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जेल शिफ्टिंग, तीन गाड़ियों का काफिला और गैंगस्टर का एनकाउंटर... DGM हत्याकांड के बाद ऐसे हुआ अमन साहू का खात्मा

अमन साहू ने महज 17 साल की उम्र में जुर्म का रास्ता चुन लिया था. फिर उसने पलटकर पीछे नहीं देखा. हत्या, रंगदारी, लूटपाट और वसूली जैसे काम अंजाम देकर वो अंडरवर्ल्ड का बड़ा डॉन बनना चाहता था. यही नहीं वो खुद को अंडरवर्ल्ड डॉन लॉरेंस बिश्नोई का करीबी बताया करता था.

अमन साहू के खिलाफ अकेले झारखंड में ही सौ से ज्यादा मामले दर्ज हैं अमन साहू के खिलाफ अकेले झारखंड में ही सौ से ज्यादा मामले दर्ज हैं
सत्यजीत कुमार
  • रांची,
  • 11 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 5:33 PM IST

Gangster Aman Sahu Encounter Inside Story: एक बड़े इलाके में उसका आतंक था. कम उम्र में ही वो जुर्म की दुनिया में बड़ा नाम बन चुका था. लोग उसके नाम से खौफ खाते थे. उसे आधुनिक हथियार रखने का शौक था. वो जुर्म के रास्ते सियासत में जाने की तैयारी कर रहा था. लेकिन इसी बीच एनटीपीसी (NTPC) के एक बड़े अफसर का कत्ल होता है. जिसके पीछे शक की सुई उसी गैंगस्टर की तरफ घूम जाती है. इसके बाद कानून और पुलिस पर सवाल उठने लगते हैं. और बस यहीं से आगाज़ होता है उस कम उम्र गैंगस्टर के खात्मे की कहानी का. वो कहानी जिसे एसटीएफ की टीम ने मंगलवार को अंजाम तक पहुंचा दिया. जुर्म की दुनिया का वो खिलाड़ी बेमौत मारा गया. ये कहानी है गैंगस्टर अमन साहू के खात्मे की.

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11 मार्च 2025, चैनपुर, पलामू 
सुबह का वक्त था. झारखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) का एक दस्ता पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की रायपुर जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को झारखंड लाने के लिए तैयार था. पुलिस की एक बुलेरो और दो स्कॉर्पियो कार का एक काफिला रायपुर जेल के बाहर मौजूद था. कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद झारखंड पुलिस की एक स्कॉर्पियो में गैंगस्टर अमन साहू को STF के दो हथियारबंद जवानों के बीच बैठाया गया. उस कार के आगे पुलिस की एक बुलेरो चल रही थी और पीछे एक स्कॉर्पियो. तीन गाड़ियों के इस काफिले में झारखंड एसटीएफ के करीब 12 से 15 जवान शामिल थे.
 
कुख्यात बदमाश अमन साहू को लेकर ये काफिल रायपुर से निकल चुका था. काफिला बड़ी खामोशी के साथ झारखंड बॉर्डर की तरफ बढ़ रहा था. कुछ देर बाद ये काफिला अपने राज्य झारखंड की सीमा में दाखिल होता है. ये सीमावर्ती इलाका पलामू जिले में आता है. काफिल आगे बढ़ता है और चैनपुर इलाके में दाखिल हो जाता है. इस दौरान अचानक रास्ते में एक एक कर तीनों गाड़ियों के ब्रेक लग जाते हैं. सूत्रों के मुताबिक, सड़क पर एक पेड़ गिरा हुआ था. इससे पहले कि एसटीएफ के जवान कुछ समझ पाते. अचानक बीच वाली गाड़ी में हलचल होती है.

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पलामू की पुलिस अधीक्षक (SP) रेशमा रमेशन के मुताबिक, बीच वाली स्कॉर्पियो गाड़ी में बैठा अमन साहू एक जवान की इंसास राइफल छीन लेता है और बगल में बैठे जवान को धक्का मारकर गाड़ी का दरवाजा खोलता है और भागने लगता है. जब एसटीएफ का जवान उसे रोकने की कोशिश करता है, तो अमन साहू उस जवान पर फायर करता है. गोली लगने से जवान घायल हो जाता है. हमले के बाद फौरन बाद एसटीएफ टीम जवाबी कार्रवाई करती है. अमन साहू को निशाना बनाकर फायरिंग की जाती है. बस यही वो वक्त था, जब अमन साहू पुलिस की गोलियों का शिकार बन जाता है. और इस मुठभेड़ में कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू की मौत हो जाती है.

