
Meerut Saurabh Kumar Murder Case: मेरठ के एक घर से ऐसी खौफनाक कहानी सामने आई है, जिसे जानकर हर कोई सन्न रह गया. इस कहानी में कुल तीन किरदार है. पति, पत्नी और वो. हालात कुछ ऐसे बने कि पत्नी को प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति का कत्ल करना था. लेकिन प्रेमी अंधविश्वासी था. वो चाहता था कि अपने पति के सीने पर पहला वार उसकी माशूका खुद करे. जबकि वो खुद उसकी दो हथेलियां काटना चाहता था. कत्ल की इस खौफनाक कहानी में एक मुर्दा मां भी है, जिससे पत्नी का प्रेमी बातें भी किया करता था. ये कहानी आपको बेहद हैरान कर देगी.
कहानी का आगाज होता है यूपी के मेरठ से, जहां एक मोहल्ले में मौजूद एक घर के बाहर भीड़ जमा थी. हरेक की निगाहें उसी घर की तरफ थीं. थोड़ी देर बाद वहां पुलिस पहुंचती है. पुलिस के बाद फॉरेंसिक टीम घर में दाखिल होती है. घर के अंदर से और तो कुछ नहीं नीले रंग के प्लास्टिक का एक ड्रम बाहर निकाला जाता है. अमूमन इस तरह का ड्रम लोग घर में पानी जमा करने के खरीदते हैं. इसके बाद ड्रम को एक गाड़ी में डाल कर ले जाया जाता है.
अब ड्रम मेरठ के एक सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर पहुंच चुका था. ड्रम ज़रूरत से ज्यादा भारी था. ना ड्रम खुल पा रहा था. ना ही उसे तोड़ा जा सका था. लिहाज़ा पुलिस वाले तय करते हैं कि इस ड्रम को मशीन से काटा जाए. कुछ देर में ही मशीन और मैकेनिक भी मुर्दाघर में बुला लिए जाते हैं. अब बारी ड्रम को काटने की थी. बड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार ड्रम को काटने में कामयाबी मिल जाती है. दरअसल, उस ड्रम के अंदर सीमेंट का घोल भर दिया गया था. जिसकी वजह से वो जम कर सख्त हो चुका था. बिल्कुल पत्थर की तरह.
अब ड्रम काटने के बाद उसके अंदर जमे हुए सीमेंट के टुकड़ों को भी मशीन से काटने का काम शुरू हो जाता है. थोड़ी देर बाद सारे टुकड़े अलग हो जाते हैं और फिर उन्हीं टुकड़ों में से करीब 3 टुकड़ों में बिखरा सौरभ कुमार बाहर निकल आता है. ड्रम में टुकड़ों में बंद होने के पूरे 14 दिन बाद. जमे हुए सीमेंट और काटे गए ड्रम के बराबर में जमीन पर काली पॉलीथिन में सौरभ कुमार की लाश के 3 टुकड़ें रखे थे.
फ्रिज, कुकर, बैग के बाद ये सबसे ताज़़ी लाश है, जो एक ड्रम ने उगली है. लेकिन कहानी ऐसी कि आपका दिमाग घूम जाए. ये कहानी एक ऐसी पत्नी की है जिसने घर वालों की मर्जी के खिलाफ लव मैरिज की. लेकिन लव मैरिज के तीन साल बाद उसे फिर से लव हुआ और उसने अपने पहले प्यार और पति के सीने में अपने हाथों से पहला खंजर उतारा. फिर दूसरे प्य़ार यानी दूसरे प्रेमी के साथ मिल कर लाश के तीन टुकड़े किए. सर धड़ से अलग किया, दोनों हाथों की हथेली काटी फिर आधी लाश बैग में डाल कर बेड के नीचे रख दिया.
