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Dancing on the Grave: पत्नी को ताबूत में जिंदा दफन करने वाला मांग रहा रिहाई, राजीव गांधी के हत्यारों की दे रहा दुहाई

बात काफी साल पुरानी है. शाकिरा खलीली नाम की वो लड़की बेहद खूबसूरत और स्टाइलिश थी. वो मैसूर राजघराने के दीवान की बेटी और सर मिर्जा इस्मायल की पोती थी. लिहाजा, उसका अंदाज भी राजसी था.

मुरली मनोहर मिश्रा ने अरबों की दौलत के लिए शाकिरा को अपने जाल में फंसाया था मुरली मनोहर मिश्रा ने अरबों की दौलत के लिए शाकिरा को अपने जाल में फंसाया था
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 25 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 6:54 PM IST

Dancing on the Grave: राजीव गांधी मर्डर केस की दोषी नलिनी श्रीहरन की रिहाई के बाद कातिल बाबा श्रद्धानंद ने देश की सबसे बड़ी अदालत से रिहाई की गुहार लगाई है. 80 साल का श्रद्धानंद अपनी पत्नी शाकिरा खलीली की हत्या के आरोप में 1994 से उम्रकैद की सजा काट रहा है. उसने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अपनी याचिका में कहा कि जिस तरह राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा किया गया है, उसे भी 29 साल कैद में रहने के बाद अब जेल से रिहा किया जाए. आखिर क्या है शाकिरा के कत्ल का किस्सा और श्रद्धानंद ने कैसे रची थी ये खौफनाक साजिश, आइए जान लेते हैं पूरी कहानी.

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कौन थी शाकिरा खलीली?
बात काफी साल पुरानी है. शाकिरा खलीली नाम की वो लड़की बेहद खूबसूरत और स्टाइलिश थी. वो मैसूर राजघराने के दीवान की बेटी और सर मिर्जा इस्मायल की पोती थी. लिहाजा, उसका अंदाज भी राजसी था. कमसिन उम्र में ही उसका रिश्ता तय हो गया था और कुछ साल बाद उसकी शादी एक आईएफएस अफसर अकबर मिर्जा खलीली के साथ हो गई थी. अकबर ऑस्ट्रेलिया में भारत के हाई कमिश्नर रह चुके थे. और एक दमदार शख्सियत के मालिक थे. वक्त जैसे पंख लगा कर उड़ रहा था. उनकी शादी को 25 साल का अरसा बीत गया. दोनों की 4 बेटियां थीं. उनकी जिंदगी खुशहाल तरीके से बीत रही थी. 

मुरली पर फिदा हो गई थी शाकिरा
शादी के 25 साल बाद शाकिरा की जिंदगी में उस वक्त अचानक एक नया मोड आ गया, जब उसकी मुलाकात एक पार्टी में मुरली मनोहर मिश्रा नाम के शख्स से हुई. दरअसल, मिश्रा भी राज परिवार के घर में काम करता था. उसे संपत्ति और कर के बारे में अच्छी जानकारी थी. ना जाने उसने शाकिरा पर क्या जादू सा कर दिया था कि वो उस पर फिदा हो गई थी. 

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एक दूसरे के बेहद करीब आ गए थे शाकिरा-श्रद्धानंद
शाकिरा को हमेशा इस बात का मलाल रहता था कि उसका कोई बेटा नहीं है. उसे चार बेटियां होने के बावजूद एक बेटे की कमी खलने लगी थी. यही वो दौर था, जब मुरली मनोहर मिश्रा ने अध्यात्म का रास्ता अपना लिया था और वो अब स्वामी श्रद्धानंद बन चुका था. ये उसकी नई पहचान थी. शाकिरा भी बेटे की चाहत में उसके पास जा पहुंची. वो अक्सर स्वामी श्रद्धानंद से मिलने जाती थी. वो श्रद्धानंद को पसंद करने लगी थी. मामला केवल एक तरफा नहीं था. मुरली मनोहर उर्फ श्रद्धानंद भी शाकिरा पर मरने लगा था. दोनों के बीच इश्क परवान चढ़ रहा था.  

पति को तलाक देकर श्रद्धानंद से की थी शादी
शाकिरा के सिर पर स्वामी श्रद्धानंद के इश्क का खुमार चढ़ कर बोलने लगा था. इसी प्यार में पड़कर शाकिरा खलील ने एक दिन अपने पति अकबर मिर्जा को तलाक देने के फैसला कर लिया. उसने अकबर को तलाक दिया और और साल 1986 में स्वामी श्रद्धानंद के साथ शादी कर ली. यही नहीं शादी के बाद शाकिरा और श्रद्धानंद यानी मुरली मनोहर बेंगलुरु में जाकर रहने लगे थे. 

