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सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस: जानिए पांचवें गुनहगार को कोर्ट ने क्यों नहीं दी उम्रकैद की सजा?

टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस में चार गुनहगारों रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलबीर मलीक और अजय कुमार को उम्रकैद की सजा मिली है. लेकिन पांचवें गुनहगार अजय सेठी को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा नहीं सुनाई है. वो बहुत जल्द जेल से बाहर आ जाएगा. आइए जानते हैं कि क्यों कोर्ट चाहकर भी उसे लंबी अवधि की सजा नहीं दे सकती थी.

टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस में चार गुनहगारों को उम्रकैद की सजा मिली है. टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस में चार गुनहगारों को उम्रकैद की सजा मिली है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस में 15 वर्षों के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. इस केस में दोषी ठहराए गए पांच गुनहगारों में चार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, जबकि पांचवां बहुत जल्द जेल से रिहा कर दिया जाएगा. इस मामले में सुनवाई कर रही दिल्ली की साकेत कोर्ट ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार को आजीवन कारावास की सजा दी है. पांचवें आरोपी अजय सेठी को महज तीन साल की सजा हुई है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर पांचवें आरोपी को इतनी कम सजा क्यों हुई है. कोर्ट को उसे भी उम्रकैद की सजा देनी चाहिए. आइए अजय सेठी को कम सजा मिलने की वजह जानते हैं.

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दरअसल, पांचवां गुनहगार अजय सेठी सौम्या विश्वनाथन की हत्या के समय मौका-ए-वारदात पर नहीं था. उसने अपने चार दोस्तों की बचने में मदद की थी. इसके साथ ही लूट का माल अपने कब्जे में रखा था. यही वजह है कि दिल्ली पुलिस ने उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 411 और मकोका एक्ट के तहत केस दर्ज किया था. इन दोनों कानूनों के तहत अधिकतम तीन साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है. कोर्ट ने अजय को संबंधित धाराओं के तहत अधिकतम तीन साल की सजा के साथ जुर्माना भी लगाया है. चूंकि उसने तीन साल से अधिक जेल की सजा पहले ही काट ली है. ऐसे में दिल्ली पुलिस को नियम के तहत जेल से रिहा करना ही पड़ेगा.

क्या है मकोका एक्ट और आईपीसी की धारा 411

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साल 1999 में महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट बनाया था. इसे ज्यादातर लोग मकोका के नाम से जानते हैं. इस कानून को बनाने की असली वजह ये थी कि सरकार संगठित अपराध और अंडरवर्ल्ड को जड़ से खत्म करना चाहती थी. इससे पहले इस तरह के केस के लिए कोई ठोस कानून नहीं था. महाराष्ट्र के बाद साल 2002 में दिल्ली में भी इसको लागू कर दिया गया था. इस कानून के तहत आरोपी को जमानत नहीं मिलती है. दूसरी तरफ यदि कोई भी व्यक्ति किसी की चुराई हुई संपत्ति को जानते हुए खरीदेगा या रखेगा तो उसे आईपीसी की धारा 411 के तहत आरोपी बनाया जाता है. इसमें अधिकतम 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.

गुनहगारों को कोर्ट ने क्यों नहीं दी मौत की सजा

कत्ल के इन सभी के सभी आरोपियों के लिए अभियोजन पक्ष ने फांसी की सजा मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी में रखने से इनकार कर दिया. हालांकि, सौम्या के घरवालों ने अदालत के इस फैसले पर संतुष्टि जताई. सौम्या की मां माधवी विश्वनाथन ने पहले ही कह दिया था कि उनकी बेटी के गुनहगारों को फांसी नहीं, बल्कि उम्र कैद की सजा होनी चाहिए, ताकि उन्हें समझ में आ सके कि अपनी बेटी को खो कर उनकी पूरी उम्र किन हालत में गुजर रही है. उन्होंने कहा, ''मैं कभी भी फांसी की सजा नहीं चाहती थी. मैं चाहता थी कि वे भी वैसा जीवन भुगतें, जैसे हम परिवार से दूर भुगत रहे हैं. मुझे राहत है कि यह केस खत्म हो गया है.''

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पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ कत्ल का खुलासा

इंडिया टुडे की पत्रकार सौम्या विश्वनाथन का क़त्ल 30 और 31 सितंबर की दरम्यानी रात को साउथ दिल्ली के इलाके में तब हुआ था, जब वो देर रात काम के बाद अपनी कार में घर लौट रही थीं. वसंत कुंज में नेल्सन मंडेला मार्ग पर तड़के करीब तीन बज कर चालीस मिनट पर सौम्या की कार बीच सड़क पर डिवाइडर के ऊपर चढ़ी हुई पलटी हुई हालत में मिली थी. जबकि ड्राइविंग सीट पर लुढकी सौम्या के सिर के पिछले हिस्से से बेतहाशा खून बह रहा था. ड्राइविंग सीट के साइड का शीशा पूरी तरह चकनाचूर था. बाकी की तीनों खिड़कियां और विंड स्क्रीन सही-सलामत थे. कार के अगले हिस्से का दहिना पहिया पंक्चर था, जबकि उसका रिम बुरी तरह टेढ़ा हो चुका था. सौम्या और उसकी गाड़ी की ये हालत देख कर पहले लोगों ने इसे एक्सीडेंट का केस समझा था. लेकिन जब उसकी लाश का पोस्टमार्टम हुआ, तो पता चला कि उसे गोली मारी गई थी.  

6 महीने के बाद पता चली कत्ल की वजह 

सौम्या के कत्ल के छह महीने बाद मार्च 2009 में पुलिस को उसकी वजह और आरोपियों का पता चल पाया. दरअसल दिल्ली के उसी इलााके में सौम्या के कत्ल के छह महीने बाद 18 मार्च 2009 को एक और कत्ल होता है. इस बार कत्ल जिगिशा घोष नाम की एक लड़की का हुआ था. जिगिशा को भी गोली मारी गई थी. कत्ल के दोनों ही मामलों में कई बातें शुरूआत से ही एक जैसी थीं. मिसाल के तौर पर सौम्या और जिगीशा दोनों के कत्ल रात के आखिरी पहर में हुए. दोनों साउथ दिल्ली के एक ही इलाके वसंत कुंज की रहने वाली थीं. बस फर्क इतना था कि सौम्या को सड़क पर गाड़ी चलाते वक्त गोली मारी गई, जबकि जिगीशा को वसंत कुंज में उसके घर के बाहर गाड़ी से उतरते ही अगवा करने के बाद. 

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एटीएम-क्रेडिट कार्ड से ट्रेस हुए गुनहगार

पुलिस को पहला सुराग मिला जिगीशा के सामान से गायब एटीएम और क्रेडिट कार्ड्स के जरिए. पुलिस ने जब ये कार्ड ट्रैक किए तो मालूम हुआ कि 18 मार्च की सुबह यानी जिगीशा के गायब होने के फौरन बाद उसका एटीएम कार्ड इस्तेमाल कर दो किश्तों में कुल पच्चीस हजार रुपए निकाले गये हैं. इसके बाद 18 मार्च की दोपहर जिगीशा का क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर साउथ दिल्ली की कुछ दुकानों से सत्तर हजार रुपए की खरीददारी की गई थी. इनमें महंगे धूप के चश्मे, कलाई घड़ियां और जूते शामिल थे. पुलिस इन्हीं सुरागों के जरिए पहले आरोपियों की सीसीटीवी फुटेज और फिर उन तक पहुंच गई. मुल्जिमों ने पूछताछ के दौरान जिगीशा की हत्या करने की बात मान ली.

यह भी पढ़ें: 'नहीं चाहती थी मौत की सजा मिले', हत्यारों को उम्रकैद होने पर बोलीं पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की मां 

सौम्या विश्वनाथन के कत्ल की बात कुबूली

चारों आरोपी रवि कपूर, बलजीत, अमित और अजय से पूछताछ के बाद वो गाड़ी भी बरामद कर ली गई जिसका इस्तेमाल जिगीशा के अपहरण में किया गया था. लेकिन पुलिस को इन आरोपियों से अभी और खुलासों की उम्मीद थी. चूंकि ये सभी साउथ दिल्ली के रहने वाले थे. लिहाजा पुलिस ने इनसे बीते दिनों हुई दूसरी वारदातों पर भी पूछताछ शुरू की. तभी उसे वो सुराग मिल गया जिसकी पुलिस को जरा भी उम्मीद नहीं थी. आरोपियों ने छह महीने पहले हुए सौम्या विश्वनाथन के कत्ल की बात भी कुबूल कर ली. फिर कातिलों ने सौम्या के कत्ल की पूरी कहानी सुनाई. सौम्या जिस वक्त नेल्सन मंडेला मार्ग से गुजर रही थी तभी सुनसान सड़क पर एक वेगन-आर भी वहां से जा रही थी. उसमें रवि कपूर और उसके तीन साथी सवार थे. सभी नशे में धुत्त थे. ये चारों पीवीआर प्रिया के पास से शराब पीकर लौट रहे थे. ठीक तभी रवि को सौम्या की कार दिखाई दी.

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सौम्या ने कार नहीं रोकी तो गोली मार दी

सौम्या को अकेला जाते देख रवि कपूर ने अपने साथियों से कहा कि चलो इसको लूटते हैं. इसके बाद उन्होंने अपनी कार सौम्या के कार के बराबर दौड़ानी शुरू कर दी. इस पर सौम्या ने अपनी कार की स्पीड बढ़ा दी. उसके आगे निकल जाने पर रवि को अचानक गुस्सा आ गया. उसने अपने साथियों से भी स्पीड बढ़ाने को कहा और फिर सौम्या के बराबर पहुंच कर उसे रुकने की धमकी दी. लेकिन सौम्या ने गाड़ी नहीं रुकी. बस इसी बात पर रवि के साथियों ने सौम्या की मारुति ज़ैन को ओवर टेक किया और अपनी वेगन-आर को बिल्कुल सौम्या की गाड़ी के पास ले आए. गाड़ी नजदीक लाने के बाद रवि ने अपने साथियों को अपना निशाना दिखाने के लिये रवि ने सौम्या की तरफ कट्टा तान दिया.

सौम्या का कातिल निकला पुलिस मुखबीर

बदकिस्मती से गोली सीधे सौम्या के सर के पिछले हिस्से में जा लगी. गोली लगते ही सौम्या की गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया और कार जाकर डिवाइडर से टकरा गई. दूसरी तरफ गोली मारने के बाद भी हत्यारे भागे नहीं. बल्कि आगे से यू-टर्न लेकर वापस आए और फिर सौम्या की गाड़ी के पास अपनी कार रोकी. लेकिन जब उन्होंने देखा कि उसके सिर से खून बह रहा है और वो होश में नहीं है तो वो घबरा गए और फिर वहां से सीधे सरिता विहार की तरफ भाग निकले. इस केस का मुख्य आरोपी रवि कपूर दिल्ली पुलिस का एक मुखबिर था. कई दिनों तक पुलिस के कहने पर उसी सौम्या के कातिल को ढूंढने का ड्रामा भी करता रहा. आखिरकार उसे अपने गुनाहों की सजा मिल चुकी है.

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