
वो एक RTI एक्टिविस्ट था. उसने सूचना के अधिकार (RTI) का खूब इस्तेमाल किया. लोग उसे सच का सिपाही मान बैठे थे. मगर एक रोज अचानक उस शख्स की कार जली हुई हालत में मिली और कार के अंदर मौजूद थी एक लाश. लोगों का लगा कि सच के सिपाही मर गया. उसका मुंह हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर दिया गया. लेकिन हादसे के बाद ठीक चार महीने बाद अचानक वो मुर्दा जी उठा और फिर एक ऐसे राज से पर्दा उठा कि लोग हैरान रह गए. एक सनसनीखेज खुलासे ने पुलिस को भी चक्कर में डाल दिया था. आइए क्राइम कथा में जानते हैं पूरी कहानी.
कहते हैं कि हर आदमी के कई चेहरें होते हैं. ऐसे ही एक चेहरा उस शख्स का भी था और उस चेहरे के पीछे भी कई चेहरे थे. एक पति का चेहरा. एक आशिक का चेहरा. एक कातिल का चेहरा और चेहरा एक आरटीआई सिपाही का. लेकिन इन सारे चेहरों के पीछे का असली खेल शुरू हुआ था, एक मई 2014 को. एक ऐसा खेल जिसे सुनकर हर कोई चौंक जाएगा.
1 मई 2014, ग्रेटर नोएडा
उस दिन पुलिस को खबर मिली थी कि ग्रेटर नोएडा के एल्डिको गोल चक्कर के पास एक हौंडा सिटी कार में आग लग गई है. पुलिस मौके पर पहुंची. तब तक कार बुरी तरह जल चुकी थी और कार के साथ ही उसमें सवार एक शख्स भी बुरी तरह जल चुका था. तफ्तीश में पता चला कि कार किसी और की नहीं बल्कि आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रमोहन शर्मा की थी. चंद्रमोहन की पहचान पूरे इलाके में एक सच्चे और अच्छे आरटीआई एक्टिविस्ट की थी. उसे कई बार से जान से मारने की धमकियां भी दी जा चुकी थीं.
RTI कार्यकर्ता की मौत पर सवाल
चंद्रमोहन के बारे में ये खुलासा होते ही पुलिस हरकत में आ गई. उसी दौरान पता चला कि खुद चंद्रमोहन ने कुछ दिन पहले ही पुलिस में रिपोर्ट लिखाई थी कि उसे जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. एक आरटीआई एक्टिविस्ट की संदिग्ध हालत में मौत तमाम सवाल खड़े कर रही थी. शक की सुई चंद्रमोहन के तमाम अनजान दुश्मनों की तरफ घूम रही थी. लेकिन कुछ बातें थीं जो पुलिस को परेशान कर रही थीं.
26 अगस्त 2014, काठमांडु
इस दौरान चंद्रमोहन शर्मा की लाश का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया. अब करीब चार महीने बीतने जा रहे थे. यूपी पुलिस की चार महीने की खामोश तफ्तीश ने रंग दिखाया. ग्रेटर नोएडा से सैकड़ों मील दूर नेपाल में आखिर उसे वो शख्स मिल ही जाता है जिसकी उसे तलाश थी. वो शख्स था चंद्रमोहन. जी हां, खुद चंद्रमोहन. वो जिंदा था.
कार में जलने वाला कौन था?
एक मुर्दा इंसान जब जिंदा सामने आया तो अचानक कई सवाल भी सामने आ गए. सबसे बड़ा सवाल तो यही था कि आखिर एक जिंदा शख्स क्यों नकली मौत मर रहा था? उसकी इस मौत से किसे क्या फायदा होने वाला था? और उससे भी अहम सवाल ये कि कार में जिसकी लाश मिली थी, वो कौन था?
पत्नी ने कहा था- हादसा नहीं हत्या
इन सारे सवालों की जड़ में वही एक मई का दिन था. जिस रोज होंडा सिटी में कथित रूप से चंद्रमोहन की बे शिनाख्त लाश मिली थी. चंद्रमोहन शर्मा ग्रेटर नोएडा के अल्फा टू सेक्टर के मकान नंबर एफ-38 में अपनी पत्नी सविता शर्मा के साथ रहता था. हादसे के बाद सविता ने सीधे-सीधे यही कहा था कि लाश उसके पति की है और ये हादसा नहीं हत्या है.
उसी दिन गायब हुई थी एक लड़की
पुलिस अपना सिर खपा ही रही थी कि तभी एक और अजीब सी खबर मिली. अल्फा टू के जिस इलाके में चंद्रमोहन शर्मा रहता था. उसी इलाके से एक लड़की ठीक उसी दिन से लापता हुई थी, जिस दिन कार में आग लगी थी. उस गुमशुदा लड़की के मोबाइल नंबर को जब पुलिस खंगालती है तो एक ऐसा खुलासा होता है कि अचानक पुलिस को सारे सवालों के जवाब मिल जाते हैं.
