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जिम ट्रेनर की साजिश, कारोबारी की पत्नी और मर्डर... पुलिस की कहानी में उलझ गई एकता गुप्ता के कत्ल की गुत्थी

अब जरा सोचिए एक क़ातिल पूरे शहर को छोड़कर एक लाश को दफ्नाने के लिए डीएम कंपाउंड को चुने तो फिर ऐसे में उस कातिल की सोच और दिलेरी को क्या कहेंगे? और उससे भी बड़ा सवाल ये कि कानपुर के डीएम साहब के जिले और शहर के लोगों की सुरक्षा को लेकर क्या कहेंगे?

एकता गुप्ता के मर्डर की गुत्थी को पुलिस ने ही उलझा दिया है एकता गुप्ता के मर्डर की गुत्थी को पुलिस ने ही उलझा दिया है
सिमर चावला/रंजय सिंह
  • कानपुर,
  • 29 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 5:06 PM IST

Ekta Gupta Murder Mystery: कानपुर में डीएम कंपाउंड है. उसी में मौजूद है डीएम साहब का सरकारी बंगला. जिले में तमाम जज भी वहीं आस-पास के बंगलों में रहते हैं. ये कानपुर का सबसे सुरक्षित इलाका है, जहां 24 घंटे पुलिस का पहरा रहता है. इसी कानपुर में एक कातिल ने एक कत्ल किया. अब उसे लाश को ठिकाने लगाना था. और तभी उसकी नजर डीएम साहब के बंगले पर पड़ी. और इसके बाद जो हुआ उसने सबको हैरान कर दिया.

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डीएम कंपाउंड में रहता है जिले का सबसे ताकतवर अफसर
एक कहावत है कि हमारे देश में जिन तीन लोगों के पास सबसे ज्यादा पावर होती है वो हैं पीएम, सीएम और डीएम. पीएम का सिक्का पूरे देश में चलता है. सीएम का पूरे राज्य पर और डीएम का पूरे जिले पर. अब बात यूपी के कानपुर जिले की. वहां भी डीएम जिले का सबसे ताकतवर शख्स है. बस यूं समझ लीजिए कि पूरे जिले की कमान उसी शख्स के हाथों में है. कानपुर के डीएम यानी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यानी जिलाधिकारी हैं आईएएस अधिकारी राकेश कुमार सिंह. जहां उनका सरकारी आवास है, उस पूरे इलाके को डीएम कंपाउंड भी कहते हैं. डीएम साहब के दायें बांये अगल-बगल जो घर हैं, उनमें कानपुर के तमाम जज रहते हैं. 

डीएम कंपाउंड की सुरक्षा में सेंध
बस इसी से आप अंदाजा लगा लीजिए कि पूरे कानपुर शहर का ये छोटा सा हिस्सा कितना वीवीआईपी और कितना सुरक्षित होगा. ये वो इलाका है जहां आम लोग तो घुस भी नहीं सकते. हर घर हर रस्ते चौराहे पर चौबीसों घंटे पुलिस वालों की ड्यूटी होती है. अब जरा सोचिए एक क़ातिल पूरे शहर को छोड़ कर एक लाश को दफ्नाने के लिए इसी डीएम कंपाउंड को चुने तो फिर ऐसे में उस कातिल की सोच और दिलेरी को क्या कहेंगे? और उससे भी बड़ा सवाल ये कि इन डीएम साहब के इस शहर और शहर के लोगों की सुरक्षा को लेकर क्या कहेंगे?

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रात के अंधेरे में डीएम कंपाउंड पहुंची पुलिस 
शनिवार की रात थक कर अब रविवार की आगोश में जाने वाली थी. एक बज चुका था. रात के अंधेरे में बहुत कुछ छुपा दी जाती है. लिहाजा, कानपुर पुलिस भी अपनी इज्जत छुपाने के लिए रात के इसी अंधेरे में पूरे लाव लश्कर के साथ डीएम साहब के बंगले पर पहुंचती है. बंगले के बराबर में एक दीवार है. दीवार के पास एक खाली जगह. ये जगह भी डीएम कंपाउंड का ही एक हिस्सा है. पोस्टमार्टम हाउस के मुलाजिम, मजदूर, मुर्दे को ले जाने वाली गाड़ी और खुदाई के लिए जरूरी तमाम औज़ार लिए कानपुर पुलिस के छोटे बड़े अफसर यहां पहुंच चुके थे. उन्हें फिक्र बस एक ही थी. किसी तरह मीडिया को उनके यहां आने की खबर न लगे. 

