
Jabalpur Double Murder Case: इसी साल 15 मार्च के दिन जबलपुर में एक दिल दहला देने वाली डबल मर्डर की वारदात सामने आई थी. जिसमें एक रेलवे ऑफिसर और उनके नाबालिग बेटे को बेरहमी के साथ कत्ल कर दिया गया था. उस मासूम बच्चे की लाश को पैक करके घर के फ्रिज में डाल दिया गया था. दरअसल, इस डबल मर्डर की वारदात को किसी और नहीं, बल्कि खुद रेलवे अफसर की नाबालिग बेटी ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर अंजाम दिया था. इसके बाद दोनों कातिल फरार हो गए थे. मगर अब 40 दिन बाद पता चला है कि वे दोनों नेपाल या बांग्लादेश के रास्ते विदेश भागने की फिराक में हैं. अब सवाल ये है कि आखिर ये दोनों 40 दिनों से पुलिस को चकमा कैसे दे रहे हैं?
कातिल आगे, पुलिस पीछे
मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली लड़की और उसके दोस्त की एक कातिल जोड़ी ने लड़की के पिता और भाई को ऐसी दर्दनाक मौत दी कि लाश देखने वालों तक की रूह कांप गई थी. कत्ल की ये वारदात पिछले महीने की 15 तारीख यानी 15 मार्च को हुई थी. लेकिन अब इस वारदात को चालीस दिनों से ज्यादा का वक़्त गुजरने के बावजूद इस केस के दोनों आरोपी यानी लड़का लड़की की ये जोड़ी पुलिस के लिए एक ऐसी पहेली बनी है, जो सुलझाए नहीं सुलझ रही है. पुलिस दोनों की लोकेशन ट्रैक करती है, पीछा करती हुई वहां तक पहुंचती है और जब तक पहुंचती है, तब तक दोनों गायब हो जाते हैं. और ऐसा चालीस दिनों से बार-बार हो रहा है.
देश छोड़ने की फिराक में कातिल जोड़ी
लेकिन अब पुलिस को इस केस की तफ्तीश में कुछ ऐसी बातें पता चली हैं, जो चौंकाने वाली हैं. ये बातें मर्डर मिस्ट्री की साजिश से जुड़ी होने के साथ-साथ, दोनों की फरारी के बाद उनकी मूवमेंट से जुड़ी हैं. पुलिस को मालूम हुआ है कि देश के अलग-अलग राज्यों से होते हुए अब दोनों भारत से ही बाहर भागने के फिराक में हैं. ताकि हिंदुस्तान और हिंदुस्तानी क़ानून से दूर वो अपनी आगे की जिंदगी गुजार सकें.
दो देशों के बॉर्डर पर मिल रही लोकेशन
पुलिस को तफ्तीश में क़त्ल की साजिश को लेकर कई नई और हैरतभरी बातें पता चली हैं, हम उनके बारे में आपको सिलसिलेवार तरीके से बताएंगे, लेकिन पहले उनकी मूवमेंट के बारे में लेटेस्ट जानकारी सुन लीजिए. मध्य प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भटकने के बाद अब इन दोनों की लोकेशन कभी नेपाल बॉर्डर पर तो कभी बांग्लादेश बॉर्डर पर नजर आ रही है.
पुलिस ने जारी किया लुकआउट नोटिस
असल में भारत और नेपाल के बीच फ्री बॉर्डर है. जमीन से या फिर हवाई रास्ते से नेपाल जाने के लिए भारतीय नागरिकों को किसी वीजा की जरूरत नहीं होती. ऐसे में बहुत मुमकिन है कि दोनों नेपाल भागने की कोशिश कर रहे हों. ठीक इसी तरह से बांग्लादेश जाने के लिए वीजा की जरूरत तो है, लेकिन बॉर्डर की कानूनी कमियों की वजह से लोग चोरी-छिपे इधर-उधर आते जाते रहते हैं. ऐसे में बहुत मुमकिन है कि ये आरोपी उस हालात का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हों. और अब इन्हीं वजहों से पुलिस ने जहां दोनों के लिए लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है, वहीं बॉर्डर पर अपनी टीमें भी तैनात कर दी हैं, जो दूसरी एजेंसीज के साथ मिलकर इस क़ातिल जोड़ी को पकड़ने की कोशिश कर रही हैं.