प्रेमी अब अपने घर चला गया था. लेकिन जाते-जाते वो सर और दोनों हथेलियां एक दूसरे बैग में रख कर अपने साथ अपने घर ले गया. प्रेमी के जाने के बाद इधर प्रेमिका को अब बैग में रखी लाश से डर लगने लगा. नींद नहीं आ रही थी. इसलिए तड़के तीन बजे वो भी आधी लाश घर में छोड़ कर अपने प्रेमी के घर चली गई.
पति, पत्नी और 'वो'
ये कहानी है तीन लोगों की हैं. 29 साल के सौरभ कुमार, 26 साल की मुस्कान रस्तौगी और 28 साल के साहिल शुक्ला की. साल 2016 में सौरभ की मुलाकात मेरठ में मुस्कान से होती है. मुलाकात दोस्ती में बदलती है और फिर दोस्ती प्यार में बदल जाता है. सौरभ ने मुस्कान को बताया था कि वो मर्चेंट नेवी में है और लंदन में पोस्टेड है. मगर इसके बावजूद सौरभ के घर वाले मुस्कान से उसकी शादी के लिए तैयार नहीं हुए. सौरभ घर वालों की मर्जी के खिलाफ जाकर मुस्कान से शादी कर लेता है. शादी के बाद वो छह महीने के लिए लंदन चला जाता है. मगर बाद में पता चलता है कि सौरभ मर्चेंट नेवी में नहीं, बल्कि लंदन की किसी बेकरी में काम करता है. उसकी माली हालत भी उतनी अच्छी नहीं थी.
कहानी में आया नया ट्विस्ट
इधर, सौरभ और मुस्कान को तब तक एक बेटी हो चुकी थी. बेटी होने के बाद अब सौरभ के घर वाले भी उसके करीब आने लगे थे. मगर तभी कहानी में एक नया ट्विस्ट आ जाता है. सौरभ ज्यादातर लंदन में रहता था और मुस्कान अकेली अपनी बेटी के साथ किराए के मकान में. इसी दौरान मुस्कान की मुलाकात उसी मोहल्ले में रहने वाले साहिल शुक्ला से होती है. देखते ही देखते दोनों बेहद करीब आ जाते हैं. अब साहिल अकसर मुस्कान के घर आने-जाने लगता है. यहां तक कि दोनों घर में शराब भी पीते हैं. इत्तेफाक से मकान मालिक उन दोनों के रिश्ते को भांप जाता है.
दो साल बाद घर आया था सौरभ
साल 2021 में जब सौरभ लंदन से मेरठ आता है, तब मकान मालिक उसे मुस्कान और साहिल की सच्चाई बता देता है. इस बीच दोनों के कुछ चैट पर भी सौरभ की नजर पड़ जाती है. फिर सौरभ और मुस्कान में झगड़ा होता है और बात तलाक तक पहुंच जाती है. सौरभ मुस्कान को अब तलाक देना चाहता था. इन्ही झगड़ों के बीच 2023 में सौरभ फिर से लंदन चला जाता है. अब मुस्कान और साहिल आजाद थे. फिर पूरे दो साल बाद फरवरी 2025 में ये आजादी खत्म होने वाली थी. क्योंकि सौरभ 24 फरवरी को लंदन से दो साल बाद मेरठ अपने घर लौट रहा था.
मुस्कान के बर्थडे पर होना था कत्ल
25 फरवरी को मुस्कान का बर्थडे था. वो उसका बर्थडे मनाने के लिए आ रहा था. लेकिन इधर मुस्कान कुछ और ही प्लान कर के बैठी थी. उसका इरादा ठीक बर्थडे वाले दिन यानी 25 फरवरी को ही सौरभ को मार डालने का था. मगर ऐसा हो ना सका. 25 फरवरी वाली प्लानिंग फेल हो गई और सौरभ बच गया. मगर मुस्कान और साहिल अगली प्लानिंग में जुट गए थे. मुस्कान की बेटी का एग्जाम चल रहा था. तीन मार्च को एग्जाम खत्म होते ही मुस्कान ने अपनी बेटी को अपनी मां के घर भेज दिया. और तीन मार्च का दिन सौरभ के कत्ल के लिए चुना.
