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मुंबई में कुछ दिन पहले बोरी में बंद एक लाश मिलती है. लाश एक महिला की थी. मगर उस लाश की शिनाख्त नहीं हो पाती. ना ही पुलिस को कोई ऐसा सुराग या चश्मदीद मिलता है, जिसकी मदद से वो कातिल तक पहुंच सके. मगर इसी दौरान अचानक एक शख्स पुलिस के पास पहुंचता है और तब तहकीकात के बाद इस मर्डर मिस्ट्री का ऐसा खुलासा होता है, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
5 अक्टूबर 2022, दोपहर 1 बजे, नेहरू नगर - मुंबई
मुंबई के इस इलाके में मौजूद एक नाले में पिछले कई दिनों से एक बोरी पड़ी थी. पहले तो लोगों का ध्यान इस ओर नहीं गया, लेकिन जब बोरी से उठती बदबू ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया, तो फिर लोगों ने पुलिस को खबर दी. बोरी को देख कर लग रहा था कि उसमें कोई चीज ठूंस कर भरने के बाद बाहर से उसका मुंह कर कस कर बंद किया गया था. मौका-ए-वारदात पर पहुंची, पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद नाले से बोरी निकलवाई और जैसे ही उसका मुंह खोला, आस-पास मौजूद लोगों ने ठिठक कर अपने कदम पीछे खींच लिए. अंदर एक लाश भरी थी. बुरी तरह सड़ी गली एक महिला की लाश.
पुलिस के सामने थे कई सवाल
लेकिन फिर सवाल ये था कि भरी आबादी के बीच लाश से भरी इस बोरी को इस नाले में भला कौन फेंक गया? जाहिर है ये बोरी कत्ल के बाद लाश निपटाने के इरादे से ही यहां फेंकी गई थी. लेकिन फिर सवाल ये था कि कातिल ने आखिर सबूत मिटाने के लिए नेहरू नगर का ये नाला ही क्यों चुना? क्या कातिल यहीं इसी इलाके का रहनेवाला था या फिर जानबूझ कर उसने किसी दूसरे इलाके से आकर यहां ये बोरी फेंकी थी, ताकि पुलिस को उलझाया जा सके? सबसे बड़ा सवाल तो यही था कि किसी ने कातिल को इस बोरी को यहां फेंकते हुए देखा कैसे नहीं? पुलिस के दिमाग में कई सवाल थे.
मामले की जांच में जुटी कई टीम
खैर.. इन्हीं सवालों के साथ पुलिस ने लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए मुंबई के रजवाड़ी अस्पताल में भिजवा कर मामले की जांच शुरू कर दी. इस सिलसिले में नेहरू नगर पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ कत्ल का मुकदमा भी दर्ज कर लिया और चार अलग-अलग टीमें बना कर पुलिस वालों को कातिल की तलाश में लगा दिया गया. अब पुलिस ने टेक्नीकल इनवेस्टिगेशन के साथ-साथ ऑर्थोडॉक्स मेथड यानी पारंपरिक तरीके से भी मामले की जांच शुरू कर रही थी.
पुलिस के पास खुद चलकर आया चश्मदीद
कहा जाता है कि मुंबई शहर में रात नहीं होती, लेकिन ये भी सच है कि रात के अंधेरे में ही मुंबई में बड़े से बड़े जुर्म अंजाम दिए जाते हैं. इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. पुलिस टीम में शामिल ऑफिसर्स ने अपने-अपने मुखबिरों और आस-पास के दुकानदारों, ऑटो रिक्शा ड्राइवरों से इस बारे में पूछना शुरू कर दिया और थोड़ी सी कोशिश के बाद ही पुलिस की मेहनत रंग ले आई. या यूं कहें कि इस मामले से जुड़ा एक अहम चश्मदीद खुद चलकर पुलिस के पास आ गया.
ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने खोला राज
लाश बरामद किए जाने और तफ्तीश शुरू होने के कुछ ही घंटे बाद एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर पुलिस के पास पहुंचा और उसने एक ऐसा खुलासा किया कि पुलिस वालों का मुंह खुला रह गया. इस ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने बताया कि ये लाश 1 अक्टूबर की रात करीब दो से तीन बजे के बीच इस नाले में फेंकी गई थी और फेंकने वाले भी कोई और नहीं बल्कि दो महिलाएं थीं, जिन्होंने उस रात इस बोरी को लाने के लिए उसका ऑटो रिक्शा किराये पर लिया था.
