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Shraddha Walker Murder Case: सवालों का जाल, झूठ पकड़ने वाली मशीन और आफताब के राज... ऐसे खुलती गई श्रद्धा मर्डर केस की मिस्ट्री

जिस श्रद्धा के साथ आफताब तीन साल से लिव इन में रह रहा था, उसी श्रद्धा को आफताब ने क्यों मारा? अगर श्रद्धा आफताब पर शादी के लिए दबाव डाल रही थी, तो वही श्रद्धा फिर आफताब को छोड़ कर क्यों जाना चाहती थी?

आफताब पूनावाला ने पूछताछ के दौरान पुलिस को कई सवालों के जवाब दिए हैं आफताब पूनावाला ने पूछताछ के दौरान पुलिस को कई सवालों के जवाब दिए हैं
अरविंद ओझा/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 30 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:44 PM IST

Shraddha Walker Murder Case: श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस में सबसे बड़ा सवाल ही यही था कि आखिर आफताब ने श्रद्धा का कत्ल क्यों किया? लंबी कवायद के बाद इस सवाल का जवाब मिल चुका है. श्रद्धा के मर्डर की वजह सामने आ चुकी है. हालांकि कत्ल की वजह बड़ी अजीब है. जिसे सुनकर हर कोई हैरान हो रहा है. मगर अब इस मामले की पहेली सुलझती दिख रही है.

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जिस श्रद्धा के साथ आफताब तीन साल से लिव इन में रह रहा था, उसी श्रद्धा को आफताब ने क्यों मारा? अगर श्रद्धा आफताब पर शादी के लिए दबाव डाल रही थी, तो वही श्रद्धा फिर आफताब को छोड़ कर क्यों जाना चाहती थी? और अगर श्रद्धा आफताब को छोड़ कर जाना ही चाहती थी, तो फिर आफताब को उसका कत्ल करने की जरूरत क्या थी? अभी तक की कहानी यही थी कि श्रद्धा आफताब से शादी करना चाहती थी. लेकिन आफताब उसे टाल रहा था. श्रद्धा के इसी दबाव की वजह  से फिर उसने श्रद्धा का कत्ल कर दिया. 

इसलिए किया श्रद्धा का मर्डर
मगर दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक श्रद्धा के कत्ल की वजह ये कतई नहीं थी. आफताब ने श्रद्धा को इसलिए बिल्कुल नहीं मारा. बल्कि श्रद्धा के कत्ल की वजह कुछ और थी. दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक पहले पुलिस हिरासत और फिर पॉलीग्राफी टेस्ट के दौरान आफताब ने ये बताया कि वो श्रद्धा को नहीं बल्कि श्रद्धा उसे छोड कर जानेवाली थी और बस इसीलिए उसने श्रद्धा को मार डाला. 

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आफताब से अलग होने का फैसला बना जानलेवा
बकौल आफताब मई के पहले हफ्ते में ही वो श्रद्धा की राय जान चुका था. श्रद्धा अब उससे अलग होकर अपनी नई जिंदगी शुरू करना चाहती थी. लेकिन आफताब ना उससे शादी करना चाहता था और ना ही उसे खुद से जुदा. वो नहीं चाहता था कि श्रद्धा की जिंदगी में कोई और आए या श्रद्धा किसी और के साथ रहे. बस इसी के बाद ईद के मौके पर उसने श्रद्धा को हिमाचल घूमने के लिए तैयार कर लिया. इसके बाद वो हिमाचल पहुंचा और फिर दिल्ली. पर इस दौरान भी श्रद्धा ने अपना इरादा नहीं बदला था. वापस मुंबई लौट कर वो आफताब से दूर जाने का फैसला कर चुकी थी. आफताब इस फैसले के बारे में जानता था. और बस इसीलिए उसने श्रद्धा को मार डाला.

श्रद्धा से मारपीट करता था आफताब
हालांकि ये पहली बार नहीं था जब श्रद्धा ने आफताब से अलग रहने का फैसला किया था. 2019 में दोनों पहली बार मिले थे. 19 के आखिर में दोनों लिव इन में साथ भी रहने लगे. लेकिन वो 2020 का साल था, जब आफताब और श्रद्धा के बीच सबसे ज्यादा लडाई हुई. ये वो साल था जब कोरोना मुंबई समेत पूरे देश में फैला हुआ था. मुंबई में लंबे वक्त तक के लिए लॉक डाउन था. आफताब और श्रद्धा कई महीने तक एक ही घर में बंद थे. और तब दोनों में खूब झगड़ा हुआ करता था. इसी दौरान आफताब ने श्रद्धा पर कई बार हाथ भी उठाया था.

