Advertisement

साबरमती टू प्रयागराज, पुलिस वैन में सफर, परिवार पर शिकंजा... अतीक अहमद के लिए ऐसे बदल गया सबकुछ

वक्त का फेर देखिये, जो शख्स कभी खौफ का नाम हुआ करता था. आज वो खुद खौफजदा है. उमेश पाल मर्डर केस में आरोपी माफिया डॉन अतीक अहमद को गुजरात के साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया है.

अतीक अहमद को दूसरी बार साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया है अतीक अहमद को दूसरी बार साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया है

कहते हैं जुर्म की उम्र बहुत छोटी होती है. लेकिन डॉन के सफरनामे की कहानी और सफर दोनों ही लंबा होता जा रहा है. 15 दिन के अंदर-अंदर अतीक अहमद एक बार फिर से अहमदाबाद की साबरमती जेल से प्रयागराज की नैनी जेल के सफर पर निकला था. बुधवार को वहां पहुंचा. पिछली बार उमेश पाल की किडनैपिंग केस का फैसला सुनने के लिए उसे प्रयागराज लाया गया था. अब 15 दिन बाद उसी उमेश पाल के कत्ल की पूछताछ के लिए उसे फिर से प्रयागराज लाया गया है. उमेश पाल की किडनैपिंग केस में अतीक अहमद को पहले ही उम्र कैद की सजा मिल चुकी है. अब उमेश पाल के कत्ल का इल्जाम भी उसी के सिर है. लिहाजा प्रयागराज पुलिस इस मामले में अब उससे पहली बार लंबी पूछताछ करेगी.

Advertisement

बुलेट प्रूफ वैन, बॉडी कैम और अत्याधुनिक हथियार 
वक्त का फेर देखिये, जो शख्स कभी खौफ का नाम हुआ करता था. आज वो खुद खौफजदा है. उमेश पाल मर्डर केस में आरोपी माफिया डॉन अतीक अहमद को गुजरात के साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया है. बुलेट प्रूफ वैन, बॉड़ी कैम और अत्याधुनिक हथियारों के साथ यूपी पुलिस का भारी भरकम दल अतीक अहमद को साबरमती जेल से प्रयागराज लाया है. लेकिन डॉन डरा हुआ है.

अतीक ने जताया मीडिया का आभार 
अतीक मीडिया का शुक्रिया कर रहा है. कह रहा है कि आप लोगों की वजह से वो हिफाजत से है. साबरमती जेल से प्रयागराज जाते हुए सुबह के वक्त अतीक का काफिला कुछ देर के लिए मध्य प्रदेश के शिवपुरी में सुरवाया थाने पर रुका था. पूरे रास्ते अलग-अलग पड़ावों पर जहां भी अतीक को मीडिया से बात करने का मौका मिला, जान को लेकर उसका डर साफ नजर आया.

Advertisement

अतीक को लग रहा है डर
अतीक अहमद ने उमेश पाल हत्याकांड पर कहा कि उसे कुछ नहीं पता वो जेल में था. उसने कोई फोन नहीं किया. ना किसी से मुलाकात की. साफ लग रहा है तमाम सुरक्षा के बीच भी अतीक को यूपी पुलिस से डर लग रहा है. शायद, उसकी जेहन में विकास दुबे और दूसरे अपराधियों के एनकाउंटर की तस्वीरें ताजा हो रही हैं. रात के करीब डेढ़ बजे राजस्थान के बूंदी थाने पर अतीक का काफिला रुका तो अतीक ने वहां एक नई बात कही. 

'माफियागिरी खत्म, रगड़े गए हम' 
अतीक ने कहा कि उसकी माफियागिरी काफी पहले खत्म हो चुकी थी. अब उसे रगड़ा जा रहा है. उसका परिवार पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. एक सवाल के जवाब में उसने कहा कि माफियागिरी की समाप्ति पहले ही हो चुकी थी. अब तो खाली रगड़ा जा रहा है. उमेश पाल हत्याकांड की साजिश आपने जेल में रची थी, इस सवाल के जवाब में अतीक ने कहा कि हम भी तो कह रहे हैं कि हम जेल में थे. जेल से क्या साजिश रचेंगे?

