
पाकिस्तान का पेशावर शहर. पेशावर में मौजूद है पुलिस लाइन. जैसा कि नाम से ही जाहिर है उस इलाके में ज्यादातर पुलिसकर्मी और अफसर रहते हैं.उस इलाके में ही एक मस्जिद है, जिसमें नमाज पढ़ने वाले ज्यादातर लोग भी पुलिसवाले ही होते हैं. सोमवार को नमाज-ए-जौहर यानी दोपहर की नमाज के वक्त करीब 400 लोग जमा थे. तभी अचानक मस्जिद के अंदर एक तेज धमाका होता है, जिसकी वजह से 93 लोगों की मौत हो जाती है. सामने आता है एक खौफनाक मंजर. आइए जानते हैं इस धमाके की इनसाइड स्टोरी.
मौत का धमाका
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से आतंकी हमले की तस्वीरों का आना परेशान तो करता है, मगर अब हैरान नहीं करता. लेकिन इस बार वहां जो कुछ हुआ है, उसने सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को दहला दिया है. जी हां, एक साथ... एक ही बार में... एक ऐसा धमाका, जिसने एक ही झटके में 90 से ज्यादा लोगों की जिंदगी खत्म कर दी और अनगिनत लोगों को हमेशा-हमेशा के लिए लाचार और बेबस कर दिया.
सोमवार, 30 जनवरी 2023, दोपहर 1.40 बजे
पाकिस्तान के पेशावर शहर के रेड जोन यानी पुलिस लाइन में मौजूद इस मस्जिद में इस रोज जौहर की नमाज के लिए करीब चार सौ लोगों की भीड़ मौजूद थी. अभी लोग सजदे और दुआओं में लगे ही थे कि मस्जिद के बीचों-बीच अचानक एक ऐसा जोर का धमाका हुआ कि उसके 10 मीटर की दायरे में जो कुछ था, उसके चिथडे उड़ गए. ये धमाका इतना भयानक था कि इससे आस-पास मौजूद लोग तो खैर मारे ही गए, धमाके से पैदा हुई लहर ने मस्जिद की छत तक को उड़ा दिया और इससे पहले कि कोई समझ पाता छत का एक बड़ा हिस्सा ऊपर से नीचे आ गिरा. छत और दीवार के मलबे में भी बहुत से लोग फंस कर मारे गए.
टुकड़ों में तब्दील हुए इंसानी जिस्म
ये धमाका इतना तेज था कि इसकी आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई पड़ी. आनन-फानन में पुलिस ने पूरे इलाके को घेर लिया और रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत कर दी गई. जो जिस हाल में था, उसे उसी हाल में उठा कर अस्पताल ले जाया गया. टुकड़ों में तब्दील इंसानी जिस्म बटोरे जाने लगे. हालत ये हुई कि आस-पास के अस्पतालों में हमले से घायल हुए मरीजों के इलाज के लिए खून की कमी पड़ने लगी और तब लेडी रीडिंग हॉस्पिटल प्रशासन ने लोगों से आगे आकर मदद के लिए अपील की.
हाई प्रोफाइल मस्जिद को बनाया टारगेट
पेशावर की पुलिस लाइन में मौजूद ये वो मस्जिद थी, जिसमें नमाज पढ़नेवाले ज्यादातर लोग या तो पुलिस वाले थे या फिर फौजी. मस्जिद में बम डिस्पोज़ल स्क्वायड और ऐसी ही दूसरी फोर्सेज के लोग भी नमाजी के तौर पर आते हैं. ऐसे में आतंकियों ने जिस तरह से इस हाई प्रोफाइल मस्जिद को टार्गेट किया, उससे ये साफ है कि उनका इरादा वहां कानून के मुहाफिजों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने का था. आतंकियों ने आखिर इतनी कड़ी सुरक्षा वाली जगह पर ये हमला किया कैसे, इस पर भी बात करेंगे, लेकिन पहले ये जान लीजिए कि आखिर इस हमले की वजह क्या रही और इसे किस तरह अंजाम दिया गया.
