
दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर हाथरस के एक गांव में भोले बाबा का सत्संग था. पहले से ही इस सत्संग के पोस्टर छप चुके थे. सत्संग के लिए गांव के ही एक खुले खेत को चुना गया था. मंगलवार सुबह से ही हाथरस के आस-पास भारी गर्मी और बेहद तेज उमस थी. इस उमस भरे माहौल में सत्संग की जगह पर यूपी, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली से करीब सवा लाख भक्त सत्संग में शामिल होने के लिए पहुंचे थे. लेकिन सत्संग खत्म होने के बाद जैसे ही भोले बाबा वहां से निकले, वहां मौजूद भक्तों की भीड़ वहां से निकलने के लिए या यूं कहें कि बाबा के चरणों की धूल लेने के लिए दौड़ पड़ी और फिर वो हुआ, जिसने पूरे देश को दहला कर रख दिया.
2 जुलाई 2024, दोपहर के पौने 2 बजे, फुलरई गांव, हाथरस
दरअसल, मंगलवार को भोले बाबा का सत्संग ठीक-ठाक निबट चुका था. सत्संग निपटाने के बाद अब बाबा का काफिला वापस लौट रहा था. चूंकि भीड़ बहुत ज्यादा थी, रास्ता एक. लिहाजा बाबा के काफिले को निकालने के लिए श्रद्धालुओं के रेले को रोक दिया गया. इत्तेफाक से तब तक बहुत से श्रद्धालु तेज गर्मी और उमस के चलते बेहोश हो चुके थे. उनके अपने उन्हें जल्द से जल्द वहां से निकालना चाहते थे. लेकिन बाबा के काफिले की वजह से उनका रास्ता रुका हुआ था. और बस यहीं से भगदड़ की शुरुआत हुई. एक ऐसी भगदड़ जिसमें एक बार जो गिरा फिर वो उठ ही नहीं पाया. और हमेशा की तरह इन गिरने वालों में ज्यादातर महिलाएं थीं, बच्चे थे और बुजुर्ग थे. देखते ही देखते हजारों पांव तले सौ से ज्यादा जिंदगियां कुचल गईं. अब रास्ते पर काफिले की जगह हर तरफ बस लाशें पड़ी थी.
भगदड़ के भूत का कोहराम
तबाही, मौत, चीत्कार और कंद्रन की तस्वीरें यूपी के हाथरस से सामने आईं. हाथरस के सिकंदराऊ इलाके में एक सत्संग में भगदड़ के भूत ने ऐसा कोहराम मचाया कि देखते ही देखते पूरे इलाके में लाशें ही लाशें बिछ गईं. अब इसे शासन-प्रशासन की लापरवाही कहें, सत्संग के आयोजकों की नासमझी या फिर कुछ और, सिर्फ एक काफिले से आगे निकलने के चक्कर में लोगों के बीच ऐसी अरफातफरी मची कि देखते ही देखते इस अफरातफरी ने भगदड़ की शक्ल अख्तियार कर ली और लोग बेमौत मारे जाने लगे.
बाबा के अनुयायियों का रेला
ये सत्संग एक बाबा का था. नाम है भोले बाबा उर्फ नारायण हरि सरकार. अब इन बाबा के अनुयायियों का रेला कितना बड़ा है, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगाइए कि इस एक अकेले सत्संग में करीब सवा लाख लोग पहुंचे थे. और इतनी भीड़ के बीच, इस भीषण उमस भरी गर्मी में बदइंतज़ामी के आलम में कई लोगों की हालत पहले ही बेहोश हो जाने जैसी थी, ऊपर से भगदड़ मचते ही मानों मौत के पंजे ने यहां लोगों को कुचलना शुरू कर दिया. इस भगदड़ का सबसे ज्यादा शिकार महिलाएं और बच्चे हुए, जो भागने की कोशिश में नीचे गिरते गए और ऊपर से भीड़ उन्हें कुचलती हुई आगे बढ़ती गई.
तपती धरती पर छटपटाती इंसानियत
हर तरफ बिखरी लाशें, जगह-जगह तड़पते लोग, सत्संग स्थल से लेकर पूरे रास्ते तक और यहां तक अस्पताल तक में तवे की तरह तपती धरती पर छटपटाती इंसानियत, जिसने भी ये मंजर देखा, उसकी रूह कांप गई. एक साथ इतने लोगों की मौत की खबर जब जिला प्रशासन से होती हुई राज्य सरकार तक पहुंची तो खुद सीएम योगी आदित्यनाथ को भी एक्शन में आना पड़ा. उन्होंने कई राहत और बचाव टीमों को मौके के लिए रवाना किया.
एडीजी आगरा और कमिश्नर अलीगढ़ को पूरे हादसे की जांच के आदेश दिए गए. सूबे के चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार ने भी हाथरस का रास्ता लिया. वैसे तो सत्संग वाली जगह मची भगदड़ की असली वजह का पता शायद जांच के बाद ही चल पाए, लेकिन फौरी तौर पर इसे लेकर कई बातें कही जा रही हैं.
