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करोड़ों की संपत्ति, अफसर भाई-बहन और खूनी साजिश... हैरान कर देगी एक्सीडेंट दिखने वाले इस कत्ल की कहानी

वो कहते हैं ना कि कई बार जो होता है, वो दिखता नहीं और जो दिखता है, वो होता नहीं है. ऐसा ही कुछ हुआ था महाराष्ट्र के नागपुर शहर में. जहां पिछले महीने एक बुजुर्ग को पीछे से आ रही एक तेज रफ्तार व्हाइट आई-20 कार ने कुचल दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी. लेकिन ये कहानी कुछ और निकली.

पुलिस ने जब इस मामले का खुलासा किया तो हर कोई हैरान रह गया पुलिस ने जब इस मामले का खुलासा किया तो हर कोई हैरान रह गया
योगेश पांडे/सुप्रतिम बनर्जी
  • नागपुर,
  • 13 जून 2024,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST

महाराष्ट्र के नागपुर शहर में पिछले महीने सबकी आंखों के सामने एक कत्ल हुआ था. लेकिन सबकुछ खुलेआम होने के बावजूद किसी को ये कत्ल नजर नहीं आया. और तो और पुलिस भी इस कत्ल को कत्ल नहीं समझ सकी. लेकिन जब मरने वाले शख्स की पहचान सामने आई और इस मौत को लेकर शहर में चर्चाओं का बाज़ार गर्म हुआ, तो फिर मामले की जांच क्राइम ब्रांच के हवाले की गई. और अब इस मामले में जो खुलासा हुआ, उसने सबको हैरान कर दिया. ये कहानी है एक ऐसे अदृश्य कत्ल की, जिसके लिए पूरे एक करोड़ रुपये की सुपारी दी गई थी.

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कार ने बुजुर्ग को कुचला
वो कहते हैं ना कि कई बार जो होता है, वो दिखता नहीं और जो दिखता है, वो होता नहीं है. हम बात कर रहे हैं सीसीटीवी की कुछ ऐसी ही तस्वीरों की. तस्वीरों में एक बुजुर्ग शख्स हाथ में झोला लिए पैदल ही सड़क से चले जा रहे हैं. उनकी नजरें नीची हैं. लेकिन अभी वो थोड़ी ही दूर आगे और बढ़ते हैं कि पीछे से आ रही एक तेज रफ्तार व्हाइट आई-20 कार उन्हें कुचल देती है. और आगे निकल जाती है.

22 मई 2024, नागपुर
नागपुर में दूर से कैमरे में कैद हुई वे तस्वीरें बहुत साफ तो नहीं है, लेकिन इन्हें देख कर फौरी तौर पर इतना तो कहा ही जा सकता है कि ये मामला एक्सीडेंट का है. पिछले महीने की 22 तारीख को हुई इस वारदात की उन तस्वीरों को देख कर शुरू में नागपुर पुलिस को भी कुछ ऐसा ही लगा था. क्योंकि उस तस्वीर में जो दिखा, वो था नहीं और जो था वो दिखा नहीं. और यही वजह है कि अब उस वारदात के पूरे 21 दिन बाद ये केस सिर के बल खड़ा हो चुका है. 

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एक्सीडेंट का नहीं, कत्ल
पता चला है कि केस एक्सीडेंट का नहीं, बल्कि सोची समझी साजिश के तहत किए गए कत्ल का है, जिस कत्ल के लिए कातिलों को पूरे 1 करोड़ रुपये की सुपारी दी गई है. लेकिन आखिर एक बुजुर्ग आदमी के कत्ल के लिए इतनी भारी भरकम सुपारी किसने दी? उसकी इन बुजुर्ग से ऐसी दुश्मनी क्या थी? कत्ल को एक्सीडेंट दिखाने की कोशिश क्यों हुई? और आखिरकार इस तथाकथित एक्सीडेंट के पीछे छुपे खूनी साज़िश से पर्दा कैसे हटा? तो नागपुर में हुई इस वारदात की तफ्तीश में जो बातें सामने आईं और कातिल के तौर पर जो चेहरे बेनकाब हुए, उन्होंने पुलिस वालों के साथ-साथ नागपुर के आम लोगों को भी अब हैरत में डाल दिया है.

