
इंदौर में कांग्रेस की एक युवा नेता अचानक रहस्यमयी तरीक़े से गायब हो जाती है. घरवाले पुलिस में रिपोर्ट लिखवाते हैं और बीजेपी के एक कद्दावर नेता पर अपनी बेटी को गायब करने का इल्ज़ाम लगाते हैं. इसी बीच पुलिस को खबर मिलती है कि उन्हीं नेता जी ने अपने घर में हाल ही में गड्ढे खुदवा कर उसमें लाश दबाई है. पुलिस मान बैठी केस सुलझ गया. मगर जब गड्ढे की खुदाई होती है तो उसमें से लाश तो मिलती है, पर गुमशुदा नेता की नहीं. अब केस एक बार फिर वहीं आकर खड़ा हो जाता है जहां से शुरू हुआ था.
16 अक्टूबर 2016, बाणगंगा पुलिस स्टेशन, इंदौर
इंदौर शहर कांग्रेस कमेटी की सचिव 22 साल की ट्विंकल डागरे अचानक गायब हो जाती है. उनका मोबाइल फोन भी बंद हो जाता है. 24 घंटे बीत जाते हैं. कोई खबर नहीं मिलती. लिहाज़ा मजबूरन बाणगंगा पुलिस स्टेशन में ट्विंकल के पिता संजय डागरे अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा देते हैं. पुलिस सबसे पहले उसकी कॉल डिटेल और मोबाइल फोन की लोकेशन चेक करती है. पता चलता है कि आखिरी बार इंदौर से होते हुए बदनावर पहुंचकर फोन बंद किया गया है. जिसके बाद फिर फोन ऑन नहीं किया गया. जांच में पता चला कि ये वही बदनावर है, जहां के रहने वाले अमित से ट्विंकल का रिश्ता हुआ था. जल्द ही दोनों की शादी होने वाली थी.
पहला शक- मंगेतर अमित पर
ट्विंकल डागरे अमित की मंगेतर थी और अमित बदनावर का ही रहने वाला था जहां ट्विंकल की आखिरी मोबाइल लोकेशन ट्रेस हुई थी. लिहाज़ा पहला शक़ अमित पर गया. पुलिस ने छानबीन की तो पता चला कि 15 अक्टूबर के बाद उसकी ना तो ट्विंकल से बात हुई और ना ही वो उससे मिला. पुलिस बदनावर से बैरंग लौट आई..
दूसरा शक- माता-पिता पर
पुलिस ने ट्विंकल के बारे में बारीकी से पता करना शुरू किया तो पता चला कि वो खुद अपने ही मां-बाप से परेशान थी और कई बार थाने में उसने शिकायत भी दर्ज कराई थी. मगर मां-बाप से पूछताछ के बाद पुलिस को अंदाज़ा हो गया कि ट्विंकल की गुमशुदगी में उनका कोई हाथ नहीं. लेकिन मां-बाप से एक नई जानकारी पुलिस को जरूर मिली. पता चला कि ट्विंकल एक स्थानीय बीजेपी नेता और पूर्व महामंत्री जगदीश करोतिया के काफी करीब थी. ट्विंकल के मां-बाप अकसर इसी बात पर उसे डांटते थे.
तीसरा शक- बीजेपी नेता जगदीश करोतिया पर
चूंकि ट्विंकल कॉलेज से ही छात्र राजनीति में बहुत आगे थी. और बीजेपी की तरफ उसका झुकाव था. लिहाज़ा बीजेपी के नेता और पूर्व महामंत्री जगदीश करोतिया से उसका मिलना जुलना शुरू हुआ. मगर 65 साल के जगदीश को ट्विंकल में देश का भविष्य दिखने के बजाए कुछ और ही दिख रहा था. जल्द ही वो ट्विंकल के करीब आ गए. ट्विंकल भी उसके झांसे में आ गई. जगदीश ने उसे बीजेपी में पद भी दिलवा दिया. बाद में उसने अपने प्रभाव से ट्विंकल को शहर कांग्रेस कमेटी का सचिव बनवा दिया. कुल मिलाकर यही वो शख्स था जिससे ट्विंकल का सबसे ज़्यादा मिलना जुलना था. लिहाज़ा पुलिस ने पूछताछ शुरू की. मगर उसने पुलिस एक वॉट्सअप मैसेज दिखाया. जो ट्विकंल ने उसके बेटे को भेजा था. इसमें लिखा था कि वो अपने मां-बाप से परेशान होकर घर छोड़ कर जा रही है.
