
केरल में दो महिलाओं की बलि का मामला आज के इस आधुनिक दौर पर एक बदनुमा दाग की तरह नजर आता है. आज भी जब मानव बलि या नर बलि जैसी घटनाएं सामने आती हैं तो ऐसा करने वालों की दरिंदगी पर लोगों को गुस्सा आता है. उनके पागलपन से लोग खौफजदा भी होने लगते हैं मगर केरल की वारदात कोई ऐसा पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी नर बलि के कई मामले सामने आते रहे हैं. जानिए खून जमा देने वाली ऐसी ही वारदातों की दास्तान.
क्या होती है नरबलि?
किसी धार्मिक अनुष्ठान की रस्म के तौर पर किसी इंसान का कत्ल किए जाने को नर बलि या मानव बलि कहा जाता है. दुनियाभर में कई धार्मिक रस्मों रिवाज के दौरान पशु बलि दिया जाना आम बात है लेकिन इतिहास के पन्नों का खंगाले तो पता चलता है कि विभिन्न संस्कृतियों में नर बलि की प्रथा भी रही है. बलि का शिकार होने वाले शख्स को खौफनाक रीति-रिवाजों के मुताबिक ऐसे कत्ल जाता था जिससे कि देवी-देवता प्रसन्न हो जाएं. कुछ लोग मानते थे कि देवी-देवताओं को संतुष्ट करने के लिए मृत व्यक्ति की आत्मा भेंट की जानी चाहिए. इसलिए प्राचीन काल में कई राजा अपने दास दासियों की बलि चढ़ा देते थे.
हालांकि लौह युग तक धर्म संबंधी विकास हो जाने की वजह से पुरातन काल में नर बलि का चलन कम होता गया. सजा-ए-मौत को भी कुछ लोग नर बलि से जोड़कर ही देखते थे. इसी तरह से गैरकानूनी ढंग से हत्या, सामूहिक हत्या और जातिसंहार को भी कभी-कभी नर बलि के तौर पर ही देखा जाता था. आधुनिक समय में पशु बलि की प्रथा भी लगभग सभी प्रमुख धर्मों से गायब होती जा रही है. ऐसे में नर बलि तो बहुत ही दुर्लभ हो गई है. अब ऐसे मामले जब भी सामने आते हैं तो वे खौफनाक वारदात के तौर पर देखे जाते हैं. आज समाज और कानून में इसके लिए कोई जगह नहीं है. इसे हत्या की तरह संगीन गुनाह माना जाता है.
हमारे समाज में आज भी जब इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं तो लोगों का दिल दहल जाता है. हम आपको बताने जा रहे हैं नर बलि की कुछ ऐसी ही घटनाएं, जिन्होंने इस आधुनिक युग में भी इंसानियत को शर्मसार कर दिया. ये खूनी घटनाएं इस तरह से अंजाम दी गईं कि सुनने वालों के भी रोंगटे खड़े हो गए.
26 सितंबर 2022
केरल में कोच्चि पुलिस को एक महिला की गुमशुदगी की शिकायत मिली. एक महिला ने पुलिस को बताया कि उसकी 50 साल की बहन पद्मा पिछले कई दिन से लापता है. पद्मा पिछले कुछ महीनों से कोच्चि में रह रही थी. इससे पहले वो तामिलनाडु में रहती थी. पुलिस ने पद्मा की तलाश के लिए उसके मोबाइल फ़ोन की कॉल डिटेल्स निकलवाईं. छानबीन शुरू की. पुलिस को पद्मा की कॉल डिटेल में एक संदिग्ध नंबर मिला जो शफी उर्फ राशिद नाम के एक शख्स का था. पुलिस उस शख्स तक जा पहुंची.
इसी दौरान पुलिस को एक और महिला के गायब हो जाने की सूचना मिली. 49 साल की उस महिला का नाम रोजलीन था. वो 8 जून से ही लापता थी. एर्नाकुलम की रहनेवाली रोजलीन की बेटी मंजू उत्तर प्रदेश में टीचर है. अपनी मां की गुमशुदगी के बाद उसने 17 अगस्त को केरल के कैलडी थाने में इसकी रिपोर्ट भी लिखवाई थी लेकिन कोई सुराग नहीं मिल सका था. दोनों महिलाओं की गुमशुदगी के साथ-साथ दोनों में एक और बात कॉमन थी और वो थी कि ये दोनों ही महिलाएं लॉटरी टिकट वेंडर थीं.
