कत्ल एक प्री-प्लांड मर्डर
10 दिनों से जो गुरुमूर्ति पुलिस हिरासत में था उसे आखिरकार ऑफिशियली गिरफ्तार कर लिया गया. अब पुलिस ने बरामद सबूतों के बारे में गुरुमूर्ति को बताया. सच जानते ही अब गुरुमूर्ति के पास भी सच बोलने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था. और इस बार जो उसने सच बोला. तो सारी सच्चाई सामने आ गई. एक खौला देने वाली सच्चाई. इस सच की शुरुआत इससे होती है कि 16 जनवरी को जो कुछ हुआ वो अचानक गुस्से में नहीं हुआ था. बल्कि ये एक प्री-प्लांड मर्डर था.

बच्चों को छोड़ आया था बहन के घर
14 जनवरी को मकर संक्राति थी. साउथ में लोग इसे पोंगल के नाम से मनाते हैं. इसी पोंगल के मौके पर माधवी अपने बच्चों के साथ मायके जाना चाहती थी.. लेकिन पिछले पांच सालों से गुरुमूर्ति की अपनी ससुराल वालों से बातचीच बंद थी. वो नहीं चाहता था उसकी बीवी और बच्चे ससुराल जाएं. पर माधवी अड़ी हुई थी. बस उसी पल उसने माद्वी को ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया. सबसे पहले 15 जनवरी को उसने अपने दोनों बच्चों को हैदराबाद में ही रहने वाली अपनी बहन के घर छोड़ दिया. 

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कत्ल के बाद बाथरूम में रखी लाश
इसके बाद आती है 16 जनवरी की तारीख. 16 जनवरी की सुबह करीब 8 बजे फिर दोनों का झगड़ा होता है. गुरुमूर्ति तय कर चुका था. लिहाजा वो माधवी का सर जोर से दीवार पर दे मारता है. माधवी की मौत हो जाती है. अब वो उसकी लाश को बाथरूम में ले जाता है. बाथरूम में लाश रखने के बाद अगले डेढ़ घंटे तक वो घर में चुपचाप बैठा रहता है. 

सबसे पहले किए थे लाश के चार टुकड़े
फिर, ठीक सुबह 10 बजे वो एक चाकू लेकर बाथरूम पहुंचता है. सबसे पहले लाश के चार टुकड़े करता है. दोनों हाथ और दोनों पैर अलग कर देता है. सर को धड़ से अलग करता है. फिर मांस के लोथड़े के छोटे छोटे टुकड़े करता है. इसके बाद वो घर में रखे पेंट के एक खाली बकेट में पानी भरता है. उसी बकेट में वो मांस के छोटे-छोटे टुकड़े डालता है. इसके बाद पानी गर्म करने वाले इमर्शन रॉड को उसी में डालकर गर्म पानी में टुकड़ों को नर्म करता है. 

ग्राइंडर में पीसी थीं हड्डियां
लाश के छोटे-छोटे टुकड़े करने के बाद अब वो हड्डियों को स्टोव के बड़े बर्नर पर रखकर तेज लो में उन्हें जलाता है. फिर बाद में उन्हीं हड्डियो को ग्राइंडर में डाल देता है. उबले मांस के छोटे टुकड़े और पीसी हुई हड्डियों को वो घर के वॉशरुम में ही डालकर फ्लश कर देता है. फिर बाकी टुकड़ों को एक छोटे से पॉलिथिन बैग में डालकर शाम 6 बजे के बाद वो घर से किलोमीटर भर दूर इसी तालाब में फेंक आता है. गुरुमूर्ति ने माधवी का कत्ल करने से लेकर लाश को ठिकाने लगाने तक में कुल 10 घंटे का वक्त लगाया. 

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घर से मिटा दिए थे सारे सबूत
इसके बाद अब वो घर की सफाई में जुट जाता है. वॉशरूम से लेकर रसोई तक हरेक जगह की सफाई करता है. बाकायदा पानी में फिनाइल डालकर पूरे घर को धो देता है. चाकू, बर्नर, बकेट सब साफ कर चुका था. जब उसे तसल्ली हो गई कि अब घर के अंदर एक भी सबूत नहीं बचा तब वो रात 8 बजे के करीब अपनी बहन के घर जाता है. दोनों बच्चों को अपने साथ वापस ले आता है. माधवी के बारे में पूछने पर वो उन्हें दिलासा देता है कि कुछ दिनों के लिए वो अपने दोस्त के पास गई है. फिल लौट आएगी. 

गुरुमूर्ति को अपनी करतूत का अफसोस नहीं
यूं तो ये पूरी कहानी ही बेचैन करने वाली है. मगर सबसे ज्यादा बेचैन करने वाली बात ये है कि गुरुमूर्ति को अपनी बीवी के कत्ल या कत्ल के बाद उसकी लाश के साथ जो उसने हरकत की उसका रत्ती भर भी अफसोस नहीं है. जानते हैं मांस के जिस एक छोटे से टुकड़े से हैदराबाद पुलिस ने इस केस को सुलझाया है वो कितना छोटा टुकड़ा है. बस एक मामूली सा स्किन है.

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