दो क्लास वन अफसरों की खौफनाक साजिश
क्योंकि इस बुजुर्ग के कत्ल के मास्टरमाइंड के तौर पर जिस महिला का नाम सामने आया है, वो महाराष्ट्र के ही गढ़चिरौली और चंद्रपुर के टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट की असिस्टेंट डायरेक्टर है, यानी सरकारी महकमे की एक क्लास वन ऑफिसर जबकि इस साजिश में उस महिला का साथ देने वाला दूसरा बडा़ चेहरा है प्रशांत पार्लेवार, जो नागपुर के ही माइक्रो, स्मॉल एंड मिडियम इंटरप्राइजेज यानी एमएसएमई के डायरेक्टर हैं. यानी दूसरे सीनियर क्लास वन ऑफिसर. अब दो-दो इतने बड़े सरकारी अफ़सरों ने आखिर इस बुजुर्ग की जान क्यों ली? क्यों एक क़त्ल करके दोनों ने अपने और अपने पूरे परिवार की जिंदगी दांव पर लगा दी? तो ये सच जानने के लिए आपको सिलसिलेवार तरीके से पूरी वारदात को समझना होगा.

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मौके पर हो गई थी बुजुर्ग की मौत
22 मई की सुबह करीब पौने ग्यारह बजे ये वारदात तब हुई, जब 82 साल के बुजुर्ग पुरुषोत्तम पुट्टेवार पास के एक अस्पताल से पैदल ही अपनी बेटी के घर लौट रहे थे. अस्पताल में पुरुषोत्तम की पत्नी भर्ती हैं और पिछले कुछ दिनों से पुरुषोत्तम का यही रूटीन चल रहा था. लेकिन अभी वो बेटी के घर पहुंच पाते, तब तक नागपुर के बालाजी नगर इलाके में एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी और घसीटती हुई दूर तक ले गई, जिससे उनकी जान चली गई. 

जमानत पर रिहा हुआ आरोपी
पहले तो सभी को मामला एक्सीडेंट का लगा और पुलिस ने भी आईपीसी की धारा 304-ए के तहत एक्सीडेंट का केस रजिस्टर किया. वो कार के नंबर, सीसीटीवी फुटेज और दूसरे सबूतों के सहारे कार ड्राइवर नीरज निंजे तक पहुंची और उसे गिरफ्तार भी कर लिया. उसने इसे गलती से हुआ एक्सीडेंट बताया और पुलिस ने निंजे को जमानत पर रिहा भी कर दिया.

कमिश्नर ने क्राइम ब्रांच को सौंपी जांच
लेकिन धीरे-धीरे पूरे नागपुर शहर में इस एक्सीडेंट को लेकर तरह-तरह की बातें होने लगीं. चूंकि पुरुषोत्तम पुट्टेवार करोड़ों की प्रॉपर्टी के मालिक थे और उनका इन प्रॉपर्टीज़ को लेकर ही अपने रिश्तेदारों से पिछले कई सालों से विवाद चला आ रहा था, उन्हें जानने वाले लोगों को लगता था कि शायद इस एक्सीडेंट के पीछे कोई साज़िश है. तो ये बात अलग-अलग लोगों से होती हुई पुलिस के भी कानों तक पहुंची. खुद पुरुषोत्तम के कुछ रिश्तेदारों ने भी इस केस को लेकर नागपुर के पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की. जिसके बाद कमिश्नर ने मामले की जांच अजनी पुलिस ले कर क्राइम ब्रांच के हवाले कर दिया. और बस यहीं से मामले में ऐसा ट्विस्ट आया कि जिसने पूरे नागपुर शहर को चौंका कर रख दिया.

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कार में ड्राइवर के साथ मौजूद था दूसरा शख्स
क्राइम ब्रांच ने एक्सीडेंट वाली जगह के आस-पास के कई किलोमीटर के रेडियस के सीसीटीवी फुटेज निकाल कर चेक करना शुरू किया और इस कोशिश में पुलिस को कुछ अहम क्लू मिले. अव्वल तो पुलिस को पता चला कि उस दिन जब आई-20 कार ने पुरुषोत्तम पुट्टेवार को कुचला था, तब कार में ड्राइवर नीरज निंजे के साथ उसका एक साथी सार्थक बागरे भी मौजूद था.