इसके बाद पुलिस ने रोजलीन की कॉल्स डिटेल निकलवाई तो पता चला कि उसकी बातचीत भी शफी नाम के उस शख्स से हो रही थी, जो पद्मा के साथ भी लंबी बातचीत करता था. पुलिस ने शफी से सख्ती से पूछताछ की तो इस मामले में मुख्य आरोपी भगवल सिंह और उसकी पत्नी लैला सिंह का नाम सामने आया. ये दोनों कोच्चि के पत्थानम-त्थिट्टा में रहकर हीलिंग यानी वैकल्पिक इलाज का काम करते थे. इनका मसाज पार्रलर भी था. दोनों का काम इनदिनों ठीक नहीं चल रहा था और इसलिए अंधविश्वास में डूबे सिंह दंपति ने शफी के साथ मिलकर नर बलि की योजना बनाई ताकि वे अमीर बन सकें.
पुलिस ने छानबीन पूरी की और भगवल को पत्नी समेत धरदबोचा. फिर उनकी निशानदेही पर उनके घर के बाहर एक गड्ढे में दफन टुकड़ों में बंटी दो लाशे बरामद कीं. ये शव पद्मा और रोजलीन के थे. उन्हें इस कदर बेरहमी से कत्ल किया गया था कि पुलिसवाले भी देखकर सन्न रह गए. उनके जिस्म के 56-56 टुकड़े किए गए थे. नर बलि की इस वारदात ने पूरे देश को दहला दिया.
11 जुलाई 2019
झारखंड के लातेहार में उस दिन मानिका के सेमरहट गांव में दो लापता बच्चों की लाश मिली. दोनों के सिर कटे हुए थे. मौका-ए-वारदात के मंजर देखकर इलाके के लोग सहम गए. लाशें बालू के ढेर में दबाई गई थीं. पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और छानबीन की, सुराग जुटाए. हालात देखकर साफ लग रहा था कि ये मामला नर बलि का है. दोनों बच्चे अलग-अलग परिवारों से संबंध रखते थे.
पुलिस ने मामला दर्ज कर तफ्तीश शुरू की. जिस जगह लाशें मिली थी, पुलिस को उसी के आस-पास कातिल के होने का शक था. पुलिस आस-पास रहने वाले लोगों से पूछताछ कर रही थी, लेकिन कुछ पुख्ता सुराग हाथ नहीं आ रहा था. इसी बीच जांच के दौरान पता चला कि बच्चों की सिर कटी लाशें जहां से बरामद हुई हैं, उसके आगे वाला घर सुनील उरांव नाम के एक शख्स का है. पुलिस फौरन उस घर में पहुंची और वहां छानबीन की.
पुलिस ने पाया कि उस घर की दिवारों पर खून के छीटें जम गए थे. पुलिस को पूरा माजरा समझते देर नहीं लगी. पुलिस ने पाया कि आरोपी फरार है. इसके बाद पुलिस कातिल की तलाश में जुट गई और कुछ दिन बाद ही सुनील को गिरफ्तार कर लिया गया. जिसने पुलिस को अंधविश्वास से लबरेज अपने गुनाह की कहानी बयां कर दी. इसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया.
23 मार्च 2015
ये मामला छत्तीसगढ़ के उत्तरी बस्तर जिले का है. जहां पखांजुर थाना क्षेत्र के गांव विद्यानगर से एक बच्चे के लापता होने की खबर आई. जिसका नाम था स्वरोजित अधिकारी और उसकी उम्र थी 8 साल. परिवार और गांववाले उसकी तलाश कर रहे थे. इसी दौरान बच्चे के एक चश्मदीद ने बताया कि उसने कुछ लोगों को नर बलि के लिए एक बच्चे को सितरम गांव की ओर ले जाते हुए देखा था. पुलिस और परिजन उसकी वहां तलाश करने लगे.
