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1 घर, 4 फंदे और 6 लाशें... उदयपुर में हुआ 'बुराड़ी' जैसा खौफनाक कांड, वजह तलाश रही पुलिस

उदयपुर में एक साथ एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत ने सबको दहला दिया है. यह मामला बिल्कुल दिल्ली के बुराड़ी कांड से मेल खाता है. अब हम बताते हैं कि इसकी वजह क्या है? क्यों ये मामला बुराड़ी कांड की याद दिला रहा है?

दिल्ली के बुराड़ी कांड ने पूरे देश को दहला कर रख दिया था दिल्ली के बुराड़ी कांड ने पूरे देश को दहला कर रख दिया था
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:36 PM IST

राजस्थान के उदयपुर जिले में एक ऐसा खौफनाक मामला सामने आया है, जिसने दिल्ली के बुराड़ी कांड की दिल दहला देने वाली यादें ताजा कर दी. बुराड़ी के मकान वो रोंगटे खड़े कर देने वाला मंजर भी याद आने लगा, जब एक मकान में 10 लोगों की लाशें फांसी के फंदे पर झूल रही थीं. ठीक वैसे ही उदयपुर की गोगुंदा तहसील के एक गांव में सामूहिक मौत का केस पुलिस के पास आया है. हम इस मामले को दिल्ली के बुराड़ी कांड जैसा क्यों बता रहे हैं, आइए इस पूरे मामले को सिलसिलेवार समझने की कोशिश करते हैं.

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पति-पत्नी और 4 मासूम बच्चे
उदयपुर की गोगुंदा तहसील में एक गांव है. नाम है गोल नेड़ी. गांव के लोग खेती भी करते हैं और कई लोग शहरों में जाकर भी काम करते हैं. ऐसा ही गांव का एक परिवार था. जो आदिवासी समुदाय से आता है. परिवार के मुखिया का नाम था प्रकाश गमेती. उसकी पत्नी की नाम था दुर्गा गमेती. इन दोनों के चार बच्चे थे. महज 3 से 4 महीने का गंगाराम, 5 साल का पुष्कर, 8 साल का गणेश और 3 साल का रोशन.

सुबह घर पहुंचा था भाई
दरअसल, यह परिवार गांव में खेत के किनारे बने मकान में ही रहता था. वहां प्रकाश और उसके दो भाइयों के मकान अगल-बगल ही बने हुए थे. प्रकाश गुजरात में काम करता था. सोमवार को रोज की तरह लोग सुबह जग चुके थे. हर कोई अपने काम पर जाने की तैयारी में था. सूरज चढ़ने के साथ-साथ गांव के लोगों की सरगर्मी भी बढ़ती जा रही थी. इसी दौरान प्रकाश का भाई उनके घर आया. उसने दरवाजे पर दस्तक दी. मगर दरवाजा नहीं खुला.

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घर में लटक रही थी 4 लाशें
प्रकाश के भाई को चिंता होने लगी. उसे आवाज़ लगाते और दरवाजे पीटते देख गांव के लोग भी वहां जमा हो गए. इसके बाद सबने मिलकर दरवाजा तोड़ने के फैसला कर लिया और दरवाजा तोड़ दिया. दरवाजा खुलते ही जो मंजर सामने था, उसकी कल्पना गांववालों ने ख्वाब में भी नहीं की थी. घर के अंदर छत से चार लाशें लटक रही थीं और दो लाशें जमीन पर पड़ी थी. ये खौफनाक मंजर देखकर गांववाले और प्रकाश का भाई सहम गए.

जमीन पर पड़े थे दो शव
प्रकाश के भाई को यकीन नहीं हो रहा था कि उसका भाई, भाभी और चार मासूम भतीजे अब इस दुनिया में नहीं रहे. दरअसल, प्रकाश और उसके तीन बेटों की लाशें चुन्नी और साड़ी के सहारे छत से लटकी हुई थीं. जबकि उसकी पत्नी दुर्गा और महज 3 महीने का बेटा गंगाराम घर के फर्श पर मुर्दा पड़े थे. घर की ये दिल दहला देने वाली तस्वीर देखकर लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि ये कैसे हो गया?

गांव में पसरा मातम
प्रकाश के भाई और रिश्तेदार वहां जमा हो चुके थे. हर तरफ मातम पसर गया था. गमेती परिवार पर तो जैसे दुख का पहाड़ टूट पड़ा था. प्रकाश के दूसरे भाई ने इस बात की इत्तिला पुलिस को दी. कुछ ही देर में पुलिस भी मौके पर जा पहुंची. पुलिस ने मौका-ए-वारदात को बारीकी से देखा. इसके बाद मौके पर फोरेंसिक और डॉग स्क्वायड की टीम बुलाई गई.