टीटीपी ने ली धमाके की जिम्मेदारी
नमाजियों की भीड़ में जिस तरह से अचानक ही जोरदार धमाका हुआ, वो किसी फिदायीन हमले से ही मुमकिन था. यही वजह है कि हमले के फौरन बाद ही सुरक्षाबलों ने इस धमाके के पीछे आत्मघाती हमलावरों के होने की बात कहनी शुरू कर दी. लेकिन हमले के चंद घंटे गुजरते-गुजरते आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी ने ना सिर्फ इस धमाके की जिम्मेदारी ले ली, बल्कि ये भी साफ कर दिया कि ये हमला उसके फिदायीन हमलावरों ने ही अंजाम दिया था.
उमर खालिद खुरासनी की मौत का बदला!
पाकिस्तानी सेना के हाथों मारे गए टीटीपी कमांडर उमर खालिद खुरासनी के भाई ने दावा किया कि ये हमला उसकी भाई की हत्या का बदला था. उमर खालिद खुरासनी की मौत अगस्त 2022 में अफगानिस्तान में तब हुई थी, जब उसकी कार को निशाना बनाकर एक धमाका किया गया था. इसमें खुरासनी समेत 3 लोग मारे गए थे.
मलबे के नीचे दबे थे कई लोग
इस हमले से हुई बर्बादी और मौत के आंकड़ों को देख कर ही समझा जा सकता है कि ये कितना भयानक था. वारदात के 18 घंटे बाद तक यहां रेस्क्यू ऑपरेशन का सिलसिला जारी था और मलबे के नीचे से लोगों की लाशें निकाली जा रही थी. राहत और बचाव के काम में लगे लोगों ने कहा कि उनका अभियान जारी है, लेकिन उन्हें अब इस बात की उम्मीद बहुत कम ही है कि मलबे के नीचे से निकाले जा रहे लोगों में कोई अब जिंदा भी बचा होगा. क्योंकि एक तो धमाके की वजह से पहले ही लोग बुरी तरह लहूलुहान हो चुके थे और ऊपर से टनों वजन वाले कंकीट के मलबे के नीचे दब गए. मलबे के नीचे से दूसरे किसी का भी जिंदा निकलना अपने-आप में किसी करिश्मे से कम नहीं है.
पुलिस और इंटेलिजेंस की नाकामी
ये हमला पाकिस्तान पुलिस की कितनी बड़ी नाकामी है, इसका का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ब्लास्ट वाली जगह के बिल्कुल करीब ही पेशावर पुलिस का हेडक्वार्टर है. एंटी टेरर फोर्स यानी आतंकवाद विरोधी विभाग का दफ्तर भी यहीं है. इसके अलावा फरंटियर रिजर्व पुलिस, एलीट फोर्स, टेलिकॉम डिपार्टमेंट समेत दूसरे कई अहम दफ्तर भी इसी मस्जिद के इर्द-गिर्द मौजूद हैं. मोटे तौर पर समझें तो यहां फोर लेयर की सिक्योरिटी है. इसलिए सवाल उठ रहा है कि इतने वीवीआईपी इलाके में एक फिदायीन हमलावर आखिर घुसा कैसे?
मस्जिद में कैसे पहुंचा हमलावर?
खुद मस्जिद कमेटी ने साफ किया है कि मस्जिद में एंट्री के लिए भी चार लेयर की सुरक्षा थी. इसके बावजूद सुरक्षा एजेंसियों को झांसा देकर बॉम्बर नमाजियों तक पंहुचने में कामयाब रहा. इन पंक्तियों के लिखे जाने के दौरान पेशावर के कैपिटल सिटी पुलिस ऑफिसर मुहम्मद इजाज खान के हवाले से डॉन न्यूज पेपर ने कहा है कि कई जवान भी अभी मलबे के नीचे हैं और उन्हें निकालने की कोशिश की जा रही है. मुहम्मद इजाज खान ने कहा कि जब धमाका हुआ तो उस समय इलाके में 300 से 400 पुलिस अधिकारी मौजूद थे. फिलहाल पुलिस इस बात की जांच कर रही हैं कि मस्जिद की किलेबंदी को तोड़कर हमलावर अंदर कैसे पहुंचा? पुलिस चीफ ने इस बात की आशंका है बॉम्बर पहले से ही पुलिस लाइन में रह रहा हो, क्योंकि इस पुलिस लाइन में फैमिली क्वार्टर भी हैं.