भगदड़ की थ्योरी नंबर-1
कुछ चश्मदीदों का कहना है कि सत्संग खत्म होने के बाद जब संगत वापस जा रही थी, उसी दौरान गाय के आ जाने से महिलाएं और बच्चे घबरा गए, जिसके बाद उन्होंने भागने की कोशिश की और इसी कोशिश में तेजी से अफवाह फैली और भागने के दौरान लोग हादसे का शिकार होते रहे.
भगदड़ की थ्योरी नंबर-2
एक थ्योरी काफिले की भी है. बताया गया कि सत्संग के बाद लौट रहे श्रद्धालुओं को रोक कर बाबा ने अपना काफिला निकालने की कोशिश की, जिसके चलते बाबा के सुरक्षाकर्मियों से श्रद्धालुओं की झड़प हो गई और इसी मारपीट के बाद भगदड़ मच गई और इतना बड़ा हादसा हो गया.
भगदड़ की थ्योरी नंबर-3
कुछ लोगों ने हादसे की वजह हॉल का गेट छोटा होने की बात भी कही है. हालांकि सत्संग के लिए शामियाने का भी इंतजाम था, लोग खुले में भी बैठे थे, लेकिन सत्संग के साथ बने हॉल में भी कार्यक्रम जारी था और वहां से निकलने का गेट छोटा था, सत्संग खत्म होने के बाद इसी गेट से निकलने की कोशिश में लोग एक दूसरे के ऊपर गिर पड़े और यहीं से भगदड़ की शुरुआत हो गई.
भगदड़ की थ्योरी नंबर-4
इसके अलावा एक और भी थ्योरी सामने आई है. बताया गया है कि सत्संग के बाद जब बाबा निकल रहे थे तो उनकी कुछ महिला श्रद्धाओं ने उनके करीब जाने की कोशिश की. वो बेतहाशा बाबा की तरफ दौड़ने लगी और इसी के बाद भगदड़ मच गई. महिलाएं और बच्चें जमीन पर गिर गए, कुचले जाने लगे, गर्मी में सांस फूलने लगी और लोगों का दम घुटने लगा.
हाथरस के अस्पताल का खौफनाक मंजर
हादसे के बाद पूरे इलाके से लेकर हाथरस के अस्पताल तक का मंजर दिल को कचोटने वाला था. जगह-जगह लोगों की लाशें पड़ी थीं, जो बच गए थे वो अपनों को तलाश रहे थे. जिनके अपने नहीं मिले वो निराश हताश जमीन पर बैठ कर रोने लगे, उधर जिनके अपने मुर्दा या घायल मिले, उनकी हालत भी बुरी हो गई. उनके सिर पर तो मानों गमों का आसमान टूट पड़ा था. मौत की वो विभीषिका ऐसी थी कि एक एक साथ इतनी लाशें देख कर खुद पुलिसकर्मी की जान चली गई. रवि यादव नाम के सिपाही को हार्ट अटैक आ गया. रवि यादव को अचानक हार्ट अटैक आने के बाद उनके साथियों ने संभाला लेकिन तक उनकी जान जा चुकी थी. रवि क्यूआरटी यानी क्विक रेस्पांस टीम में तैनात थे.
प्रशासन को नहीं पता थी सत्संगियों की तादाद
बाबा के इस आयोजन की तैयारी पिछले कई दिनों से की जा रही थी. जगह-जगह बाबा के इस सत्संग के पोस्टर लगाए गए थे. लिखा था- सोच कर देखो साथ क्या जाएगा? लेकिन किसी को क्या पता था कि सत्संग में भाग लेने का लोगों का फैसला ही उनके दुनिया से जाने की वजह बन जाएगा. अब तक की जानकारी के मुताबिक स्थानीय प्रशासन को बाबा के इस आयोजन की खबर तो थी, लेकिन सत्संगियों की सही तादाद का पता नहीं था. एक अनुमान के मुताबिक करीब सवा लाख लोग सत्संग सुनने पहुंच गए और आयोजकों के लिए इस भारी भीड़ को संभालना मुश्किल होने लगा.
डैमेज कंट्रोल में जुटा शासन-प्रशासन
हालांकि सूत्रों की मानें पुलिस की लोकल इंटेलिजेंस यूनिट जिसे एलआईयू के नाम से जाना जाता है उसने पहले ही आगाह कर दिया था कि इस आयोजन में इतनी बड़ी तादाद में लोग पहुंचने वाले हैं. लेकिन सच्चाई रही कि प्रशासन कानों में तेल डाल कर सोता रहा. और अब हादसे के बीच आला अफसरों का लवाज़मा यहां डैमेज कंट्रोल के लिए पहुंच रहा है. ऐसे में सवाल ये है कि अगर इस हादसे के लिए बाबा और आयोजक जिम्मेदार हैं, तो वो खुद शासन-प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में हैं.
मुआवजे का मरहम
वैसे फिलहाल यूपी सरकार ने इस हादसे के बाद मरने वालों के घरवालों को 2-2 लाख रुपये का मुआवज़ा और जख्मी लोगों को 50-50 हजार रुपये के राहत का ऐलान किया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए पीएम मोदी ने खुद संसद में इस हादसे में मारे गए लोगों के लिए संवेदना प्रकट की. उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस प्रभावित सारे लोगों की हरमुमकिन मदद की जाएगी.