
जिन्हें दुनिया एक दूसरे का सबसे बड़ा दुश्मन समझ रही थी वो मिलने के लिए सीक्रेट प्लान तैयार कर रहे हैं... जी हां, खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इस मुलाकात की तैयारी के लिए अपने विशेष दूत को उत्तर कोरिया की धरती पर भेजा. ताकि ये तय हो सके कि मौजूदा वक़्त की सबसे बड़ी राजनीतिक घटना कब और कहां होगी. कब मिलेंगे ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशा किम जोंग उन. और ये अपने-आप में एक विडंबना ही है कि जो दो महीने पहले तक अपनी अपनी टेबल पर रखे हुए परमाणु बमों के बटन दबाने की धमकी दे रहे थे. अब वही टेबल टॉक की तैयारी कर रहे हैं.
किम से मिलकर लौटा ट्रंप का 'दूत'
साल की सबसे बड़ी राजनीतिक घटना का खाका खिंच गया है. और ये सबसे बड़ी राजनीतिक घटना है किम और ट्रंप की मुलाकात . लिहाज़ा इस मुलाकात के लिए ट्रंप ने अपने सबसे खास आदमी को किम जोंग उन से मिलने के लिए उत्तर कोरिया भेजा था. ट्रंप का ये सबसे खास आदमी है सीआईए के निदेशक माइक पोंपियो. ख़बर है कि अपने इस गुप्त दौरे पर ट्रंप और किम की मुलाकात का रोड मैप तय कर के माइक पोंपियो अमेरिका वापस लौट चुके हैं. रिपोर्ट के मुताबिक माइक पोंपियो की किम जोंग उन से मुलाकात हुई है. इस मुलाकात में ट्रंप से उसकी मीटिंग को लेकर कई पहलुओं पर बात हुई.
अमेरिका की उत्तर कोरिया से सीधी बात
भले ही खुद अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से बात न की हो. मगर उन्होंने अपने बयान में ये इशारा ज़रूर दे दिया कि किम से बेहद उच्च स्तर पर मुलाकात हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा कि अमरीका की उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से सीधी बात हुई है. ताकि दोनों देशों के नेताओं के बीच मुलाकात को ऐतिहासिक बनाया जा सके. उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से मुलाकात के लिए पांच जगहों पर विचार किया जा रहा है. ये मुलाकात जून या उससे थोड़ा पहले भी हो सकती है.
कहां होगी किम और ट्रंप की मुलाकात?
सबसे ताज़ा खबर ये है कि मौजूदा वक़्त में दुनिया की इस बड़ी राजनीतिक घटना के लिए सबसे सटीक जगह स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम हो सकती है. तटस्थ होने के साथ साथ स्वीडन से दोनों देशों के रिश्ते ठीक हैं. और अमरीका-उत्तर कोरिया के बीच मध्यस्थता का स्वीडन का एक लंबा इतिहास रहा है. लिहाज़ा दोनों नेता स्वीडन पर यकीन कर सकते हैं. शायद इन्हीं संभावनाओं को तलाशने के लिए किम जोंग उन ने अपने विदेश मंत्री री योंग को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम भेजा. जहां इस संभावित मुलाक़ात से पहले उत्तर कोरिया के विदेश मंत्री ने स्टॉकहॉम में स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टेफ़ान लूवेन से मुलाक़ात की. हालांकि अभी तक इस मुलाकात के लिए किसी भी जगह को फाइनल नहीं किया गया है.
मुलाकात की जगह अभी तय नहीं
तो सवाल ये कि फिर दोनों नेताओं की मुलाकात होगी कहां? कुछ जानकार इस मुलाकात के लिए उत्तर और दक्षिण कोरिया की सीमा यानी पनमुनजोम को सबसे मुफीद जगह मान रहे हैं. मगर यहां भी मीटिंग होने का मतलब है कि बातचीत में दक्षिण कोरिया का दखल बढ़ सकता है. वहीं आशंका चीन में मुलाकात होने पर भी पैदा होगी. यूं भी इस बातचीत में चीन का दखल ट्रंप को शायद ही पसंद आए, तो फिर कहां मिलेंगे दुनिया के ये दो नेता.
मीटिंग के लिए पांच विकल्प
हालांकि अभी तक ट्रंप और किम की इस मुलाकात की ना तो तारीख तय हो पाई है और ना ही जगह. मगर ये ज़रूर बताया जा रहा है कि इस मुलाकात के लिए 5 जगहों को विकल्प के तौर रखा गया है. आपको बता दें कि परमाणु युद्ध की आशंकाओं के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मार्च के महीने में किम जोंग उन से बातचीत के लिए राजी हुए थे. और तब ये माना गया था कि ये मुलाकात मई के महीने में होगी. मगर मीटिंग की जगह ना तय हो पाने की वजह से इसमें थोड़ी देर भी हो सकती है. माना जा रहा है कि ये मुलाकात जो उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार कार्यक्रम को खत्म करने की दिशा में काफी अहम है.
होगी सहमति बनाने की कोशिश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा कि हम मई में या जून के शुरुआत में मुलाकात करेंगे और हम ये उम्मीद करते हैं कि दोनों पक्ष मिलकर उत्तर कोरिया के डी-न्यूक्लियराइजेशन पर सहमति बना पायेंगे. उन्होंने भी ऐसी उम्मीद जताई है और हमने भी ऐसा ही कहा है. उम्मीद है कि सालों से चले आ रहे दोनों देशों के कड़वाहट भरे रिश्ते अब कुछ अलग ही होंगे.
परमाणु परीक्षण रोकने पर बनेगी बात!
बताया जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप किम जोंग उन से मिलने के लिए सिर्फ इस शर्त पर राज़ी हुए हैं कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु परीक्षणों को रोकेगा और उत्तर कोरिया ने भी अपने मिसाइल परीक्षण रोकने का भरोसा दिलाया था. जिसके बाद ट्रंप ने उम्मीद जताई थी कि उत्तर कोरिया के साथ डील जल्द पूरी हो जाएगी और अगर ऐसा होता है तो ये दुनिया के लिए काफी अच्छा होगा.