कौन था उमर खालिद खुरासनी?
अब आइए उस जल्लाद आतंकी के बारे में जान लेते हैं, जिसकी मौत के बदले के तौर पर इस हमले को अंजाम दिया गया. उमर खालिद खुरासनी टीटीपी का कमांडर था, जो पिछले साल अगस्त में पाकिस्तानी सेना के हाथों मारा गया. खुरासानी के भाई और टीटीपी के मेंबर मुकर्रम के जरिए ही यह पता चला कि वे खुरासानी की मौत को भुला नहीं पाए हैं और उन्होंने पूरी तैयारी के साथ पेशावर मस्जिद हमले को अंजाम दिया. खुरासानी का जन्म पाकिस्तान की मोहम्मद एजेंसी में हुआ था. उमर खालिद का असली नाम अब्दुल वली मोहम्मद था. उसकी शुरुआती तालीम उसके गांव साफो में हुई लेकिन बाद में वह कराची के कई मदरसों में पढ़ा. वो बेहद कम उम्र में आतंक से जुड़ गया था. शुरुआत में पाकिस्तान के इस्लामी जिहादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन से जुड़ा था, जो खास तौर पर कश्मीर में एक्टिव था, जहां वो कश्मीर की आजादी का ड्रामा करता रहा. लेकिन बालिग होने पर वह तहरीक-ए-तालिबान में शामिल हो गया था.
उमर खालिद खुरासानी पर था 30 लाख डॉलर का इनाम
खुरासानी अफगानिस्तान के नांगरहार और कुनार इलाकों से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता था. जमात-उल-अहरार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का सबसे सक्रिय आतंकी संगठन था, जिसने कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया. इनमें से सबसे भयानक हमला मार्च 2016 में गुलशन-ए-इकबाल एम्युजमेंट पार्क में किया गया था. इसके अलावा लाहौर में ईस्टर के मौके पर एक हमला किया गया, जिसमें 70 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. खुरासानी की आतंकी गतिविधियों की वजह से वह अमेरिका की नजर में आया और मार्च 2018 में अमेरिकी विदेश विभाग ने उस पर 30 लाख डॉलर का इनाम रखा. जमात-उल-अहरार दरअसल टीटीपी से जुड़ा हुआ जरूर था लेकिन वह अपने तरीके से हमलों को अंजाम देता था. लेकिन बाद में मार्च 2015 में यह संगठन टीटीपी में शामिल हो गया था.
धमाकों की जांच के लिए JIT का गठन
फिलहाल पेशावर धमाके की जांच के लिए एक ज्वाइंट इनवेस्टिगेशन टीम यानी जेआईटी (JIT) का गठन कर दिया गया है, जिसमें पुलिस, इंटेलिजेंस और दूसरी एजेंसियों के जांच अधिकारियों और जासूसों को शामिल किया गया है. पुलिस आस-पास के इलाके की सीसीटीवी फुटेज की भी स्कैनिंग करने में जुटी है. सूत्रों की मानें तो हाल के कुछ दिनों में पाकिस्तान में आतंकी वारदातों में एक बार फिर से इजाफा हुआ है. आतंकी संगठन अलग-अलग जगह पर वारदात को अंजाम देने में लगे हैं. टीटीपी से सरकार की बातचीत पिछले साल नवंबर के महीने में फेल हो गई थी, जिसके बाद इस संगठन ने ताबड़तोड़ हमलों की शुरुआत कर दी है. ये संगठन अफगानिस्तान के सीमाई इलाकों में ज्यादा एक्टिव है.
क्या है तहरीक-ए-तालिबान?
अब आइए ये जान लेते हैं कि आखिर वो तहरीक-ए-तालिबान क्या है, जिसने इतनी भयानक वारदात को अंजाम दिया है. 2007 में कई आतंकी संगठनों ने एक साथ मिलकर TTP यानी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की शुरुआत की थी. इस संगठन ने हाल ही में पाकिस्तान सरकार के साथ संघर्ष विराम को खत्म कर दिया था और अपने सदस्यों को पूरे पाकिस्तान में आतंकी हमले करने को कहा था. ऐसे में पहले ही भयानक आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए टीटीपी का ये फैसला अब कोढ़ में खाज साबित हो रहा है. कहते हैं कि टीटीपी के आतंकी संगठन अल कायदा से भी नजदीकी रिश्ते हैं.