कार के पीछे स्कूटी पर चल रहे थे दो आरोपी
और तो और एक स्कूटी भी इस हादसे से पहले संदिग्ध तरीके से इस कार के आगे-पीछे चल रही थी. जाहिर है अब पुलिस इन लोगों की पहचान करना चाहती थी और इस एक्सीडेंट में उनकी भूमिका को समझना चाहती थी. इस बार क्राइम ब्रांच ने निंजे और सार्थक बागरे को हिरासत में लिया और उन्हें नए सिरे से इंटैरोगेट किया. पता चला कि उस रोज़ उनकी कार के पीछे-पीछे स्कूटी पर चल रहे दो लोग सचिन धार्मिक और उसका साथी संकेत था, जो पुरुषोत्तम पुट्टेवार की रेकी और उनकी पहचान कराने के लिए बालाजी नगर पहुंचे थे, ताकि सचिन निंजे अपनी कार से पुरुषोत्तम को कुचल कर आसानी से भाग सकें.

क्या था आपस में आरोपियों का कनेक्शन?
यानी ये मामला एक्सीडेंट का नहीं बल्कि क़त्ल का था. ये अपने-आप में एक बहुत बड़ा खुलासा था, क्योंकि जिस मामले को लोग अब तक एक्सीडेंट का केस मान कर चल रहे थे, वो मामला अब पलट चुका था. लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल ये था कि इस मर्डर से इन चार किरदारों यानी नीरज निंजे, सार्थक बागरे, सचिन धार्मिक और संकेत का क्या कनेक्शन था? क्योंकि सीधे तौर पर इनकी पुरुषोत्तम पुट्टेवार से ना तो कोई लेना देना था और ना ही दुश्मनी नहीं थी. सार्थक बागरे एक ड्राइवर था, सचिन धार्मिक एक छोटी-मोटी इंडस्ट्री चलाता था, संकेत उसका साथी था, जबकि नीरज निंजे का पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड था. लेकिन देखा जाए तो इनका पुरुषोत्तम से कोई सीधा वास्ता नहीं था. यानी कोई ऐसा था, जो पर्दे के पीछे से इस खेल में शामिल था.

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बुजुर्ग की बहू निकली वारदात की मास्टमाइंड
अब क्राइम ब्रांच ने इन चारों से सख्ती से पूछताछ चालू की. और इसी के बाद नाम खुला एक ऐसी प्रभावशाली महिला का, जिसका सच जान कर लोग हैरत में पड़ गए. ये महिला थी गढ़चिरौली और चंद्रपुर के टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट की असिस्टेंट डायरेक्टर और कातिलों का शिकार बने बुजुर्ग पुरुषोत्तम पुट्टेवार की बहू अर्चना पुट्टेवार. जी हां, ये खुद पुरुषोत्तम की बहू अर्चना ही थी, जो पुरुषोत्तम के कत्ल की मास्टरमाइंड निकली. 

एक करोड़ की सुपारी और चौंकाने वाला खुलासा
असल में पुलिस की गिरफ्त में आए कातिलों ने कबूल किया इस काम के लिए अर्चना ने ही उन्हें एक करोड़ रुपये की सुपारी की थी. लेकिन ये तो इस खुलासे का सिर्फ एक हिस्सा था. जब पुलिस ने इस खुलासे के बाद अर्चना को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की, तो मास्टमाइंड के पीछे एक और मास्टरमाइंड का नाम सामने आया और ये नाम था प्रशांत पार्लेवार का, जो मास्टरमाइंड लेडी अर्चना का भाई और नागपुर के ही माइक्रो, स्मॉल एंड मिडियम इंटरप्राइजेज यानी एमएसएमई का डायरेक्टर है. यानी एक ऐसा शख्स जो एक बड़ा सरकारी अफसर तो है ही, सत्ताधारी दल के नेताओं का भी बेहद करीबी माना जाता है.

कत्ल के पीछे हैरान करने वाली साजिश
यानी अब इस केस में मास्टरमाइंड का चेहरा बेनकाब हो चुका है, सुपारी लेकर बुजुर्ग का क़त्ल करने वाले किराये के कातिल भी पकड़े जा चुके हैं. लेकिन क़त्ल के पीछे जो वजह और जैसी साज़िश है, हमारा दावा है वैसा कम ही देखने और सुनने को मिलता है. पुरुषोत्तम पुट्टेवार के क़त्ल में खुद उनकी ऑफिसर बहू और बहू का ऑफिसर भाई गिरफ्तार हो चुका था. जिन्होंने इस क़त्ल के लिए 1 करोड़ की सुपारी थी, लेकिन क़त्ल के पीछे मोटिव था और जिस तरीके से इस पूरी साज़िश को अंजाम दिया गया, वो आंखें खोल देने वाला है.

