
पहले 22 जनवरी थी. अब एक फरवरी है. दिल्ली की एक अदालत ने दो हफ्ते के अंदर निर्भया के चारों गुनहगारों की मौत की तारीख दो बार बदल दी. लेकिन जिस तरह से चारों गुनहगार पूरी होशियारी से अपनी-अपनी लाइफ-लाइन का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसे देखते हुए अगर फांसी की तारीख आगे भी दो और बार बदल जाए तो हैरान होने की जरूरत नहीं है. बहुत मुमकिन है कि फांसी की तारीख फरवरी के आखिर या फिर मार्च तक टल जाए. क्योंकि अभी भी मौत से बचने के लिए चारों के पास नौ लाइफ लाइन हैं.
दोषियों से दूर है मौत
निर्भया के गुनहगारों की सजा का ऐलान हो चुका है. पर सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या एक फ़रवरी को फांसी हो पाएगी? और क्या फांसी सुबह छह बजे ही होगी? तो जवाब है नहीं. अब तक हम सब तारीख पे तारीख के ही डायलॉग सुनते रहे हैं. पर अब मौत की भी तारीखें बदलने का रिवाज शुरू हो चुका है. अब मौत पे भी तारीख पे तारीख आया करेंगी. और हम सब सुना करेंगे. तो आइए आज आपको फांसी की इन तरीखों के चक्कर को समझाते हुए बताते हैं कि निर्भया के चारों गुनहगार यानी मुकेश, अक्ष्य, पवन और विनय को फांसी कब होगी? इन चारों की मौत के रास्ते में अभी-अभी कौन सी रुकावटें हैं? अभी और कितने दिन तक फांसी का फंदा इन चारों के गले से दूर रहेगा?
दोषी मुकेश के पास बाकी है केवल 1 लाइफ लाइन
इन चारें के पास अभी भी कुल मिला कर नौ लाइफ लाइन बची हुई हैं. इनमें से किसके हिस्से कितनी लाइफ लाइन बची हैं आइए सिलसिलेवार जानते हैं. सबसे कम सिर्फ एक लाइफ लाइन मुकेश के पास बची हैं. मुकेश की पुनर्विचार याचिका, क्यूरेटिव पेटिशन और आखिर में दया याचिका तीनों खारिज हो चुकी हैं. मुकेश के पास जो इकलौती लाइफ लाइन बची है वो है राष्ट्रपति भवन से खारिज दया याचिका को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की. एक बार वो खारिज तो मुकेश का हिसाब-किताब फाइनल.
दोषी विनय के पास है 2 लाइफ लाइन
मुकेश के बाद दो लाइफ लाइन विनय के पास है. विनय की क्यूरेटिव पेटिशन खारिज हो चुकी है. पर दया याचिका पर फैसला अभी बाकी है. दया याचिका खारिज होने की सूरत में उस फैसले को ऊपरी अदालत में चैलेंज करने का राइट अभी उसके पास बचा है.
दोषी पवन के पास बाकी हैं 3 लाइफ लाइन
बीस जनवरी यानी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने वारदात के वक्त खुद को नाबालिग बताया था. निचली अदालत और हाई कोर्ट पहले ही उसे नाबालिग मानने से इंकार कर चुकी थी. ऐसी सूरत में भी पवन के पास अब भी तीन लाइफ लाइन बची हैं. एक क्यूरेटिव पेटिशन, दूसरी दया याचिका और तीसरी खारिज होने की सूरत में दया याचिका को अदालत में चुनौती देने का रास्ता.
दोषी अक्षय के पास भी बची हैं 3 लाइफ लाइन
तीन ही लाइफ लाइन अक्षय के पास भी है. क्यूरेटिव पेटिशन, दया याचिका और दया याचिका खारिज होने पर उसे अदालत में चुनौती देने का रास्ता. यानी अभी तक की कहानी ये है कि मुकेश क्यूरेटिव से लेकर दया याचिका तक सभी लाइफ लाइ इस्तेमाल कर चुका है. विनय की दया याचिका अभी बची हुई है. जबकि अक्षय और पवन दोनों के पास क्यूरेटिव पेटिशन और दया याचिका दोनों बची हुई हैं.