मौका पर जा पहुंची थी 'आज तक' की टीम
लेकिन मीडिया तो मीडिया ठहरा. पुलिस वालों को सूंघते हुए मौके पर पहुंच गई. गेट अंदर से बंद था. अंदर घुसने का कोई दूसरा रास्ता नहीं. लिहाजा, हमारे रिपोर्टर ने दीवार पर चढ़ कर ही रिपोर्टिंग शुरू कर दी. कल को कानपुर पुलिस या डीएम साहब इस कहानी को झुठला न दें, इसीलिए हमारे रिपोर्टर सिमर चावला ने अपने कैमरामैन शिवम शुक्ला के कैमरे के जरिए ये पहले ही बता दिया कि ये रहा डीएम साहब का बंगला और आस-पास रहने वाले जजों के घर और उनके बीच जारी रात के अंधेरे में कानपुर पुलिस की ये खुदाई चल रही है.

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पांच फीट गहरे गड्ढे से निकला महिला का कंकाल
खैर, इन सबके बीच खुदाई चलती रही. करीब पांच फीट गहरा गड्ढा खुदने के बाद आखिरकार पुलिस को जिस चीज की तलाश थी, वो बाहर आ गई. इसी साल 24 जून यानी पिछले चार महीने से लापता कानपुर के एक बिजनेसमैन की पत्नी 32 साल की एकता गुप्ता कंकाल की शक्ल में गड्ढे से बाहर निकाली जा चुकी थी. मुर्दाघर से साथ लाए पॉलीथिन में कंकाल के नाम पर बरामद हड्डियों को लपेटा जाता है. इसके बाद अस्पताल के मुर्दा वैन में उसे रख कर रात के अंधेरे में ही कानपुर पुलिस के जवान और अफसर अपनी-अपनी गाड़ियों में बैठ कर डीएम कंपाउंड से रवाना हो जाते हैं.

कारोबारी राहुल गुप्ता की पत्नी थी एकता गुप्ता 
लाइव ऑपरेशन खत्म हो जाता है, कब्र से मुर्दा बाहर भी निकल आया. अब चलते हैं पूरी कहानी की तरफ. यूं तो इस कहानी में कई किरदार हैं, पर पहले चार किरदारों से कहानी शुरू करते हैं. एकता गुप्ता और राहुल गुप्ता. 32 साल की एकता की शादी बिजनेसमैन राहुल गुप्ता के साथ हुई थी. तीसरा किरदार कानपुर का एक जिम है. नाम है ग्रीन पार्क जिम. बेशक ये एक बेजान किरदार है, लेकिन इसी बेजान किरदार से एक चौथा किरदार जुड़ा है. कहानी के इस चौथे और आखिरी किरदार का नाम है विमल सोनी. इस जिम में काम करने वाला एक ट्रेनर. 

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जिम के सीसीटीवी कैमरे में कैद हैं तस्वीरें
एकता इसी जिम में आया करती थी. चौबीस जून की सुबह भी वो इस जिम में आई थी. जिम में सीसीटीवी कैमरा लगा है. इस कैमरे में साफ नजर आ रहा है कि एकता 24 जून की सुबह सात बजे जिम में दाखिल हुई. जिम से बाहर निकलते हुए भी एकता की तस्वीर है. लेकिन उसके बाद एक गायब हो जाती है. फिर न किसी तस्वीर में नजर आती है और न ही घरवालों को. एकता का मोबाइल भी अब बंद था. शाम तक जब एकता घर नहीं लौटी तो एकता के पति राहुल गुप्ता एकता के किडनैपिंग की रिपोर्ट पुलिस में लिखा देते हैं. लेकिन कानपुर पुलिस को यही लगता है कि एकता शायद अपनी मर्जी से कहीं गई है. इसी लगने लगाने के चक्कर में पुलिस अपना फर्ज भूल जाती है. 

