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पोल से सटाकर पीछे बांधे हाथ, दिल पर मारी गोली और फिर दफनाया... ऐसे खत्म हो गई शहजादी खान की कहानी

15 फरवरी को अबू धाबी में शहजादी को सजा-ए-मौत दिए जाने के ठीक 13 दिन बाद 28 फरवरी को दो और भारतीयों को भी मौत की सजा दी गई थी. ये दोनों केरल के रहने वाले थे. इनमें से एक का नाम मोहम्मद रिनाश और दूसरे का मुरलीधरन था. रिनाश पर एक यूएई नागरिक के कत्ल और मुरलीधरन पर एक भारतीय नागरिक के कत्ल का इल्जाम था.

UAE में शहजादी को गोली मारकर सजा-ए-मौत दी गई. UAE में शहजादी को गोली मारकर सजा-ए-मौत दी गई.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 9:56 AM IST

अबू धाबी की जेल में भारत की शहजादी को फांसी तो दे दी गई, लेकिन उसे दफनाया गया 20 दिन बाद. हालांकि शहजादी के परिवार वाले यानी बूढ़े मां-बाप और भाई उसके जनाजे में शामिल नहीं हो सके. 5 मार्च को अबू धाबी के उस कब्रिस्तान में शहजादी के साथ-साथ एक और भारतीय नागरिक मोहम्मद रिनाश को भी दफनाया गया. दरअसल, शहजादी को सजा-ए-मौत देने के 13 दिन बाद दो और भारतीयों को गोली मारकर मौत की सजा दी गई थी. वे दोनों केरल के रहने वाले थे. ये कहानी दिल दहला देने वाली है.

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शहजादी समेत तीन भारतीयों को सजा-ए-मौत
A7S1 954 ये नंबर है हिंदुस्तान की शहजादी की कब्र का. जिसे 5 मार्च गुरुवार को अबू धाबी में दोपहर के ठीक 12.30 बजे अबू धाबी के कब्रिस्तान में दफना दिया गया था. शहजादी की कब्र के ठीक बराबर में एक दूसरी कब्र है जिसका नंबर है A7S1 953. शहजादी के साथ-साथ लगभग ठीक उसी वक्त हिंदुस्तान के मोहम्मद रिनाश को भी उस दूसरी कब्र में दफना दिया गया था. शहजादी और मोहम्मद रिनाश के अलावा एक तीसरे भारतीय मुरलीधरन को भी रिनाश के साथ-साथ 28 फरवरी को मौत की सजा दी गई थी. लेकिन मुरलीधरन के परिवार से कोई भी अबू धाबी नहीं पहुंचा. इसीलिए अभी तक मुरलीधरन का अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका.

6 मार्च को मिली मौत की खबर
शहजादी के घर से भी जनाजे में हिस्सा लेने के लिए यूपी के बांदा से कोई भी अबू धाबी नहीं पहुंचा था. अबू धाबी के अधिकारियों ने ये पहले ही कह दिया था कि शहजादी की लाश 5 मार्च तक मुर्दाघर में रहेगी. इसके बाद अगर परिवार का कोई शख्स नहीं आता है तो भी उसे दफ्ना दिया जाएगा. शहजादी के वालिद शब्बीर खान और उनकी बीवी इतने कम वक्त में अबू धाबी के सफर का इंतजाम नहीं कर पाए थे. 5 मार्च की मियाद बीतते ही 6 मार्च की सुबह अबू धाबी से शब्बीर खान के पास एक फोन आता है. शायद ये फोन यूएई में मौजूद भारतीय दूतावास से था. इस फोन पर शब्बीर खान को बताया जाता है कि शहजादी को अबू धाबी के लोकल टाइम के मुताबिक दोपहर के ठीक 12.30 बजे दफना दिया जाएगा. आखिरी रस्म में हिस्सा लेने के लिए नाम पूछने पर शहजादी के वालिद अबू धाबी में मौजदू अपने दो रिश्तेदारों के नाम बताते हैं.

