
मुंबई में एंटीलिया के बाहर मिली स्कॉर्पियो कार के मामले में जांच अधिकारियों के सामने ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब उन्हें तलाशना है. मसलन अंबानी के परिवार को धमकी देने वाली चिठ्ठी और मनसुख हिरेन की मौत के बीच क्या कोई रिश्ता है? अब एनआईए इस साजिश का भी पता लगाएगी. पहले मुंबई क्राइम ब्रांच, क्राइम यूनिट, फिर एटीएस और अब एनआईए. जिस तेज़ी से इस केस में जांच एजेंसियां बदल रही हैं, उसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये मामला कितना गंभीर है. अब इस मामले की जांच मिलने के बाद एनआईए की नजर मनसुख हिरेन की मौत पर भी बनी हुई है.
एंटीलिया के बाहर स्कॉर्पियो में मिले विस्फोटक का सच एनआईए पता लगाएगी. अंबानी परिवार को मिली धमकी की जांच भी अब एनआईए के हवाले कर दी गई है. साथ ही एनआईए ये भी पता लगाएगी कि अंबानी परिवार को मिली धमकी और मनसुख हिरेन की मौत के बीच क्या कोई रिश्ता है? फिलहाल मनसुख हिरेन की मौत के मामले की जांच मुंबई एटीएस कर रही है. मुंबई एटीएस ने शनिवार को बाकायदा इस मामले में एफआईआर भी दर्ज कर ली थी.
एटीएस की एफआईआर के मुताबिक मनसुख हिरेन ने खुदकुशी नहीं की बल्कि उनका क़त्ल हुआ है. लिहाज़ा मनसुख की पत्नी विमला की शिकायत पर एटीएस ने धारा 302 यानी क़त्ल, 201 यानी सबूतों के साथ छेड़छाड़, धारा 34 यानी एक ही मकसद के लिए कई लोगों की साज़िश और 120बी के तहत मामला दर्ज किया है. विमला हिरेन की शिकायत के अलावा एटीएस ने आईपीसी की धारा 302 के तहत इसलिए मामला दर्ज किया है, क्योंकि शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मनसुख के चेहरे और पीठ पर चोट के भी निशान मिले हैं.
वैसे पुलिस फिलहाल केमिकल एनालिसिस रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही है, ये जानने के लिए कि मनसुख को मुंब्रा क्रीक में मार कर फेंका गया या फिर डूबने से उनकी मौत हुई. केमिकल एनालिसिस रिपोर्ट से ये आसानी से पता लगाया जा सकता है. अगर कोई शख्स डूब कर मरता है, तो फेफड़ों, खून और बोन मैरो में उस पानी के अंश ज़रूर मिलते हैं, जिस पानी में वो डूबा है.
एमपी एफएसएल के पूर्व निदेशक डॉ. हर्ष शर्मा का कहना है कि केमिकल एनालिसिस रिपोर्ट में ये भी पता चल जाएगा कि मनसुख के शरीर पर जो चोट के निशान मिले हैं वो एंटी मॉर्टम हैं या पोस्टमार्टम. यानी मरने से पहले उन्हें चोट लगी या मरने के बाद. वैसे पुलिस ने मुब्रा क्रीक के पानी के नमूने भी सुरक्षित रखे हैं, ताकि उनका मिलान कराया जा सके.
वैसे इस पूरे मामले में मनसुख हिरेन का मोबाइल फ़ोन भी कई राज़ उगल सकता है. लेकिन उनका फ़ोन पुलिस अभी तक बरामद नहीं कर पाई है. मनसुख के फ़ोन का आखिरी लोकेशन वसई में पाया गया है. कमाल ये है कि मनसुख का फ़ोन पांच मार्च को करीब साढ़े दस बजे बंद हो गया था. जिस जगह ये मोबाइल स्विच्ड ऑफ़ हुआ वो मीरा रोड के आस-पास का इलाक़ा था. जबकि करीब दो घंटे बाद उनके फ़ोन का लोकेशन आखिरी बार वसई दिखा रहा था. यानी साढ़े बारह के आस-पास ये मोबाइल फिर से ऑन हुआ था. अब ये फोन खुद मनसुख ने ऑन किया था या किसी और ने, ये अभी राज है.