पुलिस और नेताओं से मदद की गुहार
उधर, बेचारा पति राहुल अपनी पत्नी की तलाश की फरियाद लिए हर ऊंचे बड़े पुलिस अफसर से मिलता है. सीएम से लेकर पीएम तक को लेटर लिखता है. दिल्ली में आईबी के एक अफसर से भी राहुल की जान पहचान थी. वो उनसे भी मदद की गुजारिश करता है. लेकिन एकता नहीं मिलती. 

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FIR में जिम ट्रेनर विमल सोनी को किया नामजद
राहुल ने अपनी शिकायत में बाकायदा एकता की गुमशुदगी के लिए जिम ट्रेनर विमल सोनी को नामजद करते हुए उसे जिम्मेदार ठहराया था. बाद में पुलिस पता करती है तो पता चलता है कि जिम से विमल भी गायब है. उसका फोन भी बंद है. विमल की तलाश के नाम पर पुलिस पता नहीं क्या तलाश कर रही थी कि चार महीने बीत गए पर विमल नहीं मिला. 

चार महीने बाद पकड़ा गया विमल सोनी
चार महीने बाद अचानक एक रोज कानपुर में रहने वाले विमल के एक रिश्तेदार के घर विमल का फोन आता है. इसी फोन की मदद से पुलिस को पता चलता है कि विमल कानपुर में ही है. मोबाइल की लोकेशन के जरिए आखिरकार चार महीने बाद विमल सोनी शनिवार को पुलिस की गिरफ्त में आ जाता है. पुलिस की पूछताछ के बाद आखिरकार विमल एकता के कत्ल की बात कबूल कर लेता है. 

डीएम कंपाउंड में दफ्न थी एकता की लाश
लेकिन लाश कहां ठिकाने लगाई, इसे लेकर वो अब भी पुलिस को उलझा रहा था. कभी कहता कि लाश नदी में बहा दी तो कभी बताता कि उसे पता नहीं. लेकिन पुलिसिया पूछताछ के आगे आखिर वो टूट जाता है और फिर जब वो ये बताता है कि उसने लाश को डीएम कंपाउंड में ही दफ्ना दिया, तो खुद पुलिस वाले हैरान रह जाते हैं. इसके बाद शनिवार की देर रात पुलिस कैसे डीएम कंपाउंड पहुंचती है और एकता का कंकाल बाहर निकलता है, वो हम आपको पहले ही बता चुके हैं.

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दोस्ती, प्यार और कत्ल
अब सवाल ये था कि विमल ने एकता का कत्ल क्यों किया? तो एकता तो अब इस दुनिया में है नहीं. लिहाजा, अब जो विमल सोनी कहानी सुना रहा है, उसी पर भरोसा करना होगा और विमल सोनी के मुताबिक एकता के जिम में आने के बाद दोनों में पहले दोस्ती हुई और फिर प्यार. इस दौरान दोनों कई बार जिम के बाहर भी मिलते मिलाते रहे. सबकुछ ठीक चल रहा था, पर तभी मई के महीने में विमल के घर वालों ने उसका रिश्ता तय कर दिया. रिश्ता तय होने के बाद तिलक की रस्म भी पूरी हो चुकी थी. 

विमल के रिश्ते से नाराज थी एकता
विमल के रिश्ता तय होने की खबर जब एकता को लगी तो वो नाराज हो गई. वो नहीं चाहती थी कि विमल की शादी हो. इसी बात पर दोनों में झग़ड़ा हुआ. 24 जून की सुबह जब एकता जिम आई, तो उस दिन भी झगड़ा हुआ. इसके बाद विमल एकता को अपनी आईटेन कार में बिठा कर पास में ही ग्रीन पार्क स्टेडियम के पार्किंग में ले गया. वहीं उसने एकता की गला घोंट कर हत्या की और फिर अपनी आईटेन कार डीएम कंपाउंड में ले गया. वहां आठ फीट गहरा गड्ढा खोदा. लाश दफ्नाई और आराम से लौट गया.