ऐसे दिया था वारदात को अंजाम
कत्ल की ये वारदात जबलपुर की मिलेनियम कॉलोनी में हुई थी, जहां 15 मार्च रेलवे ऑफिसर राजकुमार विश्वकर्मा और उनके आठ साल के बेटे तनिष्क की क़ातिलों ने तेजधार हथियार से वार कर जान ले ली थी. क़त्ल के बाद क़ातिलों ने बच्चे की लाश को फ्रिज में ठूंस कर बंद कर दिया था. इस मामले का खुलासा तब हुआ जब खुद राजकुमार विश्वकर्मा की बेटी ने अपने रिश्तेदारों को अपने मोबाइल फोन से एक वॉयस मैसेज भेजा, जिसमें उसने अपने पड़ोस में रहने वाले मुकुल सिंह का नाम लेते हुए ये कहा था कि मुकुल ने उसके पिता और भाई की जान ले ली है.
एक महीने पहले से रची जा रही थी कत्ल की साजिश
लेकिन जब इसके बाद जांच शुरू हुई, तो पता चला कि खुद राजकुमार विश्वकर्मा की नाबालिग बेटी भी मुकुल नाम के उस लड़के के साथ भाग रही है. असल में मुकुल के साथ इस लड़की की पुरानी मित्रता थी, जिस पर लड़की के घरवाले ऐतराज किया करते थे. और समझा जाता है कि इस क़त्ल के पीछे भी वही वजह रही. फिलहाल आरोपी तो पुलिस की पकड़ से दूर हैं, लेकिन मामले की तफ्तीश करते हुए पुलिस को पता चला है कि इस क़त्ल की साजिश मुकुल सिंह ने क़त्ल से काफी पहले रच ली थी और करीब महीने भर से वो इस क़त्ल की प्लानिंग कर रहा था. और पुलिस की मानें तो इस साजिश में खुद राजकुमार विश्वकर्मा की बेटी भी मुकुल सिंह का साथ दे रही थी.
ऑनलाइन खरीदा था मौत का सामान
मुकुल ने करीब महीने भर पहले से क़त्ल के लिए हथियार और दूसरे साजो सामान खरीदने शुरू कर दिए थे. लेकिन वो इतना शातिर है कि उसने ये सामान किसी लोकल स्टोर से नहीं बल्कि ऑनलाइ खरीदा, ताकि मैन टू मैन कॉन्टैक्ट ना को बराबर हो और उसे ट्रेस करना मुश्किल हो. सबसे उसने दो चॉपर खरीदे और इनकी डिलिवरी के लिए अपने घर का पता देने की जगह रेलवे स्टेशन के नजदीक के एक और मकान का पता दे दिया. इसके बाद डिलिवरी बॉय से कॉन्टैक्ट कर चॉपर कलेक्ट कर लिया. इन चॉपर को मुकुल ने अपने घर में नहीं बल्कि अपने घर के गैरेज नंबर 361/6 में छिपा दिया था.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उजागर की कातिल की दरिंदगी
इसी तरह मुकुल ने गैस कटर और हैंड ग्लव्स जैसी चीजें भी ऑनलाइन खरीदी थीं, जिसका इस्तेमाल उसने क़त्ल करने में किया था. क़त्ल के बाद जब बाप-बेटे की लाश का पोस्टमार्टम हुआ, तो पता चला कि क़ातिल ने किस बेरहमी से दोनों की जान ली. राजकुमार विश्वकर्मा पर चॉपर से 10 वार किए गए, जबकि मासूम बच्चे पर 6 वार. इस वार से दोनों के सिर की हड्डियां टूट गईं और बच्चे के सिर की हड्डी तो एक ही वार से टूट गई. बच्चे के गले की हड्डियां भी चॉपर के वार से टूट गई थीं. ऐसे में पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों को शक है कि शायद हमला करते हुए उसका हाथ फिसल गया हो, जिससे सिर के साथ-साथ गले में भी चापर के घातक वार लगे.
