
ईरान का सेमनान प्रांत एक रेगिस्तानी इलाका है. जहां अचानक 5 अक्टूबर की शाम एक भूकंप आया. रिक्टर स्केल पर उस भूकंप की तीव्रता 4.6 दर्ज की गई थी. हैरानी इस बात पर थी कि उस इलाके में कभी भूकंप नहीं आता. और बस इसी एक चीज ने पूरी दुनिया का ध्यान ईरान की तरफ घुमा दिया. क्या ये सचमुच एक भूकंप था या फिर ईरान का पहला न्यूक्लियर टेस्ट?
ये शक और सवाल इसलिए भी पैदा हुए कि भूकंप के दौरान जिस तरह की लहरे जमीन में उठती हैं वैसी लहरे यहां नहीं उठी थी. यहां तक कि अमूमन भूकंप के बाद आने वाला आफ्टर शॉक भी नहीं आया. तो क्या सचमुच 5 अक्टूबर को ईरान ने न्यूक्लियर टेस्ट किया था? क्या ईरान परमाणु बम बनाने में कामयाब हो गया है? और क्या ईरान के पास परमाणु बम है? मिडिल ईस्ट में इस वक्त जो हालात हैं, उसके बाद इस सवाल ने दुनिया को खौफजदा कर दिया है.
अमेरिका ने इजरायल को दी चेतावनी
हमेशा इजरायल के साथ खड़े रहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उसके बाद सीआईए डायरेक्टर विलियम बर्न्स के बयान को भी दुनिया ईरान के परमाणु बम से जोड़ कर ही देख रही है. बाइडेन ने इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू को बकायदा ये चेतावनी दे रखी है कि इजरायल ईरान पर बेशक हमला करे लेकिन वो ईरानी न्यूक्लियर फैसिलिटीज यानि न्यूक्लियर प्लांट पर बिल्कुल हमला ना करे. अगर इजरायल ईरान के परमाणु ठिकाने पर हमला करेगा तो अमेरिका इजरायल का साथ नहीं देगा.
बाइडेन और नेतन्याहू के बीच आई तल्खी
बाइडेन की इस चेतावनी के बावजूद इजरायल ने अब तक अमेरिका को ये भरोसा नहीं दिया है कि वो ऐसा नहीं करेगा. सूत्रों के मुताबिक इसी वजह से बाइडेन और नेतन्याहू के बीच थोड़ी तल्खी भी आ गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआई के डायरेक्टर विलियम बर्न्स ने भी इजरायल को सावधान किया है कि वो ईरान के न्यूक्लियर ठिकाने पर ऐसा कोई हमला ना करे.
ईरान के पास हैं 9 परमाणु ठिकाने
इजरायल को अमेरिका ने सावधान किया है कि वो ईरान के किसी भी न्यूक्लियर ठिकाने पर कोई हमला ना करे. वरना पूरा मिडिल ईस्ट जंग की आग में झुलस जाएगा. असल में ईरान के अंदर कुल 9 ऐसे परमाणु ठिकाने है, जिनको इजरायल हमला करके तबाह कर सकता है. चलिए आपको बताते हैं उन 9 परमाणु ठिकानों के बारे में.
पहला परमाणु ठिकाना नतांज
ईरान की राजधानी तेहरान से करीब 300 किलोमीटर दूर दक्षिण में इसफहान राज्य में नतांज स्थित है. दरअसल नतांज यूरेनियम को शुद्ध करने वाला ईरान का सबसे बड़ा परमाणु सेंटर है. ये परमाणु सेंटर जमीन के अंदर बंकरों में बनाया गया है. नतांज के इस परमाणु ठिकाने को पहले भी निशाना बनाने की कोशिश की जा चुकी है.
दूसरा परमाणु ठिकाना फोर्डो
फोर्डो एक पहाड़ी इलाका है. कहते हैं कि यहां पहाड़ी को काटकर उसके बीच ईरान ने अपना परमाणु ठिकाना बनाया है ताकि इजरायल की बमबारी से इस ठिकाने को कोई नुकसान ना हो.
तीसरा परमाणु ठिकाना इसफहान
तेहरान के बाद इसफहान ईरान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. इस शहर के बाहरी इलाके में भी ईरान का एक परमाणु ठिकाना है.. जहां यूरेनियम प्यूरीफाई करने के अलावा यूरेनियम मेटल बनाने की मशीने भी हैं. जो परमाणु बम के कोर को बनाने में इस्तेमाल होता है.