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13 दिन बाद रिनाश और मुरलीधरन को मिली सजा
इसके बाद तय वक्त पर अबू धाबी के एक लोकल कब्रिस्तान में दो कब्रें खोदी जाती हैं. असल में 15 फरवरी को अबू धाबी में शहजादी को सजा-ए-मौत दिए जाने के ठीक 13 दिन बाद 28 फरवरी को दो और भारतीयों को भी मौत की सजा दी गई थी. ये दोनों केरल के रहने वाले थे. इनमें से एक का नाम मोहम्मद रिनाश और दूसरे का मुरलीधरन था. रिनाश पर एक यूएई नागरिक के कत्ल और मुरलीधरन पर एक भारतीय नागरिक के कत्ल का इल्जाम था. इन दोनों को यूएई के ही अलाइन जेल में 28 फरवरी की सुबह सजा-ए-मौत दे दी गई थी. रिनाश का परिवार जनाजे में शामिल होने के लिए अबू धाबी आ चुका था. इसी के बाद 5 मार्च की दोपहर 12.30 बजे शहजादी और रिनाश के जनाजे की नमाज एक साथ अदा की गई. और फिर उन्हें आसपास में ही दफना दिया गया.

अभी तक नहीं हो सका मुरलीधरन का अंतिम संस्कार
मुरलीधरन की लाश अब भी अबू धाबी के एक मुर्दाघर में रखी है. अगर परिवार अबू धाबी नहीं पहुंचता है तो हिंदू रीति-रिवाज के हिसाब से मुरलीधरन का भी इसी हफ्ते अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा. 'आज तक' को मिली जानकारी के मुताबिक मुरलीधरन के पिता ने अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के वास्ते अबू धाबी जाने में अपनी मजबूरी जताई है.

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तीनों ने घरवालों को एक ही वक्त पर की थी आखिरी कॉल
शहजादी, रिनाश और मुरलीधरन. तीनों के ही परिवारवालों का कहना है कि इनकी सजा-ए-मौत रोकने के लिए भारत सरकार समेत किसी ने भी उनकी मदद नहीं की. यहां तक की उन्हें सही-सही जानकारी भी नहीं दी गई. शहजादी की मौत की जानकारी तो उसके घरवालों को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली थी. असल में शहजादी, रिनाश और मुरलीधरन. तीनों ने ही एक ही दिन, एक ही तारीख और एक ही वक्त पर, यानि 14 फरवरी को अपने अपने घर आखिरी बार फोन किया था. इसके बाद 15 फरवरी की सुबह शहजादी को और 28 फरवरी की सुबह रिनाश और मुरलीधनर को मौत की सजा दे दी गई थी.

फायरिंग स्क्वायड ने दिल पर गोली मारकर दी सजा-ए-मौत
शहजादी को अबू धाबी के अल बाथवा जेल में 15 फरवरी की सुबह ठीक साढ़े पांच बजे फायरिंग स्क्वाय़ड ने दिल पर गोली मारकर सजा-ए-मौत दी थी. फायरिंग स्क्वाय़ड में कुल 5 लोग थे. शहजादी को एक खास किस्म का कपड़ा पहनाकर एक पोल से बांध दिया गया था. उसके दोनों हाथ पीछे की तरफ बंधे थे. दिल के ठीक ऊपर एक कपड़े का टुकड़ा लगाया गया था. ताकि गोली चलाने वाले के लिए दिल का निशाना लेकर गोली चलाना आसान हो. ठीक शहजादी की तरह ही 13 दिन बाद 28 फरवरी की सुबह अल-आइन जेल में रिनाश और मुरलीधरन को भी फायरिंग स्क्वाय़ड ने इसी तरह दिल पर गोली मारकर मौत की सजा दी थी. यूएई के कानून के तहत जिन्हें सजा-ए-मौत दी जाती है, उनकी लाश उनके देश वापस नहीं भेजी जाती. बल्कि वहीं उनके धर्मों के हिसाब से उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है या फिर दफना दिया जाता है.

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वही थी शहजादी की आखिरी कॉल
14 फरवरी 2025 की रात अबू धाबी की जेल से यूपी के बांदा में अपने घर पर शहजादी का सचमुच आखिरी कॉल थी. वाकई उसके पास तब वक्त बचा ही नहीं था. इस फोन के रखने के ठीक साढ़े पांच घंटे बाद अबू धाबी की अल बाथवा जेल में शहजादी को 15 फरवरी की सुबह साढ़े पांच बजे गोली मारकर सजा-ए-मौत दी गई थी. शहजादी की सजा की खबर पर सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने मुहर लगाई थी. 