पिता का डेबिट कार्ड और मां के गहने ले गई कातिल बेटी
अब बात दोनों को दबोचने के लिए जारी पुलिस की प्लानिंग और उसकी कोशिशों की. आरोपी मुकुल सिंह के दो बैंक एकाउंट हैं, लेकिन उनमें ज्यादा पैसे नहीं हैं. लेकिन राजकुमार विश्वकर्मा की बेटी अपने पिता का डेबिट कार्ड और मां के जेवर लेकर निकली है. दोनों इसी डेबिट कार्ड से अब तक अलग-अलग शहरों में घूम-घूम कर पैसे निकाल रहे थे. वो जिस शहर में पैसे निकलते थे, वहां फोन स्विच्ड ऑफ कर देते थे. जबकि नई जगह पहुंचने पर फोन फिर से ऑन होता था. पहले तो पुलिस ने उन्हें ट्रैक करने के लिए उनके बैंक खातों को खुला ही रहने दिया, लेकिन अब जब उन बैंक खातों से पैसे भी खत्म हो चले हैं, पुलिस ने उसके एकाउंट सील करवा दिए हैं. अब आरोपियों के पास बमुश्किल तीस से चालीस हजार रुपये बचे हैं, ऐसे में उनके लिए आगे भागना मुश्किल हो सकता है.
तीन दिनों में निकाले थे सवा लाख रुपये
पुलिस को हमले में मारे गए राजकुमार विश्वकर्मा के बैंक खातों की जांच से ये क्लीयर हुआ है कि क़त्ल के बाद पहले चार दिनों में यानी 15 मार्च से 18 मार्च तक यूपीआई के जरिए उनकी बेटी ने उनके खाते से 1 लाख 28 हजार रुपये निकाले. लेकिन अलग-अलग जगह रूकने के दौरान ये पैसे लगातार खर्च होते रहे और अब मुकुल और उसकी गर्लफ्रेंड के सामने मुश्किलें बढ़ गई हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक फरार होने के बाद से अलग-अलग शहरों मुकुल ने अपने लिए नौकरी ढूंढने की कोशिश की, लेकिन कहीं बात जमी नहीं, तो कहीं भाषा की समस्या आड़े आ गई. ऐसे में दोनों ने पहले नेपाल और तब बांग्लादेश बॉर्डर का रुख किया, ताकि भारत से बाहर भाग सकें. अब देखना ये है कि पुलिस की नौ से ज्यादा टीमें अब दोनों को पकड़ भी पाती हैं या फिर दोनों विदेश भागने में कामयाब हो जाते हैं.
15 मार्च को ऐसे हुआ था ये दोहरा हत्याकांड
उस दिन सुबह के वक्त जबलपुर से करीब सवा दो सौ किलोमीटर दूर पिपरिया में रहनेवाली आरती के मोबाइल पर एक व्हाट्स एप ऑडियो मैसेज आता है. लेकिन आरती की नजर इस ऑडियो मैसेज पर करीब चार घंटे बाद पड़ती है. ऑडियो मैसेज उसकी चचेरी बहन 16 साल की काव्या ने जबलपुर से भेजा था. काव्या राजकुमार विश्वकर्मा की बेटी है. उसने मैसेज में कहा था कि उसके पापा और भाई को किसी ने मार डाला है और दोनों की लाशें घर में पड़ी है.
मैसेज देखने के बाद दी खबर
देर से ही सही पर मैसेज पढ़ते ही आरती घबरा गई. उसने अपने पापा को इस मैसेज के बारे में बताया. इसके बाद आरती के पापा ने फौरन जबलपुर में रहने वाले अपने जानकारों को इस बात की खबर दी. तब कहीं जा कर दोपहर तीन बजे के आस-पास पुलिस को पहली बार इसकी जानकारी मिली. पुलिस की एक टीम अब फौरन रेलवे कॉलोनी पहुंची. घर का दरवाजा बंद था. जबकि घर के पीछे बालकोनी की तरफ का दरवाजा गैस कटर से कटा हुआ था.