चौथा परमाणु ठिकाना खोनदाब
ईरान के पास एक छोटा वॉटर रिसर्च रिएक्टर भी है जिसे पहले अराक कहा जाता था. और अब इसे खोनदाब के नाम से जाना जाता है. वॉटर रिएक्टर्स् परमाणु प्रसार के लिए काम में लाए जाते हैं. इससे प्लूटेनियम का उत्पादन भी होता है जिसका इस्तेमाल परमाणु बम के कोर को बनाने में किया जा सकता है.
पांचवा परमाणु ठिकाना तेहरान रिसर्च सेंटर
तेहरान रिसर्च सेंटर में भी एक रिसर्च रिएक्टर है हालाकि इस सेंटर के बारे में ईरान यही बताता रहा है कि यहां पर कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए परमाणु चिकित्सा संबंधित काम होता है. इस सेंटर में भी यूरेनियम का इस्तेमाल होता है.
छठा परमाणु ठिकाना बुशेहर
खाड़ी तट पर मौजूद ये ईरान का इकलौता परमाणु ऊर्जा संयंत्र है. जिसका इस्तेमाल बिजली बनाने के लिए किया जाता है. ये संयंत्र रूसी मदद और रूसी ईंधन से चलता है.
सातवां परमाणु ठिकाना करज
ईरान के हिसाब से इस सेंटर का इस्तेमाल कृषि और चिकित्सा के लिए किया जाता है और ये एक तरह का रिसर्च सेंटर है. लेकिन एक्सपर्ट्स की माने तो इस जगह का इस्तेमाल यूरेनियम को प्यूरिफाई करने के लिए सेंट्रीफ्यूज के उत्पादने के तौर पर भी मुमकिन है.
आठवां परमाणु ठिकाना रगहंद
रगहंद ईरान का वो इलाका है जहां यूरेनियम के खदान होने की बात कही जाती है. 2013 में ईरान ने यहां से कम गुणवत्ता वाले यूरेनियम अयस्क को निकालने का काम शुरु किया था. हालाकि एक्सपर्ट्स की माने तो इसे प्यूरीफाई कर शुद्ध यूरेनियम मे बदला जा सकता है.
नौंवा परमाणु ठिकाना पारचिन
ये ईरान का एक सैन्य अड्डा है, जहां आम हथियारों और मिसाइलों का टेस्ट किया जाता है. हालांकि ये शक भी जताया जाता रहा है कि ईरान ने पारचिन में परमाणु हथियारों मे इस्तेमाल होने वाले विस्फोटक ट्रिगर्स का भी परीक्षण किया है.
खाड़ी में बिगड़ जाएगा पावर गेम
ईरान के यही वो नौ परमाणु ठिकाने हैं, जिन पर इजरायली हमले को लेकर दुनिया फिक्रमंद है. इस चिंता की दो वजह है. पहली अगर ईरान के पास सचमुच परमाणु बम नहीं है और इजरयाल फिर भी इन परमाणु ठिकानों पर हमले करता है तो आगे चलकर ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को जोर-ओ-शोर से शुरु कर देगा. तब उसके पास दुनिया को सफाई देने की जरूरत नहीं होगी. वो दलील दे सकता है कि इजरायली हमलों से बचने के लिेए वो परमाणु बम बनाएगा. अगर ऐसा हुआ तो अरब देश संकट में आ जाएंगे. क्योंकि वो नहीं चाहते कि ईरान परमाणु संपन्न देश बने. ऐसा होने से खाड़ी में पावर का संतुलन बिगड़ जाएगा.
दुनिया को डरा रही है ये बात
दूसरा खतरा कहीं ज्यादा बड़ा है. अगर ईरान के पास परमाणु बम हैं और इजरायल उसके परमाणु ठिकानों पर हमले करता है, तो ईरान इसका जवाब परमाणु हमले से भी दे सकता है. जो बेहद घातक होगा. और यही वो बात है, जिसने दुनिया को डरा रखा है. इसलिए इजरायल का सबसे अजीज दोस्त अमेरिका तक नेतन्याहू को ये समझाने में लगा है कि वो गलती से भी ईरान के परमाणु ठिकाने पर हमला ना करे.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम की कहानी
दरअसल ईरान ने साल 2003 में ही अपना परमाणु कार्यक्रम शुरु कर दिया था. 12 साल बाद अंतर्राष्ट्रीय दबाव पड़ने पर 2015 में थोड़े वक्त के लिेए उसने अपना ये कार्यक्रम रोक दिया था. दरअसल, तब ईरान पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई थीं. इन्हीं पाबंदियों से पार पाने के लिए ईरान परमाणु गतिविधियों पर रोक लगाने को तैयार हो गया था. जिसे लेकर एक समझौता भी हुआ था. ये समझौता बराक ओबामा के कार्यकाल में हुआ था, लेकिन साल 2018 में राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते को तोड़ दिया था. समझौता टूटते ही साल 2018 मे ही ईरान ने यूरेनियम बनाने और उसे जमा करने का काम फिर से तेजी से शुरु कर दिया था.
