Advertisement

मासूमों का अपहरण, फिरौती की साजिश... नफरत की इंतेहा से भरी है इन बच्चों के कत्ल की ये कहानी

इन बच्चों की मौत ने जिस मां की गोद उजाड़ी थी, वो मौका-ए-वारदात से 60 किलोमीटर दूर राजस्थान के भिवाड़ी में कुछ यूं अपनी किस्मत पर रो रही थी. विलाप कर रही थी. मासूमों के अपहरण, फिरौती की साजिश, नफरत की इंतेहा और बदले की ये कहानी किसी को भी झकझोर सकती है.

पुलिस ने बच्चों के कातिलों को एक कॉल के ज़रिए गिरफ्तार कर लिया पुलिस ने बच्चों के कातिलों को एक कॉल के ज़रिए गिरफ्तार कर लिया
अरविंद ओझा/संतोष शर्मा/सुप्रतिम बनर्जी
  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 6:45 PM IST

राजस्थान में एक ही परिवार के तीन बच्चों को अगवा कर लिया जाता है. तीनों बच्चे भाई थे. बच्चों के यूं अचानक गायब हो जाने से घर में हड़कंप मच जाता है. बच्चों की तलाश शुरू होती है. मगर कोई सुराग नहीं मिलता. हारकर परिजन पुलिस के पास जाते हैं. लेकिन पुलिस लापरवाही दिखाते हुए 24 घंटे तक कोई एक्शन नहीं लेती और जब पुलिस हरकत में आती है, तो एक खौफनाक खुलासा होता है. जिसे जानकर हर कोई हैरान रह जाता है. अपहरण, फिरौती की साजिश, नफरत की इंतेहा से लबरेज है ये खूनी दास्तान.

Advertisement

18 अक्टूबर 2022, महरौली, दिल्ली
दिल्ली में कुतुब मीनार के नजदीक घने जंगलों के बीच सर्च ऑपरेशन चल रहा था. पुलिसवाले चप्पे-चप्पे की तलाश कर रहे थे. वैसे तो इस सर्च ऑपरेशन का नतीजा इसमें लगे पुलिसवालों को ऑपरेशन के पूरा होने से पहले ही पता था, लेकिन फिर भी करीब घंटे भर चले इस तलाशी अभियान के बाद सामने जो मंजर था, उसने मौके पर मौजूद हर किसी को हिला कर रख दिया. 

जंगल में मिली दो मासूम बच्चों की लाश
जंगल में झाड़ियों के बीच दो छोटे-छोटे बच्चों की लाश पड़ी थी. 13 साल के अमन और 8 साल के विपिन की लाश. दोनों रिश्ते में भाई थे. इन दोनों ही भाइयों की लाशें मिट्टी और पत्तों के नीचे कुछ इस कदर छुपाई गई थी कि आसानी से किसी की नजर इन पर पड़े, ये मुमकिन नहीं था. लेकिन जब बच्चों को इस हाल में पहुंचाने वाले ही पुलिस के साथ सर्च ऑपरेशन में शामिल हों, तो फिर सच्चाई को तो सामने आना ही था. 

Advertisement

फिरौती की साजिश
उधर, इन बच्चों की मौत ने जिस मां की गोद उजाड़ी थी, वो मौका-ए-वारदात से 60 किलोमीटर दूर राजस्थान के भिवाड़ी में कुछ यूं अपनी किस्मत पर रो रही थी. विलाप कर रही थी. मासूमों के अपहरण, फिरौती की साजिश, नफरत की इंतेहा और बदले की ये कहानी किसी को भी झकझोर देने के लिए काफी है. लेकिन इस कहानी में जो इकलौती राहत की बात है, वो ये कि कातिलों ने बेशक दो बच्चों का कत्ल कर दिया हो, लेकिन खुशकिस्मती से उनकी दरिंदगी के बावजूद तीसरे बच्चे की जान बच गई. 

ऐसे बची 7 साल के शिवा की जान
वैसे कातिलों ने तो अपनी तरफ से विपिन और अमन के साथ-साथ उनके छोटे भाई शिवा को भी मार ही डाला था, लेकिन इसे कातिलों की चूक कहें या फिर ऊपरवाले की मर्ज़ी, 7 साल के मासूम शिवा की जान बच गई. दिल्ली पुलिस ने उसे मौका-ए-वारदात से थोड़ी ही दूर अंहिसा स्थल पिकेट के पास शिवा को भटकता हुआ पाया और लापता समझ कर लाजपत नगर के एक चाइल्ड केयर होम में पहुंचा दिया. 

भिवाड़ी पुलिस की जानलेवा लापरवाही
बच्चों के अपहरण और कत्ल का ये मामला जितना संगीन है, इस मामले में राजस्थान के भिवाड़ी पुलिस की लापरवाही भी उतनी ही बड़ी है. असल में बच्चों के माता-पिता ने बच्चों के गायब होने के बाद ही पुलिस से फरियाद की थी, लेकिन पुलिस ने 15 अक्टूबर को इस सिलसिले में एफआईआर दर्ज करने की जरूरत ही नहीं समझी और तो और मां-बाप एसपी ऑफिस के बाहर रोते-बिलखते रहे, लेकिन पुलिसवालों के कानों में जूं नहीं रेंगी और जब 24 घंटे बाद पुलिस ने एफआईरआर दर्ज की, तब तक शायद देर हो चुकी थी.

