
एक शख्स एक लड़की को गोली मारता है. उसके बाद वो घायल लड़की को अपनी कार में बैठाकर यूं ही करीब 5 घंटे तक सड़कों पर दौड़ता फिरता है. फिर वो एक अस्पताल में अपनी कार रोकता है और लड़की को अंदर ले जाता है. अस्पताल में उसकी हालत देखकर डॉक्टर जवाब दे देते हैं. फिर वो लड़की को दूसरे अस्पताल में ले जाता है और वहां लड़की को छोड़कर गायब हो जाता है. खौफनाक कत्ल की ये कहानी मध्य प्रदेश के जबलपुर की है.
उस लड़की का नाम वेदिका ठाकुर था, जो करीब दस दिनों तक अस्पताल में पड़ी-पड़ी जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही. आखिरकार उसने 26 जून को दम तोड़ दिया. उसे गोली मारी गई थी. पर कौन थी वेदिका ठाकुर? वेदिका को गोली किसने और क्यों मारी? 26 साल की वेदिका के साथ आखिर किसी की क्या दुश्मनी थी?
वेदिका की मौत के बाद क्यों पुलिस और शासन गंभीर सवालों के घेरे में आ गए? आखिर क्यों इन दिनों मध्य प्रदेश के जबलपुर में हर तरफ वेदिका के चर्चे हैं? तो इन तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए आपको आज से ठीक 11 दिन पीछे चलना होगा.
16 जून 2023, सुबह 11.30 बजे, धनवंतरीनगर, जबलपुर
यही वो वक्त था जब एमबीए फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रही वेदिका अपने दोस्त और बीजेपी नेता प्रियांश विश्वकर्मा से मिलने उसके दफ्तर पहुंची थी. वेदिका करीब डेढ घंटे तक प्रियांश के साथ उसके दफ्तर में रही. मगर, इसके बाद अचानक न जाने क्या हुआ कि प्रियांश के दफ्तर में ही वेदिका को रहस्यमयी हालत में गोली लग गई और उसे इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया.
गोली लगने से लेकर उसे अस्पताल पहुंचाए जाने तक उस रोज इतना कुछ हुआ कि वेदिका पर हुए इस हमले की कहानी बुरी तरह से उलझ कर रह गई है. खबरों के मुताबिक, वेदिका को गोली दोपहर करीब 1 बजे के आस-पास लगी और प्रियांश उसे इलाज के लिए अस्पताल शाम करीब साढे छह बजे लेकर पहुंचा. सवाल है, आखिर क्यों?
नहीं दी थी गोली लगने की जानकारी
इतना ही नहीं प्रियांश ने वेदिका को गोली लगने की बात भी पहले वेदिका के घर वालों से छुपाने की कोशिश की. इसे लेकर घर वालों को झूठी सच्ची कहानियां सुनाईं. वेदिका की मौसी की मानें, तो उन्हें पायल नाम की एक लड़की ने फोन कर अचानक वेदिका की तबीयत बिगड़ जाने की बात बताते हुए अस्पताल पहुंचने को कहा.
पायल ने उसे गोली लगने की जानकारी नहीं दी. इसके बाद जब वो वेदिका से मिलने मेट्रो अस्पताल पहुंचीं, तो वहां देखा कि वेदिका की हालत काफी खराब थी. उसे लगातार खून की उल्टियां हो रही थीं. अस्पताल में ही प्रियांश ने उन्हें न सिर्फ काफी देर से वेदिका को गोली लगने की जानकारी दी, बल्कि ये बात घर वालों को न बताने को भी कहा.
फरार हुआ संदिग्ध बीजेपी नेता
अब चूंकि मामला फायरिंग और गोली लगने का था, तो इसकी खबर जबलपुर पुलिस तक भी पहुंची और वाकये की जांच शुरू की गई. मगर, ये मामला तब और उलझ गया जब वही प्रियांश पुलिस की रडार से गायब हो गया, जो वेदिका को गोली मारने का जिम्मेदार माना जा रहा था. आनन-फानन में जबलपुर पुलिस प्रियांश की गैर-हाजिरी में उसके दफ्तर पहुंची और उसकी जांच शुरू की.
मगर, पुलिस ये देख कर हैरान रह गई कि प्रियांश सिर्फ फरार ही नहीं हुआ था, बल्कि जाते-जाते अपने साथ सीसीटीवी कैमरे की फुटेज यानी डीवीआर भी लेकर चला गया था. यानी कुछ तो ऐसा था, जो वेदिका पर हमले का आरोपी प्रियांश छुपाना चाहता था. ऐसे में पुलिस ने प्रियांश की तलाश तेज करने के साथ-साथ उस कंपनी से भी प्रियांश के दफ्तर के फुटेज के लिए संपर्क साधा, जो सीसीटीवी फुटेज के लिए सर्वर प्रोवाइड करती है.