आखिर कौन थी कातिल महिलाएं?
पुलिस के लिए ये खुलासा दिमाग घुमाने वाला था, क्योंकि इस ऑटो रिक्शा ड्राइवर की बातचीत से पुलिस को लग रहा था कि अब वो केस को जल्द सॉल्व करने में कामयाब हो जाएगी. लेकिन दिक्कत ये थी कि पुलिस के सामने खुल कर कुछ भी बोलने से वो ऑटो रिक्शा ड्राइवर बुरी तरह घबरा रहा था और उसे लग रहा था कि अगर उसने कुछ बताया तो वो भी कातिल महिलाओं का शिकार बन जाएगा. ऐसे में पुलिस ने उसे सुरक्षा के साथ-साथ उसका नाम सार्वजनिक ना करने का भरोसा दिया, जिसके बाद उसने एक ऐसी कहानी सुनाई कि पुलिसवाले भी हक्के बक्के रह गए.
दो महिलाओं ने भाड़े पर लिया था ऑटो
ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने बताया कि उस रात करीब 2 बजे नेहरू नगर स्टैंड से ही दो महिलाओं ने उसका ऑटो रिक्शा किराये पर लिया था और नेहरू नगर से माहुल तक गई थी. माहुल पहुंचने के बाद दोनों महिलाएं उसे फिर से नेहरू नगर जाने की बात कह कर उसे दस मिनट वहीं रुकने को कहा और एक घर में चली गई थी.
चश्मदीद के बयान से मिला सुराग
ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने पुलिस को बताया कि उसने कुछ देर इंतजार किया और थोड़ी ही देर में दोनों महिलाएं सचमुच वापस आ गई और इस बार उनके हाथ में एक बड़ी सी बोरी थी. जिसका मुंह कस कर बंधा हुआ था. दोनों ने बोरी उसके ऑटो रिक्शा पर रखी और उसे वापस नेहरू नगर चलने के लिए कहा. नेहरू नगर चलने के बाद दोनों ही महिलाएं उस बोरी के साथ नेहरू नगर नाले के पास उतर गई और उसे चले जाने को कहा. पुलिस वालों को उस रात की कहानी सुना रहा ऑटो रिक्शा ड्राइवर इतना कह कर रुक गया क्योंकि उसे इससे आगे की कहानी नहीं पता थी. लेकिन उस ऑटो रिक्शा ड्राइवर की इस कहानी ने पुलिस को इस कत्ल के सिलसिले में धुंधला सा ही सही, एक सुराग जरूर दे दिया था.
पुलिस खंगाल रही थी सीसीटीवी फुटेज
अब पुलिस ने कातिल महिलाओं को पकड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी. पुलिस की अलग-अलग टीमों ने नेहरू नगर से माहुल तक के इलाके में लगे तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकाल कर उसकी स्कैनिंग करनी शुरू कर दी, ताकि अगर किसी कैमरे में पुलिस को उन महिलाओं का फुटेज नजर आए, तो शायद उन तक पहुंचना आसान हो जाए. पुलिस का सबसे ज्यादा फोकस नेहरू नगर और माहुल में लगे कैमरों पर ही था, जहां दोनों महिलाओं ने ऑटो की सवारी ली थी और जहां नीचे उतरी थी.
CCTV कैमरे में नजर आईं दोनों संदिग्ध महिलाएं
इस काम में पुलिस को कई घंटों का वक्त जरूर लगा, लेकिन उसे तब एक बड़ी कामयाबी मिली. जब नेहरू नगर की एक कॉलोनी में 1 अक्टूबर की रात को दोनों महिलाएं गुजरती नजर आईं. अब पुलिस ने बिना देर किए सीसीटीवी की फुटेज उसी ऑटो ड्राइवर को दिखाई, जिसने पुलिस को उस रात की पूरी कहानी सुनाई थी और फिर उससे महिलाओं की पहचान करने को कहा.
ऑटो ड्राइवर ने की शिनाख्त
इत्तेफाक से ऑटो ड्राइवर ने फुटेज देखते ही दोनों महिलाओं को फौरन पहचान लिया और बताया कि उस रात यही दोनों उसके ऑटो रिक्शा पर सवार होकर माहुल के लिए गई थी और यही दो महिलाएं अपने साथ वो बोरी लेकर नेहरू नगर तक वापस भी आई थी. अब पुलिस का आधा काम हो चुका था, लेकिन अभी उन दोनों महिलाओं की पहचान पता करना और उन तक पहुंचना अभी उसके लिए बाकी था.