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आत्महत्या की आशंका
पुलिस ने प्रकाश के घर का कोना-कोना छान मारा. फोरेंसिक टीम ने हर तरफ से सुराग जुटाने की कोशिश की. हैरानी की बात ये थी कि किसी के पास इस बात का जवाब नहीं था कि प्रकाश गमेती के परिवार ने ऐसा क्यों किया. हालांकि पुलिस ने छानबीन के दौरान पाया कि प्रकाश और उसके भाईयों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. मौका-ए-वारदात से जुटाए गए ज्यादातर सबूत आत्महत्या की तरफ इशारा कर रहे थे. 

हत्या के बाद की खुदकुशी!
पुलिस ने छानबीन के दौरान देखा कि प्रकाश की पत्नी दुर्गा की लाश पर चोट के निशान भी थे. जिसे देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि पहले प्रकाश ने अपनी पत्नी और सभी बच्चों की गला दबाकर हत्या की और फिर ती बच्चों को पत्नी के दुपट्टे और साड़ी से लटका दिया. जबकि सबसे छोटे बेटे और पत्नी को जमीन पर पड़ा रहने दिया. इसके बाद उसने खुद भी फांसी लगाकर जान दे दी. 

डॉग स्क्वायड मौके पर 
मगर 6 लोगों की सामूहिक मौत का ये मामला संदिग्ध होने की वजह से पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है. मौका-ए-वारदात पर जिस डॉग स्क्वायड की टीम को बुलाया गया था, उसका कुत्ता भी करीब 10 फीट के दायरे में ही घूमता रहा. इसलिए पुलिस केवल उसी घर के एक-एक सामान की जांच कर रही है. 

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गुजरात में काम करता था प्रकाश
उदयपुर के पुलिस अधीक्षक कुंदन कांवरिया के मुताबिक आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 6 लोगों की लाशें उनके घर में मिली हैं. मरने वालों में 4 मासूम बच्चे और उनके मां-बाप शामिल हैं. घर का मुखिया प्रकाश गुजरात में काम करता था. वह बसों में खाना बेचकर रोजी रोटी कमाता था. फिलहाल ये साफ नहीं कि गमेती परिवार ने एक साथ खुदकुशी की है या फिर ये मामला संदिग्ध मौत का है?

आत्महत्या या हत्या?
पुलिस मामले की छानबीन कर रही है. पुलिस ने पंचनामे की कार्रवाई के बाद सभी लाशें मोर्चरी में भेज दी हैं. पुलिस का कहना है कि जल्द ही इस मामले का खुलासा हो जाएगा. तफ्तीश जारी है. पुलिस अब इस बात का पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि ये मामला आत्महत्या का है या फिर हत्या का?

दिल्ली का बुराड़ी कांड (30 जून 2018)
उदयपुर में एक साथ एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत ने सबको दहला दिया है. यह मामला बिल्कुल दिल्ली के बुराड़ी कांड से मेल खाता है. अब हम बताते हैं कि इसकी वजह क्या है? दरअसल, आज 4 साल पहले की बात है. दिल्ली के बुराड़ी इलाके में भाटिया परिवार रहता था. ये एक संयुक्त परिवार था, जिसमें छोटे बड़े सभी मिलाकर 11 सदस्य थे.   

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परिवार ने की थी खास पूजा अर्चना  
बात 30 जून 2018 की है. आमतौर पर पूरा भाटिया परिवार रात 12 बजे तक सो जाया करता था. लेकिन उस रात को घर का हर शख्स जाग रहा था. घर के डॉगी टॉमी को टहलाने के बाद परिवार के सदस्य ललित ने घर लौटते ही एक खास पूजा की तैयारी शुरू कर दी थी. पूजा रात करीब 12 बजे शुरू होती हुई और 1 बजे तक चली. उनके घर में इस तरह की पूजा पहले भी होती थी, इसलिए घर के सदस्यों के लिए ये कोई नई बात नहीं थी. करीब घंटेभर चले पूजा-पाठ के बाद ललित ने एक डायरी खोली और घर के लोगों को डायरी में लिखी बात सुनाई.

डायरी के अनुसार किया था कर्मकांड
ललित ने वहां मौजूद घर के 10 सदस्यों से कहा, 'जब आप मोक्ष प्राप्ति के लिए हवन करोगे तो उसके बाद आप अपने कानों में रुई और मुंह और आंख पर कपड़ा बांधोगे, ताकि एक-दूसरे को देख ना सको और न ही चीख सुन सको. अंतिम समय में आखिरी इच्छा की पूर्ती के वक्त आसमान हिलेगा, धरती कांपेगी, उस वक्त तुम घबराना मत. मंत्रों का जाप बढ़ा देना. जब पानी का रंग बदलेगा तब नीचे उतर जाना, एक दूसरे की नीचे उतरने में मदद करना. तुम मरोगे नहीं, बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे. जब आप गले में फंदे डालकर क्रिया करोगे तो मैं आपको साक्षात दर्शन दूंगा और मैं आपको आकर बचा लूंगा. आपकी जो आत्मा है वो बाहर निकलेगी और फिर वापस आ जाएगी. तब आपको मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी.

