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लेबनान में इजरायल ने हिजबुल्लाह पर किया बड़ा हमला, जानिए हमास के डिप्टी चीफ के खात्मे की Inside Story

गाजा पट्टी में हमास को तबाह के करने के साथ ही इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह आतंकियों की कमर तोड़नी शुरू कर दी है. इजरायली सेना लेबनान में जबरदस्त हमले कर रही है. आईडीएफ ने मंगलवार की शाम को हुई बमबारी में हमास के डिप्टी लीडर सालेह-अल-अरूरी को ड्रोन हमले में मार गिराया है.

 इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह आतंकियों की कमर तोड़नी शुरू कर दी है. इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह आतंकियों की कमर तोड़नी शुरू कर दी है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:05 PM IST

इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह पर बड़ा हमला किया है. इजरायली सेना ने वीडियो जारी कर बताया है कि उसके लड़ाकू विमानों ने लेबनान के यारून इलाके में बमबारी की है. उसके मुताबिक ये हिजबुल्लाह आतंकियों का ठिकाना था, जहां से वो इजरायल पर हमले कर रहे थे. हिजबुल्लाह ने 7 अक्टूबर के बाद से ही हमास के साथ मिलकर इजरायल पर लगातार हमले किए हैं. उसने इजरायल के उत्तरी इलाकों को निशाना बनाया है. इसके जवाब में इजरायल ने भी लगातार कार्रवाई की है.

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मंगलवार की शाम हमास के डिप्टी लीडर सालेह अल-अरूरी पर ड्रोन हमले के अगले ही दिन बुधवार को इजरायली लड़ाकू विमानों ने लेबनान में जोरदार हमला किया है. लेबनान में घुसकर किए गए इस हमले में इजरायल ने हिजबुल्लाह के कई आतंकियों को खत्म कर देने का दावा किया है. इस बीच वेस्ट बैंक, खास तौर पर रामल्लाह में फिलिस्तीनियों का उग्र प्रदर्शन कल रात से ही जारी है. ड्रोन हमले में मारा गया सालेह अल-अरूरी रामल्लाह का ही रहने वाला था. उसे वेस्ट बैंक का स्वयंभू नेता भी माना जाता था.

यही नहीं, वो रामल्लाह समेत पूरे वेस्ट बैंक में आतंकी गुटों को खड़ा करने के लिए जिम्मेदार था. इजरायलियों पर हमले की साजिश रचने को मामले में वो बेहद कुख्यात था. ड्रोन हमले में उसकी मौत के बाद हमास के आतंकी इज्जत अल-रिशेक ने इजरायल को कोसा है. उसने कहा है कि फिलिस्तीन के अंदर और बाहर हमारे फिलिस्तीनी लोगों के नेताओं और प्रतीकों के खिलाफ इजरायलियों की कायरतापूर्ण हत्याएं हमारे लोगों की इच्छाशक्ति और दृढ़ता को तोड़ने या उनके साहसी विरोध को कम करने में सफल नहीं होंगी.

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हमास के नेता कभी कतर, कभी ईरान तो कभी लेबनान में ठिकाने बदलकर अपनी जान बचा रहे हैं. दूसरी तरफ, इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इन सारे नेताओं को ट्रैक करने के लिए अपनी टीमें लगा रखी हैं. कतर और ईरान में हमास के नेताओं पर हमले से युद्ध भड़क सकता है, लिहाजा, वो इन नेताओं के लेबनान जैसे देशों में आने का इंतजार करती है. ऐसा ही सालेह के साथ भी हुआ जो कुछ समय पहले तक कतर में था. ईरान से होता हुआ वो लेबनान पहुंचा और ड्रोन हमले में मारा गया है.

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हमास डिप्टी लीडर सालेह-अल-अरूरी के खात्मे की इनसाइड स्टोरी

इजरायल पर 7 अक्टूबर को खौफनाक हमले करने के बाद सार्वजनिक रूप से खुशी मनाने वाले हमास के डिप्टी लीडर सालेह-अल-अरूरी का खात्मा कब और कैसे हुआ, आइए इसकी इनसाइड स्टोरी जानते हैं. लेबनान की राजधानी बेरूत के एक अपार्टमेंट में सालेह और 6 लोगों के साथ मौजूद था. बेरूत के दाहियेह उपनगर से हमास अपना दफ्तर चला रहा था. मंगलवार शाम ड्रोन ने उस वक्त अचूक हमला किया जब वो हिजबुल्लाह के आतंकियों से मुलाकात कर रहा था. हालांकि, इजरायल ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है. 

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दुनिया जानती है कि इजरायल अपने दुश्मन को पाताल से ढूंढकर भी मार गिराता है. यही नहीं 22 नवंबर को तेल अवीव में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि उन्होंने अपने देश की खुफिया एजेंसी मोसाद को निर्देश दे दिया है कि हमास के नेताओं को निशाना बनाए चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हों. इजरायल द्वारा किए गए इस हमले में हमास ने अपने डिप्टी लीडर समेत न केवल 7 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है. मारे गए लोगों में सालेह अल-अरूरी, हमास के मिलिट्री कमांडर समीर फिंडी आजम अल-अकरा के अलावा महमूद शाहीन मुहम्मद आरिस मुहम्मद बेशेशा और अहमद हमूद शामिल हैं. एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया है कि ये हमला इजरायल ने ही किया है.

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सालेह का मारा जाना इजरायल के लिए कितनी बड़ी कामयाबी है?

आइए आपको बताते हैं कि सालेह अल-अरूरी का मारा जाना इजरायल और अमेरिका के लिए कितनी बड़ी कामयाबी है और हमास के लिए कितना बड़ा झटका है. सालेह अल-अरूरी हमास का नंबर 2 था. वो आतंकी संगठन हमास की पोलितब्यूरो का डिप्टी लीडर था. वो हमास की मिलिट्री विंग अल-कासम ब्रिगेड के संस्थापकों में से एक था. दुनिया भर से हमास के लिए फंड इकट्ठा कर रहा था. साल 2015 से ही वो अमेरिका की आतंकियों की लिस्ट में शामिल था. अमेरिका ने उस सिर पर 50 लाख डॉलर का इनाम रखा था.

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वेस्ट बैंक में आतंकी ढांचा खड़ा करने में सालेह का सबसे बड़ा हाथ था. सबसे बड़ी बात, इजरायली खुफिया अधिकारियों का मानना है कि जून 2014 में इजरायल के तीन सैनिकों गिलाड शार, एयल यीफ्राक और नफ्ताली फ्रेंकेल को अगवा करने और उनकी हत्या करने की योजना बनाने में भी अरूरी ने मदद की थी. उसे इजरायली जेलों में कई बार सजा काटी और मार्च 2010 में उसे इजरायली सैनिक गिलाड शालित की रिहाई के बदले छोड़ा गया था, जिसे हमास ने 2006 में अगवा किया था.

सालेह अल-अरूरी ने उस सौदेबादी में अहम भूमिका निभाई थी. एक इजरायली सैनिक के बदले इजरायल की जेलों में बंद 1 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों को रिहा करा लिया था. वो वेस्ट बैंक से भागकर तुर्किए चला गया था, लेकिन हमास के हमले से पहले जब तुर्किए और इजरायल के संबंध बेहतर होने लगे तब वो दूसरे देशों में छिपने पर मजबूर हो गया था.

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