इस मुठभेड़ के दौरान एसटीएफ का जवान राकेश कुमार घायल हुआ. जिसे मेदिनीनगर के एमएमसीएच (MMCH) में भर्ती कराया गया है. बताया जा रहा है कि एसटीएफ के काफिले को रोकना अमन साहू के गुर्गों की साजिश थी. वो अमन साहू को छुड़ाकर ले जाने फिराक में थे. जब पुलिस ने मौका-ए-वारदात पर सर्च ऑपरेशन चलाया तो वहां से दो बम भी बरामद हुए हैं. पुलिस और तमाम एजेंसियां इस मामले की जांच में जुट गई हैं.

कम उम्र में बड़ी करतूतें
अमन साहू ने महज 17 साल की उम्र में जुर्म का रास्ता चुन लिया था. फिर उसने पलटकर पीछे नहीं देखा. हत्या, रंगदारी, लूटपाट और वसूली जैसे काम अंजाम देकर वो अंडरवर्ल्ड का बड़ा डॉन बनना चाहता था. यही नहीं वो खुद को अंडरवर्ल्ड डॉन लॉरेंस बिश्नोई का करीबी बताया करता था. वो रांची के छोटे से गांव मतबे का रहने वाला था. अकेले झारखंड में ही उसके खिलाफ 100 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. असल में अमन पहले एक हार्डकोर माओवादी था. बताया जाता है कि उसने साल 2013 में अपना खुद का गैंग बनाया था. इसके बाद अमन के खिलाफ कोयला व्यापारियों से रंगदारी, लेवी, वसूली और हत्या जैसे मामले दर्ज होते गए.

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करीब ढाई साल पहले छत्तीसगढ़ के कोरबा में अमन साहू के गैंग के सदस्यों ने बरबरीक ग्रुप पर फायरिंग की थी. उस समय रायपुर के शंकर नगर इलाके में एक कंपनी के पार्टनर के घर के बाहर गोली चलाकर इन लोगों ने सनसनी मचा दी थी. आरोप है कि अमन साहू ने अपने कुछ शूटर रायपुर भेजे थे, और उसकी हिट लिस्ट में शहर के कई व्यापारियों के नाम शामिल थे. इस घटना के बाद रायपुर पुलिस ने इस गैंग के 4 सदस्यों को गिरफ्तार किया था.

अमन साहू के एनकाउंटर को एनटीपीसी के अधिकारी कुमार की हत्या से जोड़ देखा जा रहा है. हालांकि झारखंड पुलिस के पास इस हत्या की वजहों का न तब कोई जवाब था और न आज है. सूबे के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कुमार गौरव हत्याकांड के सिलसिले में कहा था कि इस मामले में कुछ साफ नहीं है. ये हत्या किन हालात में हुई? किसने की? क्यों की? डीजीपी के पास इन सवालों का कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं है. 

मौका-ए-वारदात पर मौजूद पुलिस बल (फोटो साभार- AIR)

राज्य के पुलिस मुखिया ने इतना जरूर कहा कि झारखंड में जो भी अपराध रहे हैं उनकी साजिश झारखंड के जेलों में रची जा रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड में तीन गैंग जेल के अंदर से काम कर रहे हैं. जिनमें विकास तिवारी, अमन श्रीवास्तव और अमन साहू का गैंग शामिल है. असल में 10 मार्च को झारखंड पुलिस की टीम डीजीएम कुमार गौरव की हत्या के मामले में अमन साहू से पूछताछ करने के लिए रायपुर पहुंच थी. 

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कहा जाता है कि अमन साहू लॉरेंस बिश्नोई को गुर्गे सप्लाई करता था और बदले में उसे हाईटेक हथियार मिलते थे. अमन साहू की एके-47 राइफल के साथ तस्वीरें वायरल हुई थीं. गैंगस्टर अमन साहू के खिलाफ दिल्ली में भी 2 मामले दर्ज हैं. यही नहीं, इसी साल जनवरी में एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले में रांची और हजारीबाग जिले में मौजूद अमन साहू के तीन ठिकानों पर करीब छह घंटे तक छापेमारी की थी. इस दौरान एक एसयूवी, सीसीटीवी का डीवीआर और बैंक ट्रांजैक्शन से जुड़े कागजात जब्त किए गए थे. उस वक्त अमन साहू पलामू जेल में बंद था, लेकिन उसका टेरर नेटवर्क झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में बेखौफ तरीके से संचालित हो रहा था.

झारखंड के विधानसभा चुनाव के दौरान अमन साहू विधायकी का चुनाव लड़ना चाहता था. जिसके चलते अमन साहू की मां किरण देवी ने बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र के लिए नामांकन प्रपत्र खरीदा था. लेकिन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उसके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी. आरोप है कि अमन साहू की हिट लिस्ट में अक्सर बड़े कारोबारियों के नाम रहा करते थे. जिनसे वो रंगदारी और लेवी वसूलता था. 

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