
बगदादी को पता है कि दहशत की सल्तनत बड़ी तो हो सकती है. लेकिन उसकी उम्र छोटी होती है. इसीलिए उसने भेड़ियों को पाला था. जी हां, भेड़िए. बगदादी के भेड़िए. जो छुप कर आते हैं. पल दो पल में खून खराबा कर और काहरोमा मचाकर या तो मारे जाते हैं या भाग जाते हैं. मगर जिन दो भेड़ियों को बगदादी ने भारत में हमले का हुक्म सुनाया था. वो दहशत फैलाते या फैलाकर भागते उससे पहले ही एनआईए ने उन्हें पकड़ लिया.
जो उंगलियां कभी कम्प्यूटर पर चलती थीं. उन्हीं उंगलियों को कीबोर्ड से हटाकर बग़दादी ने बारूद के ट्रिगर पर रख दी है. इसे आप हिंदुस्तान की सरज़मीं पर आतंक की दस्तक समझ लीजिए क्योंकि इराक और सीरिया में नाकाम होने के बाद बगदादी की नज़र साउथ ईस्ट एशिया पर है. उसमें भी खासकर हिंदुस्तान पर. बगदादी को अपनी आतंकी जमात में वही चेहरे पसंद हैं, जो उसकी तरह खतरनाक और खूंखार हों.
भारत के मिशन पर इसीलिए उसने गुजरात के दो भाईयों को चुना है. नाम है वसीम रामोदिया और नईम रामोदिया. बगदादी की पहली पसंद ये इसलिए हैं क्योंकि इन्होंने ओसामा बिन लादेन और खुद बगदादी जैसे लोगों को अपना गुरू मान रखा है. सलाहियत दोनों में ऐसी कि एक के पास एमसीए तो दूसरे के पास बीसीए की डिग्री है. मगर कंप्यूटर से ज़्यादा इन्हें बारूद बनाने में महारात है. यही वजह कि बगदादी पसंद करता है.
एटीएस ने जब इन्हें गिरफ्तार किया तो इनके पास से गन पाउडर, बैटरी के साथ देसी बम और नकाब बरामद हुए हैं. इनके कंप्यूटर भी जब्त किए गए हैं. इसमें आतंक का लिटरेचर भरा पड़ा था. वसीम और नईम को पकड़ने के बाद एटीएस की शुरूआती जांच में बहुत डराने वाले खुलासे हुए हैं. ओहायो, ओरलैंडो और फ्रांस के नीस शहर की तरह बगदादी इनसे भारत में लोन वुल्फ अटैक कराने की साज़िश रच रहा था.
जानकारों के मुताबिक, सीरिया और लीबिया में घिरने के बाद बगदादी अब अफगानिस्तान और पाकिस्तान की तरह भारत में भी अपने लिए लोकल लीडर की तलाश में था. गुजरात के रहने वाले वसीम और नईम एक तरफ पिछले 2 साल से ट्विटर, फेसबुक और टेलीग्राम जैसी मैसेजिंग एप के जरिए आतंकियों के संपर्क में थे. वहीं दूसरी तरफ पिछले 3 महीने से पुलिस के रडार पर भी. बगदादी के खूनी मंसूबों को हिंदुस्तान की सरज़मीं पर अंजाम दिया जाता उससे पहले ही एटीएस की टीम ने इन्हें गुजरात के राजकोट और भावनगर से धर दबोचा. बकौल एटीएस दोनों आतंकी सगे भाई भी हैं.
गुजरात में धार्मिक जगहों पर सिलसिलेवार बम धमाके करने की साजिश रच रहे थे. अगले कुछ दिनों के अंदर धमाका कों अंजाम देना था. बताया जा रहा है कि इनके निशाने पर बेहद मशहूर चोटिला मंदिर था. उसकी हाल ही में वसीम ने रेकी की थी. एटीएस के मुताबिक जिस लोन वुल्फ अटैक की तैयारी वसीम और नईम कर रहे थे उसका ज़िक्र आतंकी संगठन आईएसआईएस की मैगजीन 'इंसपायर' में भी है.
दोनों संदिग्धों ने कई जगहों पर बम धमाके करने और गाड़ियों में आग लगाने की साजिश रची थी. जिससे एक बार में पूरे गुजरात को दहला कर रख दिया जाए. इतना ही नहीं आतंक फैलाने के लिए हमले का वीडियो रिकॉर्ड करने और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करने की भी तैयारी थी. इसके बाद इराक या सीरिया भागने का प्लान बनाया था. दोनों आईएस के मुफ्ती अब्दुस सामी कासमी के संपर्क में थे.
पुलिस के मुताबिक दोनों भाई सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी से रिटायर्ड और सौराष्ट्र क्रिकेट संघ यानी एससीए से जुड़े अंपायर आरिफ रामोदिया के बेटे हैं. उन्हें इन दोनों ने धोखे में रखा. उन्हें लगा कि वसीम राजकोट में ग्राफिक डिजाइनिंग कर रहा है और नईम भावनगर में जहाज़ की रिसाइक्लिंग यूनिट में ज़िंदगी को संवारने के लिए नौकरी कर रहा है. मगर उन्हें कहां पता था कि ये दोनों मौत का सामान इकट्टठा करने में लगे हुए थे.