टीटीपी ने किए PAK में कई हमले
इस संगठन को पाकिस्तान भर में कई घातक हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. इनमें 2009 में सेना मुख्यालय पर हुआ हमला, इसके अलावा दूसरे सैन्य ठिकानों पर हुए हमले और 2008 में इस्लामाबाद में मैरियट होटल की बमबारी में टीटीपी का नाम सामने आ चुका है. 2014 में पाकिस्तानी तालिबान के नाम से काम करने वाले टीटीपी ने पेशावर के उत्तर-पश्चिमी शहर में आर्मी पब्लिक स्कूल (APS) पर हमला किया था. जिसमें 131 छात्रों सहित कम से कम 150 लोग मारे गए थे. तब टीटीपी की पूरी दुनिया में खासी किरकिरी हुई थी, लेकिन ये संगठन अब भी अपनी करनी से बाज नहीं आ रहा है.
22 सालों में 16 हजार आतंकी हमले
पाकिस्तान अपनी बोई आतंक की फसल काट रहा है. पिछले 22 सालों में पाकिस्तान में लगभग 16 हज़ार आतंकी हमले हुए हैं. इन आतंकी हमलों में 29 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ साल 2022 में वहां 365 आतंकी हमलों की वारदात हुई हैं. यानी पूरे साल हर रोज़ आतंकी हमले होते रहे हैं. पाकिस्तान में हर रोज़ आतंकवाद औसतन 4 लोगों की मौत का कारण बनता है.
अपने ही मुल्क में बेकाबू हुए आतंकी
पेशावर धमाके के बाद पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद और उसे मिल रहे सरकारी संरक्षण को लेकर दुनिया भर में एक बार फिर नए सिरे से बहस की शुरुआत हो गई है. पाकिस्तान बेशक हर हमले के बाद खुद को आतंकवाद का शिकार बताता रहे, लेकिन सच्चाई यही है कि पाकिस्तान ने अब तक जो बोया है, वही काट रहा है. पाकिस्तान की जमीन से भारत समेत दूसरे कई मुल्कों में सालों-साल आतंक एक्सपोर्ट किया जाता रहा है और अब उसी का असर खुद पाकिस्तान झेल रहा है. आतंकी खुद अपने ही देश में बेकाबू हो गए हैं और बेगुनाहों की जान ले रहे हैं.
आतंक का अड्डा बना पाकिस्तान
पिछले कुछ दशकों को देखें तो तमाम आतंकी संगठन पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल दुनियाभर में आतंक फैलाने के लिए करते रहे हैं. अमेरिका में हमले के बाद अल कायदा चीफ ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद में ही छिपा था. इतना ही नहीं जैश का सरगना मसूद अजहर, मुंबई हमलों का मास्टर माइंड और लश्कर चीफ हाफिज सईद, 1993 बम ब्लास्ट का आरोपी अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भी पाकिस्तान में पनाह लिए बैठा है. कई आतंकी संगठन पाकिस्तान में बैठकर दुनियाभर में आतंकी घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं.
ज़हरीले सांपों को पालने की सजा
पाकिस्तान सालों से खुद इन ज़हरीले सांपों को पालने की सजा भुगत रहा है. आतंकी पाकिस्तान में ताबड़तोड़ हमले कर रहे हैं. इन हमलों में आम नागरिकों के साथ-साथ पुलिस और सेना के जवान भी मर रहे हैं. कुल मिलाकर कहें तो 12 साल पहले इस्लामाबाद के दौरे पर आईं अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंट की बात सही साबित हो रही है. तब हिलेरी कलिंटन ने कहा था 'अगर आप अपने घर के पीछे सांप पालते हो तो वह सिर्फ पड़ोसी को ही नहीं काटेगा बल्कि आपके घर के लोगों को भी काटेगा.'
