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VPN मास्किंग, फर्जी नाम और फेक IP... मुकेश अंबानी को धमकाने के लिए राजवीर ने ऐसे रची थी साजिश

उसने पहले देश के सबसे अमीर आदमी यानी मुकेश अंबानी से रंगदारी मांगी. ये रुपये नहीं देने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी और इसके लिए बाकायदा उनकी कंपनी को ई-मेल किया. पहले मेल के बाद भी जब पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकी तो उसने एक बाद एक तीन ईमेल किए और रकम बढ़ाता गया.

पुलिस ने दस दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद आरोपी राजवीर को गिरफ्तार कर लिया पुलिस ने दस दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद आरोपी राजवीर को गिरफ्तार कर लिया
दिव्येश सिंह/ब्रिजेश दोशी/दीपेश त्रिपाठी
  • मुंबई/गांधीनगर,
  • 08 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:28 AM IST

मुकेश अंबानी को धमकी देकर 400 करोड़ मांगने वाले शख्स का सच सामने आ गया है. मुकेश अंबानी को धमकी देने वाला कोई माफिया, गैंगस्टर या डॉन नहीं बल्कि 20 साल का एक छात्र है. एक ऐसा छात्र जिसे कम्प्यूटर से बेहद प्यार है.

कमाल की बात ये है कि उसने मुकेश अंबानी को सिर्फ इसलिए धमकी दे डाली, क्योंकि वो ये देखना चाहता था कि उसकी इस धमकी से मुकेश या पुलिस डरेंगे या नहीं. और सबसे बड़ी बात ये कि धमकी देने वाले उस छात्र का पिता खुद एक पुलिसवाला है.

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'कैच मी इफ यू कैन..'
उसने पहले देश के सबसे अमीर आदमी यानी मुकेश अंबानी से 20 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी. ये रुपये नहीं देने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी और इसके लिए बाकायदा उनकी कंपनी को ई-मेल किया. पहले मेल के बाद भी जब पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकी, तो उसने अगले ही दिन दूसरा ई-मेल कर दिया, इसके साथ ही उसने रंगदारी की रकम बढ़ा कर 20 करोड़ से सीधे 200 करोड़ कर दी.

लेकिन इससे पहले कि पुलिस उसे ट्रैक कर पाती, उसका हौसला इतना बढ़ गया कि दो दिन बाद ही उसने तीसरा ई-मेल कर दिया और इस बार रंगदारी की रकम बढ़ा कर 2 सौ से 4 सौ करोड़ कर दी, साथ ही मेल में लिखा, 'कैच मी इफ यू कैन..' यानी हर ई-मेल के साथ रंगदारी की रकम और उसका हौसला दोनों ही बढ़ता ही चला जा रहा था... लेकिन आखिरकार कानून से चल रहे इस चूहे-बिल्ली के खेल का दी एंड हो ही गया.

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गुजरात का रहने वाला है शातिर आरोपी
इस सिलसिले की शुरुआत शुक्रवार 27 अक्टूबर को हुई थी, जब मुकेश अंबानी के नाम पहला ई-मेल आया था. इसके बाद करीब दस दिनों भर तक मुंबई पुलिस समेत तमाम एजेंसियों की नाक में दम करने वाले इस शख्स को गुजरात की राजधानी के गांधीनगर के कल्लोल इलाके से मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने धरदबोचा. लेकिन जब उससे पूछताछ हुई, एक इतने बड़े आदमी को ताबड़तोड़ ई-मेल भेज कर उन्हें डराने की कोशिश करने और जान से मारने की धमकी देने का सबब पूछा गया, तो इस शख्स ने जो जवाब दिया, उससे सुन कर पुलिस भी हैरान रह गई. 

