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इलाहाबादी बमबाजों के किस्से: चलते-फिरते तुरंत बना लेते थे BOMB, हत्या और दहशत के लिए मुंबई तक थी डिमांड

इलाहाबादी बमबाजों को प्रतापगढ़, कौशांबी, फतेहपुर के अलावा मुंबई में भी हत्या करने में इस्तेमाल किया जाने लगा. देशी बम बनने में इस्लाम नाटे, जग्गा, सलीम नैनी, पप्पू डिस्को, रईस तुल्ला, रईस राजा, पप्पू दाएं, चांद बाबा, किन्ना पासी, सलीम महेवा, मुस्तकीम बैगनटोला, राजेश पासी और राजेश नऊवा माहिर थे. 

उमेश पाल हत्याकांड के दौरान बम फेंकता गुड्डू मुस्लिम. (फाइल फोटो) उमेश पाल हत्याकांड के दौरान बम फेंकता गुड्डू मुस्लिम. (फाइल फोटो)
आनंद राज
  • प्रयागराज,
  • 21 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 1:31 PM IST

UP News: प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड में पहली बार खुलेआम बमबाजी का वीडियो सामने आया. जिसमें गुड्डू बमबाज अपने झोले से बम निकाल-निकालकर चारों तरफ फेंकता नजर आ रहा है. जबकि बमों से हत्या करने का मामला इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में पहले से चलता आ रहा है. हालांकि पहले बमबाजी करते बदमाश को राहगीर देख लेते थे तो वही गवाह होते थे. उस समय न कोई सोशल मीडिया था और न ही कोई ऐसा पुख्ता सबूत. लेकिन आजकल कोई भी घटना सीसीटीवी में कैद हो जाती है और चंद मिनटों में सोशल मीडिया पर वायरल. अब उमेश पाल हत्याकांड के बाद प्रयागराज के पुराने बमबाज याद आ जाते हैं. 70 के दशक में हुई थी पहली बार बम मारकर हत्या...

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इलाहाबादी (अब प्रयागराज) बमबाज सिर्फ प्रयागराज ही नहीं, बाहर के जिलों में भी बम से हत्या और दहशत फैलाने जैसी वारदातों को अंजाम देने के लिए जाया करते थे. लेकिन प्रयागराज में बम से हत्या करने का पहला मामला साल 1972-73 में आया था, जब एक इंजीनियर की सदियाबाद में बमों से मारकर हत्या कर दी गई. इंजीनियर की हत्या महज इसलिए की गई थी, क्योंकि उसके घर के नीचे कुछ लोग अड्डेबाजी और जुआ खेला करते थे. उन लोगों को ऐसा करने से रोकने पर उस समय के पुर्री बमबाज ने इंजीनियर की बमों से हत्या कर दी थी. बम मारकर हत्या का यह पहला मामला था. उसके बाद से बम मारकर हत्या करने का सिलसिला शुरू हो गया. 

दूसरी घटना 1974-75 में सामने आई, जब भोला पहलवान की लोकनाथ व्यायामशाला के पास राजकुमार नाम के एक शख्स की हत्या कर दी गई थी.

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इसलिए कोट पहनता था पुर्री बमबाज 

पुर्री बमबाज के बारे में कहा जाता था कि वह कोट इसलिए पहनता था ताकि आसानी से बम बना सके. क्योंकि वह कोट के पहले जेब में गंधक, दूसरे में पोटाश, तीसरी जेब में मेंशन और चौथी जेब में सुतली कागज और लोहे के छर्रे रखता था. तनिक देर में ही बम तैयार कर लेता था. 70 के दशक का पुर्री बमबाज किसी दो पहिया वाहन से नहीं, बल्कि साइकिल से ही बम मारकर फरार हो जाता था.  

हर मोहल्ले में एक बमबाज

शहर के पुराने जानकार बाबा अवस्थी ने Aajtak को बताया, प्रयागराज के लगभग हर मोहल्ले में एक बमबाज होता था, जिनकी अलग-अलग खासियत होती थी. बाबा अवस्थी ये भी बताते हैं कि बम बनाने वाले अधिकतर लोगों के हाथ बम बनाते समय कट-फट जाते थे. यही वजह थी कि इलाहाबादी बमबाजों के हाथों में कोई न कोई खराबी होती थी. 

2 तरह के बनाए जाते थे बम 

इलाहाबादी बमबाजों को बारे में कहा जाता था कि वह बम दो प्रकार से बनाते थे. एक वो बम होता था जो किसी की हत्या के करने के लिए अलग से बनाया जाता था. इन बमों को गंधक, पोटाश, मेंशन, लोहे के छर्रों समेत बालू का इस्तेमाल कर बहुत जल्दी तैयार कर लिया जाता था. कुछ बमबाज ऐसे बम भी बनाया करते थे जो धमाका करने में इस्तेमाल किए जाते थे ताकि लोगों में दहशत फैलाई जा सके. इस बमों में गंधक, पोटाश और छोटी गिट्टी का इस्तेमाल किया करते थे. 