पकड़ में आईं आरोपी महिलाएं, सुनाई खौफनाक कहानी
पुलिस ने सीसीटीवी के कुछ ग्रैब लिए और उन ग्रैब की क्लोज अप वाली तस्वीरें निकाल कर नेहरू नगर में रहने वाले लोगों से दोनों महिलाओं के बारे में पूछताछ शुरू कर दी. थोड़ी कोशिश के बाद आस-पास के लोगों ने दोनों को पहचान लिया. ये दोनों महिलाएं रिश्ते में एक-दूसरे की बहन थी. नाम था मीनल पवार और शिल्पा पवार. इसके बाद पुलिस ने जाल बिछाकर जल्द ही दोनों महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया और फिर तो दोनों ने पुलिस को 1 अक्टूबर की रात की ऐसी कहानी सुनाई कि पुलिस वालों के भी रोंगटे खड़े हो गए.
पति के अवैध संबंध का खुलासा
असल में मीनल पवार के पति का ईशा मिस्त्री नाम की एक महिला से संबंध था. मीनल ये सबकुछ जानती थी और ईशा को लेकर अक्सर उसकी अपने पति से लड़ाई हुआ करती थी. लेकिन उसका पति ईशा से अपने रिश्ते खत्म करने को बिल्कुल तैयार नहीं था. बल्कि हर गुजरते वक्त के साथ दोनों में नजदीकियां और बढ़ती जा रही थीं. इस बात से मीनल और उसकी बहन शिल्पा भी बहुत परेशान थीं. इत्तेफाक से 1 अक्टूबर की रात को इस कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट आ गया. हुआ यूं कि उस रात मीनल का पति अपनी गर्ल फ्रेंड ईशा के साथ माहुल में रहने वाली अपनी एक फैमिली फ्रेंड डॉली के घर पहुंचा.
ऐसे रची गई कत्ल की साजिश
चूंकि डॉली मीनल की फैमिली फ्रेंड थी, वो मीनल के साथ-साथ उसके पति को भी जानती थी. डॉली ने उसी रात फोन कर मीनल को उसके पति और ईशा के बारे में जानकारी दी. इस पर मीनल ने कहा कि जब भी उसका पति ईशा को उसके घर छोड़ कर वापस चला जाए तो उसे दोबारा फोन करे. डॉली ने ऐसा ही किया और एक खौफनाक कत्ल की साजिश तैयार की गई.
गला घोंटकर किया ईशा का मर्डर
मीनल का पति जैसे ही ईशा को वहां छोड़ कर डॉली के घर से गया, डॉली ने मीनल को फोन कर दिया और नेहरू नगर से मीनल अपनी बहन शिल्पा के साथ सीधे माहुल में डॉली के घर जा पहुंची. जहां मीनल, शिल्पा और डॉली एक तरफ थीं और एक अकेली ईशा दूसरी तरफ. तीनों मिलकर रात के अंधेरे में ही पहले ईशा को डॉली के घर की छत पर लेकर गईं और वहां मीनल ने खुद अपने हाथों से दुपट्टे से ईशा का गला घोंट दिया और उसकी जान ले ली.
तीनों ने मिलकर लगाया था लाश को ठिकाने
इसके बाद तीनों ने मिलकर ईशा की लाश के हाथ पांव बांधे, उसे एक बोरी में भरा और फिर दोनों बहने उसकी लाश उसी ऑटो में लाद कर माहुल से नेहरू नगर लेकर आई, जहां उन्होंने ईशा की लाश नाले में फेंका और अपने-अपने घर चल गई. इत्तेफाक से दोनों बहनों की सीसीटीवी तस्वीरें उसी वक्त की हैं, जब दोनों लाश फेंक कर अपने-अपने घर लौट रही थीं. सीसीटीवी कैमरे में कैद तस्वीरों की वजह से ही दोनों बहनों की पहचान हुई और पुलिस ने दोनों गिरफ्तार कर इस मर्डर मिस्ट्री का खुलासा कर दिया.
(एजाज़ खान का इनपुट)