चौथा शक- ब्वॉयफ्रेंड पर
अब तक जांच में पुलिस को कोई भी सुराग नहीं मिल रहा था. तफ्तीश में ट्विंकल के किसी ब्वायफ्रैंड़ के बारे में भी जानकारी नहीं मिली. लिहाज़ा शक की सूई बार बार बीजेपी नेता जगदीश करोतिया की तरफ ही घूम जाती. इसलिए पुलिस सुराग की तलाश में करोतिया के दफ्तर और घर के आसपास लगातार खाक छान रही थी और तभी उसके हाथ लगा पहला सुराग.
पहला सुराग़- करोतिया के घर में किसी को दफ़नाया गया
ये खबर कहां से उड़ी किसी को नहीं पता. मगर उड़ते उड़ते ये खबर पुलिस को भी लगी कि बीजेपी नेता जगदीश करोतिया के घर में किसी को दफ्नाया गया है. पुलिस के लिए इतना सुराग काफी था. पुलिस ने करोतिया के घर में खुदाई शुरू करा दी. और आखिरकार फावड़े की एक मार के साथ कुछ हड्डियां बाहर आईं. इतना तो तय हो गया कि खबर सच्ची है. मगर ज़मीन को अंदर से जब पूरी लाश बाहर आई तो पता चला कि वो किसी इंसान का नहीं बल्कि कुत्ते का है. अब जगदीश करोतिया को मौका मिल गया, पुलिस को दबाव में लेने का.
पुलिस परेशान थी क्योंकि उसके सारे दांव उल्टे पड़ते जा रहे थे. उसे ट्विंकल की गुमशुदगी का ना तो कोई सुराग मिल रहा था और ना ही कोई सबूत. फिर भी इंदौर पुलिस को कहीं ना कहीं यही लग रहा था कि ट्विंकल की गुमशुदगी का राज़ राजेश करोतिया से ही जुड़ा है.
बीजेपी नेता पर शक की वजह
भाजपा नेता जगदीश करोतिया पर पुलिस के शक की दो वजह थी. अव्वल तो लड़की के घरवाले करोतिया पर सीधा-सीधा इल्ज़ाम लगा रहे थे. दूसरा करोतिया से ट्विंकल के रिश्तों को लेकर शहर में तरह-तरह की चर्चाएं थीं. लेकिन करोतिया के फ़ार्म हाउस से लड़की की जगह कुत्ते की लाश बरामद करने के बाद पुलिस अब सावधानी बरत रही थी. पर केस आगे बढ़ नहीं रहा था. तभी अचानक इंदौर पुलिस ने एक फैसला किया और उस फैसले को अमल में लाने के लिए वो अदालत पहुंच गई.
अप्रैल 2018
ट्विंकल को गुम हुए लगभग डेढ़ साल बीत चुके थे. पर ना तो उसकी कोई खबर मिल रही थी और ना ही खुद वो. यहां तक कि कोई लाश भी नहीं मिली जिससे ये मान लिया जाए कि उसकी मौत हो चुकी है. लिहाज़ा पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही थी. जगदीश करोतिया के घर से कुत्ते के अवशेष मिलने के बाद उसके पास कोई और ऐसी वजह नहीं थी, जिससे वो बीजेपी नेता पर शक कर सके. और ना ही ऐसा कोई सुराग मिला जिससे शक ट्विंकल के मां-बाप या उसके मंगेतर पर जाए. पर कुल मिलाकर पूरा केस अब भी इन्हीं तीन किरदारों के ईर्द गिर्द घूम रहा था.