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पुलिस की किरकिरी
विमल के इश्क वाले पार्ट को छोड़ दें, तो कत्ल और लाश को ठिकाने लगाने को लेकर पुलिस की थ्योरी में कई झोल हैं. कानपुर पुलिस को पता है कि अगर ये खबर सामने आई कि कातिल एक कार में लाश को रख कर डीएम के घर के अंदर अपनी कार घुसा दे और फिर अंदर ही अंदर जा कर गड्ढा खोद कर लाश को दफ्ना दे, तो पुलिस की किरकिरी तो तय है. 

पुलिस ने बनाई नई कहानी 
इसीलिए पुलिस ने एक नई कहानी गढ़ी. पुलिस ने कहा कि डीएम कंपाउंड के पास ही एक क्लब है. इस क्लब में भी एक जिम है. जिसमें कभी विमल काम किया करता था. क्लब की चाबी कभी-कभी विमल के पास रहती थी और उसी चाबी से क्लब के इस गेट को खोल कर वो अपनी कार अंदर ले गया और लाश दफ्ना दी. यानी कानपुर पुलिस के हिसाब से विमल ने लाश वाली कार डीएम साहब के बंगले के अंदर नहीं ले गया था. 

गलत निकली कार गुजरने की बात
अब जिस गेट की बात कानपुर पुलिस कर रही है, उस गेट की बात भी सुन लीजिए. हमारे रिपोर्टर सिमर चावला और रंजय सिंह ने जब इस गेट को देखा, तो उन्हें शक हुआ कि इतनी छोटी सी गेट से आईटेन कार कैसे गुजर सकती है. लिहाजा, उन्होंने इस गेट और आईटेन कार दोनों की ही चौड़ाई, मौके पर ही नाप ली. पचा चला कि उस गेट से आईटेन कार नहीं गुजर सकती. 

वारदात की टाइमिंग पर भी सवाल?
खैर पुलिस की दूसरी थ्योरी पर आते हैं. सीसीटीवी कैमरे के हिसाब से विमल की आईटेन कार डीएम कंपाउंड में सात बज कर पचास मिनट पर दाखिल होती है. करीब पैंतालीस मिनट तक कार अंदर रहती है. पैंतालीस मिनट बाद 8 बज कर 35 मिनट पर कार डीएम कंपाउंड से निकल जाती है. यानी सिर्फ पैंतालीस मिनट में ही विमल कार को अंदर ले गया, 8 फीट गहरा गड्ढा भी खोद डाला, लाश दफ्ना कर गड्ढे को भर भी दिया और फिर वहां से निकल भी गया. और उसे किसी ने देखा तक नहीं. कैसे मुमकिन है? 

पुलिस ने कहा- अचानक हुआ एकता का कत्ल!
कानपुर पुलिस की एक और दलील है कि विमल ने एकता का कत्ल 24 जून को अचानक किया था. कत्ल की पहले से कोई साजिश नहीं रची गई थी. ऐसे में ये सवाल तो लाजिमी बनता है कि दो घंटे के अंदर विमल एकता का कत्ल भी कर देता है और इन्हीं दो घंटों में वो ये भी डिसाइड कर लेता है कि लाश कहां और कैसे दफ्नानी है? कानपुर पुलिस के मुताबिक एकता विमल की शादी से नाराज थी और यही उसके कत्ल की वजह बनी. 

पुलिस के लिए बड़ी शर्मिंदगी
लेकिन जांच ये बताती है कि एकता 18 दिन बाद पहली बार 24 जून को जिम पहुंची थी. 18 दिन से वो जिम गई ही नहीं थी. जबकि पुलिस को आईटेन कार से रस्सी, चुन्नी और कुछ और ऐसी चीज़ें बरामद होती हैं, जिनसे साफ पता चलता है कि क़त्ल अचानक नहीं हुई, बल्कि प्लानिंग पहले से थी. अब जाहिर है जब डीएम साहब और जज साहब के इलाके में घुस कर कोई लाश दफ्ना आए, तो इससे बड़ी शर्मिंदगी किसी शहर की पुलिस के लिए क्या होगी? कायदे से देखा जाए तो विमल सोनी ने ऐसा कर सीधे सीधे कानपुर पुलिस को उस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है कि सबूत हासिल करने के लिए भी उन्हें रात के अंधेरे में अपना मुंह छुपाना पड़ रहा था. बाकी रही केस और केस की जांच की बात, तो रहने ही दीजिए.

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