दो पाकिस्तानी अफसरों का मर्डर
दरअसल, अमेरिकी नेता का इशारा पाकिस्तान में आतंकियों को दी जा रही पनाह को लेकर था. इसी महीने की शुरुआत में पाकिस्तानी तालिबान ने दावा किया था कि उसने पाकिस्तान के दो खुफिया अफसरों को मार गिराया. इनमें से एक काउंटर टेररिज्म विंग के डायरेक्टर भी थे. पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने रविवार को बताया कि दोनों अफसरों की हत्या करने वाले पाकिस्तानी तालिबान के सदस्य को अफगान बॉर्डर पर मार गिराया गया. टीटीपी अफगानिस्तान तालिबान का सहयोगी माना जाता है.
PAK सरकार से TTP की मांग
पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से TTP के हमले बढे हैं. टीटीपी पाकिस्तान में पिछले 15 साल से आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहा है. संगठन की मांग है कि पाकिस्तान में कड़े शरिया कानून लागू किए जाएं और सरकार उनके गिरफ्तार साथियों को आजाद करे. टीटीपी ने खैबर पख्तूनख्वा से पाकिस्तानी सेना की तैनाती भी कम करने की मांग की है.
पाकिस्तान को खून के आंसू रुला रहा है आतंकवाद
अब आइए आंकड़ों के आईने में समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर पाकिस्तान में को आतंकवाद कैसे खून के आंसू रुला रहा है. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के मुताबिक, पाकिस्तान में पिछले 22 साल में 15997 आतंकी हमले हुए. इन हमलों में 28,918 नागरिक और जवान मारे गए हैं. अकेले 2022 की बात करें तो 365 हमले हुए. इनमें 229 नागरिकों की मौत हुई, जबकि 379 जवानों की जान गई. पाकिस्तान में 22 साल के आंकडे देखें तो हर रोज करीब 4 नागरिक या जवान अपनी जान आतंकी हमलों में गंवा रहे हैं. इससे पहले 2021 में पाकिस्तान में 267 आतंकी घटनाएं हुईं. इनमें 214 नागरिकों और 226 सुरक्षाबलों के जवानों की जान गई. इस साल 29 जनवरी तक पाकिस्तान में 30 आतंकी घटनाएं हुई हैं. इनमें 4 नागरिकों जबकि 36 सुरक्षाबलों के जवानों की मौत हुई है. पाकिस्तान के लिए ये आंकड़े एक आईने की तरह हैं, जो यह दर्शा रहे हैं कि कैसे आतंक की पाठशाला रहे पाकिस्तान में आतंक ने तबाही मचाई है.
पेशावर हमले पर टीटीपी के दो बयान
और अब जिस तरह पेशावर पुलिस लाइन की मस्जिद में टीटीपी आतंकियों ने आत्मघाती हमला किया है, उससे साबित होता है कि पाकिस्तान में आतंकी कितने बेखौफ हो चुके हैं. पुलिस हमले और उसकी साजिश की जांच कर रही है, लेकिन अब टीटीपी यानी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के नए पैंतरे ने पुलिस को भी उलझा दिया है. पहले टीटीपी के कमांडर सर्बकफ मोहम्मद ने ट्वीट कर पेशावर के मस्जिद में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन बाद में टीटीपी के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासनी ने इससे खुद को अलग कर लिया. उसने कहा कि टीटीपी मस्जिद, धार्मिक स्थल, सेमिनार वगैरह पर आतंकी हमले नहीं करता.
2014 के आतंकी हमले में मारे गए थे 130 बच्चे
पेशावर की मस्जिद में हुआ हमला, अब तक का दूसरा सबसे बड़ा हमला है. इससे पहले 2014 में पेशावर के एक स्कूल पर आतंकी हमला हुआ था. इस दौरान 150 लोग मारे गए थे. इनमें करीब 130 बच्चे शामिल थे. पेशावर के आर्मी स्कूल में आतंकी सिक्योरिटी फोर्स की वर्दी पहन घुसे थे. इसके बाद आतंकियों ने स्कूल में अंधाधुंध फायरिंग करना शुरू कर दी. पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने 6 आतंकियों को मार गिराया था. इस हमले की जिम्मेदारी TTP ने ली थी.
आजतक ब्यूरो