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कोठी, कत्ल और करोड़ों की डील... महिला वकील के कत्ल ने याद दिलाया आरुषि हत्याकांड, ये है वजह

आरुषि के फ़्लैट से सिर्फ ढाई किलोमीटर दूर नोएडा के सेक्टर-30 में मौजूद है कोठी नंबर डी-40. 15 साल बाद इस कोठी में बिल्कुल आरुषि जैसी कहानी दोहराई जाती है. फर्क सिर्फ इतना है कि आरुषि का कातिल आज भी छलावा बना हुआ है. जबकि इस कोठी में हुए कत्ल का कातिल गिरफ्त में तो आ चुका है.

पुलिस ने आरोपी नितिन नाथ को मौका-ए-वारदात से ही कई घंटे बाद गिरफ्तार किया पुलिस ने आरोपी नितिन नाथ को मौका-ए-वारदात से ही कई घंटे बाद गिरफ्तार किया
हिमांशु मिश्रा/चिराग गोठी/भूपेन्द्र चौधरी
  • नोएडा,
  • 13 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:41 PM IST

Renu Sinha Murder Case: नोएडा में 15 साल पहले आरुषि का कत्ल का हुआ था. उसे उसके घर में बेरहमी के साथ कत्ल किया गया था. लेकिन पुलिस मौका-ए-वारदात यानी घर की तलाशी किए बगैर ही मामले के संदिग्ध हेमराज को तलाश करने के लिए नेपाल निकल गई थी. जबकि हेमराज की लाश उसी छत पर पड़ी थी. 15 साल बीत जाने के बाद भी पुलिस ने आरुषि मर्डर केस से कोई सबक नहीं लिया. इस बार नोएडी की एक कोठी में महिला वकील का कत्ल हुआ. पुलिस कातिल को बाहर तलाशती रही जबकि कातिल उसी कोठी में मौजूद था.

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16 मई 2008
आरुषि मर्डर केस को शायद ही कभी देश भूल पाएगा. वो नोएडा में सेक्टर 25 के जलवायु विहार के फ्लैट नंबर एल-32 का मंजर था. वहां 15-16 मई की रात को आरुषि का कत्ल किया गया था. घरवालों ने कत्ल का शक घर के नौकर हेमराज पर जताया था. नोएडा पुलिस की एक टीम हेमराज को पकड़ने के लिए नेपाल रवाना हो गई थी. हैरानी की बात ये थी कि दो दिनों तक नोएडा पुलिस की टीम आरुषि के घर में चहलकदमी करती रही लेकिन इतनी भी ज़हमत नहीं उठाई कि घर की छत को ही एक बार टटोल लें. क्योंकि जिस हेमराज को ढूंढने नोएडा पुलिस की टीम नेपाल गई थी, उस हेमराज की लाश आरुषि के उसी घर की छत पर पड़ी थी.

15 साल बाद... 
आरुषि के फ़्लैट से सिर्फ ढाई किलोमीटर दूर नोएडा के सेक्टर 30 में मौजूद है कोठी नंबर डी-40. 15 साल बाद इस कोठी में बिल्कुल आरुषि जैसी कहानी दोहराई जाती है. फर्क सिर्फ इतना है कि आरुषि का कातिल आज भी छलावा बना हुआ है. जबकि इस कोठी में हुए कत्ल का कातिल गिरफ्त में तो आ चुका है मगर उसकी गिरफ्तारी से पहले नोएडा पुलिस ने जो हरकत की उसने पंद्रह साल पुराने आरुषि मर्डर केस में नोएडा पुलिस की बचकानी हरकत की याद दिला दी. आरुषि केस में नोएडा पुलिस छत पर जाने के लिए दो दिन तक इंतजार करती रही. 

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12 घंटे की तलाश
इस केस में वही नोएडा पुलिस पहले तो एक कोठी का दरवाजा खोलने या तोड़ने में पूरा दिन निकाल देती है. फिर जब कोठी का दरवाजा खुल जाता है तो उसके बाद भी 3200 स्कवायर फीट में बनी उस दो मंज़िला कोठी में छुपे कातिल को तलाशने में उसे 12 घंटे लग जाते हैं. कमाल की बात ये कि आरुषि केस की तरह ही इस बार भी कोठी में छुपे कातिल को ढूंढने नोएडा पुलिस की एक टीम फिर से नेपाल यात्रा पर निकलने की तैयारी करने लगी थी. 15 साल पहले आरुषि और हेमराज का कत्ल हुआ था. अब 15 साल बाद कत्ल की ये कहानी एक महिला वकील रेनू सिन्हा की है.