अतीक बोला- मारना चाहते हैं
अतीक अहमद को प्रयागराज के बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड में मुख्य आरोपी बनाया  गया है. इसी केस के सिलसिले में उसे साबरमती से प्रयागराज लाया गया है. कल दोपहर करीब ढाई बजे यूपी पुलिस अतीक को साबरमती जेल से लेकर निकली थी. दोबारा प्रयागराज लाए जाने के सवाल पर उसने कहा कि ये ले जा रहे हैं, इनकी नीयत सही नहीं है. खाली परेशान करना चाहते हैं. मारना चाहते हैं.

Advertisement

याद दिलाया सुप्रीम कोर्ट का फरमान
जब अतीक से सवाल पूछा गया कि आपको तो उमेश पाल की हत्या के मामले में लेकर जा रहे हैं. तो उसने जवाब में कहा कि नहीं..नहीं...उमेश पाल की हत्या में तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हो सकती थी और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है. जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कराओ तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जब यहां है, तो मुझको ले जा रहे हैं, काहे के लिए ले जा रहे हैं?

15 दिन पहले भी लाया गया था प्रयागराज
अतीक को 26 मार्च को भी प्रयागराज कोर्ट में पेश करने के लिए साबरमती से प्रयागराज लाया गया था. तब 2006 के उमेश पाल किडनैपिंग केस में अतीक को उम्र कैद की सजा स़ुनाई गयी थी. अब साठ साल के अतीक पर उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में केस दर्ज किया गया. पहली बार 27 मार्च 2023 को अहमदाबाद की साबरमती जेल से अतीक को प्रयागराज लाया गया था. और उसके 15 दिन बाद अब 11 अप्रैल 2023 को साबरमती जेल से दोबारा अतीक को प्रयागराज लाया गया है.

गाड़ी पलट जाने का डर
इस बार भी जब 11 अप्रैल को अतीक का काफिला साबरमती जेल से निकला था, तो सवाल उठने लगा था कि कानून की गाड़ी सड़क पर पलट तो नहीं जाएगी. इंसाफ का पहिया रस्ते में फिसल तो नहीं जाएगा. किसी पुलिस वाले के हथिय़ार फिर से छिन तो नहीं लिए जाएंगे. अदालत से पहले सड़क पर ही एक बार फिर से फैसला तो नहीं सुना दिया जाएगा. कानपुर वाले विकास दुबे की कहानी प्रयागराज वाले अतीक अहमद के साथ फिर से तो नहीं दोहराई जाएगी. 

Advertisement

रोमांच और एक्शन वाला सफर!
बस इस फिर से, फिर से और फिर से के सवाल ने तमाम न्यूज चैनलों की गाड़ियों को करीब पौने तेरह सौ किलोमीटर तक एक बार फिर से दौड़ा दिया. एक बार फिर से वही सवाल था कि पता नहीं कब और कहां गाड़ी पलट जाए या फिर गाड़ी नज़रों से अचानक ओझल हो जाए क्योंकि पलटने और नज़रों से ओझल हो जाने में लोगों को एक रोमांच और एक्शन नज़र आ रहा था. पर कानून की गाड़ी एक ही ढर्रे पर हर बार नहीं पलटती है.

8 गाड़ियां और 30 जवान-अफसर
करीब पौने तेरह सौ किलोमीटर की दूरी, 24 घंटे से ज़्यादा का सफर और तीन राज्यों की सीमाएं. काफिले के साथ कुल 8 गाड़ियां और 30 जवान-अफसर चल रहे थे. कायदे से देखें तो अगर यूपी पुलिस अहमदाबाद से प्रयागराज तक के लिए किसी ट्रेन का पूरा एक डब्बा ही बुक करा लेती तो खर्चा भी कम पड़ता और थकान भी कम होती. लेकिन फिर ये तमाशा ज़रूर मिस हो जाता और वो गाड़ी पलटने वाला सस्पेंस और रोमांच भी ख़त्म हो जाता. 

24 घंटे में पूरे 1275 किलोमीटर का सफर 
39 डिग्री के तापमान में ये सफर सिर्फ अतीक ही नहीं बल्कि उसे लेकर आनेवाले पुलिसवालों और काफिले के साथ-साथ चल रहे पत्रकारों के लिए भी आसान नहीं होने वाला. अतीक को लेकर यूपी पुलिस का ये सफर अहमदाबाद से शुरू होकर उदयपुर, चितौड़गढ़, कोटा, शिवपुरी, झांसी और चित्रकूट होते हुए प्रयागराज में जाकर पूरा हुआ और इस तरह पुलिस और पत्रकारों का ये लवाजमा करीब 24 घंटे में पूरे 1275 किलोमीटर का सफर पूरा कर अपनी मंजिल पर पहुंचा.

