
श्रद्धा मर्डर केस को सामने आए ठीक एक हफ्ता पूरा हो गया है. पुलिस श्रद्धा के कातिल आफताब से लगातार पूछताछ कर रही है. इस एक हफ्ते की तफ्तीश का पूरा लेखा-जोखा पुलिस के सामने है. बावजूद इसके अब तक पुलिस के पास आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं. जिनकी तलाश में दिल्ली पुलिस राजधानी के अवाला गुरुग्राम, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी खाक छान रही है. पुलिस को शक है कि आफताब ने श्रद्धा की लाश के टुकडे करने के लिए जिस आरी का इस्तेमाल किया, वो आरी उसने गुरुग्राम में अपने दफ्तर के पीछे मौजूद झाड़ियों में ही कहीं फेंक दी थी. यही वजह है कि शनिवार को पुलिस ने बाकायदा मेटल डिटेक्टर के साथ इस सुनसान जगह पर तलाशी अभियान चलाया. जाहिर है, मामला पेचीदा है. आरोपी लगातार झूठ बोल रहा है. लेकिन धीरे-धीरे ही सही तफ्तीश आगे बढ़ रही है. इसके साथ ही सबूतों के मिलने की उम्मीद भी बढ़ती जा रही है.
मामले की तफ्तीश हिमाचल प्रदेश के कुल्लू तक जा पहुंची. शनिवार को दिल्ली पुलिस की टीम कुल्लू की मणिकर्ण घाटी पहुंची. इस दौरान पुलिस मणिकर्ण के साथ लगते तोष गांव में एक गेस्ट हाउस का रिकॉर्ड भी खंगाला. गेस्ट हाउस के रिकॉर्ड में पता चला कि हत्या का मुख्य आरोपी आफताब और श्रद्धा 6 अप्रैल को तोष गांव पहुंचे थे और गेस्ट हाउस में ठहरे थे. वहीं गेस्ट हाउस के संचालक के भी दिल्ली पुलिस के बयान दर्ज किए हैं. ऑनलाइन माध्यम से की गई पेमेंट का स्क्रीनशॉट भी दिल्ली पुलिस ने ले लिए हैं. छानबीन में पता चला कि आफताब श्रद्धा को लेकर 6 अप्रैल को तोष गांव पहुंचा था. 7 अप्रैल को आफताब और श्रद्धा गांव के साथ लगते जंगल में ट्रैकिंग के लिए भी गए थे और 8 अप्रैल को दोनों गांव से निकल गए थे. सूत्रों के अनुसार अब पुलिस मनाली के होटल में भी पूछताछ के लिए जायेगी.
महरौली के जंगल से मिली हड्डियों का सच?
महरौली के जंगल से मिले अलग-अलग किस्म के हड्डियों के कई टुकड़ों के बारे में फोरेंसिक टीम ने कई जानकारी दी है. दिल्ली पुलिस के फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की मानें तो इन हड्डियों को देखकर आसानी से पहचाना जा सकता है कि ये इंसान की हैं. हालांकि इन हड्डियों को श्रद्धा की हड्डियां साबित करना अभी भी एक बड़ी चुनौती है. इसके लिए डीएनए टेस्ट कराया जा रहा है. श्रद्धा के पिता का डीएनए सैंपल ले लिया गया है. फॉरेंसिक टीम के मुताबिक इन हड्डियों में एक फेमर बोन है, यानी वो हड्डी जिसे हम आम बोलचाल की भाषा में जांघ की हड्डी या थाई बोन कहते हैं. इसी तरह पुलिस और एक्सपर्ट्स को वहां से रेडियस उलना, पाटेला और ऐसी कई और हड्डियां मिली हैं. रेडियस उलना यानी कलाई और कोहनी के बीच की हड्डी, इंसान की ये हड्डी काफी मजबूत होती है. पटेला असल में घुटने की हड्डी होती है, जिसे नी-कैप भी कहते हैं. खास बात ये भी है कि इन हड्डियों पर तेजधार हथियार से काटे जाने के भी निशान मिले हैं.
'आजतक' पर आफताब के बचपन के दोस्त की जुबानी
इस बीच आफताब के बचपन के दोस्त निशंक मोदी ने आजतक से बात की. जिसमें उन्होंने श्रद्धा के कातिल के बारे में कई जानकारी दी. निशंक ने कहा, "हमने कभी नहीं सोचा था कि आफताब ऐसा अपराध करेगा. हम स्कूल के बाद तब मिलते थे जब हम खेलने के लिए बाहर जाते थे और मैं उसे 15 साल से जानता हूं. वह अच्छे स्वभाव का था और मैंने कभी गुस्सा होने की आदत नहीं देखी. वह 2019 में घर से बाहर चला गया था और अलग जगह पर रह रहा था. उसका परिवार भी कुछ समय पहले यहां से चला गया था, लेकिन उन्होंने कहा था कि वे किसी काम से बाहर जा रहे हैं और अपना घर किराए पर दे रहे हैं. आफताब पढ़ाई में अच्छा था और एक कॉल सेंटर में काम करता था. उसने होटल मैनेजमेंट का कोर्स भी किया था. मैंने सुना था कि श्रद्धा उसके घर आती-जाती थी, लेकिन मैंने उसे देखा नहीं था. किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि वह इस तरह के अपराध में शामिल होगा.
आरोपी का सीसीटीवी भी आया सामने
दिल्ली पुलिस को एक ऐसा सीसीटीवी फुटेज हाथ लगा है, जो इस मामले में आफताब के खिलाफ बड़ा सबूत साबित हो सकता है. ये वो सीसीटीवी फुटेज है, जिसमें आफताब अपने कांधे पर पिट्ठू बैग टांगे 18 अक्टूबर की तड़के 4 बजे सुनसान सड़क से गुजरता नजर आ रहा है. पुलिस को शक है कि ये तस्वीरें उस वक्त की हो सकती हैं, जब आफताब श्रद्धा की लाश के टुकड़े निपटाने महरौली जंगल की तरफ जा रहा होगा. यानी शक इस बात का भी है कि आफताब ने श्रद्धा की लाश के टुकड़े एक-दो दिन में नहीं निपटाए, बल्कि ये सिलसिला महीनों तक यूं ही चलता रहा. इस फुटेज पर पुलिस की निगाहें इसलिए भी कुछ ज्यादा ही टेढ़ी हैं, क्योंकि आरोपी पूछताछ के दौरान लगातार पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करता रहा है. एक रोज़ पहले यानी शुक्रवार को ही दिल्ली पुलिस ने अपने एक प्रेस नोट में इस बात का खुलासा किया था कि आफताब लगातार झूठ बोल रहा है.
हत्या के बाद वैक्यूम क्लीनर से की थी सफाई
पुलिस की पूछताछ में आफताब ने बताया है कि उसने श्रद्धा की जान लेने और उसकी लाश निपटाने के बाद सबूत मिटाने के इरादे से ही खास तौर पर एक वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन खरीदा था, ताकि पानी और एसिड की साफ-सफाई के बाद अगर खून या लाश के कुछ निशान बाकी रह जाएं, तो उन्हें वैक्यूम क्लीनर से खींच कर पूरी तरह साफ कर दिया जा सके. शायद यही वजह रही कि पुलिस ने उस बेड और उन चादरों की भी गहराई से पड़ताल की, जिसमें उसने श्रद्धा की जान ली थी. लेकिन बेड और चादर से भी पुलिस को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला. सबकुछ बिल्कुल साफ-सुथरा और धुला-पुंछा हुआ था. जबकि आफताब ने पूछताछ में खुद अपनी जुबान से ये कबूल किया था कि श्रद्धा को बिस्तर पर पटकने के बाद उसने उसके सीने पर बैठ कर उसका गला घोंट दिया था.
रूम फ्रेशनर और अगरबत्ती का कर रहा था इस्तेमाल
आफताब ने लोगों को धोखा देने के लिए सिर्फ़ श्रद्धा का सोशल मीडिया एकाउंट ही एक्टिव नहीं रखा, बल्कि लाश के टुकड़े-टुकड़े करने के बाद घर में बिखरे खून के धब्बे और बदबू मिटाने के लिए सल्फर हाईपोक्लोरिक एसि़ड का भी इस्तेमाल करता रहा. वो लगातार रूम फ्रेशनर और अगरबत्ती का भी इस्तेमाल कर रहा था, ताकि आस-पड़ोस के लोगों को उसके घर से कोई बदबू ना आए. ये आफताब का शातिर दिमागा ही था, जिसके चलते उसकी नई गर्लफेंड को भी उसके घर में आने पर इस बात की भनक नहीं लगी कि वहां किसी लड़की का कत्ल हो चुका है. श्रद्धा के कत्ल के बाद आफताब एक नई लड़की से दोस्ती कर चुका था. एक रोज़ उसने अपनी इस नई गर्लफेंड को इसी घर में तब बुलाया, जबकि श्रद्धा की लाश के कुछ टुकडे अब भी घर में मौजूद थे. बस उसने इतना जरूर किया कि उतनी देर के लिए लाश के टुकडों को फ्रिज से निकालकर अलमारी में छुपा दिया.