मजाक में दी धमकी
क्या आप यकीन करेंगे कि ये आदमी ये सबकुछ सिर्फ और सिर्फ मज़ाक में कर रहा था? सुन कर यकीन करना भी मुश्किल है. झुंझलाहट सी होती है, लेकिन मुंबई पुलिस की अब तक की तफ्तीश यही कहती है. पुलिस ने मुकेश अंबानी को ई-मेल भेज कर उन्हें जान से मारने की धमकी देने, रंगदारी मांगने और खुद को पकड़ने की चुनौती देने के इल्जाम में जिस शख्स को गिरफ्तार किया है, उसकी उम्र महज़ 20 साल है.

पुलिसवाले का बेटा है आरोपी राजवीर
लेकिन बीस साल के इसी लड़के ने अपनी शरारत से ऐसा भूचाल मचा दिया कि मुंबई से लेकर गुजरात पुलिस तक के होश उड़ गए. और सितम देखिए कि ऐसा करनेवाला ये लड़का किसी आपराधिक पृष्ठभूमि से नहीं बल्कि गुजरात पुलिस के ही एक कांस्टेबल का बेटा निकला. असल में राजवीर खंत नाम का ये लड़का सिर्फ कंप्यूटर साइंस का स्टूडेंट ही नहीं था, बल्कि कंप्यूटर साइंस से उसका लगाव कुछ इतना ज्यादा था कि वो घंटों कंप्यूटर के साथ ही रहता था और कंप्यूटर में डार्क वेब से लेकर हर उस जगह की खाक छान चुका था, जहां से वो दुनिया की नजरों से बच कर कोई खुफिया काम कर सकता था.

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वीपीएन मास्किंग का इस्तेमाल
शनिवार को राजवीर खंत को जब मुंबई के क्राइम ब्रांच की सीआईयू यानी क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट की टीम ने गिरफ्तार किया, तो वो इसी बात को लेकर हैरान था कि आखिर पुलिस उस तक पहुंची कैसे? क्योंकि उसे पूरा यकीन था कि उसने जिस टेक्नोलॉजी की मदद से मुकेश अंबानी को धमकी भरे ई-मेल भेजे थे, उसे भारत की पुलिस कभी क्रैक ही नहीं कर सकती.

अंबानी को ई-मेल भेजने के लिए उसने शादाबखान.मेलफेंस.कॉम नाम के यूजर आईडी का इस्तेमाल किया था. और खुद को छुपाए रखने के लिए वीपीएन मास्किंग के सहारे ई-मेल भेजे थे. ताकि मेल ऑरिजिन कहीं से हो और लोकेशन कहीं और का दिखे. 

बेल्जियम नहीं गुजरात से चल रहा था खेल
यही वजह है कि जब पुलिस ने शुरू में शादाबखान.मेलफेंस.कॉम को लोकेट करने की कोशिश की, तो पता चला कि मेल बेल्जियम से भेजे गए हैं. पुलिस ने वहां के सर्विस प्रोवाइडर से भी संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन इसी बीच मुंबई पुलिस के साइबर एक्सपर्ट्स ने ये ढूंढ निकाला कि खेल असल में गुजरात के कल्लोल से खेला जा रहा है.

राजवीर के बाद रमेश ने भेजे धमकी भरे ईमेल
अब आप ये भी जान लीजिए कि मुकेश अंबानी को धमकी भरे ई-मेल भेज कर पुलिस की नाक में दम करने वाला राजवीर अकेला नहीं था, बल्कि उसकी देखादेखी गुजरात से 12 सौ किलोमीटर दूर तेलंगाना से भी एक 19 साल के एक लड़के ने मुकेश अंबानी को धमकी भरा ई-मेल भेज दिया था और राजवीर खंत से भी आगे बढ़ कर उनसे 5 सौ करोड़ रुपये मांग लिए थे.

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इन अलग-अलग ईमेल के बाद मुंबई के ही गामदेवी पुलिस स्टेशन में अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई थी. और इसके बाद क्राइम ब्रांच जहां राजवीर खंत तक पहुंच गई, वहीं गामदेवी थाने की पुलिस तेलंगाना रमेश वनपारधी नाम के एक लड़के को पकड़ कर लाई. रमेश वनपारधानी तेलंगाना यूनिवर्सिटी के बीकॉम थर्ड ईयर का स्टूटेंड है और उसकी कहानी भी राजवीर खंत से मिलती जुलती है. 