Advertisement

प्रोडक्शन वारंट पर लाया गया अतीक
यूपी पुलिस की अब तक की तफ्तीश बेशक उमेश पाल मर्डर केस में अतीक अहमद को मास्टरमाइंड बताती हो, लेकिन सच्चाई यही है कि कत्ल की इस वारदात को 48 दिनों का वक्त पूरा हो जाने के बावजूद अब तक अतीक अहमद से एक बार फिर पूछताछ नहीं हो सकी है. ऐसे में इस साजिश की तह तक पहुंचने के लिए यूपी पुलिस का अतीक से पूछताछ करना जरूरी है. कुछ इसी इरादे से पुलिस ने पिछले हफ्ते ही प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट में अतीक के प्रोडक्शन वारंट के लिए अर्जी दाखिल की थी. जिस पर कोर्ट ने हफ्ते भर पहले ही बी वारंट जारी कर दिया था. लेकिन यूपी पुलिस ने अब जाकर साबरमती जेल में इस वारंट की तामील करवाई है और अतीक को वहां से लेकर प्रयागराज आ गई. 

जेल में अतीक की शाइस्ता से बातचीत!
इस बीच पुलिस को पता चला है कि साबरमती जेल में बैठे-बैठे ही अतीक की एक बार फिर अपनी बीवी शाइस्ता से बातचीत हुई है. सूत्रों का दावा है कि शाइस्ता ने इस बातचीत में उमेश पाल मर्डर केस में बेटे असद को शामिल करने पर अपनी नाराजगी जताई थी, जिस पर अतीक ने कहा कि असद ने उमेश की हत्या कर ठीक किया. वो शेर का बेटा है और उसे शेरों वाला काम किया है. पुलिस सूत्रों को दोनों के बीच हुई बातचीत की जो जानकारी मिली है, उस पर यकीन करें तो उमेश के कत्ल के बाद अतीक ने शाइस्ता से कहा कि उमेश की मौत के बाद उसे 18 साल बाद चैन की नींद सोने का मौका मिला है.

Advertisement

अशरफ से भी होगी पूछताछ
वैसे सिर्फ अतीक ही नहीं इस मामले में पुलिस अतीक के भाई अशरफ से भी पूछताछ करनेवाली है और पुलिस ने उसके नाम से भी वारंट हासिल कर लिया है. अशरफ फिलहाल यूपी की बरेली जेल में बंद है, जहां से उसे पूछताछ के लिए प्रयागराज ला गया है.

पुलिस के हाथ नहीं आ रहे शूटर
इसी साल 24 फरवरी को अंजाम दिए गए उमेश पाल हत्याकांड का मास्टरमाइंड अतीक अहमद को बताया जा रहा है, जबकि एक-एक कर इसमें शामिल सभी शूटरों की पहचान की गई है. लेकिन सच्चाई यही है कि अब तक पुलिस इस सिलसिले में अब तक सिर्फ सदाकत नाम के एक साजिशकर्ता को गिरफ्तार चुकी है, जबकि विजय चौधरी और सरफराज नाम के दो शूटरों को एनकाउंटर में मार गिराया गया है. लेकिन अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन समेत इस केस से जुडे बाकी के पांच शूटरों का अब तक कोई अता-पता नहीं है. ऐसे में अब यूपी पुलिस इस शूटरों पर इनाम की रकम बढ़ा कर पांच-पांच लाख रुपये कर दी है, लेकिन इतना होने के बावजूद पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पा रही है.

