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सेक्स, सीडी और सियासत का जब-जब कॉकटेल हुआ है, तब-तब हंगामा बरपा है. इस हंगामें के बीच किसी न किसी महिला को अपनी जान गंवानी पड़ी है. दोस्ती, महत्वाकांक्षा, मोहब्बत और जुनून के दरमियान जब शक पैदा होता, तो साजिश होती है. यही साजिश एक कत्लेआम को जन्म देती है. भारत में सियासी हस्तियों से लेकर बॉलीवुड के सितारों तक, हर कोई सेक्स स्कैंडल की गिरफ्त में आया है. aajtak.in सेक्स स्कैंडल की ऐसी ही घटनाओं पर एक सीरीज पेश कर रहा है. इस कड़ी में आज पेश है वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी की कहानी.
बात सन् 2009 की है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त (एनडी) तिवारी उनदिनों आंध्र प्रदेश के राज्यपाल हुआ करते थे. एक दिन टीवी पर उनकी एक कथित सेक्स सीडी सामने आई, जिसने पूरे देश की राजनीति में भूचाल ला दिया. हर तरफ उसकी चर्चा होने लगी. उस सीडी में एनडी तिवारी तीन महिलाओं संग आपत्तिजनक स्थिति में दिख रहे थे. उस वीडियो क्लिप को तेलुगू चैनल ने प्रसारित किया था. इस सीडी के सियासत ने ऐसा रंग दिखाया कि एनडी को राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर वापस लौटना पड़ा. सीडीकांड को उन्होंने अपने खिलाफ विरोधियों की साजिश बताया था.
डीएनए टेस्ट के बाद मिला परिवार
आंध्र प्रदेश से लौटने के बाद एनडी तिवारी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सक्रिय राजनीति अपनी जमीन तलाश ही रहे थे कि एक नई मुसीबत सामने आ गई. जवानी के दिनों में अपनी रंगीनमिजाजी के लिए मशहूर एनडी पर एक महिला ने नया आरोप लगा दिया. उस महिला ने बताया कि वह उनकी पत्नी है और उन दोनों से एक बेटा भी है. एनडी के इंकार पर यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया. कोर्ट के निर्देश पर एनडी का डीएनए टेस्ट कराया गया, जो उनके बेटे रोहित से मैच कर गया. इसके बाद काफी इंकार के बाद उन्होंने पत्नी और बच्चे को अपना लिया.
90 साल की उम्र में रचाई शादी
मई 2014 में यूपी की राजधानी लखनऊ में नारायण दत्त तिवारी ने रोहित की मां उज्ज्वला शर्मा से विधिवत विवाह कर लिया. इस विवाह के समय उनकी उम्र 90 साल थी. अपने इस हक के लिए उज्ज्वला शर्मा को एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़नी थी. वर्तमान तीनों लखनऊ में ही रह रहे हैं. एनडी तिवारी अपने सफल राजनीतिक जीवन में राज्यसभा, लोकसभा सांसद रहने के साथ-साथ चार बार यूपी के मुख्यमंत्री और एक बार आंध्रप्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं. 1990 के दशक में वह प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन पी.वी नरसिम्हा राव ने बाजी मार ली थी.
सियासत में दखल रखते हैं एनडी
एनडी तिवारी का प्रधानमंत्री बनने का उनका ख्वाब भले ही पूरा नहीं हो पाया पर सियासत में उनकी दखल कभी कम नहीं हुई. 18 अक्तूबर, 1925 को नैनीताल के बलूती गांव में पैदा हुए तिवारी आजादी के समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष थे. तिवारी संभवतः देश के इकलौते बड़े नेता हैं जो भारत के गणराज्य बनने के समय से राजनीति में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सक्रिय हैं. उत्तर प्रदेश में चार बार और एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तथा केंद्र में लगभग हर महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री रहे तिवारी अतीत के पिंजरे में कैद होने वालों में नहीं हैं.
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