मुस्कान और साहिल ने चाकू से किया हमला
उस दिन रात को जैसे ही सौरभ अपने कमरे में सोने गया, मुस्कान ने साहिल को बुला लिया. इसके बाद पहले मुस्कान ने सौरभ के सीने पर तेजधार खंजर से वार किया और फिर साहिल चाकू लेकर सौरभ पर टूट पड़ा. सौरभ पूरी ताकत से लड़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वो हार गया. मुस्कान उसकी मौत का तमाशा देखती रही. कुछ ही मिनटों में सौरभ की सांसें थम चुकी थी.
कत्ल के बाद अब लाश ठिकाने लगाने की बारी थी. तो उसकी प्लानिंग भी पहले से हो चुकी थी. इसके बाद साहिल और मुस्कान ने मिलकर एक प्लास्टिक का बड़ा ड्रम खरीदा. फिर उन दोनों ने बाथरूम में सौरभ की लाश के टुकड़े किए और उस बड़े ड्रम में भर दिए. फिर उस ड्रम को सीमेंट का घोल डालकर भर दिया. यानी वो ड्रम सौरभ की ठोस कब्र बन चुका था.
इसके बाद वो दोनों साहिल के घर जाकर आराम से सो गए. फिर चार मार्च की सुबह हुई. लाश वाला ड्रम कमरे में रखकर अब मुस्कान साहिल के साथ हिमाचल की वादियों में घूमने जा रही थी. चार मार्च की शाम को ही दोनों एक कैब बुक करते हैं और शिमला, मनाली और कसौल घूमने निकल जाते हैं. उस वक्त मुस्कान अपने साथ कुल 84 हजार रुपए लेकर निकली थी. 14 दिन बाद जब पैसे खत्म हो गए तो दोनों ने वापस मेरठ आने का फैसला किया.
हालांकि एक दूसरी कहानी ये भी है कि पैसा खत्म होने के बाद मुस्कान सौरभ के अकाउंट से पैसे निकालना चाहती थी. पैसे निकले नहीं तो उसने अपनी मां को फोन किया. मां ने कहा जब सौरभ तुम्हारे साथ ही घूमने गया है तो पैसे कि क्या जरूरत? इस पर मुस्कान अपनी मां को बताती है कि उसने सौरभ को मार डाला है. तब उसकी मां पहली बार पुलिस को ये सच्चाई बताती है. इसी के बाद 18 मार्च को पुलिस मुस्कान के इस घर में पहुंचती है और फिर नीले रंग के इस ड्रम से सौरभ की सच्चाई बाहर आती है.
ये तो थी कत्ल की कहानी. पर कत्ल की इस कहानी से कहीं ज्यादा सनसनीखेज है कत्ल की प्लानिंग और मुस्कान-साहिल के इश्क की दास्तान. तो पहले इश्क की कहानी. मुस्कान की बेटी प्ले स्कूल में पढ़ती थी. बेटी को स्कूल लाने ले जाने के दौरान ही मुस्कान की मुलाकात साहिल से हुई थी. सौरभ चूंकि ज्यादातर बाहर रहता था और मुस्कान अकेली तो जल्दी ही दोस्ती प्यार में बदल गई. घर में कोई था नहीं तो दोनों जब-तब घर में ही मिल लेते थे.
साहिल शुक्ला अंधविश्वासी था. उसकी मां नहीं थी. मगर उसने अपनी मां के नाम पर स्नैप चैट पर एक अकाउंट खोल रखा था. उसे लगता था कि उसकी मुर्दा मां उससे बात करती है. ये बात मुस्कान को भी पता थी. मुस्कान ने अपने भाई के मोबाइल नंबर पर एक अकाउंट खोला. उसी नंबर के जरिए वो साहिल को उसकी मां बन कर मैसेज करती थी कि मुस्कान अच्छी लड़की है तू उसके साथ खुश रहेगा. इस वजह से साहिल मुस्कान से और ज्यादा प्यार करने लगा था. शायद मां वाली बात और अंधविश्वास का ही असर था कि अब वो मुस्कान से शादी करना चाहता था. और इसके लिए वो सौरभ को रास्ते से हटाना चाहता था.
