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कैसे होता था टीआरपी का खेल, मुंबई पुलिस कमिश्नर ने किया खुलासा

मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 टीवी चैनल ने टीआरपी सिस्टम से फर्जीवाड़ा किया था. उन्होंने यह भी कहा कि पैसे देकर लोगों को घर में रिपब्लिक टीवी चलाकर रखने को कहा जाता था. पुलिस ने फर्जी टीआरपी रैकेट को पकड़ा जबकि 2 टीवी चैनलों के मालिक को गिरफ्तार भी किया है.

मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह (पीटीआई) मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह (पीटीआई)
दिव्येश सिंह
  • मुंबई,
  • 08 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 6:45 PM IST
  • टीआरपी रैकेट को लेकर बड़ा खुलासा
  • अब तक 2 चैनलों के मालिक गिरफ्तार
  • रिपब्लिक टीवी को आज समन भेजा जाएगा

मुंबई पुलिस ने टीआरपी रैकेट को लेकर बड़ा खुलासा किया है कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 टीवी चैनलों पर टीआरपी में छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए 2 चैनलों के मालिकों को गिरफ्तार भी कर लिया है. फॉल्स टीआरपी को लेकर पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया कि किस तरह से टीआरपी का खेल होता था.
 
मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 टीवी चैनल ने टीआरपी सिस्टम से फर्जीवाड़ा किया था. उन्होंने यह भी कहा कि पैसे देकर लोगों को घर में रिपब्लिक टीवी चलाकर रखने को कहा जाता था. पुलिस ने फर्जी टीआरपी रैकेट को पकड़ा है.

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फॉल्स टीआरपी को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने कहा कि पुलिस के खिलाफ चैनलों पर प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा था. फॉल्स टीआरपी का रैकेट चल रहा था. पुलिस ने टीआरपी रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए अब तक 2 लोगों की गिरफ्तारी की है.

कमिश्नर ने बताया कि टीवी इंडस्ट्री में करीब 30 से 40 हजार करोड़ रुपये के विज्ञापन आते हैं, और टीआरपी के आधार पर ही विज्ञापन के रेट तय किए जाते हैं. इसकी मॉनिटरिंग करने के लिए एक संस्था है BARC.

कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया कि मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने फॉल्स टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स) को लेकर फंडाफोड़ किया है. जांच के दौरान पता चला कि फॉल्स टीआरपी के लिए हंसा के कुछ पूर्व कर्मचारी डेटा के साथ कंप्रोमाइज कर रहे थे, और इसे कुछ टीवी चैनलों के साथ शेयर कर रहे थे और फिर इसके बाद जिन घरों से यह डेटा आता था, उन्हें पैसा देकर मैनुपलेट किया जाता था. इस मामले में अब तक 3 चैनलों के बारे में जानकारी मिली है, जिसमें 2 स्थानीय चैनल हैं जबकि तीसरा चैनल रिपब्लिक टीवी है.

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पुलिस कमिश्नर ने बताया कि हंसा नाम की कंपनी के कुछ पूर्व कर्मचारी डेटा में हेरफेर करने में संलिप्त थे. वे कुछ घरों में कुछ चैनलों को रखने के लिए कहते थे भले ही वे घर पर न हों.

पुलिस के अनुसार, जांच में यह भी पाया गया कि कई अशिक्षित घरों को अंग्रेजी टीवी चैनल देखने के लिए कहा गया. पुलिस के अनुसार, आरोपी कुछ परिवारों को इसके लिए रिश्वत देते थे बदले में उन्हें अपने घर पर कुछ चैनल चलाए रखने के लिए कहते थे.

विज्ञापनदाताओं से भी होगी पूछताछ

कमिश्नर परमबीर सिंह ने कहा कि BARC एनेलेटिक्स ने रिपब्लिक टीवी पर संदेह जताया है. इस हेरफेर में रिपब्लिक टीवी के प्रोमोटर्स भी शामिल हो सकते हैं. चैनलों को समन भेजा जाएगा और जांच में शामिल होने को कहा जाएगा. साथ ही इन विज्ञापनदाताओं से पूछा जाएगा कि क्या वे रैकेट का शिकार हुए या वे इसका हिस्सा थे. 

उन्होंने कहा कि टीआरपी के लिए 2 हजार घरों को गोपनीय तरीके से शामिल किया जाता है. इनकी ओर से प्रत्येक घर को इसके लिए 400 से 500 रुपये भी दिए जाते थे. कमिश्नर ने कहा कि हमने इस सूचना को भारत सरकार और प्रसारण एवं सूचना मंत्रालय के साथ भी साझा किया है.

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