
जब से रेसलर सुशील कुमार की गिरफ्तारी हुई है. तब से यही सवाल उठ रहा है कि उनके खिलाफ आईपीसी की कौन सी धारा के तहत कार्रवाई होगी, 302 या 304? धारा 302 हत्या के लिए और धारा 304 गैरइरादतन हत्या के लिए लगाई जाती है. ये सवाल इस लिए भी उठ रहा है कि अब तक की पूछताछ में सुशील कुमार ने जो कुछ भी कहा है, उसके मुताबिक 4 और 5 मई की रात जो कुछ भी हुआ वो अचानक हुआ. उनका इरादा सागर के कत्ल का नहीं था. बल्कि वे उसे सिर्फ धमकाना और पीटना चाहते थे. लेकिन अब पुलिस इस बात की तफ्तीश कर रही है कि क्या ये सुशील कुमार का कोई पैतरा है, या फिर कहानी कुछ और है?
पूछताछ में अपना जुर्म कबूलने के साथ ही ओलंपियन सुशील कुमार फूट-फूट कर रोए. लॉकअप के फर्श पर बैठते ही उनके आंसू बहने लगे थे. उन्होंने 4 मई की रात सागर धनखड़ को पीटने की बात तो मानी लेकिन उन्होंने कहा कि मारपीट के पीछे कत्ल नहीं सिर्फ डराना मकसद था. डराने के लिए ही उन्होंने वीडियो बनाने की बात भी कही. गिरफ्तार के बाद उन्हें थाने के लॉकअप में रखा गया. जहां बिना कुछ खाए सुशील कुमार रात भर जागते रहे.
कभी-कभी वक़्त भी क्या अजीब खेल दिखाता है. जिस सुशील कुमार के सम्मान में कभी लोग अपनी जगह से उठ खड़े होते थे. जिनकी अगवानी के लिए लोग लाल कालीन बिछाया करते थे. जिनके सम्मान में कसीदे पढ़ते लोग थकते नहीं थे, आज वही ओलंपियन, स्टार रेसलर, पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त सुशील कुमार किसी पेशेवर मुल्ज़िम की तरह दिल्ली के मॉडल टाउन थाने की हवालात में फर्श पर बैठे रो रहे थे. हालत ये है कि बैठने के लिए एक बेंच तक नहीं है. सोचना भी अजीब लगता है कि इंसान की तक़दीर उसे कहां से कहां ला पटकती है या फिर यूं कहें कि इंसान के कर्म उसे कहां से कहां पहुंचा सकते हैं. अर्श से फर्श तक की कहावत इस वक्त अगर किसी पर सबसे सटीक बैठती है, तो वो सुशील कुमार ही हैं.
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सुशील कुमार को गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली पुलिस ने अदालत से उनके और उनके साथी अजय बक्करवाला के 12 दिनों की रिमांड मांगी थी, ताकि क़त्ल की पूरी साज़िश को लेकर दोनों से पूछताछ की जा सके, लेकिन अदालत ने छह दिनों की रिमांड ही मिल सकी. जिसके बाद पुलिस उन्हें लेकर मॉडल टाउन के उस फ्लैट और छत्रसाल स्टेडियम तक भी गई, जहां से वारदात की शुरुआत हुई और जहां वारदात ख़त्म हुई. इस दौरान सुशील पूछताछ में कई बार विरोधाभासी बातें कहते रहें. हालांकि तब तक उनसे कायदे से पूछताछ नहीं हुई थी. लेकिन जब बाहर की कार्रवाई और दौरों के बाद पुलिस की टीम उन्हें लेकर मॉडल टाउन थाने के हवालात तक पहुंची, तो सुशील के आंसुओं का पैमाना छलक गया.
हवालात के अंदर पहुंचते ही सुशील ज़ारो-क़तार रोने लगे. उन्हें खुद को संभालना मुश्किल होने लगा और वो रोते-रोते ही फ़र्श पर बैठ गए. लगातार करीब आधे घंटे तक रोते रहे. हालांकि इस दौरान उनके साथ ही गिरफ्तार उनका दोस्त अजय बक्करवाला खामोश बैठा रहा. रात को पुलिस ने दोनों को खाना भी दिया. अजय ने खाना खाया, लेकिन सुशील ने कुछ भी खाने से इनकार कर दिया. इसके दौरान क्राइम ब्रांच के अधिकारियों की तरफ से सुशील से पूछताछ भी की जाती रही और सुशील बार-बार इमोशनल होते रहे. सुशील से एडिशनल सीपी शिबेश सिंह और डीसीपी मोनिका भारद्राज और उनकी टीम ने पहले दिन करीब पांच घंटे पूछताछ की.