किचन में पिता, फ्रिज में बेटे की लाश
घर में दाखिल होते ही पुलिस की नजर सबसे पहले किचन में एक पन्नी में लिपटी लाश पर पड़ती है. किचन में चारों तरफ खून की खून था. लाश की शिनाख्त राजकुमार विश्वकर्मा के तौर पर होती है. घर में विश्वकर्मा के अलावा उनकी 16 साल की बेटी काव्या और 8 साल का बेटा तनिष्क ही रहते थे. राजकुमार की पत्नी की 2023 में बीमारी की वजह से मौत हो गई थी. पुलिस घर में चारों तरफ बाकी दोनों बच्चों को ढूंढती है, लेकिन कोई और नहीं मिलता. तभी एक पुलिस वाले की नजर फ्रिज के दरवाजे पर बने हैंडल पर पड़ती है. हैंडल पर खून के छींटे थे. इसी के बाद जब पुलिस वाले ने फ्रिज का दरवाजा खोला, तो अंदर पन्नी में लिपटी एक और लाश मिलती है. ये लाश थी राजकुमार के 8 साल के बेटे तनिष्क की.
घर में थीं दो लाशें तो तीसरा सदस्य कहां?
घर में रहने वाले तीन लोगों में से दो की लाश मिल चुकी थी. लेकिन काव्या घर में कहीं नहीं थी. घर के पीछे बालकोनी का दरवाजा गैस कटर से कटा हुआ था, जिसे देख कर पुलिस ने अंदाजा लगा लिया कि कातिल इसी दरवाजे से घर के अंदर दाखिल हुआ. लेकिन घर के अंदर घर की तीसरी सदस्य काव्या की ना तो लाश मिली और ना ही खुद काव्या. तो क्या कातिल काव्या को किडनैप कर अपने साथ ले गया? कहीं काव्या का भी कत्ल नहीं हो गया? आखिर राजकुमार विश्वकर्मा के परिवार से किसी की क्या दुश्मनी हो सकती है? इन्हीं सवालों के साथ पुलिस ने अपनी तफ्तीश शुरू की.
लाल रंग की स्कूटी के पीछे जाती दिखाई दी लड़की
राजकुमार का परिवार जिस रेलवे कॉलोनी में रहा करता था, उस कॉलोनी में सीसीटीवी कैमरे भी लगे थे. पुलिस ने अपनी तफ्तीश यहीं से शुरू की. तभी कैमरे में कैद एक तस्वीर पर जब पुलिस की नजर पड़ी, तो खुद पुलिस चौंक उठी. ये वही तस्वीर थी. 15 मार्च की दोपहर करीब 12 बजे इस रेलवे कॉलोनी से एक लड़का लाल रंग की स्कूटी पर बाहर निकलता है. जैसे ही वो लड़का कॉलोनी की गेट से बाहर निकलता है, तभी एक लड़की ठीक उसके पीछे-पीछे पैदल बाहर निकल जाती है. और उसी तरफ मुड़ती है, जिस तरफ स्कूटी के साथ वो लड़का मुड़ा था.
काव्या को जिंदा देख पुलिस ने ली थी राहत की सांस
वो लड़की कोई और नहीं बल्कि राजकुमार की बेटी काव्या थी. दिन के उजाले में काव्या की इस तस्वीर को देखने के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली कि कम से कम काव्या जिंदा है. और किसी ने उसे किडनैप नहीं किया. लेकिन इसी तस्वीर के साथ पुलिस के मन में तमाम शक और सवाल भी कौंधने लगे थे.
सीसीटीवी से साफ हो गई थी सारी कहानी
दरअसल, सीसीटीवी की फुटेज में मुकुल नाम के उस लड़के के साथ राजकुमार विश्वकर्मा की बेटी काव्या को देखकर ही सारी कहानी साफ हो गई थी. इस डबल मर्डर के पीछे उन दोनों का ही हाथ है. इसलिए वो दोनों भागते समय शहर के कई सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गए थे. पुलिस लगातार उनका पीछा करती रही और वे दोनों पुलिस को चकमा देते रहे.