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कानपुर शूटआउट से ठीक पहले बिकरू गांव में उस रात एक्टिव थे कई मोबाइल फोन

उस रात विकास दुबे का मोबाइल अचानक बहुत बिजी हो गया था. वो एक फोन काटता और दूसरा मिलाता. गुर्गे फोन नहीं उठाते तो उनके परिवार के किसी सदस्य का नंबर मिलाता. हरेक के लिए एक ही हुक्म था, फौरन छत पर पहुंचो.

जांच के दौरान पुलिस को बिकरू गांव के कई मोबाइल कॉल्स के ऑडियो क्लिप मिले हैं जांच के दौरान पुलिस को बिकरू गांव के कई मोबाइल कॉल्स के ऑडियो क्लिप मिले हैं
शम्स ताहिर खान/परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 11:11 PM IST

  • शूटआउट की रात लगातार बिजी था विकास दुबे का मोबाइल
  • बिकरू गांव में उस रात बज रहे थे कई फोन

दो जुलाई की रात को जैसे ही विकास दुबे को पता चला कि पुलिस टीम उसे पकड़ने या मारने आ रही है. उसका मोबाइल अचानक बिजी हो उठा. वो एक फोन काटता और दूसरा मिलाता. गुर्गे फोन नहीं उठाते तो उनके परिवार के किसी सदस्य का नंबर मिलाता. हरेक के लिए एक ही हुक्म था, फौरन छत पर पहुंचो. बिकरू गांव का मोबाइल टावर उस रात पहली बार इतना बिजी था. हम आपको बताने जा रहे हैं, बिकरू गांव की उस रात की कहानी.

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वो गांव में मौजूद अपने एक-एक गुर्गे को फ़ोन कर रहा था. जो फ़ोन नहीं उठाता उसके मां-बाप और बीवी को फोन मिलाता है. सभी को फोन पर एक ही हुक्म देता है. फौरन छत पर पहुंच जाओ. कुछ गुर्गों ने तो नींद में फोन उठाया. उस रात की वीडियो और ऑडियो एक-एक कर सामने आ रही हैं.

दो और तीन जुलाई की तस्वीरें और वीडियो अब एक-एक कर सामने आ रही हैं. लेकिन वो तस्वीरें और वीडियो ऐसी हैं, जिन्हें आपको दिखाया भी नहीं जा सकता. लेकिन इन तस्वीरों को देख कर साफ पता चल जाता है कि दो और तीन जुलाई की रात जो कुछ हुआ वो सिर्फ आमने-सामने की गोलीबारी नहीं थी. बल्कि पुलिसवालों के खिलाफ विकास दुबे की हैवानियत थी.

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दो दिन पहले उसी रात को की गई बातचीत का एक ऑडियो सामने आया था, जिसमें गैंगस्टर शशिकांत की पत्नी विकास दुबे की भाभी को फोन पर कह रही होती है कि उसके दरवाजे और आंगन में पुलिस वालों की लाशें पड़ी हैं.

कहते हैं कि गैंगस्टर शशिकांत के घर की तरफ वो तीनों पुलिस वाले जान बचाने के लिए भागे थे. तीनों लगातार शशिकांत के घर का दरवाजा पीट रहे थे कि उन्हें अंदर आने दें. बाहर वो घिर चुके हैं. इसके बाद तीनों को उसी दरवाजे और आंगन में गोलियां मार दी गईं.

एक वीडियो में शिवराजपुर के थानाध्यक्ष महेश यादव एक पलंग पर लेटे हैं. कंधे से लेकर पैर तक पूरा जिस्म गोलियों से छलनी है. गोलीबारी थमने के बाद उन्हें साथी पुलिस वाले किसी तरह गांव में ही एक चारपाई पर लिटा देते हैं. इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है. पर थानाध्यक्ष शायद इसी चारपाई पर दम तोड़ चुके थे.

बिकरू गांव की उसी रात की एक और तस्वीर है. जिसमें पांच पुलिस वालों की लाशें एक कुएं के किनारे रखी हैं. हमने आपको आजतक पर बताया था कि गोलीबारी के बाद विकास दुबे ने पुलिस वालों की लाशें एक कुएं के किनारे जमा की थीं. ताकि उन लाशों को पेट्रोल और डीजल डालकर जला सके और सबूत मिटा दे. मगर उसे मौका नहीं मिला.

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अब बात करते हैं तीन ऑडियो की. वो तीनों बातचीत एनकाउंटर से ऐन पहले और एनकाउंटर के ठीक बाद की हैं. उनमें से पहले ऑडियो में शशिकांत की पत्नी अपने पति को फोन कर रही है और फोन पर बता रही है कि भैय्या यानी विकास दुबे फोन कर रहे थे. साथ ही वो ये भी बता रही है कि कौन किसकी छत पर है.

फोन पर दूसरी बातचीत शशिकांत और उसके पिता प्रेम प्रकाश के बीच में हो रही है. जिसमें प्रेम प्रकाश अपने बेटे को बता रहा है कि विकास भैय्या का फोन आया था तो फौरन उसको फोन कर लो.

अब उसी रात फोन पर हुई तीसरी बातचीत पर आते हैं. जिसमें इस बार फोन शशिकांत की पत्नि अपने ससुर प्रेम प्रकाश को किया है. वो फोन पर घबराई हुई है और अपने ससुर को जल्दी घर आने को कह रही है. शायद ये वही वक्त था जब तीन पुलिस वालों को शशिकांत के दरवाजे पर मारा गया था.

इस बातचीत से साफ है कि उस रात विकास दुबे और उसके गुर्गे किसी एक छत पर नहीं बल्कि कई घरों की छतों पर मोर्चा लिए हुए थे और वहीं से पुलिस टीम पर गोलियां बरसा रहे थे.

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