
हवा में अचानक पायलट प्लेन पर से अपना कंट्रोल खो बैठता है. विमान अब तेजी से लड़खड़ाता हुआ नीचे की तरफ आ रहा था. नीचे ज़मीन पर चारों तरफ ऊंची-ऊंची रिहाइशी इमारतें थीं. जिनमें हजारों परिवार रह रहे थे. विमान की हालत ऐसी नहीं थी कि उसे उन बस्तियों से बहुत दूर ले जाया जा सके. बस्ती पर प्लेन गिरने का मतलब अनगिनत मौत था. तभी पायलट को उसी बस्ती के बीच करीब पांच सौ स्कवॉयर मीटर का एक खाली प्लॉट दिखता है. जहां निर्माण का काम चल रहा था। उस घनी बस्ती के बीच से पायलट किसी तरह प्लेन को उसी खाली प्लॉट तक लाता है और प्लेन क्रैश कर जाता है.
28 जून, दोपहर 1 बजे, जुहू एयरपोर्ट, मुंबई
एक 12 सीटर VT-UPZ किंग एयर C90 चार्टड प्लेन जुहू एयरपोर्ट से टेस्ट उड़ान के लिए टेकऑफ करता है. मरम्मत के बाद पहली बार टेस्ट उड़ान पर जाने से पहले बाकायदा पूजा की गई और रनवे पर नारियल भी फोड़ा गया. जुहू एयरपोर्ट पर मौजूद लोगों में से एक शख्स ने विमान की इस उड़ान को अपने कैमरे में रिकार्ड भी किया. इसके बाद प्लेन धीरे-धीरे रनवे छोड़ देता है.
करनी थी विमान की जांच
विमान में कुल चार लोग सवार थे. कैप्टन पीएस राजपूत, को-पायलट मारिया जुबेरी, असिस्टेंट मेंटेनेंस इंजीनियर सुरभि और एयर क्राफ्ट टेक्नीशियन मनीष पांडे. टेकऑफ बिल्कुल परफेक्ट था. देखते ही देखते विमान आसमान की ऊंचाइयां नापने लगता है. इस विमान को हवा में कुछ देर रख कर पायलट और टेक्नीशियन को ये चेक करना था कि विमान की तमाम मशीनें ठीक से काम कर रही हैं या नहीं.
करीब बीस मिनट तक हवा में रहने के बाद पायलट को अचानक विमान में गड़बड़ी का अहसास होता है. विमान पर से उसका कंट्रोल जाता रहता है. उस वक्त विमान मुंबई एयरपोर्ट के मेन रनवे नंबर 27 से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर उड़ रहा था.
दोपहर 1:30 बजे, सर्वोदय नगर, घाटकोपर, मुंबई
पायलट जिस तेजी से प्लेन पर से अपना कंट्रोल खोता जा रहा था, उससे उसे लग चुका था कि अब लैंडिग नामुमकिन है. पर नीचे घनी आबादी और ऊंची-ऊंची रिहाइशी बिल्डिग थीं. प्लेन को उनसे बहुत देर ले जाने का भी वक्त नहीं था. और अगर गलती से विमान बस्ती या बिल्डिंग के ऊपर गिर जाता तो ना जाने कितनी ही जानें जा सकती थी. मगर ऐसे वक्त में भी पायलट ने सूझबूझ दिखाई. चूंकि पायलट कैप्टन पीएस राजपूत इससे पहले भी कई बार जुहू एयरपोर्ट से उड़ान भर चुके थे, लिहाज़ा उन्हें नीचे ज़मीन के लोकेशन की अच्छी जानकारी थी और उनकी इसी जानकारी ने बहुत सारे लोगों की जान बचा ली.
पायलट ने बचाई कई लोगों की जान
दरअसल, प्लेन से जब कैप्टन पीएस राजपूत ने अपना कंट्रोल खो दिया, तभी नीचे कंक्रीट के जगलों के बीच उन्हें मुश्किल से पांच सौ मीटर का एक खाली प्लॉट दिखाई दिया. जहां पर काम चल रहा था. इसके अलावा आसपास कोई भी खाली जगह नहीं थी. सब रिहाइशी बस्तियां थीं. लिहाज़ा कैप्टन राजपूत ने प्लेन को घाटकोपर के जागृति नगर इलाके में बन रही इमारत की तरफ मोड़ दिया और आखिर में प्लेन इसी प्लॉट पर क्रैश कर गया.
जोरदार धमाके के साथ जल उठा प्लेन
प्लेन के नीचे गिरते ही एक ज़ोरदार घमाका हुआ और पूरा इलाका आग के उठते शोलों और धुएं के गुबार से कुछ देर के लिए ढक सा गया. कुछ लोगों ने लड़खड़ाते विमान को तेजी से नीचे गिरते वक्त पर देख लिया और मौके से हट गए. मगर नीचे जमीन पर तीन लोगों को भागने का मौका ही नहीं मिला. इनमें से एक की मौके पर ही मौत हो गई. जबकि दो जख्मी हो गए. जबकि विमान में सवार कैप्टन पीएस राजपूत, को-पायलट मारिया जुबेरी, असिस्टेंट मेंटेनेंस इंजनियर सुरभि और एयर क्राफ्ट टेक्नीशियन मनीष पांडे की मौके पर ही मौत हो गई.
डीजीसीए की टीम को मिला ब्लैक बॉक्स
हादसे की ख़बर मिलते ही पुलिस, फायर ब्रिगेड और डिजास्टर मैनेजमेंट की टीमें भी मौके पर पहुंच गई. फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां ने फौरन आग बुझाने का काम शुरु कर दिया गया लेकिन तब तक विमान जलकर खाक हो चुका था. ये हादसा कैसे हुआ. फिलहाल इसका पता नहीं लग सका है. मगर मौके से डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) की टीम ने ब्लैक बॉक्स को अपने कब्ज़े में ले लिया है. और हादसे की जांच शुरू कर दी है. विमान हादसे में मारे गए लोगों के शवों को घाटकोपर के राजावाड़ी हॉस्पिटल ले जाया गया.
बंद किया गया एयरपोर्ट का मेन रनवे
चूंकि हादसे की जगह से मुंबई एयरपोर्ट की दूरी बेहद कम थी. लिहाज़ा मेन रनवे 09/27 को कुछ घंटों के लिए बंद कर दिया गया था. और वहां के ऑपरेशन्स सेकंडरी रनवे को ट्रांसफर कर दिए गए. दरअसल, क्रैश की जगह मेन रनवे तक पहुंचने के रास्ते में आता है और वहां से निकल रहे धुएं की वजह से हवाई यातायात में रुकावट आ रही थी. लिहाजा इस लिए ये फैसला लिया गया.