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पठानकोट हमले में इन 10 बिंदुओं पर टिकी है NIA की जांच

पंजाब के पठानकोट में वायुसेना अड्डे पर पिछले सप्ताह हुए आतंकवादी हमलों की जांच कर रही एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की जांच 10 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आधारित है. पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले में सात सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे जबकि 6 आतंकियों को मार गिराया गया.

पठानकोट एयरबेस की सुरक्षा में तैनात जवान पठानकोट एयरबेस की सुरक्षा में तैनात जवान
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 10:48 AM IST

पंजाब के पठानकोट में वायुसेना अड्डे पर पिछले सप्ताह हुए आतंकवादी हमलों की जांच कर रही एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की जांच 10 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आधारित है. एनआईए ने चार जनवरी को इस मामले की जांच पंजाब पुलिस से अपने हाथों में ली थी.  इस हमले में सात सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे जबकि 6 आतंकियों को मार गिराया गया.

इस हमले के पीछे पाकिस्तान से आए आतंकवादियों का हाथ माना जा रहा है. एनआईए की जांच मुख्यत: आतंकवादियों और उसके पाकिस्तान स्थित आकाओं के बीच मोबाइल फोन पर हुई बातचीत के इर्द-गिर्द है. इसके साथ आतंकवादियों के पास से बरामद जैश ए मुहम्मद का खत, आतंकवादियों के डीएनए सैंपल और उनके वॉयस रिकॉर्ड की भी छानबीन हो रही है.एनआईए के अधिकारी ने बताया कि आतंकवादियों के हथियार, उनकी रणनीति, स्थानीय संदिग्ध नागरिकों से मिली मदद, भारत-पाकिस्तान सीमा के किस रास्ते से आतंकवादी आए थे, पंजाब पुलिस के आयुक्त सलविंदर सिंह, उनके रसोइये और उनके दोस्त की भी जांच की जा रही है.

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गौरतलब है कि सलविंदर सिंह ने यह दावा किया है कि आतंकवादियों ने उनके दोस्त, उनके रसोइयों और उन्हें अगवा कर उनकी गाड़ी छीन ली थी. उनकी लालबत्ती लगी गाड़ी में सवार होकर आतंकवादी वायुसेना अड्डे तक पहुंचे थे. अधिकारी ने बताया, 'महानिरीक्षक की अगुआई में एनआईए का 20 सदस्यीय जांच दल पठानकोट में मामले की जांच में जुट गया है. हमारा ध्यान मुख्य रूप से घटना से जु़ड़े प्रमुख बिंदुओं के इर्द-गिर्द है.'

उन्होंने बताया कि पुलिस अधीक्षक रैंक के एक अधिकारी को मुख्य जांच अधिकारी बनाया गया है. एनआईए ने इस मामले में तीन अलग-अलग एफआईआर दायर किया है. एनआईए के एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि पहली गलती सीमा सुरक्षा बल से हुई जो आतंकवादियों को सीमा पार करने से रोक नहीं पाए. वहीं, पंजाब पुलिस भी सीमा से दाखिल हुए आतंकवादियों को पकड़ नहीं पाई। इसकी भी जांच की जा रही है. इसके अलावा आतंकवादियों के उन स्थानीय मददगारों को भी ढूंढने की कोशिश की जा रही है, जिन्होंने आतंकवादियों को सेना की वर्दी के साथ ही वॉकी-टॉकी उपकरण भी मुहैया कराए.

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अनुमान है कि 30 दिसंबर को सीमा पार करके बाद आतंकवादियों की स्थानीय मददगारों ने मदद की. एनआईए अधिकारी ने कहा कि आतंकवादियों के डीएनए सैंपल उनकी पहचान पता करने के लिए पाकिस्तान भेजे गए हैं. वहीं, पुलिस अधिकारी सलविंदर सिंह, उसके दोस्त राजेश वर्मा और रसोइये मदन गोपाल का जल्द ही लाई डिटेक्टटर टेस्ट करवाया जाएगा। इसके अलावा अधिकारी के निजी सुरक्षा अधिकारी कुलविंदर सिंह के बयान भी लिए गए हैं. अधिकारी ने आरोप लगाया था कि उसके द्वारा अपहरण की जानकारी और आतंकवादियों की मौजूदगी की जानकारी दिए जाने के बाद भी पुलिस विभाग ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया.

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