ठीक नहीं थे रेनू और नितिन के रिश्ते
रेनू अपने पतिे नितिन नाथ सिन्हा के साथ कोठी नंबर डी-40 में रहा करती थीं. नितिन नाथ इंडिय़न इनफार्मेशन सर्विस यानी आईआईएस के 1986 बैच के अफसर थे. लेकिन सर्फ 12 साल की नौकरी के बाद ही 1998 में उसने वीआरएस ले लिया और एक अमेरिकी फर्म के साथ जुड़ गया. नितिन के पास ब्रिटिश पासपोर्ट है. इन दोनों का बेटा है, जो अमेरिका में नौकरी करता है. वो साल में एकाध बार ही घर आता है. यानी नोएडा की उस कोठी में दोनों पति-पत्नी अकेले रहा करते थे. हालांकि पिछले काफी वक्त से पति-पत्नी के बीच रिश्ते ठीक नहीं थे. लिहाज़ा एक छत के नीचे रहते हुए भी दोनों अलग-अलग रहा करते थे.

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रेनू के भाई अजय को हुआ था शक
रेनू सीनियर जर्नालिस्ट अजय कुमार की बहन हैं. अजय के मुताबिक हर रविवार को रेनू नोएडा में ही उनके घर लंच पर आया करती थीं. आने से पहले वो फोन किया करती थीं. लेकिन बीते रविवार को ना उन्होंने फोन किया और ना ही अजय के घर आईं. अजय ने रेनू को कई बार फोन किया. घंटी बजती रही पर उधर से कोई जवाब नहीं मिला. तब अजय ने नितिन नाथ को फोन किया. तब पहली बार नितिन ने बताया कि रेनू शनिवार सुबह से ही घर से बाहर निकली हुई हैं. कहां गई हैं उन्हें नहीं पता. नितिन ने बताया कि वो खुद इस वक्त घर से बाहर एयरपोर्ट की तरफ है और एक-दो घंटे में लौटेगा. मगर कई घंटे बाद भी जब वो नहीं लौटा तो अजय को शक हुआ. उन्होंने दिल्ली में अपने जानकार पुलिसवालों से रेनू के मोबाइल का लास्ट लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश की. तब पता चला कि रेनू का लोकेशन उसी डी-40 कोठी के पास ही दिखा रहा है.

दरवाजा तोड़ने को तैयार नहीं थी पुलिस
परेशान अजय ने इसके बाद नोएडा सेक्टर 20 थाने में शिकायत दर्ज कराई. मगर पूरा दिन बीत गया नोएडा पुलिस ने कुछ नहीं किया. बाद में ऊपर से फोन जाने पर शाम को नोएडा पुलिस हरकत में आई. इसके बाद सेक्टर 20 थाने के एसएचओ, एसीपी, डीसीपी सभी डी-40 कोठी पर पहुंचे. कोठी पर ताला लगा था. मगर कोठी का एसी ऑन था. अजय कहते रहे कि कुछ गड़बड़ है, मगर पुलिस ताला तोड़ कर अंदर जाने को तैयार ही नहीं थी. आखिर में बड़ी मुश्किल से पुलिस तैयार हुई लेकिन फिर बहाना बनाने लगे कि उनके पास ताला तोड़ने का कोई औजार नहीं है. औजार भी उन्होंने रेनू के घर वालों से लाने को कहा. खैर किसी तरह घरवाले औजार लाए तब दरवाजे का ताला टूटा.

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15 मिनट में काम निपटाकर निकल गई थी पुलिस
कोठी के अंदर सब कुछ अपनी जगह करीने से था. मगर जब पुलिस की टीम बाथरूम में पहुंची तो पाया कि अंदर रेनू की खून से लथपथ लाश पड़ी है. अब फौरन पुलिस ने फॉरेंसिक टीम और डॉग स्कवायड को बुलाया. मगर कमाल देखिए कि दोनों ही सिर्फ पंद्रह मिनट में आपना काम समेट कर वहां से निकल जाते हैं. आरुषि की तरह ही रेनू की लाश कब्जे में लेकर पुलिस उसे अस्पताल भेजती है और पूरी टीम कोठी से निकल जाती है. कोठी का दरवाजा एक बार फिर से बंद हो जाता है. तब शाम के करीब सात बजे थे.