इधर, जैसे-जैसे वक्त बीत रहा था पुलिस की फजीहत पढ़ती जा रही थी. बीजेपी नेता जगदीश करोतिया से पुलिस को कुछ खास सुनारग मिल नहीं रहा था. वहीं ट्विंकल के घरवाले बार बार करोतिया की तरफ ही इशारा कर रहे थे. लिहाज़ा तय किया गया कि ट्विंकल गुमशुदगी केस की गुत्थी सुलझाने के लिए सूबे की पुलिस पहली बार वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल करेगी. जिसे बीईओएस यानी ब्रेन इलेक्ट्रिकल आसलेशन सिग्नेचर टेस्ट कहते हैं. आसान ज़बान में इसे ब्रेन मैपिंग टेस्ट समझिए. केस ऐसे मोड़ पर था कि पुलिस अकेले बीजेपी नेता जगदीश करोतिया का टेस्ट नहीं करा सकती थी लिहाज़ा उसके दो बेटों. ट्विंकल के मां-बाप और मंगेतर अमित का भी ब्रेन मैपिंग टेस्ट जगदीश करोतिया के साथ कराने का फैसला लिया गया.
ट्विंकल के मां-बाप और मंगेतर अमित ब्रेन इलेक्ट्रिकल आसलेशन सिग्नेचर टेस्ट में साफ निकल गए. मगर जब ये टेस्ट जगदीश करोतिया और उनके बेटों पर कराया गया तो ट्विंकल गुमशुदगी केस मे अचानकं भूचाल आ गया. पता चला कि पुलिस और ट्विंकल के मां-बाप का शक़ सौ फीसदी सही है. जगदीश और उसके बेटों ने ही ट्विंकल की ना सिर्फ किडनैपिंग की. बल्कि डेढ़ साल पहले ही उसे मौत के घाट भी उतार दिया था. पर अभी भी पुलिस के लिए मुश्किल ये थी कि सबूत कहां से लाए. कत्ल का, किडनैपिंग का या फिर लाश का? क्योंकि कानूनी तौर पर सिर्फ ब्रेन मैपिंग को कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता था.
लिहाज़ा पुलिस ने तय किया कि वो टेस्ट के नतीजों को तब तक गुप्त रखेगी जब तक कि सबूत ना हाथ लग जाएं. इसके बाद वो उन सबूतों-गवाहों को इकट्ठा करने में जुट गई. जिनका इन तीनों आरोपियों ने ब्रेन मैपिंग टेस्ट के दौरान खुलासा किया था. कामयाबी हाथ लगती है और फिर इसी के साथ पूरी कहानी सामने आ जाती है.
दरअसल, भाजपा नेता जगदीश करोतिया के ट्विंकल के साथ अवैध संबंध थे. ट्विंकल जगदीश करोतिया पर उसके ही घर में रहने के लिए दबाव बना रही थी. करोतिया और ट्विंकल के इस रिश्ते की वजह से उसकी पत्नी और बेटों से झगड़ा हो गया. जगदीश को राजनीतिक करियर डूबने की चिंता थी, लिहाज़ा उसने ट्विंकल के क़त्ल की साज़िश रच डाली. जगदीश करोतिया के दोनों बेटे भी साज़िश में शामिल थे. तीनों ने ट्विंकल की किडनैपिंग और मर्डर से पहले हिंदी फिल्म 'दृश्यम' को कई बार देखा था.
पूछताछ में दृश्यम फिल्म का ज़िक्र आते ही पुलिस को ये समझने में भी देर नहीं लगी कि जगदीश करोतिया के घर से निकले कुत्ते का शव इसी साज़िश का हिस्सा था. और तो और खुद जगदीश करोतिया ने ये खबर फैलाई थी कि उनके घर में किसी की लाश दफन है. ताकि पुलिस जब आए तो उसे खुदाई में कुत्ते का शव मिले और उन पर लग रहे इल्ज़ाम एक ही झटके में खत्म हो जाएं. और हुआ भी ठीक ऐसा ही.