क्या होता है यूरेनियम?
दरअसल यूरेनियम दुनिया का सबसे मंहगा पदार्थ है. ये एक ऐसा भारी धातु है जो जमीन के अंदर और समंदर के तल मे भी पाई जाती है. यूरेनियम का सबसे ज्यादा भंडार ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, रूस, नाईजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, नामिबिया, ब्राजील, कजाकिस्तान और मंगोलिया में मौजूद है. प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले यूरेनियम के 3 रूप होते हैं. यूरेनियम 238, यूरेनियम 234, यूरेनियम 235. इनमें से यूरेनियम 235 ही वो यूरेनियम है, जो परमाणु बन बनाने के काम आता है. प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाले यूरेनियम को प्यूरीफाई करने का तरीका इतना जटिल है कि अगर 100 किलो यूरेनियम को प्यूरीफाई किया जाए तो उसमें से सिर्फ 700 ग्राम यूरेनियम ही बनता है, जिसे परमाणु हथियारों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. यूरेनियम को 'येलो केक' भी कहते हैं. प्यूरीफाई करने के बाद यूरेनियम को आमतौर पर लोहा या लोहे की छड़ी जैसा आकार दिया जाता है. एक कलम या पेंसिल के आकार का यूरेनियम इनती ऊर्जा दे सकता है, जितना 160 टन कोयला.
परमाणु संपन्न देशों को यूरेनियम नहीं बेचता NSG
यूरेनियम के खरीद-फरोख्त के लिए एक ग्लोबल संस्था है. जिसका नाम है NSG. न्यूक्लियर शेयरिंग ग्रुप. इस ग्रुप से जुड़े देश उन देशों को यूरेनियम नहीं बेचते, जिनके पास परमाणु हथियार होते हैं. ये उन्हीं देशों को यूरेनियम बेचते हैं, जो इसका इस्तेमाल बिजली बनाने या मेडिकल की फील्ड में करते हैं. जैसे NSG भारत को यूरेनियम नहीं बेचता क्योंकि भारत एक परमाणु संपन्न देश है. ऐसे मे ये देश मंहगी कीमतों पर ब्लैक मार्केट से यूरेनियम खरीदते हैं.
ईरान के पास 3 परमाणु बम बनाने की क्षमता
सूत्रों के मुताबिक रूस और कुछ मित्र देशों की मदद से ईरान ने भी अच्छी खासी मात्रा में यूरेनियम का भंडार जमा कर रखा है. वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के पास हाईली इनरिच्ड यूरेनियम की इतनी मात्रा मौजूद है, जिससे वो कम से कम 3 परमाणु बम बना सकता है. अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान को परमाणु टेक्नोलॉजी रूस ने दी है. इतना ही नही रूस ने ही ईरान को हाइपरसोनिक मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइल भी दे रखी हैं. इन मिसाइल के जरिए ईरान आसानी से परमाणु बम को अपने दुश्मन देश में लॉन्च कर सकता है. और बस इसी बात ने दुनिया को डरा रखा है.
इजरायल के पास लगभग 70 परमाणु बम
हालांकि इजरायल और ईरान अब तक आमने-सामने की जंग में नहीं कूदे लेकिन कहीं दोनों जंग में कूद गए तो क्या होगा? क्योंकि इजरायल पहले से ही परमाणु संपन्न देश है. सूत्रों के मुताबिक इजरायल के पास लगभग 70 परमाणु बम हैं. सिर्फ दो बम ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी को ऐसा रुलाया था कि आज भी उसकी टीस महसूस की जाती है. अब जरा सोचिेए अगर ईरान और इजरायल परमाणु जंग में कूद गए तो क्या होगा?