हालांकि क्राइम ब्रांच की पूछताछ में सुशील कुमार ने कई अहम बातें क़बूल कीं. उन्होंने माना कि उन्होंने अपने साथियों के साथ 4 मई की रात सागर धनखड़ की पिटाई की थी. लेकिन उनका इरादा सागर का क़त्ल करना नहीं बल्कि उसे और उस जैसे कुछ दूसरे पहलवानों को डराना भर था. सुशील कुमार ने मारपीट के दौरान हथियार लाए जाने की बात भी मानी. लेकिन इसके पीछे भी उन्होंने दूसरे पक्ष को डराने को ही अपना मकसद बताया. पुलिस ने सुशील कुमार से इस वारदात का वीडियो बनाए जाने को लेकर भी सवाल किया. जिसके जवाब में सुशील ने कहा कि उन्होंने वीडियो भी लोगों को डराने के लिए बनवाया था.
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असल में सुशील कुमार के एक साथी प्रिंय के मोबाइल से बरामद यही वीडियो अब उनके गले की फांस बन चुका है. वीडियो में सुशील कुमार सागर धनखड़ को हॉकी स्टिक से पीटते हुए दिखाई दे रहे हैं. सुशील ने कहा कि जब उन्हें अगले दिन अस्पताल में सागर की मौत की खबर मिली, तो वो घबरा गए और पुलिस से बचने के लिए भाग निकले. हालांकि सुशील की कई बातें विरोधाभासी भी हैं. वो बार-बार अपना बयान बदल रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा है कि वो खुद मारपीट करने नहीं गए थे, बल्कि वो तो पहलवानों के दो गुटों के झगड़े में बीच-बचाव करने गए थे.
हालांकि अभी सुशील कुमार क्राइम ब्रांच की कस्टडी में हैं और उनसे लगातार पूछताछ हो रही है. कहने की जरूरत नहीं है कि पुलिस उनके बयानों की तस्दीक भी करेगी, उन्हें क्रॉस चेक भी करेगी और उनके बयानों के साथ-साथ सुशील के गिरफ्तार दूसरे साथियों के बयान का भी मिलान करेगी, ताकि सुशील के झूठ सच का पता लगाया जा सके. पुलिस सुशील को इसी सिलसिले में छत्रसाल स्टेडियम के साथ-साथ उस फ्लैट में भी लेकर पहुंची, जहां से इस विवाद की शुरुआत हुई. इस बीच पुलिस सूत्रों ने दावा किया है कि सुशील कुमार ने सागर और उसके एक दोस्त सोनू महाल के साथ मिलकर मॉडल टाउन में एक फ्लैट पर कब्ज़ा किया था और इसी फ्लैट को लेकर उनका सागर के साथ विवाद हो गया.
सूत्रों का कहना है कि संदीप काला उर्फ़ काला जठेड़ी और गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई गैंग के बदमाश सुशील के इसी फ्लैट में शेल्टर लेते थे. यहीं से ही इन दोनों गैंग्स के बदमाश दिल्ली, यूपी और हरियाणा के टोल टैक्स बूथों को कंट्रोल करते थे, जिनका ठेका सुशील कुमार ने ले रखा था. मॉडल टाउन के इस फ्लैट को बेचकर सुशील कुमार और जठेड़ी के बीच पैसों का बंटवारा होना था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से सुशील जठेड़ी के दुश्मन और दिल्ली के सबसे बड़े गैंगस्टर नीरज बावना और नवीन बाली के क़रीब आ गए थे. इसी के चलते सुशील कुमार और जठेड़ी के बीच दूरियां बढ़ गई थीं. जिस पर जठेड़ी ने सुशील कुमार पर पैसे के लिए फ्लैट बेचने का दबाव बढ़ा दिया था.
बताते हैं कि इसके बाद सुशील कुमार ने उस फ्लैट में रह रहे सागर धनखड़ और बाकियों को वो फ्लैट खाली करने को कहा तो विवाद बढ़ गया. सागर ने सुशील और उनके साथियों को चुनौती दे दी. और तब सागर, सोनू महाल और काला जठेड़ी को सबक सिखाने के लिए उन्होंने सागर, सोनू और उनके बाकी साथियों को अगवा कर बुरी तरह पीटा. जिसमें सागर की जान चली गई, जबकि सोनू की हालत बिगड़ गई. चूंकि सुशील काला जठेड़ी के गैंग को सबक सिखा रहे थे, इस काम में उन्हें नीरज बवानिया और काला के बाकी विरोधी गैंग्स के गुर्गों का पूरा साथ मिला और मामला हद से ज़्यादा बिगड़ गया.