मगर अब भी ये सवाल कायम था कि अगर जगदीश करोतिया के घर से कुत्ते का शव मिला तो ट्विंकल का शव कहां है. और इतना ही नहीं उसके मोबाइल की आखिरी लोकेशन ये क्यों बता रही थी कि वो इंदौर से करीब 100 किमी दूर बदनावर में थी. अभी इनका खुलासा होना बाकी था.
ट्विंकल की गुमशुदगी को लेकर करोतिया परिवार अब बेनक़ाब हो चुका था. लेकिन कुछ सवाल अब भी जस का तस थे. और वो ये कि आख़िर ट्विंकल का मोबाइल फ़ोन आख़िरी बार उसके मंगेतर के घर के पास जाकर क्यों बंद हुआ? और दूसरा ये कि ट्विंकल की लाश का क्या हुआ? तो ये कहानी भी आखिर में सामने आती है.
बीजेपी नेता जगदीश करोतिया ने ट्विंकल को अपनी हवस का शिकार तो बना लिया था मगर अब वो उसी के गले की हड्डी बनने लगी थी. ट्विंकल जगदीश के साथ उसी के घर में रहने की ज़िद कर रही थी. मगर ये ना तो जगदीश की पत्नी को गवारा था और ना ही उनके बेटों को. लिहाज़ा पांचों ने मिलकर दृश्यम पार्ट टू बनाने का फैसला किया. इसमें जगदीश उसके बेटे विजय, अजय और विनय के अलावा पांचवा किरदार नीलेश कश्यप था. जिसकी ज़मीन पर ट्विंकल का कत्ल किया जाना था.
जगदीश ने ट्विंकल से कहा कि वो उसे कहीं और घर दिलाएगा. उसी बहाने उसे साजिश के तहत फंसाया गया. 16 अक्टूबर 2016 की सुबह 11 बजे मकान देखने के लिए ट्विंकल को बीजेपी नेता ने घर बुलाया. बहाने से अजय और जगदीश करोतिया उसे एमआर-10 पर दोस्त नीलेश के खेत पर ले गए. खेत पर आते ही करोतिया ने अजय के साथ मिलकर रस्सी से ट्विंकल का गला घोंट दिया. जगदीश ट्विंकल के शव को नीलेश के खेत में ही दफनाना चाहता था उसने मना कर दिया. लिहाज़ा तीनों ने शव को कपड़े में लपेटा और कार की डिक्की में रखकर घर ले आए. दूसरे दिन सुबह करीब 5 बजे कार लेकर सांवेर रोड पर अवंतिका नगर के प्लॉट पर पहुंचे. कुत्ता मरने की बात कहकर जगदीश ने निगम कर्मियों से प्लाट पर गड्ढा खुदवाया. निगमकर्मियों के जाते ही गड्डे में कचरा, लकड़ियां जमाकर ट्विंकल के शव को जला दिया. मौके पर जगदीश के अलावा उसके बेटे अजय, विनय और विजय के साथ नीलेश भी था. शव को जलाने के दो दिन बाद हड्डियां और राख बोरे में भरकर नज़दीकी नाले में बहा दी.
इसके बाद अजय ने ट्विंकल का मोबाइल इंदौर में ही ऑन कर बदनावर जाकर फेंक दिया ताकि पुलिस का शक उसके मंगेतर अमित पर जाए. मगर ब्रेन इलेक्ट्रिकल ऑसिलेशन सिग्नेचर टेस्ट में हुए खुलासे ने आरोपियों के दृश्यम की पोल पट्टी खोल दी. पुलिस को शव जलाने वाली जगह से ट्विंकल की बिछिया, ब्रेसलेट, कपड़े और कुछ सामान मिले हैं. जिसके बाद पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया.