
मेरठ के सौरभ कुमार राजपूत मर्डर केस ने लोगों को सन्न कर दिया है. सौरभ की पत्नी मुस्कान ने अपने प्रेमी साहिल शुक्ला के साथ मिलकर पहले उसका कत्ल किया और फिर उसकी लाश को टुकड़ों में ड्रम के अंदर भरकर सीमेंट का घोल डाला. इस तरह उन दोनों ने सौरभ की लाश को ठिकाने लगाया. चलिए अब आपको बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में कत्ल के बाद लाशों को छुपाने के लिए या ठिकाने के लिए किन किन चीज़ों को इस्तेमाल किया गया. ये सभी मामले आपको दहला देंगे.
सबसे अजीबो-गरीब तरीके
बचपन से सुना है कि या तो श्मशान या फिर कब्रिस्तान, मौत के बाद हर लाश का ठिकाना यही हुआ करता है. यही परंपरा रही है. लेकिन जैसे बाकी दुनिया बदलते वक्त के साथ तरक्की कर रही है. उस दुनिया की सोच बदल रही है. तो जाहिर है क्रिमिनल कहां पीछे रहने वाले हैं. बस इसीलिए तो होते होते अब बात ड्रम तक जा पहुंची. बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं है. बस जरा सा अपने जहन पर जोर डालिए तो इस ड्रम से भी अजीबो गरीब सारी चीजें आपकी नजरों के आगे तैरने लगेंगी. अगर याद ना आ रहा हो तो चलिए आपको अपने देश की उन सबसे हॉरर, ख़ौफनाक, चौंका देने वाली, चौंधिया देने वाली और दिमाग की नसों को हिला देने वाली कत्ल के मामलों की याद दिलाते हैं, जिनमें लाशों को छुपाने और ठिकाने लगाने के सबसे अजीबो गरीब तरीके अपनाए गए.
मौत का 'सामान'
थोड़ी देर के लिए मेरठ के ड्रम और ड्रम में रखी सौरभ की लाश की कहानी को किनारे रखते हैं. अब ड्रम को छोड़कर बाकी चीजों की बात करें तो फ्रिज है. खाना पानी को ठंडा रखता है. कुकर है. इसमें खाना बनता है. बैग है जिसमें सफर के सामान रखे जाते हैं. तंदूर है जिसमें रोटियां बनती हैं. ईंट की भट्टी है. जहां ईंटें बनती हैं. बेड बॉक्स है. सोने के साथ-साथ ठंडे और गर्म कपड़े रखने के काम आते हैं. टाइ्ल्स हैं. खूबसूरती के लिए घरों में लगाए जाते हैं. दीवार है, मकान के लिए जरूरी होता है. सेप्टिक टैंक है. पानी और शौच के लिए ये भी जरूरी है. तेजाब का ड्रम है. तेजाब कई कामों में इस्तेमाल होता है.
लिस्ट में अब 'ड्रम' भी शामिल
लेकिन अगर कहें कि हमारे देश में इन रोजमर्रा के इस्तेमाल की हरेक चीज ने अपने अंदर से वक्त-वक्त पर लाशें उगली हैं तो हमे पता है आप फौरन मान जाएंगे. मानना भी पड़ेगा. क्योंकि ऐसा होते हुए आप सबने भी देखा है. बस एक ड्रम की कमी थी. वो भी साहिल शुक्ला और मुस्कान ने पूरी कर दी. तो चलिए अब सिलसिलेवार इन सारी चीजों की फटाफट कहानी आपको बता देते हैं, जिन्होंने अपने अंदर से बड़े-बड़े मर्डर केस से जुड़ी लाशें उगली हैं.
दिल्ली का तंदूर कांड
श्मशान और कब्रिस्तान के बाहर जिस पहली लाश की लौ ने देश का ध्यान अपनी तरफ खींचा था, वो था दिल्ली का तंदूर कांड. उसी तंदूर में नैना साहनी को उसके पति सुशील शर्मा ने डालकर जलाने की कोशिश की थी. वो भी मक्खन डाल डालकर. लाश को ठिकाने लगाने का ऐसा अजीबो गरीब तरीका तो पूरे देश की सुर्खियां बनी थी. इस एक हादसे के बाद बहुत सारे लोगों ने तो तंदूर की रोटियां खानी ही छोड़ दी थी. लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि लाश ठिकाने लगाने के लिए तंदूर भी एक जरिया बन सकता है.
कुकर में लाश टुकड़े
रोजमर्रा के इस्तेमाल की ये वो चीज है, जिसका इस्तेमाल कम वक्त में खाना बनाने और गैस की बचत के लिए घर घर में किया जाता है. हम और आप इसे कुकर के नाम से जानते हैं. लेकिन मनोज साहनी ने लिव-इन में रह रही अपनी पार्टनर सरस्वती को मारा तो बेहद इत्मिनान से था लेकिन लाश के टुकड़े कर उसे उबालने की जल्दी में था. इसीलिए किश्तों में सरस्वती की लाश के टुकड़े कुकर में उबाल उबाल कर इसी पॉलिथिन में ठिकाने लगाता रहा. देश में किसी लाश को ठिकाने लगाने के लिए इस तरह पहली बार कुकर का इस्तेमाल हुआ.
सबसे ज्यादा लाशों ने बैग में किया सफर
कुकर का इस्तेमाल घर के अंदर किचन में होता है. पर जब हम घर के बाहर किसी सफर के लिए निकलते हैं तो बैग का इस्तेमाल करते हैं. बैग बनाने वाली कंपनियों ने भी कभी लाश के साइज को ध्यान में रखकर बैग नहीं बनाया होगा. पर हम इंसान हैं. जुगाड़ निकाल ही लेते हैं. वैसे अगर गौर किया जाए तो शायद अपने देश में सबसे ज्यादा लाशों ने बैग में ही सफर किया है. वैसे भी अब तो बड़े-बड़े बैग मार्केट में आने लगे हैं. लिहाजा, लाश किसी भी साइज की हो फिट आने की गारंटी होती है. सबसे ताजा लाश वाली बैग हिमानी की थी, जो पिछले महीने ही हरियाणा के रोहतक में खुली थी.
बेडबॉक्स के अंदर लाशें
सफर या काम से थका हारा इंसान जब घर लौटता है तो आराम की दरकार होती है. घर का बिस्तर सुकून भरी नींद देता है. लेकिन कातिल इस बिस्तर या बेड का सुकून तक छीन चुके हैं. बैग के बाद अगर देश में सबसे ज्यादा लाशें कहीं छुपाई गई हैं तो वो बेड बॉक्स ही है. कई बरस पहले सिर्फ चारपाई या बेड ही हुआ करता था. शहरों की जिंदगी ने जब कमरों को तंग करना शुरु कर दिया, तब बेड बनाने वाली कंपनियों को नया आइडिया मिल गया. उन्होंने बेड मे ही अलमारी ईजाद कर दी. जब एक बेड पर दो तीन लोग सो सकते हों तो उसी बेड के नीचे बेड बॉक्स में चार पांच लाशें भी ठूंसी और छुपाई जा सकती हैं. ड्रम से पहले मेरठ में ही एक ऐसे बेडबॉक्स का कवर खुला था, जिसके अंदर से पांच लाशें बाहर आई थीं.
ईंट की भट्टी और भंवरी देवी कांड
नए का तो पता नहीं पर पुराने क्रिमिनल ये माना करते थे कि श्मशान और ईंट की भट्टी एक जैसी है. चिता के बाद सिर्फ राख बचती है. वैसे ही ईंट की भट्टी में भी इंसान राख हो जाता है. बैग और बेडबॉक्स के बाद अगर सबसे ज्यादा लाशें ठिकाने लगाई गई हैं तो वो ईंट की भट्टियां हैं. साल 2000 की शुरुआत में एक तस्वीर हर चैनल और अखबार की सुर्खियां थी. नाम था भंवरी देवी. एक सीडी स्कैंडल के बाद राजस्थान के एक ताकतवर मंत्री और कुछ नेताओं ने भंवरी देवी को मारने के बाद सबूत मिटाने के लिए उसे ईंट की भट्टी में डाल दिया था. पुराने क्रिमिनल लाशों की सबूतों को मिटाने के लिए यही तरीका अपनाते थे.
सबसे ज्यादा लाशों का ठिकाना बना सेप्टिक टैंक
हर घर की जरूरत है सेप्टिक टैंक. वॉशरूम और बाथरूम का गंदा पानी उसी में जाता है. बैग, बेडबॉक्स और ईंट की भट्टी के बाद अगर सबसे ज्यादा लाशें कातिलों ने ठिकाने लगाईं हैं तो वो सेप्टिक टैंक ही है. शायद ही देश का कोई ऐसा शहर बचा हो जहां के सेप्टिक टैंक ने जब तब कोई लाश ना उगली हो. एक बार तो एक मुख्यमंत्री के सरकारी बंगले के सेप्टिक टैंक ने भी एक लाश उगल दी थी. वैसे मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले का एक सेप्टिक टैंक है. जिसने अपने अंदर से एक साथ चार लाशें उगली थीं.
दीवार के पीछे माशूक की लाश
मुगल-ए-आजम की अनारकली, सलीम और अकबर की कहानी कौन नहीं जानता. अब पता नहीं कितना सच है य़ा झूठ लेकिन किस्सा मशहूर है कि अनारकली को जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था. पर इस कहानी को जब तब नए दौर के आशिकों ने कई बार सच किया. महाराष्ट्र के पालघर की ऐसी ही एक दीवार के पीछे से एक माशूक की लाश निकली थी. जिंदा तो नहीं पर कत्ल के बाद उसे दीवार में ही चुनवा दिया था.
ताबूत में जिंदा डालकर दफनाया
हम सब जानते हैं कि ताबूत में मुर्दों को लिटाया जाता है. पर कमबख्त कातिलों ने ताबूत को भी नहीं बख्शा. मुर्दों की बजाय जिंदों को ही ताबूत में बंद कर दिया. मैसूर राजघराने की शहजादी शाकरे खलीली को उसके अपने पति स्वामी श्रद्धानंद ने जिंदा ही ताबूत में बंद कर घर के आंगन में दफना दिया था. फिर उसी आंगन के ऊपर मार्बल बिछा कर वो हर शाम पार्टी किया करता था.
फ्रिज से निकलती लाशें
इसके बारे में तो कहना ही क्या. जितना ठंडा सुकून ये देता है उतना ही खौलता सच भी बाहर उगलता है. दिल्ली के एक घर के एक फ्रिज से जिस दिन से श्रद्धा टुकड़ों में बाहर आई ना जाने कितने ही कातिलों ने लाश छुपाने के लिए फ्रिज को ही अपना हथियार बना लिया. अब तो कत्ल के किसी केस में पुलिसवाले अगर किसी घर में घुसते हैं तो सबसे पहले फ्रिज का दरवाजा ही खोलते हैं. हाल के वक्त में फ्रिज ने सबसे ज्यादा लाशें उगली हैं. शायद इसकी वजह ये है कि एक तो फ्रिज की बनावट ऐसी होती है कि आसानी से किसी बड़े फ्रिज में किसी भी साइज की लाश को रखा जा सकता है. और दूसरा लाश के खराब होने का कोई खतरा ही नहीं रहता.
(मनीषा झा और प्रिवेश पांडे के साथ चिराग गोठी का इनपुट)