शाइस्ता भी पुलिस की पहुंच से बाहर
वैसे शूटर ही क्यों, पुलिस तो अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन तक भी नहीं पहुंच पा रही है और उस पर इनाम की रकम लगातार बढ़ाती जा रही है. शाइस्ता की फरारी को देखते हुए उस पर इनाम बढ़ा कर 25 हज़ार रुपये से 50 हजार कर दिया गया है. इस बीच ये खबर मिली थी कि शाइस्ता नेपाल में अतीक के किसी खासमखास के ठिकाने पर छुपी हुई है, लेकिन यूपी पुलिस को वहां से भी बैरंग वापस लौटना पड़ा है. शाइस्ता पर इल्जाम है कि वो ना सिर्फ उमेश पाल की मर्डर की साजिश से पूरी तरह वाकिफ थी, बल्कि उसने इस केस में एक फेसलिटेटर की भूमिका निभाई. उसी ने असद से सभी शूटरों के लिए अलग-अलग मोबाइल फोन और सिम कार्ड खरीदवाए थे और कत्ल की वारदात को अंजाम देने से पहले उन्हें रुपये भी दिए थे. इसके बाद वो खुद को बेगुनाह बताती हुई अदालत में जमानत की अर्जियां देती रही, लेकिन अदालत से वो अर्जियां खारिज होने के बाद बाकी शूटरों के साथ-साथ शाइस्ता भी फरार हो गई.

Advertisement

पुलिस पीछे, शूटर आगे
उमेशपाल मर्डर केस में फरार चल रहे पांचों शूटर का अब तक कोई अता पता नहीं है. फिर चाहे वो अतीक का बेटा असद हो, शूटर गुलाम मोहम्मद हो, बमबाज गुड्डू मुस्लिम, अरमान या फिर अतीक परिवार का पुराना वफादार साबिर, सभी के सभी किसी का भी अब तक कोई अता-पता नहीं है. वैसे पुलिस सूत्रों की मानें तो उसे कई बार शूटरों की लोकेशन मिली, कई बार शूटर अलग-अलग जगहों पर सीसीटीवी कैमरों में भी कैद हुए, लेकिन इत्तेफाक से उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई. शूटआउट के ठीक दो दिन बाद ही प्रयागराज के पड़ोसी जिले कौशांबी में साबिर के छुपे होने की खबर मिली थी. तारीख थी 26 फरवरी. लेकिन इससे पहले कि पुलिस उस ठिकाने पर दबिश डालती, साबिर वहां से फरार हो चुका था.

पुलिस के हाथ से निकला गुड्डू बमबाज
उधर, मेरठ में भी गुड्डू मुस्लिम की तस्वीरें सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी. लेकिन जब तक पुलिस उस तक पहुंचती, वो भाग चुका था. इससे पहले 27 फरवरी को पुलिस को गुड्डू मुस्लिम के गोरखपुर के लिए रवाना होने की खबर मिली थी. पुलिस ने खबर मिलते ही उसे बीच रास्ते से पकडने के लिए जाल बिछाया, लेकिन इसे पुलिस के सूचना तंत्र की नाकामी कहें या फिर शूटरों के मददगारों की चौकसी, पुलिस आखिर उसे नहीं पकड़ सकी. इसी तरह 3 मार्च को शूटर अरमान के बिहार के सासाराम कोर्ट में सरेंडर करने की खबर आई. लेकिन ना तो उसने सरेंडर किया और ना ही वो पकड़ में आया. 

नेपाल में भी छापेमारी
पुलिस को अतीक के बेटे असद की लोकेशन भी कई बार मिली. लेकिन वो पकड़ा नहीं गया. पता चला कि अतीक नेपाल के कपिलवस्तु कय्यूम अंसारी के खुफिया ठिकाने पर मौजूद है. यूपी पुलिस की कई टीमों ने कय्यूम के ठिकानों पर छापेमारी की. लेकिन असद का कुछ पता नहीं चला. यूपी पुलिस को गुलाम मोहम्मद के बारे में भी जानकारी मिली थी. 18 मार्च को पता चला कि वो आगरा के फतेहपुर सीकरी इलाके में अपने किसी जानकार के खुफिया ठिकाने पर छुपा है. पुलिस ने भारी लवाजमे के साथ उसकी घेरेबंदी करने की कोशिश की लेकिन वो अब भी फरार है.

यूपी पुलिस की किरकिरी
जाहिर है शूटरों का यूं लगातार पुलिस के आने से पहले ही गायब हो जाना इस बात को साबित करता है कि लुकाछिपी के इस खेल में ये शूटर इस वक्त पुलिस पर बीस साबित हो रहे हैं. इसे पुलिस के खुफिया तंत्र की नाकामी भी कह सकते हैं और इनफॉरमेशन के लीक होने का नतीजा भी, लेकिन शूटरों की फरारी यूपी पुलिस के लिए अब बड़ी किरकिरी साबित हो रही है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement