
दुनिया का खौफनाक सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज अब आज़ाद है. वो खुली हवा में सांस ले रहा है. वो अपने मुल्क जा पहुंचा है. दरअसल, नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने 'बिकिनी किलर' के नाम से कुख्यात शातिर चार्ल्स को सजा पूरी होने से पहले ही रिहा करने का फरमान सुनाया था. बढ़ती उम्र, खराब सेहत और जेल में अच्छा बर्ताव उसकी रिहाई की वजह बने. मगर जेल से रिहाई के कुछ घंटों में ही उसे डिपोर्ट कर दिया गया. दो देशों की एजेंसियों ने कैसे किया ये सब? आइए आपको बताते हैं पूरी कहानी.
23 दिसंबर 2022, काठमांडू जेल, नेपाल
आखिरकार 19 साल की कैद के बाद सबसे खौफनाक सीरियल किलर्स में से एक और जीते जी जुर्म की दुनिया की किंवदंती बन चुका चार्ल्स शोभराज शुक्रवार को दोपहर 12.17 बजे नेपाल की काठमांडू जेल से आज़ाद हो गया. और शाम होते-होते चार्ल्स को फ्रांस की राजधानी पेरिस के लिए रवाना कर दिया गया. दरअसल, नेपाल उस शातिर चार्ल्स को अपनी जमीन पर रोकना ही नहीं चाहता था. इसी वजह से जो काम 15 दिन में होता, उसे नेपाल और फ्रांस के अधिकारियों ने मिलकर महज कुछ घंटों में ही पूरा लिया.
ऐसे रेडी हुए चार्ल्स के दस्तावेज
इसके लिए नेपाल के गृह मंत्रालय ने उसे डिपोर्ट करने के लिए शुक्रवार को इमरजेंसी मीटिंग की. इसके बाद फ्रांस दूतावास से बातचीत की गई और तब दूतावास ने उसका ट्रैवल डॉक्यूमेंट रेडी किया, उसके लिए ना सिर्फ वीजा, बल्कि टिकट का भी इंतज़ाम किया और इस तरह 19 सालों की कैद के बाद शोभराज को नेपाल और नेपाल की जेल से आजादी मिल गई.
शाम को ही किया गया डिपोर्ट
खुद चार्ल्स की जिंदगी की तरह उसकी आजादी भी काफी उथल-पुथल भरी रही. पहले ये बताया गया कि इमीग्रेशन के पास उसे रखने की जगह नहीं है और वीजा पासपोर्ट जैसी तमाम प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद उसे फ्रांस डिपोर्ट करने में अभी कुछ दिनों का वक्त लग सकता है. ऐसे में उसे एक बार फिर नेपाल जेल भेजा जा सकता है, लेकिन शाम होते-होते सारे इंतज़ाम पूरे हो गए और चार्ल्स ने नेपाल की धरती छोड़ दी.
कत्ल के दो मामलों में मिली थी उम्रकैद
78 साल के चार्ल्स की आज़ादी के लिए नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार फैसला सुनाया था और उसे जेल से निकलने के 15 दिनों के अंदर फ्रांस डिपोर्ट करने के हुक्म दिया था. दुनिया भर में घूम-घूम कर 20 से ज्यादा लोगों का कत्ल करने के मुल्ज़िम चार्ल्स शोभराज को नेपाल पुलिस ने 2003 में काठमांडू के ही एक कैसिनो से गिरफ्तार किया था. उस पर नेपाल में फर्जी पासपोर्ट से सफर करने के साथ-साथ अमेरिकी और कनाडाई मूल की दो लड़कियों के कत्ल का इल्ज़ाम था.
करीब एक साल की सुनवाई के बाद चार्ल्स पर लगे अमेरिकी लड़की के कत्ल का जुर्म साबित हो गया और 2004 में उसे नेपाल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. इसके बाद 2014 में उसे फिर से एक कनाडाई लड़की के कत्ल का गुनहगार करार दिया गया. इन दोनों ही गुनाहों में उसे 2023 तक की सज़ा काटनी थी, लेकिन चार्ल्स ने इससे पहले ही जेल से निकलने की फरियाद करते हुए नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया.
नेपाल में चार्ल्स की एंट्री हमेशा के लिए बैन
अदालत ने चार्ल्स की बढ़ती उम्र, उसकी खराब सेहत, जेल में अच्छे चाल-चलन और अपनी सजा का 75 फीसदी से ज्यादा हिस्सा काट लेने जैसी बातों को देखते हुए ये फैसला सुनाया. वैसे तो नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने चार्ल्स को फ्रांस भेजने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया था, लेकिन नेपाली सरकार ने फ्रांस दूतावास की मदद से उसे शुक्रवार को ही दुबई के रास्ते फ्रांस रवाना करने की तैयारी शुरू कर दी. उसके दस्तावेज इमीग्रेशन अधिकारियों के हवाले कर दिए गए. नेपाल में अब चार्ल्स की दोबारा एंट्री पर हमेशा-हमेशा के लिए पाबंदी लगा दी गई है. असल में चार्ल्स के पास कई देशों का पासपोर्ट मिले थे, जिसके बाद पहले उसके असली पासपोर्ट की शिनाख्त कर फ्रांस दूतावास से वीजा लेने की प्रक्रिया शुरू की गई. इमीग्रेशन में उसके बायोमेट्रिक पहचान की गई.
'बिकिनी किलर' के नाम से कुख्यात है चार्ल्स
जीते जी जुर्म की दुनिया का 'छलावा' बन चार्ल्स शोभराज को दुनिया 'बिकिनी किलर' के नाम से जानती थी. उसे उसकी शातिर दिमाग़ी ने उसे 'द सरपेंट' यानी सांप का भी नाम मिला. उस पर 20 से ज़्यादा क़त्ल के इल्जाम हैं और एक वक्त पर दुनिया के 9 मुल्कों की पुलिस के लिए सालों-साल सिरदर्द बना रहा. चार्ल्स को आखिरी बार नेपाल की राजधानी काठमांडू के एक कसीनो से 2003 में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि तब नेपाल पुलिस ने उसके खिलाफ 28 साल पुराने एक केस को दोबारा खोला, जिसमें उस पर फर्जी पासपोर्ट से सफर करने के साथ-साथ एक अमेरिकी और एक कैनेडियन लड़की के कत्ल का इल्जाम था. इसी इल्जाम में उसे साल 2004 में 20 सालों की सज़ा हो गई.
जेल में विदेशी मीडिया को दिया था इंटरव्यू
वैसे तो चार्ल्स की पूरी जिंदगी ही एक से बढ़ कर एक कहानियों से भरी रही, जिसमें जुर्म की खौफनाक वारदातों को अंजाम देने से लेकर कायदे कानून का मजाक बना डालने तक के बेशुमार किस्से शामिल हैं, लेकिन आखिरी बार पिछले साल यानी 2021 में उसने तब पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी थी, जब उसने नेपाल की जेल में बंद रहते हुए विदेशी मीडिया को इंटरव्यू दे दिया था.
कानून से खिलवाड़ करता रहा चार्ल्स
आखिर चार्ल्स शोभराज की गिनती इस दुनिया के सबसे खतरनाक आपराधियों में क्यों होती है? चार्ल्स पर सन 1972 में थाईलैंड में पांच लड़कियों के कत्ल का इल्जाम था. जिसके बाद उसका नाम बिकिनी किलर पड़ गया. वहां के कानून के मुताबिक इतने कत्ल के बाद चार्ल्स को फांसी की सजा मिलनी लगभग तय थी. लेकिन वहां के कानून में एक शर्त ये भी थी कि ये सजा उसे 20 सालों के अंदर ही मिलनी चाहिए थी और कानून की इसी शर्त को चार्ल्स ने अपनी जिंदगी का हथियार बना लिया. चार्ल्स अब किसी कीमत पर थाईलैंड पुलिस की जद में नहीं आना चाहता था. इसके बाद वो सीधे 1976 में भारत में पकड़ा गया. यहां उस पर कुछ फेंच टूरिस्ट को नशीली चीज खिला कर लूटपाट करने का इल्जाम लगा.