इसी दौरान पुलिस को पता चला कि 23 मार्च को उसे एक रिश्तेदार समीर के साथ आखिरी बार देखा गया था. लिहाजा, पुलिस को पहला शक उसी पर था. ये शख्स खुद भी परिजनों के साथ मिलकर पहले दो दिन बच्चे की तलाश कर रहा था. जब पुलिस ने उसके घर जाकर देखा तो वो नहीं मिला. बाद में उसे गांव छोड़कर भागते वक्त गिरफ्तार कर लिया गया. जब उससे पूछताछ की गई तो अंधविश्वास और नर बलि की खौफनाक कहानी सामने आई.
नर बलि के इस मामले में तीन दिन बाद पुलिस ने बच्चे की लाश एक तालाब से बरामद कर ली. आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, धारा 364 और धारा 201 के तहत मामला दर्ज था. लिहाजा अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
21 अक्तूबर 2011
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में एक इलाका है जेलबाड़ा. वहां ललिता नाम की एक बच्ची रहती थी. 21 अक्टूबर को वो अचानक कहीं लापता हो गई. सात दिन तक स्थानीय लोग उसकी तलाश करते रहे लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला. सात दिन बाद उसकी लाश इलाके के जंगल से बरामद हुई. पुलिस ने आशंका जताई कि महिला की लाश मंदिर के पास मिली है लिहाजा ये मामला नर बलि का हो सकता है.
उस बच्ची का कत्ल इस कदर बेरहमी के साथ किया गया था कि उसके जिस्म को कई जगह से काट दिया गया था. उसके कई अंग शरीर से बाहर निकल आए थे. मृतका के घरवालों ने कुछ पड़ोसियों पर शक जाहिर किया था. लिहाजा, बीजापुर पुलिस ने 31 दिसंबर 2011 को दो शख्स को गिरफ्तार किया जिनकी पहचान तो पुलिस ने नहीं बताई, लेकिन इतना जरूर बताया कि दोनों आरोपियों ने नर बलि देने की बात कबूल कर ली है.
पुलिस का कहना था कि आरोपियों के खेत में अच्छी फसल हो, इसलिए उन दोनों ने पहले ललिता को अगवा किया और फिर उसकी बलि चढ़ा दी. पुलिस ने बाद में दावा किया था कि इस काम में केवल वे दो आरोपी ही नहीं बल्कि कुछ और लोग भी शामिल थे जिन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था. पकड़े गए सभी आरोपी आदिवासी थे.
23 नवंबर 2011
छत्तीसगढ़ के भिलाई में एक जगह है रुआबांधा बस्ती. जहां रहने वाले पोषण सिंह राजूपत का परिवार साईं मंदिर के सामने कसारीडीह गया था. इसी दौरान पोषण सिंह का दो साल का बेटा अपनी मां के साथ साईं मंदिर के पास खेल रहा था. तभी अचानक कुछ अज्ञात लोगों ने उसे अगवा कर लिया. बच्चे को गायब देख उसके घरवाले सकते में आ गए. बच्चों को आस-पास सभी जगहों पर तलाश किया गया, लेकिन वो नहीं मिला. तीन दिन बाद रूआबांधा इलाके के एक घर में उस मासूम बच्चे की बलि चढ़ा दी गई. उसका कत्ल बड़ी ही बेरहमी के साथ किया गया था.
पुलिस मामले की तहकीकात करते हुए एक दंपति तक जा पहुंची जो खुद को तांत्रिक बताता था. उनकी शिनाख्त ईश्वर यादव और किरण यादव के तौर पर की गई. पुलिस ने बताया कि इन दोनों ने अपने शिष्यों के साथ मिलकर ये खौफनाक साजिश रची थी. इन दोनों ने ही अपने पड़ोसी पोषण सिंह के दो साल के बेटे चिराग को अगवा किया और फिर 3 दिन बाद उसका मर्डर कर दिया था. सबूत मिटाने के मकसद से आरोपियों ने चिराग की लाश को दफना दिया था. पुलिस ने यादव दंपति से शक के आधार पूछताछ की थी तब जाकर इस मामले का खुलासा हुआ.
इस सनसनीखेज हत्याकांड में तांत्रिक दंपति के अलावा 5 लोग और शामिल थे. सभी आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर लिया था. यह मामला दुर्ग जिले की कोर्ट में चलता रहा और साल 2014 में अदालत ने इसे संगीन जुर्म करार देते हुए सभी आरोपियों को सजा-ए-मौत दी थी.