तीन बेटियों ने छोड़ दिया था साथ
शाकिरा और स्वामी श्रद्धानंद की शादी से उसकी बेटियां खुश नहीं थीं. उन्हें ये रिश्ता बिल्कुल पसंद नहीं आया और तीन बेटियों ने अपने पिता के साथ रहने का फैसला किया. जबकि एक बेटी सबा ने अपनी मां के साथ रहने का फैसला किया. सबा को मॉडलिंग करने का शौक था. लिहाजा वो मुंबई जाकर अपना शौक पूरा करना चाहती थी. उसकी मां ने उसे मुंबई भेज दिया. वो कभी-कभी अपनी मां से मिलने के लिए बेंगलुरु आ जाया करती थी.

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अचानक गायब हो गई थी शाकिरा
स्वामी श्रद्धानंद और शाकिरा का रिश्ता ठीक चल रहा था. उनकी शादी को करीब पांच साल का वक्त बीत चुका था. लेकिन अचानक एक दिन शाकिरा कहीं लापता हो गई. उसकी बेटी सबा उसे मुंबई से लगातार फोन कर रही थी. उसने स्वामी श्रद्धानंद को भी फोन किया और उससे अपनी मां के बारे में पूछा. लेकिन श्रद्धानंद उससे बहाने बनाने लगा. वो उसे ठीक से कुछ बता नहीं रहा था. इस बात से सबा परेशान थी.

श्रद्धानंद ने बताई थी अमेरिका जाने की बात
शाकिरा से बात ना होने की वजह से सबा बेहद परेशान थी. उसे मां की चिंता होने लगी थी. जब उसे कुछ पता नहीं चला तो वो सीधे मुंबई से बेंगलुरु अपनी मां के घर आ गई. जहां उसे पता चला कि उसकी मां कहीं गायब हो चुकी है. वो इस बात से काफी दुखी थी. सबा और श्रद्धानंद पूरे नौ महीने तक उसे तलाश करते रहे. इसी दौरान एक दिन स्वामी श्रद्धानंद ने सबा को बताया कि उसकी मां का पता चल गया है. वो प्रेग्नेंट है और अमेरिका के रूजवेल्ट हॉस्पिटल जांच के लिए गई है. यह जानकर सबा ने फौरन रूजवेल्ट हॉस्पिटल में संपर्क किया, लेकिन वहां शाकिरा नाम की कोई पेशंट नहीं थी.

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सबा ने दर्ज कराई थी मां की गुमशुदगी
स्वामी श्रद्धानंद की झूठी कहानी ने सबा के दिमाग में शक का बीज बो दिया था. सबा यह जान चुकी थी कि स्वामी श्रद्धानंद उसकी मां के बारे में झूठ बोल रहा है और वो उससे कुछ छिपा रहा है. उसे इस बात की भी हैरानी थी कि इतने महीने बीत जाने के बाद भी श्रद्धानंद ने शाकिरा के गुम हो जाने की शिकायत पुलिस से क्यों नहीं की? लिहाजा सबा ने ने पुलिस के पास जाकर सारी कहानी बयां की और अपनी मां की गुमशुदगी दर्ज कराई.

स्वामी श्रद्धानंद से पूछताछ
पुलिस मामला दर्ज कर चुकी थी. अब पुलिस ने मामले की छानबीन का आगाज़ किया. शक के आधार पर शाकिरा के करीबी लोगों की एक लिस्ट पूछताछ के लिए तैयार की गई, जिसमें सबसे पहला नाम था उसके पति स्वामी श्रद्धानंद का. क्योंकि पुलिस को पहला शक स्वामी पर ही था. पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए तलब किया और उससे सवाल जवाब किए गए. लेकिन पुलिस की परेशानी यह थी कि स्वामी श्रद्धानंद का रसूख आड़े आ रहा था. पुलिस उसके साथ सख्त लहजे में पेश नहीं आ रही थी.

शराबी ने किया अहम खुलासा
पुलिस काफी छानबीन कर चुकी थी. लेकिन पुलिस के हाथ फिर भी खाली थे. शाकिरा का कोई सुराग पुलिस के हाथ नहीं आ रहा था. बात केस बंद करने तक जा पहुंची थी. पुलिस काफी निराश और लाचार थी. मगर एक रात बेंगलुरु क्राइम ब्रांच का एक सिपाही किसी के साथ एक शराब के ठेके पर बैठा हुआ था. उसी दौरान उसने नशे में धुत एक शख्स को कहते हुए सुना कि पुलिस जिस शाकिरा को तलाश कर रही है, वो अब इस दुनिया में ही नहीं है. 