मनसुख की पत्नी विमला, उनके बेटे मीत और भाई विनोद तीनों के बयान हैं कि पांच मार्च की रात क़रीब आठ बजे मनसुख के मोबाइल पर फ़ोन आया था. तब मनसुख का बेटा मीत दुकान पर था. मनसुख ने अपने बेटे और बीवी को ये बताया कि क्राइम ब्रांच से किसी तावड़े साहब नाम के पुलिस अफसर का फोन आया है. और उन्होंने जांच के लिए अभी पुलिस स्टेशन बुलाया है. इसके बाद वो सवा आठ बजे घर से ऑटो में निकल जाते हैं. और फिर कभी लौट कर नहीं आते.
ठाणे पुलिस के मुताबिक आस-पास के किसी भी थाने में या पुलिस की किसी दूसरी यूनिट में तावड़े साहब नाम का ऐसा कोई अफ़सर नहीं है. जो स्कॉर्पियो केस की जांच से जुड़ा हो. अब सवाल ये है कि फिर तावड़े की असलियत क्या है? क्या किसी पुलिस अफसर के कहने पर तावड़े ने मनसुख को फ़ोन किया? क्या तावड़े फर्ज़ी नाम है? या फिर तावड़े वो शख्स है जिसका स्कॉर्पियो में विस्फोटक रखना और स्कॉर्पियो को अंबानी के घर के बाहर पार्क करने में कोई रोल है? अगर तावड़े का सच सामने आ जाए, तो रहस्य से पर्दा हट सकता है.
मुंबई एटीएस ने जांच अपने हाथ में लेने के बाद रविवार को मनसुख के परिवार से करीब चार घंटे तक पूछताछ की. एटीएस चीफ जयजीत सिंह खुद इस जांच की निगरानी कर रहे हैं. सीनियर एटीएस अफसर जिनमें डीआईजी शिवदीप लांडे भी शामिल हैं, सोमवार को उन्होंने उस जगह का भी दौरा किया, जहां मुब्रा क्रीक से मनसुख की लाश मिली थी.
सूत्रों के मुताबिक एटीएस की टीम ने ठाणे में मनसुख के इस घर से लेकर ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे नाहुर फ्लाई ओवर तक की छानबीन की, जहां 17 फरवरी की शाम छह बजे के क़रीब मनसुख की स्कॉर्पियो ख़राब हुई थी.
आजतक की टीम ने भी ठाणे में मनसुख के घर से लेकर उस फ्लाई ओवर तक की दूरी और उस जगह की पड़ताल की. मनसुख के घर से नाहुर फ्लाई ओवर की दूरी क़रीब 6 किमी है. हाईवे होने की वजह से यहां से हर वक़्त गाड़ियां आती जाती रहती है. लेकिन हमारी टीम ने पाया कि इस फ्लाई ओवर से करीब एक डेढ़ किमी पहले ठाणे टोल प्लाज़ा के बाद पुलिस या पुलिस की कोई जिप्सी गश्त नहीं कर रही होती. ठाणे टोल के बाद और इस फ्लाई ओवर के बीच में कहीं कोई सीसीटीवी कैमरा भी नहीं लगा है.