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80 के दशक में बनने लगे पेट्रोल बम

कुछ सालों बाद कीडगंज इलाके के बमबाज डिब्बी बम बनने लगे. डिब्बी बम 'भोला सुरती' की छोटी डिब्बी का इस्तेमाल करके बनाए जाते थे. उसके बाद 1980 के दशक में पेट्रोल बम बनाया जाने लगा. इलाहाबादी कई बमबाज ऐसे थे कि चलते-चलते बम बांध लिया करते थे और फौरन मारकर मौके से फरार हो जाते थे. 

इलाहाबादी बमबाजों की खासियत थी कि वो अपने इलाके में बमबाजी नहीं किया करते थे, उनके निशाने पर प्रयागराज का धूमनगंज, झलवा, कीडगंज समेत दूसरे इलाके हुआ करते थे. जिसमें दारागंज का एक राजू बम बाज भी शामिल था. ऐसा कहा जाता था कि राजू बमबाज का शागिर्द चांद बाबा हुआ करता था. 

इलाहाबादी बमबाज शहर से बाहर भी जाने लगे

प्रयागराज के मटियारा रोड पर रहने वाले बमबाज श्रीराम के बारे में कहा जाता है कि उसने एक हफ्ते में 6 लोगों की बमों से मारकर हत्या करने की कोशिश की थी. इस घटना के बाद से पूरे प्रयागराज में सनसनी फैली गई थी. कुछ सालों बाद श्री राम को घेरकर गोली मारने की कोशिश की गई, लेकिन वह बच निकला. जिसका बदला लेने के लिए श्री राम के भाई नाटे बमबाज ने पुष्पांजलि होटल के मालिक विनोद गुप्ता की बमों से मारकर हत्या कर दी थी. 

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मुंबई तक थी बमबाजों की डिमांड 

यही वजह थी कि इलाहाबादी बमबाजों को प्रतापगढ़, कौशांबी, फतेहपुर के अलावा मुंबई में भी हत्या करने में इस्तेमाल किया जाने लगा. प्रयागराज में देशी बम बनने में इस्लाम नाटे, जग्गा, सलीम नैनी, पप्पू डिस्को, रईस तुल्ला, अच्छे गढ़ी सराय, रईस राजा, पप्पू दाएं, चांद बाबा, किन्ना पासी, सलीम महेवा, मुस्तकीम बैगनटोला, राजेश पासी और राजेश नऊवा माहिर थे. 

शगुन के तौर पर फोड़े जाने लगे बम

यही नहीं, जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव शुरू हुआ तो दक्षता भाषण के दौरान शगुन के तौर पर देसी बम फोड़ने का दौर शुरू हो गया था. हर साल जब भी छात्रसंघ चुनाव होता था तो दक्षता भाषण के दौरान अगल-बगल के हॉस्टल की तरफ से देसी बम फोड़ जाते थे जिसे शगुन के तौर पर माना जाता था. ये भी पढ़ें:- प्रयागराज: कहानी उस रुखसाना की, जो हत्याकांड के वक्त MLA राजू पाल के बगल की सीट पर बैठी थी

बहरहाल, बदलते दौर के साथ बमों से हत्या करने का दौर भी धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. बमों की जगह आज कल नए जमाने की पिस्टलों का इस्तेमाल होने लगा है. लेकिन कई साल बाद उमेश पाल की हत्या करने में गुड्डू मुस्लिम ने बम का इस्तेमाल किया. बमबाज प्रयागराज की सड़कों पर सिलसिलेवार कई देशी बम फोड़ते हुए सीसीटीवी में कैद हुआ. ये भी पढ़ें:- 'चाहे जान चली जाए, अतीक को सजा दिलाकर रहूंगा'

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क्या है उमेश पाल हत्याकांड?

प्रयागराज के बहुचर्चित विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके 2 सुरक्षाकर्मियों संदीप निषाद और राघवेंद्र की 24 फरवरी 2023 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने धूमनगंज थाने में पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, 2 बेटों, अतीक के साथी बमबाज गुड्डू मुस्लिम, गुलाम मोहम्मद और 9 अन्य साथियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था. 

गुड्डू मुस्लिम ने उमेश पाल हत्याकांड के दौरान बम फेंककर फैलाई थी दहशत.

अतीक का पूरा परिवार आरोपी 

शूटर्स के अलावा उमेश पाल हत्याकांड में गुजरात की जेल में बंद कुख्यात माफिया डॉन अतीक अहमद, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, अतीक का भाई अशरफ और उसके बेटों को आरोपी बनाया गया है. एक बेटा फिलहाल फरार है, जबकि दो नाबालिग बेटों को पुलिस ने बाल सुधार गृह भेज दिया है. वहीं, अशरफ दूसरे मामलों को लेकर बरेली जेल में बंद है. 

 

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