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श्रद्धानंद के नौकर ने खोला था कत्ल का राज 
सिपाही ने फौरन उस शराबी को दबोच लिया और उसे थाने ले जाकर उससे पूछताछ की तो पता चला कि वो शख्स स्वामी श्रद्धानंद का नौकर था. थाने पहुंचने के कुछ देर बाद उसका नशा काफूर हो चुका था. उसने पुलिस को बताया कि शाकिरा अब जिंदा नहीं है. क्योंकि स्वामी श्रद्धानंद ने उसे जिंदा ही एक ताबूत में बंद करके जमीन में दफना दिया था. यह बात सुनकर पुलिस भी हैरान रह गई.

1994 में अदालत ने ठहराया था दोषी
पुलिस ने छानबीन को आगे बढ़ाया तो पचा चला कि श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा ने अपनी पत्नी शाकिरा को 28 अप्रैल 1991 के दिन पहले नशीला पदार्थ देकर बेहोश कर दिया था और फिर उसे एक ताबूत में डालकर अपने बंगले में ही गड्ढा खोद कर जिंदा दफना दिया था. इसके बाद पुलिस ने स्वामी श्रद्धानंद को गिरफ्तार कर लिया. बाद में अदालत ने उसे अपनी पत्नी शाकिरा के कत्ल का दोषी करार दे दिया था. तभी से वो जेल में बंद है और उम्रकैद की सजा काट रहा है.

संपत्ति और दौलत के लिए किया था शाकिरा का कत्ल
पूछताछ के दौरान श्रद्धानंद के नौकर ने बताया था कि स्वामी ने शाकिरा से उसकी संपत्ति और दौलत के लिए शादी की थी. लेकिन शाकिरा वो सारी संपत्ति अपी बेटियों में बराबर बांटना चाहती थी. इसलिए श्रद्धानंद ने शाकिरा को मारने की साजिश रची थी और 28 अप्रैल 1991 को उसने इस साजिश का अंजाम दे डाला. उसने जहां ताबूत में शाकिरा को जिंदा दफनाया था, वहां पर टाइल्स लगवा दिए थे, ताकि किसी को शक ना हो. इसके बाद वो तीन साल तक उसी जगह पर पार्टी करता रहा. लोग वहीं शाकिरा की कब्र पर नाचा करते थे. यही वजह है कि ये मर्डर मिस्ट्री पूरे देश में 'डान्सिंग ऑन ग्रेव' के नाम से जानी जाती है. 

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'डांसिंग ऑन द ग्रेव' वेब सीरीज रिलीज
इंडिया टुडे ओरिजनल्स ने इसी घटना पर आधारित अपनी दूसरी वेब सीरीज 'डांसिंग ऑन द ग्रेव' 21 अप्रैल को रिलीज़ की है. जो अब सुर्खियां बटोर रही है. 4 पार्ट में बनी इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज में शाकिरा खलीली के अचानक गायब होने और हत्या की कहानी दिखाई गई है. जिसे पैट्रिक ग्राहम ने लिखा और डायरेक्ट भी किया है. ये अनस्क्रिप्टेड अमेजन ओरिजनल सीरीज भारत और करीब 250 देशों में वर्ल्डवाइड रिलीज की गई है. इस वेब सीरीज में आप उन लोगों के बयान देखे सकते हैं, जो इस केस से जुड़े रहे या फिर इसमें शामिल थे. इसमें दोषी स्वामी श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा को भी दिखाया गया है.

सुप्रीम कोर्ट से लगाई रिहाई की गुहार
29 साल से जेल में बंद स्वामी श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर ने राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और इस दौरान उसने एक भी दिन की पैरोल नहीं ली. उसके वकील वरुण ठाकुर ने याचिका दाखिल करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल श्रद्धानंद की उम्र 80 साल से ज्यादा है और वह मार्च 1994 से जेल में बंद है. ऐसे मामलों के दोषी अपनी सजा के दौरान पैरोल और अन्य सुविधाओं का लाभ लेते रहे हैं जबकि स्वामी श्रद्धानंद इससे महरूम रखा गया. लिहाजा उनके मुवक्किल को भी अब रिहा किया जाए.

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