18 फरवरी की शाम 5 बजे विक्रोली थाने में मनसुख हिरेन की स्कॉर्पियो कार चोरी की जो रिपोर्ट लिखवाई गई है, उसमें साफ-साफ लिखा है कि गाड़ी 17 फरवरी की शाम 6 बजे खराब हुई थी. तब उन्होंने गाड़ी वहीं सड़क किनारे छोड़ कर ओला कैब बुक की. पुलिस ने उस कैब ड्राइवर का भी पता लगा लिया, उससे पूछताछ की गई तो पता चला कि मनसुख ने ओला क्राफोर्ड मार्केट जाने के लिए बुक की थी. लेकिन रास्ते में अचानक किसी का फोन आता है. जिसके बाद मनसुख वीटी की तरफ चले जाते हैं. और वहीं ओला छोड़ देते हैं. कार चोरी की एफआईआर के मुताबिक इसके बाद अगले दिन यानी 18 फरवरी को दोपहर 12 बजे मनसुख एक मैकेनिक को लेकर ईस्टर्न एक्सप्रेस हाई वे पहुंचते हैं, पर उन्हें वहां गाड़ी नहीं मिलती. ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं -
सवाल-1- गाड़ी 17 फरवरी की शाम छह बजे खराब हुई थी. अभी पूरी तरह से अंधेरा भी नहीं हुआ था. ऐसे में मनसुख उसी वक़्त उसी शाम या उसी रात किसी भी मैकेनिक को बुला सकते थे, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया. क्यों?
सवाल-2- मनसुख उसी रात अपने घर लौटे, घर लौटने का उनका जो रास्ता है. वो इसी ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से हो कर जाता है, क्या वापसी में उन्हें अपनी गाड़ी दिखाई दी थी या नहीं?
सवाल-3- एक गाड़ी सड़क किनारे पूरी रात खड़ी रहती है. फिर भी अगले दिन सुबह-सुबह नहीं बल्कि वो दोपहर 12 बजे मनसुख गाड़ी लेने पहुंचते हैं. यानी उन्हें गाड़ी के चोरी होने की कोई फिक्र नहीं थी? अमूमन ऐसा होता नहीं है.
सवाल-4- अगर 17 फरवरी की शाम 6 बजे गाड़ी इस कदर खराब हो गई थी कि वो चल नहीं सकती थी, मनसुख को कैब करनी पड़ी, तो फिर सवाल ये है कि क्या चोर गाड़ी चुराने मैकेनिक के साथ आया था? क्रेन लेकर आया था? या फिर चोर खुद ही मैकेनिक था?
सवाल-5- एक बंद पड़ी गाड़ी का यूं चोरी होना और चोर का उसे चला कर ले जाना, शक पैदा करता है. गाड़ी क्रेन से नहीं उठाई गई. ये लगभग तय है. क्योंकि क्रेन का रिकॉर्ड आसानी से मिल जाता है.
सवाल-6- मान भी लीजिए कि गाड़ी चोरी हो गई तो फिर 17 फरवरी की रात से लेकर 25 फरवरी तक ये स्कॉर्पियो कहां खड़ी थी? क्योंकि 25 फरवरी को ही उस गाड़ी में विस्फोटक रखकर उसे एंटिलिया के बाहर पार्क किया गया था.
सवाल-7- सवाल ये भी है कि वो व्हाइट इनोवा कहां गायब हो गई? जो इस स्कॉर्पियो के साथ एंटीलिया के बाहर गई थी. उस स्कॉर्पियो में बैठा ड्राइवर उस इनोवा में बैठकर आख़िर इनोवा समेत कहां गुम हो गया?
सवाल-8- क्या ठाणे से एंटिलिया तक पहुंचने की इस कहानी का सिरा मनसुख से जाकर मिलता था? या मनसुख को इस साज़िश की सच्चाई का पता चल गया था.
सवाल-9- क्या साज़िश में शामिल शख़्स मनसुख का कोई जाननेवाला था? या मनसुख को अंधेरे में रखकर उस शख्स ने ये सारी प्लानिंग की? और फिर सच सामने आने के डर से उसने मनसुख को खामोश कर दिया.
एक चीज़ साफ़ है, अगर मनसुख का सचमुच क़त्ल हुआ है, तो फिर इस क़त्ल के तार सीधे एंटीलिया के बाहर खड़ी उस स्कॉर्पियो कार से जुड़ते हैं. यानी अगर मनसुख का कातिल हाथ आ जाए, तो एंटीलिया की साज़िश पूरी तरह बेनक़ाब हो जाएगी. एनआईए को यही करना भी है.