Advertisement

15 अक्टूबर 2022 सुबह 9 बजे, भिवाड़ी, राजस्थान
तीन मासूम बच्चों के अपहरण, फिरौती और तीन में से दो के क़त्ल की ये कहानी शुरू होती है राजस्थान के भिवाड़ी से. भिवाड़ी के सांथलका इलाके में यूपी के कन्नौज का एक परिवार पिछले पांच सालों से किराये पर रहता है. मजदूर वर्ग से आनेवाले इस परिवार के लोग छोटा-मोटा काम कर अपनी जिंदगी बसर करते हैं और इसी परिवार के तीन बच्चे 15 अक्टूबर की सुबह करीब 9 बजे अपने घर के बाहर से अचानक गायब हो गए. 

24 घंटे बाद पुलिस ने दर्ज की FIR
घरवालों ने पहले अपने तौर पर बच्चों को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन जब उनका कोई पता नहीं चला, तो वो उसी रोज़ भिवाड़ी पुलिस के पास पहुंचे. मगर पुलिस की लापरवाही देखिए कि इतने संगीन और संवेदनशील मामले में भी एफआईआर दर्ज करने में पुलिस ने 24 घंटे लगा दिए और 16 अक्टूबर को बच्चों के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की गई. यहां तक कि बच्चों के मां-बाप फौरन कार्रवाई के लिए एसपी ऑफिस पर धरना भी देते रहे, लेकिन पुलिस की सुस्त चाल जारी रही.

फिरौती के लिए आई कॉल
एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने एक तरफ तो बच्चों के घरवालों से पूछताछ कर संदिग्ध अपहरणकर्ताओं के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश शुरू कर दी, वहीं दूसरी तरफ घर के आस-पास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के साथ-साथ संदिग्ध मोबाइल नंबरों की भी जांच शुरू की. इसी बीच एक मोबाइल नंबर से बच्चों के पिता के पास फिरौती के लिए कॉल भी आ गई और पुलिस ने फौरन उस कॉल की लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश की. 

Advertisement

पुलिस के हत्थे चढ़े दो आरोपी
इतेफाक से लोकेशन भिवाड़ी ही मिली और इस तरह पुलिस ने दो संदिग्ध लोगों को हिरासत में ले लिया. लेकिन तब तक अपहरणकर्ता बच्चों का कत्ल कर चुके थे. मांझी और महावीर नाम के इन दो लोगों से पूछताछ करने पर पहले तो दोनों ने पुलिस को उलझाने की कोशिश की, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की और सबूत के तौर पर उनके मोबाइल से की गई फिरौती की कॉल के बारे में उन्हें बताया तो अपना जुर्म कबूलने के सिवाय उनके पास कोई चारा ही नहीं था.

मौका-ए-वारदात पर पहुंची पुलिस
लेकिन इन आरोपियों को गिरफ्तार कर लेने के बावजूद उनके कबूलनामे से पुलिस मन मसोस कर रह गई कि क्योंकि आरोपी बता रहे थे कि उन्होंने अगवा करने के बाद तीनों बच्चों की दिल्ली ले जाकर हत्या कर दी है. अब कातिलों की निशानदेही पर पुलिस सीधे दिल्ली के महरौली में कुतुब मीनार के पीछे उस जंगल में पहुंची, जहां कातिल बच्चों की हत्या करने के बाद उनकी लाश छिपाने की बात कह रहे थे. 

मौके पर मिली केवल दो बच्चों की लाश
पुलिस के साथ-साथ तब कातिल भी हैरान रह गए, जब उन्हें मौका-ए-वारदात पर तीन नहीं बल्कि दो ही बच्चों की लाश मिली. जबकि तीसरे बच्चे का दूर-दूर तक कोई नामो-निशान तक नहीं था. इस सर्च ऑपरेशन में राजस्थान पुलिस के साथ-साथ साउथ दिल्ली पुलिस की टीम भी शामिल थी. इस तरह जब दिल्ली पुलिस को तीसरे बच्चे की लाश नहीं मिलने की बात पता चली, तो उसने अपने तौर पर आस-पास के इलाके में किसी बच्चे के मिलने के बारे में पता लगाना शुरू किया.

Advertisement

मजदूर से फिरौती मांगने का क्या मतलब?
आपको जानकर हैरानी होगी कि उस बच्चे को जिंदा बरामद कर दिल्ली पुलिस की ही एक दूसरी टीम पहले ही चिल्ड्रेन होम में भिजवा चुकी थी. अब सवाल ये है कि आखिर एक मेहनत मजदूरी करने वाले परिवार से फिरौती मांगने का आइडिया इन कातिलों के दिमाग में कैसे आया? जबकि पीड़ित परिवार की आर्थिक हालत खुद ही अच्छी नहीं है. सवाल ये भी है कि अगर मकसद फिरौती का ही था, तो फिर अपहरण के बाद उन्होंने बच्चों की जान लेने की कोशिश क्यों की? 

कर्ज चुकाने के लिए वसूलना चाहते थे पैसा
तो इसका जवाब भी सुन लीजिए. भिवाड़ी के सीओ जसवीर मीणा ने बताया कि आरोपी पीड़ित परिवार के ही पड़ोसी थे. वे लोग बुरी तरह से कर्ज में डूबे हुए थे. इसलिए वे किसी भी तरह से मासूम बच्चों के परिवार से पैसा वसूलना चाहते थे. इसलिए उन्होंने ये खूनी साजिश रच डाली. लेकिन आरोपी अपने बिछाए जाल में ही फंस गए. फिरौती के लिए की गई कॉल ने सारा राज खोल दिया.

बहरहाल, राजस्थान पुलिस ने तीन बच्चों के अपहरण और दो की हत्या के इस मामले को सुलझाते हुए गुनहगारों को तो गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन ये भी सच है कि अगर भिवाड़ी पुलिस ने थोड़ी मुस्तैदी और दिखाई होती तो शायद बच्चे आज जिंदा बरामद हो चुके होते.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement