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पांच राज्य, 6 आरोपी और संसद में रंगीन धुआं... किसी बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं स्प्रे कांड?

बीजेपी के सांसद खगेन मुर्मू तब लोकसभा में बोल रहे थे. बाकी सांसद अपनी-अपनी सीट पर बैठे थे. ठीक तभी विजिटर गैलरी यानी दर्शक दीर्घा से एक शख्स अचानक नीचे कूदता है. उसके कूदते ही एक और शख्स उसी विजिटर गैलरी से नीचे कूदता है और फिर हंगामा शुरू हो जाता है.

संसद में कलर स्प्रे के बाद तेजी से धुआं फैलने लगा था संसद में कलर स्प्रे के बाद तेजी से धुआं फैलने लगा था
जितेंद्र बहादुर सिंह/अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

Parliament uproar: लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद भवन में चार लोगों ने मिलकर जो हंगामा किया, उसने नए संसद भवन की सुरक्षा की पोल खोलकर रख दी. साथ ही संसद की सुरक्षा में चूक भी उजागर हो गई. 22 साल पहले भी आतंकी संसद की दहलीज़ तक जा पहुंचे थे. उस वक्त पांच आतंकवादियों ने संसद पर हमला कर दिया था. हालांकि कुछ देर बाद ही सुरक्षा बलों ने पांचों आतंकवादियों को ढेर कर दिया था. उस हमले के बाद संसद भवन के पूरे सुरक्षा इंतजाम को ही बदल दिया गया था. लेकिन अब 22 साल बाद जो हुआ.. उसने सांसदों को ही नहीं पूरे देश को सकते में डाल दिया.

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इस पूरे घटनाक्रम में 6 आरोपियों की संलिप्तता सामने आई है. ये आरोपी पांच अलग-अलग राज्यों के रहने वाले हैं. सागर शर्मा उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले हैं. मनोरंजन डी कर्नाटक के मैसूर का रहने वाला है. नीलम हरियाणा के जींद जिले के गांव घासो खुर्द की रहने वाली है. अमोल शिंदे  लातूर (महाराष्ट्र) के रहने वाले हैं. इसके अलावा, एक्‍पोर्ट कंपनी में ड्राइवर विशाल शर्मा और हरियाणा का रहने वाला ललित झा है. सूत्रों का कहना है कि ललित झा इस पूरे कांड का मास्टरमाइंड माना जा रहा है. 

13 दिसंबर 2023

संसद भवन पर हुए हमले की 22वीं बरसी थी. दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू होने से पहले बीते 21 सालों की तरह इस बार भी तमाम सांसदों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी. तब घड़ी में सुबह के 9 बजकर 20 मिनट हुए थे. उसके बाद दोनों सदनों की कार्यवाही सुबह ठीक 11 बजे शुरू होती है. संसद भवन पर हमले की बरसी में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री और गृह मंत्री संसद से निकल चुके थे. दोनों को भोपाल और रायपुर में नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में जाना था. पर बाकी विपक्ष के नेता और सांसद पार्लियामेंट हाउस में मौजूद थे. लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद अलग-अलग सांसद अपनी-अपनी बातें रख रहे थे. 

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दोपहर 12.43 बजे

संसद भवन के बाहर एक लड़का और लड़की पहुंचते हैं. फिर दोनों अचानक नारे लगाने लगते हैं. भारत माता की जय, जय भीम, तानाशाही नहीं चलेगी. नारे लगाने के साथ-साथ ये दोनों 'कलर क्रैकर' यानी रंगीन पटाखे फोड़ते हैं, जिससे धुआं उठता है. बाद में दोनों को संसद भवन के करीब ट्रांसपोर्ट भवन के सामने से पकड़ लिया जाता है. ये सब अभी चल ही रहा था कि संसद के अंदर ऐसा कुछ हुआ, जो आजतक कभी नहीं हुआ था.

दोपहर 1 बजकर 1 मिनट

बीजेपी के सांसद खगेन मुर्मू तब लोकसभा में बोल रहे थे. बाकी सांसद अपनी-अपनी सीट पर बैठे थे. ठीक तभी विजिटर गैलरी यानी दर्शक दीर्घा से एक शख्स अचानक नीचे कूदता है. उसके पीछा एक और शख्स उसी विजिटर गैलरी से नीचे कूदता है. सदन में दोनों शख्स नारे लगाते हैं. भारत माता की जय, जय भीम, तानाशाही नहीं चलेगी. 

सदन में रंगीन धुआं

इन नारों के साथ ही अब दोनों युवक सांसदों की बेंच पर कूदते-कूदते लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी की तरफ दौड़ने लगते हैं. दोनों को इस तरह सांसदों के बेंच पर दौड़ते देख संसद भवन में अफरातफरी मच जाती है. फिर इसी बीच आगे-आगे दौड़ रहा शख्स अपने जूते से कुछ निकालता है और हवा में उड़ा देता है. ये कोई रंगीन गैस थी. अब संसद भवन में धुआं फैलना शुरू हो जाता है. सांसद खगेन मुर्मू भी ये सब देख कर दहशत में आ जाते हैं. 

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इधर-उधर भागे कुछ सांसद

उधर, ये मंजर देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष भी आनन-फानन में लोकसभा की कार्यवाही को दो बजे तक के लिए स्थगित करने का ऐलान कर देते हैं. फिर बाद में समय बढ़ाकर चार बजे तक कर दिया जाता है. सदन के अंदर मौजूद सांसद अब इधर-उधर भाग रहे थे, लेकिन उन्हीं सांसदों में से कुछ ने हौसला दिखाया और दोनों संदिग्धों को दबोच लिया.

जब दोनों संदिग्धों पर काबू पा लिया गया, तब बाकी के सांसदों की जान में जान आई. इस बीच संसद भवन के अंदर का मंजर सड़क या नुक्कड़ जैसा नजर आने लगा. बाद में पार्लियामेंट के सुरक्षा गार्ड आए और दोनों को पकड़कर बाहर ले गए. 

संदिग्धों की पहचान

अब सवाल ये है कि संसद भवन के बाहर और संसद भवन के अंदर नारे लगाने और यूं सुरक्षा में सेंध लगा कर अंदर घुसने और कलर क्रैकर छोड़ने वाले ये चारों कौन हैं? तो जब इन चारों को पकड़ कर पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने ले जाया गया, तब पूछताछ में इनकी असलियत का खुलासा हुआ. इन चारों के नाम मनोरंजन, सागर शर्मा, अनमोल शिंदे और नीलम आजाद है. 

चारों संदिग्ध अलग-अलग राज्यों से

नीलम हरियाणा के हिसार की रहने वाली है. उसने एम.फिल की पढ़ाई की है. अनमोल शिंदे महाराष्ट्र के लातूर का है और ये भी पढ़ा लिखा है. सागर शर्मा भी अच्छा खासा पढ़ा लिखा है. जबकि मनोरंजन कर्नाटक का रहने वाला है और वो कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट है. उसका ताल्लुक मैसूर से है. हालांकि दिल्ली पुलिस इन चारों के राज्यों और घरों से इनका बैकग्राउंड चेक करवा रही है. कुछ टीमें उनके घर भी भेजी गई हैं. लेकिन शुरुआती पूछताछ में चारों ने इस आंदोलन या प्रदर्शन, जो भी कहें, उसकी वजह सरकार और सरकार की नीतियों से अपनी नाराजगी बताई है. 

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BJP सांसद के पास पर सदन में पहुंचे थे मनोरंजन और सागर

संसद भवन के अंदर कूदने वाले मनोरंजन और सागर शर्मा एक सांसद के विजिटर पास पर संसद भवन पहुंचे थे. जिस सांसद के पास पर इन्हें संसद भवन में एंट्री मिली थी, उन सांसद का नाम प्रताप सिम्हा है. प्रताप, मैसूर से बीजेपी के सांसद हैं. संसद भवन के अंदर कूदने वाले दोनों शख्स भी मैसूर से ही हैं. यानी लोकल सांसद होने की वजह से दोनों ने आसानी से संसद के विजिटर पास का जुगाड़ कर लिया होगा. हालांकि सूत्रों के मुताबिक इस सिलसिले में सांसद सिम्हा से भी दोनों के बारे में पूछताछ कर और ज्यादा जानकारी जुटाई जाएगी.