सजा को टाल रहे हैं वकील
अब जरा इन चारों के लाइफ लाइन इस्तेमाल करने के ट्रेंड पर नज़र डालिए. इन चारों के वकील को बहुत अच्छे से पता है कि मौत की तारीख कैसे आगे सरकाई जा सकती है. और उसी हिसाब से इनके वकील लाइफ लाइन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
नियमानुसार सभी को एक साथ होगी फांसी
दरअसल जेल मैनुअल कहता है कि अगर किसी एक जुर्म में एक से ज्यादा गुनहगार शामिल हैं और उस जुर्म के लिए सभी को फांसी की सजा हुई है तो फांसी एक साथ ही दी जाएगी. अलग-अलग नहीं. और बस जेल मैनुअल के इसी नियम का चारों भरपूर फायदा उठा रहे हैं. क्योंकि उन्हें पता है कि चारों में से किसी एक के पास भी लाइफ लाइन बची है तो उनकी सांसें बची रहेंगी.
सभी दोषी बारी-बारी से इस्तेमाल कर रहे हैं लाइफ लाइन
यही वजह है कि चारों बारी-बारी से एक-एक लाइफ लाइन का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक की एक लाइफ लाइ जब खत्म हो जाती है तब दूसरा अपनी लाइन इस्तेमाल करता है. दूसरे के खत्म होने पर तीसरा और फिर चौथा करता है. जैसे क्यूरेटिव पेटिशन लेकर सबसे पहले अकेला मुकेश सुप्रीम कोर्ट जाता है. याचिका खारिज के बाद तब विनय जाता है. अब विनय की बी याचिका खारज हो गई तो अक्षय और पवन जाएंगे. पर बारी बारी से. इसी तरह दया याचिका के लिए भी सब अलग-अलग जा रहे. एक साथ नहीं. क्योंकि उनहें मालूम है कि एक साथ खारिज होते ही जिंदगी की मोहलत कम जाएगी.
याचिका खारिज होने के बाद भी मिलेंगे 14-14 दिन
सुप्रीम कोर्ट की 2014 की एक रूलिंग कहती है कि सारी याचिकाएं खारिज होने के बाद जब डेथ वॉरंट जारी हो जाए तब मरने वाले को 14 दिन का वक्त दिया जाना चाहिए फांसी पर चढ़ाने के लिए. अब इस हिसाब से देखें और चारों के लाइफ लाइन इस्तेमाल करने के पैटर्न पर नजर डालें तो तीन दोषियों की दया याचिका अब भी बाकी है. अब अगर हरेक अलग-अलग राष्ट्रपति के पास दया याचिका के लिए जाता है तो याचिका खारिज होने के बावजूद हरेक को 14 दिन की मोहलत मिलेगी मरने के लिए. यानी अकेले दया याचिका ही इन्हें अगले 42 दिनों तक ज़िंदा रह सकती है. दया याचिका को चुनौती देने पर उसमें भी दो-चार जोड़ लीजिए. दो-चार दिन क्यूरेटिव पेटिशन के भी रख लीजिए. तो कायदे से इस हिसाब से अगले पचास दिनों की सांसें तो इन्होंने ऐसे ही खरीद लीं.
फिर जारी होगा नया डेथ वॉरंट
तो फिर एक फरवरी की उस तारीख का क्या होगा जो फांसी के लिए मुकर्र है? तो जवाब है कि मान कर चलिए एक फरवरी या उससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट फरवरी के तीसरे हफ्ते की कोई नई तारीख देगा फांसी के लिए. यानी तब तीसरी बार डेथ वॉरंट जारी होगा. उसके बाद फरवरी के आखिर या फिर मार्च में एक और नई तारीख के साथ चौथी बार डेथ वॉरंट जारी होगा. बहुत मुमकिन है वो चौथा डेथ वॉरंट ही आखिरी साबित हो.
8 बजे होगी फांसी
एक बात और अगर फरवरी में फांसी हुई तो सुबह छह बजे नहीं बल्कि फांसी सुबह आठ बजे ही दी जा सकती है. दिल्ली जेल मैनुअल 1988 में बाकायदा फांसी देने का वक्त भी लिखा हुआ है. जेल मैनुअल के मुताबिक नवंबर से फरवरी के बीच फांसी सुबह आठ बजे होगी. जुलाई से अक्तूबर के बीच सुबह सात बजे और मार्च से जून के बीच सुबह छह बजे ही फांसी हो सकती है.