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करोड़ों की संपत्ति का विवाद
नागपुर के रहने वाले एक बुजुर्ग शख्स के कत्ल की साज़िश इतनी भयानक होगी, ये किसी ने सोचा ही नहीं था. पुलिस की मानें तो ये कत्ल अर्चना ने अपने ससुर की प्रॉपर्टी पर अकेले कब्जा करने के इरादे से किया. असल में अर्चना के ससुर पुरुषोत्तम पुट्टेवार के पास नागपुर में ही करीब 6000 एकड़ में फैली एक प्रॉपर्टी है, जिसकी क़ीमत करीब 20 करोड़ रुपये है. इसके अलावा पुट्टेवार परिवार के पास और भी करोड़ों की जमीन और प्रॉपर्टी है, जिसे लेकर परिवार में ही कई पक्षों के बीच विवाद चला आ रहा है. 

बहू ने इसलिए कराया ससुर का मर्डर
कुछ लोग दावा करते हैं कि विवाद की जड़ में जितनी प्रॉपर्टी है, उसकी पूरी कीमत करीब तीन सौ करोड़ रुपये बैठती है. ससुराल की जमीन पर अर्चना कोई मॉल बनाना चाहती थी. वैसे तो इस खींचतान में कई छोर हैं, लेकिन मोटे तौर पर समझें तो पुरुषोत्तम पुट्टेवार अपनी इस प्रॉपर्टी का एक बड़ा हिस्सा अपनी बेटी को भी देना चाहते थे. और बस, यही बात बहू अर्चना को नागवार गुजरी. पुलिस ने तफ्तीश में पाया है कि अर्चना ने अपने ससुर की प्रॉपर्टी अकेले हथियाने के इरादे से ही ये पूरी साज़िश रची और किराये के कातिलों से उनका कत्ल करा दिया.

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कत्ल की साजिश में भाई बना मददगार
अर्चना ने अपने ड्राइवर सार्थक बागरे को इस काम के लिए राजी किया. 1 करोड़ की सुपारी का लालच दिया. सार्थक के साथ-साथ सचिन धार्मिक और दूसरे क़ातिलों से बात हुई. जिन्होंने पुरुषोत्तम का कत्ल करने पर हामी भर दी. इन्हें रुपये पैसों की सुपारी तो दी ही गई, सचिन धार्मिक को एक बीयर बार के लाइसेंस का लालच दिया गया. अर्चना ने ये काम कर देने पर उसे अपने भाई यानी एमएसएमई के डायरेक्टर प्रशांत पार्लेवार से लाइसेंस दिलाने में मदद करने का वादा किया. वो भाई जो लगातार अपनी बहन अर्चना को इस कत्ल की साज़िश को पूरा करने के लिए गाइड कर रहा था.

शक के दायरे में आईं पहले हो चुकी कई लोगों की मौत 
अर्चना ने पहली किश्त के तौर पर 5 लाख कैश और करीब 9 लाख रुपये का सोना दिया. जिससे कातिलों ने पहले एक सेकंड हैंड आई-20 कार भी खरीदी, जिसका कत्ल में इस्तेमाल किया गया. और फिर तय प्लानिंग के मुताबिक 22 मई को पुरुषोत्तम पुट्टेवार को उसी कार से कुचल दिया गया. लेकिन इसे तकदीर का खेल कहें या फिर कुछ और एक्सीडेंटनुमा कत्ल की ये ये वारदात सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई. अर्चना अपने पति यानी पुट्टेवार के बेटे से अलग रहती है. अर्चना के पति यानी मारे गए बुजुर्ग पुरुषोत्तम पुट्टेवार के बेटे ईएनटी स्पेशलिस्ट हैं और वो अस्पताल चलाते हैं. यानी परिवार में पहले भी विवाद है. और अब इस कत्ल के बाद इस परिवार में पहले भी हुई कई मौतों के संदिग्ध होने का शक पैदा हो गया है.

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