तिहाड़ जेल से भाग निकला था चार्ल्स शोभराज
गिरफ्तारी के बाद उसे देश की सबसे सुरक्षित जेल यानी दिल्ली के तिहाड़ में रखा गया. इस जुर्म में उसे सजा भी हुई और सजा के बाद उसे 1986 में छूट जाना था. अब चार्ल्स ने एक बार फिर अपना दिमाग दौड़ाया, चूंकि छूटने के बाद उसे थाईलैंड डिपोर्ट कर दिए जाने का खतरा था, जहां उसे मौत की सजा हो सकती थी, इसलिए उसने अपनी सजा खत्म होने से पहले ही जेल तोड़ कर भागने का इरादा कर लिया. उसने तिहाड़ में अपनी बर्थ डे का ड्रामा कर अंदर मौजूद कैदियों, संतरियों और अफ़सरों को जम कर नशीली मिठाई खिलाई और फिर जेल का दरवाजा खोल कर बड़े आराम से बाहर निकल गया. और तो और बाहर आकर उसने अपनी तस्वीरें भी क्लिक करवाईं और फिर मौज मस्ती करने गोवा चला गया.
खुद पुलिस को बताई थी अपनी लोकेशन
कहते हैं इसके बाद उसने खुद ही फोन कर पुलिस को अपनी लोकेशन बता दी और कुछ इसी तरह दोबारा गिरफ्तार हो गया. जिसके बाद उसे फिर से जेल तोड़ने के जुर्म में सजा हुई और इस बार उसकी सज़ा 1996 में पुरी हुई. यानी अब वो थाईलैंड के कानून और वहां मिलनेवाली सजा-ए-मौत के डर से आजाद हो चुका था. इसके बाद उसे 1996 में ही भारत से डिपोर्ट कर फ्रांस भेज दिया गया. लेकिन कहते हैं ना कि चोर चोरी से जाए, मगर हेराफेरी से ना जाए. इस बार चार्ल्स नेपाल में किए गए जुर्म के इल्जामों में साल 2003 में काठमाडूं में गिरफ्तार किया गया और फिर तब से लेकर अब तक वहां की जेल में ही बंद था.
पहली बार किया था ये जुर्म
चार्ल्स का जन्म 1944 को वियतनाम में हुआ था. उसकी मां वियतनामी थी, जबकि पिता भारतीय मूल के थे. कहते हैं कि उसके माता-पिता ने शादी नहीं की थी. बाद में चार्ल्स की मां वियतनाम में एक फ्रेंच फौजी से मिली, जिसने उसकी मां के साथ-साथ चार्ल्स को भी अपना लिया और इस तरह चार्ल्स को फ्रांस की नागरिकता मिल गई. लेकिन कम उम्र में ही यानी साल 1963 में चोरी के जुर्म में चार्ल्स को पहली बार फ्रांस के पोईसी जेल में बंद होना पड़ा और यहीं से जुर्म की दुनिया में उसकी ऐसी एंट्री हुई कि फिर वो कभी वापस ही नहीं लौट सका.
थाईलैंड में किया था पहला मर्डर
कहते हैं कि चार्ल्स ने साल 1975 में थाईलैंड में पहली हत्या की. उसने 1975 में एक टूरिस्ट की स्वीमिंग पूल में जान ले ली. सत्तर के दशक में ही उसने साउथ ईस्ट एशिया में 12 पर्यटकों की हत्या कर दी थी. इनका कत्ल पानी में डूबो कर, गला घोंट कर, चाकू मार कर या जिंदा जला कर किया गया था. चार्ल्स के बारे में बताते हैं कि चूंकि उसका व्यक्तित्व शुरू से ही काफी आकर्षक था, वो लड़कियों को आसानी से अपने झांसे में ले लेता था. इसके बाद वो ऐसी लड़कियों से लूटपाट करता और फिर उनकी जान लेकर फरार हो जाता. चूंकि उसके निशाने पर अक्सर टूरिस्ट लड़कियां होती थी, जिनकी जान वो समंदर या स्वीमिंग पूल के इर्द-गिर्द लिया करा था, कुछ इसी वजह से उसका नाम बिकिनी किलर पड़ गया था.
(काठमांडू से पंकज दास का इनपुट)