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ऐसे हुई थी भाटिया परिवार की मौत
इसके बाद ललित ने जैसा जैसा कहा, घर के सदस्यों ने वैसा वैसा किया. घर की छत से 10 लोगों के फांसी लगाने के लिए चुन्नी लटकाई गई, क्योंकि डायरी में लिखे निर्देश के मुताबिक बेब्बे यानी घर की बुजुर्ग नारायणी देवी को चूंकि चलने में दिक्कत थी, इसलिए उन्हें अपने कमरे में ये खास अनुष्ठान करना था. इसके बाद 8 लोगों को तैयार किया गया. हाल में फांसी लगाने की तैयारी की गई. सब स्टूल और कुर्सियों पर चढ़ कर खड़े हो गए. बाकी बचे दो सदस्य ललित और टीना बुजुर्ग बेब्बे के कमरे में गए और वहां बेब्बे के गले में उन दोनों ने बेल्ट से फंदा लगा दिया. उस रात घर के अंदर वो पहली थी.

एक साथ 11 मौत
घर की बुजुर्ग महिला की मौत के बाद ललित और टीना वापस हॉल में पहुंचे. जहां घर के आठ सदस्य गले में फंदा डालकर स्टूल और कुर्सियों पर चढ़कर खड़े थे. उनके हाथ पीछे की ओर बंधे थे. ललित और टीना ने लगभग एक साथ उन आठों के पैरों तले से स्टूल और कुर्सियां खिसका दी. चूंकि सभी के मुंह पर टेप और रुमाल बंधे थे कोई चीख भी नहीं पाया. हाथ बंधे थे इसलिए कोई फंदा भी नहीं खोल पाया और मुश्किल से 2 मिनट के अंदर सभी मारे गए. अब राठी परिवार के 11 में से सिर्फ 2 सदस्य बचे थे टीना और ललित. इसके बाद ये दोनों भी उसी तरह से स्टूल पर चढ़े और स्टूल गिराकर फांसी के फंदे पर झूल गए.

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घर के हॉल में लटकी थीं 10 लाशें
जब पुलिस सूचना मिलने पर बुराड़ी के भाटिया परिवार के मकान पर पहुंची थी. तो हाल का मंजर देखकर पुलिसलवाले भी सन्न रह गए थे. क्योंकि कमरे में एक साथ 10 लोगों की लाशें लटक रहीं थीं. इस मामले ने पूरे देश को हैरान कर दिया था. मामले की तफ्तीश और गहन जांच से पता चला था कि भाटिया परिवार के छोटे बेटे यानी ललित ने ही पूरे परिवार की मौत की पटकथा लिखी थी. 

मौत का रजिस्टर
बाद में तहकीकात के दौरान पुलिस को एक रजिस्टर बरामद हुआ था. जिसमें मौत की कहानी ललित के हाथों से लिखी गई थी. पता चला था कि ललित के दिवंगत पिता की आत्मा उसका मार्गदर्शन करती थी. वही सपने में आकर ललित को बताते थे कि क्या करना है और कैसे करना है. ललित के रजिस्टर में ऐसे ही बातें लिखी पाई गई थीं. रजिस्टर में लिखा था, 'पिताजी ने कहा है कि आखिरी समय पर झटका लगेगा, आसमान हिलेगा, धरती हिलेगी, लेकिन तुम घबराना मत, मंत्र जाप तेज कर देना, मैं तुम्हें बचा लूंगा. जब पानी का रंग बदलेगा तब नीचे उतर जाना, एक दूसरे को नीचे उतारने में मदद करना. तुम मरोगे नहीं, बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे.' 

अहमदाबाद में भी हुआ था ऐसा ही कांड 
उसी साल यानी सन् 2018 में बुराड़ी कांड के करीब सवा दो महीने बाद 13 सितंबर को गुजरात के अहमदाबाद में भी एक परिवार को तीन लोग मौत के फंदे से लटक गए थे. मौका-ए-वारदात यानी मृतकों के घर से एक चिट्ठी मिली थी. जिससे पता चला था कि उस घर के मुखिया को काले जादू पर अंधविश्वास था. असल में ये त्रिपाठी परिवार था, जो अहमदाबाद के पॉश इलाके में रहता था. उस परिवार में पति, पत्नी और एक बच्ची शामिल थी. मगर उस तीनों ने अंधविश्वास के चलते खुदकुशी कर ली थी और जबकि घर की बुजुर्ग महिला को गंभीर हालात में अस्पताल ले जाया गया था.

(साथ में उदयपुर से धीरज रावल का इनपुट)

 

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