इलाके से गायब था एक भिखारी
लड़की के मोबाइल का सिम कार्ड चंद्रमोहन के नाम पर रजिस्टर्ड था और वो लड़की चंद्रमोहन की माशूका थी. पुलिस फिर से चंद्रमोहन के इलाके की खाक छानती है. पता चलता है कि जिस रोज कार में आग लगी, उसी दिन से चंद्रमोहन की प्रेमिका के साथ इलाके का एक भिखारी भी लापता था. अब कुछ-कुछ कड़ियां जुड़ रही थीं.
प्रेमिका के साथ नेपाल में मिला था चंद्रमोहन
इसी बीच सर्विलांस की मदद से पुलिस को लड़की की लोकेशन का पता चला. वो लड़की नेपाल में थी और घर वालों से लगातार बात कर रही थी. पुलिस मोबाइल के सहारे नेपाल तक जा पहुंची, जहां चंद्रमोहन जिंदा अपनी प्रेमिका के साथ पुलिस के सामने खड़ा था.
पहले लड़की से दोस्ती, फिर हुआ था इश्क
इस सनसनीखेज कहानी का क्लाइमेक्स सामने आया तो कई और सनसनीखेज खुलासे हुए. दरअसल, चंद्रमोहन पेशे से मेन्टिनेंस इंजीनियर था और एक नामी कार कंपनी में काम करता था. ग्रेटर नोएडा के चर्चित भट्टा कांड के दौरान उसने अपनी पत्नी के साथ मिलकर राहत का काफी काम किया था. तभी पहली बार उसने आरटीआई के जरिए कई अहम जानकारियां जुटाई थीं. इसी बीच चंद्रमोहन की दोस्ती मोहल्ले में रहने वाली एक लड़की से हो गई थी. ये दोस्ती कब प्यार में बदल गई दोनों को पता नहीं चला.
प्रेमिका के साथ मिलकर रची खौफनाक साजिश
लड़की के इश्क के चक्कर में पड़कर चंद्रमोहन कर्ज में डूबता चला गया. गर्लफ्रेंड की फरमाइशें पूरी करते-करते वो इतना कंगाल हो गया कि कर्जदारों की कतारें उसे डराने लगीं. इसी डर ने एक साजिश को जन्म दिया. चंद्रमोहन ने अपना बीमा करा रखा था. उसे लगा कि अगर उसकी नकली मौत हो जाए तो बीमा की रकम मिल जाएगी और वो कर्जदारों का कर्ज चुका देगा. बस इसी के बाद उसने अपनी गर्लफ्रैंड को इस साजिश में शामिल कर लिया.
ये था चंद्रमोहन का खूनी प्लान
साजिश के मुताबिक, चंद्रमोहन ने अपने ही कद-काठी के किसी मजबूर शख्स को ढूंढना शुरू किया. उसकी तलाश अपने ही इलाके के एक भिखारी पर जाकर खत्म हुई. चंद्रमोहन ने सबसे पहले पुलिस को अपने अनजान दुश्मनों के खिलाफ एक झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई. अब चंद्रमोहन अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए आगे बढ़ा. उसने पहले भिखारी का कत्ल किया और फिर अपनी कार की ड्राइविंग सीट पर उसे बिठा दिया. फिर अपने ही हाथों से कार को आग के हवाले करके जमाने की नजरों में मुर्दा बन बैठा.
नेपाल में मिले शख्स पर सवाल
वारदात के बाद चंद्रमोहन शर्मा सीधे नेपाल चला गया. बहुत मुमकिन है कि चंद्रमोहन का भेद इतनी जल्दी नहीं खुल पाता अगर उसकी गर्लफ्रेंड के मोबाइल फोन ने पुलिस को उसका पता न दिया होता. हालांकि चंद्रमोहन का सच सामने आने के बावजूद उसकी पत्नी का कहना था कि नेपाल में पकड़ा गया शख्स उसका पति नहीं बल्कि कोई और है.
पुलिस ने कार से मिली लाश का पोस्टमार्टम कराया था. उसी दौरान उसके दांत निकाल कर रख लिए गए थे ताकि डीएनए के जरिए मरने वाले की पहचान हो सके. ये मामला काफी दिनों तक चर्चा का विषय बना रहा. इस मामले में पुलिस ने चंद्रमोहन और उसकी गर्लफ्रेंड के खिलाफ मामला दर्ज किया था. और उन दोनों को जेल भेज दिया था.