पुलिस टीम को नेपाल भेजने की तैयारी
लाश मिलते ही अजय और बाकी घर वाले इस कत्ल के लिए सीधे रेनू के पति नितिन को जिम्मेदार ठहराते हैं. अब पुलिस नितिन की तलाश शुरू करती है. जब पता चलता है कि नितिन के पास ब्रिटिश पासपोर्ट है तो पुलिस को शक होता है कि वो नेपाल के रास्ते विदेश भाग सकता है. लिहाजा, नोएडा पुलिस की एक टीम को नेपाल भेजने का फैसला लिया जाता है.

मोबाइल लोकेशन ने खोला राज
अगले दिन देर शाम पहली बार पुलिस हरकत में आती है. नितिन के फोन की लोकेशन ट्रेस करने के साथ-साथ कोठी के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली जाती है. तब एक अजीब बात पता चलती है. कैमरा बता रहा था कि नितिन शनिवार को कोठी में दाखिल तो हुआ है, लेकिन इसके बाद से वो कोठी से बाहर नहीं निकला. नितिन के फोन का लोकेशन भी यही बता रहा था कि वो कोठी के आसपास ही है. इसी के बाद रात बारह बजे नोएडा पुलिस रेनू के परिवार के साथ एक बार फिर उसी कोठी में पहुंचती है.

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3 घंटे की तलाशी के बाद मिला आरोपी नितिन
दो मंजिला कोठी में अब फिर से तलाशी शुरू होती है. करीब तीन घंटे तक पुलिस कोठी को छानती है. इसी दौरान कोठी के अंदर एक स्टोर का पता चलता है. स्टोर अंदर से लॉक था. पुलिस की टीम जब स्टोर के दरवाजे के लात मार कर तोड़ती है, तो छोटे से उस स्टोर के अंदर एक शख्स दुबका सा बैठा हुआ नजर आता है. उसके पास फोन, चार्जर और कॉफी का मग था. वो शख्स कोई और नहीं बल्कि नितिन नाथ था. यानी रेनू का पति. जब नितिन पुलिस के शिकंजे में आया तब देर रात के तीन बजे थे. यानी रेनू का कातिल लगातार कोठी के अंदर ही था. कत्ल से पहले भी और कत्ल के बाद भी. मगर नोएडा पुलिस उसे बाहर ढूंढ रही थी.

कोठी बनी कत्ल की वजह
अगर नोएडा पुलिस ने आरुषि केस की तरह गलती ना की होती तो शाम को रेनू की लाश के साथ ही कातिल भी हाथ आ जाता. लेकिन क्या मजाल जो नोएडा पुलिस अपनी गलती मान ले. अलबत्ता पूछताछ में नितिन ने ये जरूर कुबूल किया है कि अपनी पत्नी रेनू को उसी ने मारा है. बकौल पुलिस कत्ल की वजह यही कोठी बनी. नितिन कोठी बेचना चाहता था. जबकि रेनू ऐसा नहीं चाहती थी. नितिन ने बिना रेनू को बताए इस कोठी का सौदा भी कर दिया था. सौदा करीब तीन करोड़ में हुआ था. पैसे अगले दस दिनों में मिलने थे. इसी सौदे की भनक रेनू को लग गई थी, जिसके बाद दोनों में झगड़ा हुआ और नितिन ने रेनू का कत्ल कर दिया. 

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पैसा मिलते ही विदेश भाग जाना चाहता था नितिन
कत्ल के बाद नितिन ने धीरे-धीरे सबूत मिटाने का काम भी शुरू कर दिया था. उसने खून के छीटों को भी साफ कर दिया था. दरअसल नितिन का इरादा रविवार की रात को ही रेनू की लाश को ठिकाने लगाने का था. एक बार लाश गायब कर देने के बाद वो रेनू की गुमशुदगी का नाटक कर किसी तरह से दस दिन निकालना चाहता था. दस दिन बाद जैसे ही कोठी के पैसे उसके पास आ जाते वो ब्रिटिश पासपोर्ट के साथ ब्रिटेन भाग जाता. अब पुलिस फिलहाल ये पता लगा रही है कि नितिन ने रेनू की लाश को ठिकाने लगाने का कौन सा रास्ता चुना था?

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