मरने से पहले वेदिका ने दिया था अहम बयान
वेदिका के घर वालों की मानें, तो पहले ही दिन उन्होंने इस मामले में प्रियांश को कसूरवार मानते हुए उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दी थी. मगर, पुलिस ने उनके कहे मुताबिक रिपोर्ट लिखने से ही मना कर दिया और प्रियांश के खिलाफ आईपीसी की धारा 308 के तहत गैर-इरादतन जानलेवा हमला करने की रिपोर्ट दर्ज कर ली. मामले में तब एक बार फिर नया मोड़ आ गया, जब अस्पताल में तहसीलदार के सामने वेदिका ने ये बात कही. वेदिका ने कहा कि उसे गोली गलती से नहीं लगी, बल्कि प्रियांश ने मारी थी.
आरोपी बीजेपी नेता ने किया सरेंडर
अस्पताल में तहसीलदार को दिए गए वेदिका के बयान के बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 308 के तहत दर्ज मामले को 307 में तब्दील कर दिया. यानी प्रियांश के खिलाफ कत्ल की कोशिश का मामला लिखा गया. वारदात के बाद से ही प्रियांश के गायब हो जाने पर जबलपुर पुलिस की अच्छी खासी किरकिरी हो रही थी.
ये कहा जाने लगा था कि प्रियांश के बीजेपी नेता होने की वजह से पुलिस दबाव में है. मगर, एक दिन बाद आखिरकार प्रियांश ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इसी के साथ ही पुलिस ने उसके कब्जे से फायरिंग में इस्तेमाल हुई गन यानी वो देसी कट्टा और कारतूस का खाली खोल बरामद कर ली. रही बात वेदिका को गोली मारने की वजह की, तो पुलिस की मानें तो शुरुआती पूछताछ में प्रियांश ने गोली गलती से चल जाने की बात कबूल कर ली.
ऐसे दर्ज हुआ कत्ल का मामला
अब चूंकि मामला नाजायज असलहा रखने और उससे गोली चलने का था, तो पुलिस ने प्रियांश के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया. उधर, अस्पताल में इलाज के दौरान ये साफ हो गया कि गोली वेदिका के पेट में लगी थी, जो अंदरुनी अंगों को जख्मी करती हई रीढ़ की हड्डी के पास जाकर फंस गई थी. इलाज के दौरान डॉक्टरों ने गोली बाहर निकाल दी थी.
इसके बाद लगातार दस दिनों तक उसका इलाज भी चलता रहा, लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद वेदिका की जान नहीं बचाई जा सकी. अब वेदिका की मौत के बाद प्रियांश के खिलाफ दर्ज मामले को एक बार फिर से बदल कर आईपीसी की धारा 307 से 302 कर दिया गया. यानी कत्ल का मामला.
बीजेपी नेता ने क्यों किया वेदिका का मर्डर?
फिलहाल, प्रियांश के आत्मसमर्पण करने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल तो भेज दिया है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर प्रियांश ने वेदिका को क्यों और किन हालात में गोली मारी? उस रोज दफ्तर में आखिर दोनों के बीच ऐसा क्या हुआ कि प्रियांश को वेदिका पर फायरिंग कर दी?
अगर ये एक्सीडेंटल फायरिंग थी, तो फिर प्रियांश ने वेदिका के घर वालों से झूठ क्यों बोला? और क्यों वो अपने दफ्तर से सीसीटीवी फुटेज लेकर भागा? आखिर वो वारदात वाले दिन की कौन सी सच्चाई छुपाना चाहता था? और सबसे अहम ये कि प्रियांश की गिरफ्तारी और उससे पूछताछ के बावजूद पुलिस क्यों उससे इन सवालों के जवाब नहीं जान सकी?
पीड़ित परिवार ने पूछा- कब चलेगा आरोपी के घर पर बुलडोजर?
यही वजह है कि वेदिका की मौत के मामले में प्रियांश पर हुई कार्रवाई को लेकर वेदिका के घरवाले नाखुश हैं. वो जबलपुर पुलिस के साथ-साथ मध्य प्रदेश शासन पर भी सवाल उठा रहे हैं. वेदिका के घर वालों का कहना है कि बुलडोजर से अक्सर गुनहगारों का मकान जमींदोज करने वाली सरकार प्रियांश के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करने से क्यों पीछे हट रही है?
जाहिर है मामला एक बीजेपी नेता से जुड़ा है. ऐसे में इस मामले को लेकर सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो चुका है. मगर, वेदिका को इंसाफ कब और कैसे मिलेगा? उसके घर वालों के सवालों का जवाब कौन देगा, ये फिलहाल कोई नहीं जानता.