आतंकी साजिश या कुछ और.. पुलिस खामोश

संसद भवन के अंदर इस तरह कूदने की और संसद के बाहर नारे लगाने की चारों की क्या मंशा थी? फिलहाल, दिल्ली पुलिस पता लगाने की कोशिश कर रही है. हालांकि सूत्रों के मुताबिक शुरुआती जांच में ये पता चला है कि इन चारों का कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड नहीं है. ना ही ये किसी आतंकी संगठन का हिस्सा हैं. दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक शुरुआती जांच में ये सामने आया है कि चारों एक दूसरे को जानते थे. लेकिन संसद पर हमले की बरसी के दिन इस तरह हंगामा करने के पीछे इन चारों का क्या मकसद था? इसको लेकर फिलहाल पुलिस ये कहते हुए खामोश है कि अभी उनकी तफ्तीश जारी है. 

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खुल गई सुरक्षा के दावों की पोल

जिस संसद भवन में सुरक्षा में ये बड़ी चूक हुई है ये वही नया संसद भवन है, जो इसी साल बन कर तैयार हुआ था. इस नए संसद भवन को बनाने में कुल 1200 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. दावा किया गया था कि सुरक्षा के लिहाज से ये नया संसद भवन करीब 100 साल पुराने उस पुराने संसद भवन से हर मायने में बेहतर है. सिर्फ तीन महीने पहले ही 19 सितंबर को इस नए संसद भवन का शुभारंभ हुआ था. लेकिन जिस तरह से दो लोग एक एमपी के विजिटर पास पर अपने जूते में कलर क्रैकर छुपा कर संसद भवन के अंदर दाखिल हो जाते हैं और फिर विजिटर गैलरी से नीचे छलांग लगा लेते हैं, उससे साफ है कि 13 दिसंबर 2001 से आज भी हमने कुछ नहीं सीखा.

5 आरोपी गिरफ्तार, मास्टरमाइंड फरार

इस मामले में पुलिस ने अब तक 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. वहीं, 6वां आरोपी ललित झा अभी फरार है. जब दो आरोपी संसद में कार्यवाही के दौरान अंदर घुसे थे और दो बाहर प्रदर्शन कर रहे थे, तब ललित भी संसद के बाहर ही मौजूद था. उसने आरोपी नीलम और अमोल द्वारा संसद के बाहर किए गए प्रदर्शन और नारेबाजी का वीडियो भी बनाया था. उसके पास सभी आरोपियों के फोन थे. ललित ने इस वीडियो को अपने NGO पार्टनर को व्हाट्सऐप भी किया था. इसके बाद वह फरार हो गया.

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संसद में ऐसे होती है विजिटर की जांच

अमूमन संसद भवन में लोकसभा या राज्यसभा की कार्यवाही देखने के लिए आम लोगों के जाने पर कोई रोक नहीं है. लेकिन इसके लिए कुछ नियम कानून हैं. जिनमें एक सबसे अहम है कि कोई भी विजिटर जो संसद की कार्यवाही देखना चाहता है या संसद भवन जाना चाहता है, उसे अपने परिचित जो अमूमन उसी सांसद के संसदीय इलाके से आते हों, उनकी सिफारिश पर ही विजिटर पास मिलता है. ऐसे विजिटर पास सांसदों और मंत्रियों के अलावा लोकसभा अध्यक्ष की सिफारिश पर भी विजिटर्स को दिए जाते हैं. विजिटर पास मिलने के बाद संसद भवन पहुंचने पर सबसे पहले गेट पर पूरी तलाशी ली जाती है. संसद के अंदर फोन या कोई भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट ले जाने पर सख्त रोक है. मेन गेट की तलाशी के बाद संसद भवन के अंदर दो लेयर की और सिक्योरिटी होती है. जिसमें फिर से बॉडी सर्च यानी जामा तलाशी होती है. विजिटर या दर्शकों के लिए संसद भवन के अंदर दर्शक दीर्घा सदन के ऊपरी हिस्से में होती है. 

हो सकता था आतंकी हमला!

अब जरा सोचिए, कि संसद में घुसने वाले दोनों शख्स तीन-तीन लेयर की सिक्योरिटी को चकनाचूर करते हुए अपने जूते में कलर क्रैकर छुपा कर ले गए. अब अंदाजा लगाईए कि अगर कलर क्रैकर की जगह वो कुछ और होता तो? कोई भी अनहोनी हो सकती थी.

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