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पिटाई की वजह से जाना पड़ा था अस्पताल
23 नवंबर 2020 को तो आफताब ने श्रद्धा की इस कदर पिटाई की कि श्रद्धा को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. तब पहली बार श्रद्धा ने ना सिर्फ आफताब को छोडने और उससे अलग रहने का फैसला किया था, बल्कि अपने दोस्तों के कहने पर पुलिस में आफताब के खिलाफ एक शिकायत भी दर्ज कराई थी. ये वही शिकायत थी, जिसमें उसने आफताब का असली चेहरा उजागर कर दिया था. 

पुलिस से की थी शिकायत
दरअसल, 23 नवंबर 2020 को श्रद्धा ने पुलिस को कंप्लेंट तब दी थी, जब आफताब ने उसकी हालत कुछ ऐसी कर दी थी कि उसका बुरा हाल था. वो जख्मी थी. उसके नाक, गाल, गला, कमर के निचले हिस्से पर बेतहाशा चोट और चोटों के निशान थे. आफताब ने तब श्रद्धा की बुरी तरह पिटाई की थी. इस पिटाई के बाद श्रद्धा को उसके दोस्त अस्पताल ले गए, जहां उसे भर्ती करना पड़ा. अपने उन्हीं दोस्तों के मशवरे के बाद तब श्रद्धा ने तुलिंज पुलिस स्टेशन में कंप्लेन दी थी. तब श्रद्धा ये तय कर चुकी थी कि अब वो आफताब से अलग हो जाएगी. उसके साथ बिल्कुल नहीं रहेगी. 

माफी मांगने पर वापस ले ली थी कंप्लेन
लेकिन अफसोस वो फिर से आफताब के बहकावे में आ गई. आफताब ने तब श्रद्धा को इमोशनल ब्लैकमेल करते हुए धमकी दी कि अगर वो उसके पास नहीं लौटी तो वो खुदकुशी कर लेगा. उसने श्रद्धा से माफी भी मांगी थी. श्रद्धा पसीज गई थी और अस्पताल से फिर उसी आफताब के पास पहुंच गई थी. इतना ही नहीं, आफताब के कहने पर ही उसने अगले ही दिन तुलिंज पुलिस स्टेशन से अपनी कंप्लेन भी वापस ले ली थी. ये उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी नहीं, बल्कि सचमुच आखिरी गलती थी.

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पहले ही लिखी जा चुकी थी श्रद्धा के कत्ल की स्क्रिप्ट
जरा सोचिए, अगर इस कंप्लेंट के साथ ही श्रद्धा आफताब से अलग हो जाती, तो क्या उसकी जान बच नहीं जाती? चलिए श्रद्धा ने आफताब पर भरोसा किया, इसलिए वापस नहीं लौटी. लेकिन उस आफताब का क्या, जिसने डेढ साल पहले ही श्रद्धा के कत्ल की पूरी स्क्रिप्ट ही लिख डाली थी. बस, कत्ल की तारीख को छोड़ के. 

जैसा लिखा था, वैसे ही आफताब ने मारा
श्रद्धा लिखती है "आज उसने मेरा गला घोंट कर मुझे मारने की कोशिश की. उसने मुझे डराया. ब्लैकमेल किया. साथ ही ये भी कहा कि वो मुझे मार डालेगा, मेरी लाश के टुकड़े करेगा और फिर उन्हें बाहर फेंक देगा." श्रद्धा ने जो कुछ लिखा, वो सबकुछ हु-ब-हू सच साबित हुआ. 18 मई 2022 को आफताब ने श्रद्धा को ठीक इसी तरह मारा. उसने पहले श्रद्धा का गला घोंटा. फिर लाश के टुकड़े किए. इसके बाद उन टुकडों को किश्तों में बाहर फेंकता रहा. फेंकता रहा जब तक कि सारे टुकड़े बाहर नहीं निकल गए.

पॉलीगाफ टेस्ट में भी इत्मीनान से दिए जवाब
दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक पुलिसिया पूछताछ के अलावा पॉलीग्राफी टेस्ट के दौरान भी आफताब बड़े इत्मीनान से सवालों के जवाब दे रहा था. उसके ज्यादातर जवाब लगभग वैसे ही थे, जो इससे पहले वो पुलिस की पूछताछ में दे चुका था. हथियार से लेकर लाशों के टुकड़े और कपडों तक के बारे में उसने उन्हीं जगहों के नाम लिए जो वो पॉलीग्राफी टेस्ट टेस्ट से पहले पुलिस को बता चुका था. 

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नार्को टेस्ट की तैयारी पूरी
हालांकि इस दौरान उसने कुछ नई चीजें भी बताईं. पॉलीग्राफी टेस्ट के नतीजे को लेकर दिल्ली पुलिस अब तक संतुष्ट है. पुलिस को उम्मीद है कि नार्को टेस्ट के दौरान बाकी बचे कुछ सवालों के जवाब भी मिल जाएंगे. आफताब का नार्को टेस्ट पहले 5 दिसंबर को होना था लेकिन अब 1 दिसंबर को होगा. इस सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने बाकायदा अदालत से एक दिसंबर को नार्को टेस्ट कराने की इजाजत भी ले ली है.

रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस 
पुलिस सूत्रों के मुताबिक पहले दिन से लेकर आज तक आफताब लगातार यही दोहराता रहा है कि उसने श्रद्धा का कत्ल तो किया है, लेकिन ये कत्ल उससे अचानक हो गया. वो भी गुस्से में. वरना उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था. लेकिन पुलिस का मानना है कि आफताब ऐसा कह कर कानून से खेलने की कोशिश कर रहा है. ताकि वो कडी सजा से बच सके. हालांकि कानून के जानकारों के मुताबिक आफताब ने जिस तरह से श्रद्धा को मारा, और फिर उसकी लाश के टुकड़े किए उसे देखते हुए ये मामला मर्डर के एक्सेप्शनल केस में नहीं आता है. बल्कि ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस की कैटेगरी में आता है. 

श्रद्धा का कत्ल एक सोची समझी साजिश
कानून के जानकारों का तर्क ये है कि आफताब ने भले ही अचानक गुस्से में श्रद्धा का गला दबा कर उसे मार डाला, लेकिन इसके बाद जिस तरह से उसने हफ्ते महीनों तक लाश के टुकड़े कर उन्हें दिल्ली भर में फेंकता रहा, उसे देखते हुए इसे कत्ल का एक आम या साधारण केस नहीं कहा जा सकता. भले ही कत्ल उसने गला घोंट कर किया, लेकिन उसके बाद जो कुछ किया, वो एक सोची समझी साजिश का हिस्सा था. 

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तंदूर कांड में भी आरोपी को मिली थी फांसी
कानून के जानकारों ने तंदूर कांड की मिसाल देते हुए कहा कि वो केस भी लगभग ऐसा ही था. सुशील शर्मा ने तब अपनी पत्नी नैना साहनी को झगड़े के दौरान गोली मारी थी. वो कत्ल भी अचानक हुआ था. लेकिन इसके बाद सुशील शर्मा ने नैना साहनी की लाश को ठिकाने लगाने के लिए जिस तरह उसे तंदूर में डाला वो एक सोची समझी साजिश थी. ताकि लाश का सबूत किसी के हाथ ना लगे. यही वजह है कि तब अदालत ने नैना साहनी के कत्ल को रेयरेस्ट ऑफ रेयर करार देते हुए सुशील शर्मा को फांसी की सजा सुनाई थी. हालांकि बाद में सुप्रीम ने इसे उम्र कैद में बदल दिया था. 

तंदूर कांड जैसा ही है श्रद्धा मर्डर केस
कानून के जानाकरों के मुताबिक श्रद्धा केस भी बिल्कुल वैसा ही केस है. यहां भी आफताब ने भले ही अचानक गुस्से में श्रद्धा का कत्ल किया, लेकिन उसके बाद लाश के टुकड़े कर उन्हें जिस तरह से वो इधर-उधर फेंकता रहा, वो एक साजिश का ही हिस्सा था. इसलिए इस बात की गुंजाइश बेहद कम है कि आफताब के इस पैंतरे से कि उसने अचानक गुस्से में कत्ल किया, उसकी सजा कम हो जाएगी. उसके जुर्म को देखते हुए और कत्ल के लिए दी जानेवाली सजा को सामने रखते हुए ये तय है कि उम्र कैद से कम उसे कोई सजा नहीं मिलेगी और अगर दिल्ली पुलिस ने अदालत में ये साबित कर दिया कि ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है, तो फिर फांसी तय है. 

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हमले के बाद बढ़ाई गई आफताब की सुरक्षा
हालांकि कानूनन आफताब को सजा मिलने में अभी कई साल लग जाएंगे. पहले तो निचली अदालत, फिर हाई कोर्ट, फिर सुपीम कोर्ट. मतलब कितनी भी जल्दी सुनवाई निपटाई जाए, पांच दस साल तो मान कर चलिए जब सजा सुनाई जाएगी. लेकिन उस सजा से पहले ही बहुत से लोग खुद आफताब को अपने हाथों से सजा देना चाहते हैं. ऐसे ही कुछ लोगों ने सोमवार को आफताब की उस जेल पर वैन पर हमला बोला था, जिस वैन से वो फोरेंसिक लैब से वापस तिहाड़ जा रहा था. आफताब के खिलाफ लोगों के गुस्से को देखते हुए ना सिर्फ जेल के बाहर बल्कि अब जेल के अंदर भी उसकी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. आफताब को आम कैदियों से अलग सेल में रखा गया है. चौबीसों घंटे सीसीटीवी कैमरे से उसकी निगरानी की जा रही है. साथ ही जेल संतरी भी लगातार उसकी हर हरकत पर नजरें गडाए हैं.

(साथ में अमरदीप कुमार का इनपुट)
 

 

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