दोनों आरोपियों को भारी पड़ी शरारत
पुलिस की अब तक की तफ्तीश में उसने कबूल किया है कि उसने मुकेश अंबानी को मेल सिर्फ उन्हें भेजे जा रहे धमकी भरे ई-मेल को देख कर जोश-जोश में कर दिया था. उसे नहीं पता था कि ऐसा करने पर उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है. जाहिर है, मुकेश अंबानी को धमकी भरे ई-मेल भेजने वाले इन दोनों ही लड़कों का इरादा उनसे रुपये वसूलना नहीं बल्कि कंप्यूटर साइंस को लेकर अपने ज्ञान की आजमाइश करना और ऐसा काम कर के रोमांच पैदा करने का था, लेकिन अब इन लड़कों की यही शरारत उन पर भारी पड़ने लगी है.

क्या है ये डार्क नेट? 
डार्क नेट क्या है और कैसे करता है काम? जुर्म की दुनिया के लोग कैसे डार्क नेट का करते हैं इस्तेमाल? राजवीर खंत की करतूत के बहाने आज आपको इसके बारे में भी बताएंगे. असल में डार्क नेट एक ऐसा ऑनलाइन स्पेस है, जो इंटरनेट के नॉर्मल स्पेस से अलग होता है और जिसका इस्तेमाल अक्सर गैर कानूनी गतिविधियों को लिए किया जाता है. वेबसाइट्स, सर्विसेस और दूसरी कई गतिविधियां डार्क नेट का हिस्सा हो सकती हैं.

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डार्क नेट का इस्तेमाल नाजायज और गुप्त गतिविधियों के लिए किया जा सकता है, जैसे कि गैरकानूनी कपड़ों की तस्करी, हैकिंग टूल्स का इस्तेमा, गुप्त जानकारियों का आदान-प्रदान, मनी लॉन्डरिंग, नशीली दवाओं की बिक्री वगैरह. डार्क नेट तब बनता है जब कोई वेबसाइट या सर्विस कानूनी एजेंसियों से बच कर लोगों को गुप्त गतिविधियों को लिए प्लेटफॉर्म मुहैया करवाती है. जिसके सहारे लोग रुपये-पैसे के नाजायज लेन के साथ-साथ कानून एजेसियों से छुप कर दूसरे गैर कानूनी काम करते हैं. 

आम लोगों से बाहर की दुनिया है डार्क नेट
लेकिन डार्क नेट या डीप वेब का इस्तेमाल सिर्फ गैर कानूनी वजहों से ही नहीं होता, कई बार व्हीसल ब्लोअर लोग भी सरकार तक या एजेंसियों तक अपनी सूचना पहुंचाने के लिए डार्क नेट का इस्तेमाल करते हैं, ताकि उनकी पहचान जाहिर ना हो सके. खुफिया गतिविधियों मसलन एनक्रिप्टेडेट मैसेज भेजने में भी डार्क वेब काम आती है. जिन इलाकों में इंटरनेट पर बहुत सख्त पाबंदियां हैं, वहां कई बार लोग सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल करते हैं.

सुरक्षा, प्राइवेसी और तकनीक के बारे में सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए भी डार्क नेट को काम में लिया जाता है. इसके अलावा क्रिमिनल एक्टिविटीज की मॉनिटरिंग और रिसर्च के काम में में भी साइबर सिक्योरिटी के एक्सपर्ट डार्क नेट से काम लेते हैं. यानी डार्क नेट वो जगह है, जिसका गैर कानूनी और कानूनी दोनों इस्तेमाल होता है. लेकिन आम तौर पर भी ये आम लोगों से बाहर की दुनिया है.

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