शहजादी के पिता ने दिल्ली हाईकोर्ट से लगाई थी गुहार 
दरअसल, यूएई या अबू धाबी की अथॉरिटी की तरफ से बांदा में रहने वाले शहजादी के मां बाप को उसकी फांसी की ऑफिशियली कोई जानकारी नहीं दी गई थी, सिवाय 14 फरवरी की रात आए शहजादी के आखिरी फोन कॉल के. शहजादी की फांसी की सच्चाई जानने के लिए शहजादी के पिता ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था. 26 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर उन्होंने ये शिकायत की थी कि उन्हें उनकी बेटी शहजादी की फांसी को लेकर ना तो अबू धाबी और ना ही भारत सरकार से कोई सही-सही जानकारी दी जा रही है. 

हाई कोर्ट के नोटिस पर विदेश मंत्रालय का जवाब
इसी के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने विदेश मंत्रालय को नोटिस जारी कर 3 मार्च को इस पर अपना जवाब देने को कहा था. 3 मार्च यानि सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में विदेश मंत्रालय ने ये जानकारी दी कि शहजादी को 15 फरवरी की सुबह ही फांसी दी जा चुकी है. विदेश मंत्रालय का कहना था कि उन्हें खुद शहजादी की फांसी की खबर 13 दिन बाद यानि 28 फरवरी को मिली थी. हालांकि शहजादी का परिवार इस बारे में भारत सरकार से मदद चाहता था. परिवार वाले चाहते थे कि शहजादी की लाश कम से कम भारत लाने की इजाजत दी जाए. 

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शहजादी से तीन बार मिले थे भारतीय अधिकारी 
दिल्ली हाईकोर्ट में भारत सरकार की तरफ से बताया गया कि यूएई में मौजूद भारतीय दूतावास शहजादी के पिता के साथ फरवरी 2023 से लगातार संपर्क में था. शहजादी पर एक बच्चे को जानबूझ कर जान से मारने का इल्जाम था. भारतीय दूतावास के अधिकारी शहजादी से मिलने के लिए तीन बार 29 अप्रैल 2024, 5 जून 2024 और आखिरी बार 4 अक्टूबर 2024 को जेल गए थे. 

मदद के लिए हायर की थी लीगल फर्म
2 सितंबर 2024 को भारतीय दूतावास ने यूएई के विदेश मंत्रालय को शहजादी को माफी देने के लिए मर्सी पिटीशन भी दाखिल की थी. भारतीय एंबेसी ने यूएई में शहजादी की मदद के लिए लीगल फर्म को भी हायर किया था. भारत सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट मे ये भी बताया कि भारतीय एंबेसी के जरिए यूएई की सरकार को 6 नवंबर 2024 को मनाए जाने वाले उनके नेशनल डे पर माफी पाने वालों की लिस्ट में शहजादी का नाम भी शामिल करने की गुजारिश की थी.

जनाजे में शामिल नहीं हो सका शहजादी का परिवार
हाईकोर्ट में दिए गए भारत सरकार के बयान के मुताबिक, इन सबके बाद 28 फरवरी 2025 को यूएई में मौजूद भारतीय दूतावास को यूएई की सरकार ने पहली बार ये जानकारी दी कि 15 फरवरी 2025 को शहजादी को सजा-ए-मौत दे दी गई है. भारत सरकार के मुताबिक, उसी दिन शहजादी के पिता शब्बीर खान को इसकी जानकारी दे दी गई थी. यूएई की सरकार ने ये भी कहा है कि शहजादी का परिवार 5 मार्च तक अबूधाबी पहुंच कर शहजादी कि आखिरी रस्म में शिरकत कर सकता है. हालांकि 3 मार्च की रात तक शब्बीर खान दिल्ली में ही थे. अब इतने कम वक्त में यानि 5 मार्च की डेडलाइन से पहले वो कैसे अबू धाबी पहुंच पाते ये बड़ा सवाल था. 

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