इतना ही नहीं इसी अंधविश्वास के चक्कर में वो मुस्कान को ये भी कहता था कि सौरभ का वध वही करेगी. मुस्कान भी अब सौरभ से पीछा छुड़ाना चाहती थी. इसी के बाद दोनों ने पिछले साल नवंबर में ही तय कर लिय़ा था कि इस बार सौरभ के मेरठ आते ही उसे मार डालेंगे. और नवंबर से ही कत्ल की प्लानिंग शुरू हो गई थी. सबसे पहले दोनों ने इस बात की प्लानिंग की कि कत्ल के बाद लाश का क्या करेंगे. आखिर में तय किया कि लाश को जमीन में गाड़ देंगे. पर कैसे ये उन्हें नहीं पता था. इसके लिए अब दोस्तों से पूछथाछ करने लगे थे. मगर दूसरी तरह से.
जब लाश दफनाने वाला आइडिया काम नहीं आया, तब उन्होंने दो और आइडियाज़ पर काम किया. पहला लाश के टुकड़े कर बैग में रख कर कहं फेंक आएंगे या फिर उसे ड्रम में डाल कर सीमेंट के घोल से उसे बंद कर देंगे. ड्रम वाला आइडिया साहिल का था. 25 फरवरी को मुस्कान का जन्म दिन आता है. लिहाजा, सौरभ ने 24 फरवरी को लंदन से मेरठ लौटने का प्लान बनाया. ये बात मुस्कान ने साहिल को बताई. इसी के बाद तय हुआ कि ठीक बर्थडे वाले दिन ही सौरभ का कत्ल होगा. प्लानिंग ये थी कि शऱाब में बेहोशी की दवा मिला कर उसे पिला देंगे फिर मार डालेंगे. मगर उस रात सौरभ ने शराब पी ही नहीं.
25 फरवरी वाला आइडिया यानी पहली कोशिश नाकाम रही. अब मौत की दूसरी तारीख 3 मार्च तय की गई. क्योंकि उस दिन मुस्कान और सौरभ की बेटी का एग्जाम खत्म होना था और फिर बेटी को मुस्कान को अपनी मां के घर भेजना था. प्लान के तहत मुस्कान पहले से ही दुकान से आठ सौ रुपए में दो चाकू खऱीद कर लाई थी. दुकानदार को शक ना हो इसलिए कहा कि मुर्गा काटने के लिए चाकू चाहिए. फिर 3 मार्च की रात आई. इस बार शराब की जगह मुस्कान ने सौरभ का पसंदीदा खाना कोफ्ता बनाया और उसी में बेहोशी की दवा मिला दी.
जब सौरभ बेहोश हो गया. तब देर रात मुस्कान ने साहिल को घर बुलाया और फिर सौरभ के सीने पर पहला वार मुस्कान ने ही किया. क्योंकि सौरभ अंधविश्वासी था और चाहता था कि सौरभ का वध मुस्कान करे. ये साहिल का अंधविश्वास ही था कि उसने कत्ल के बाद सौरभ की दोनों हथेलिय़ां काटी थीं और फिर उसका सिर और हथेलियां अपने साथ बैग में रख कर घर ले गया था. दोनों ने ये भी पहले से तय कर लिया था कि कत्ल के बाद वो शिमला चले जाएंगे और सबको यही लगेगा मुस्कान और सौरभ साथ घूमने गए हैं.
कत्ल के बाद सौरभ का फोन भी मुस्कान के पास था. वो सौरभ के फोन से ही उसके भाई बहन को मैसेज करती या मैसेज का रिप्लाई देती. ताकि सभी को यह लगे कि मैसेज सौरभ भेज रहा है. पर किस्मत का खेल कहिए या फऱेब, बकौल मेरठ पुलिस मुस्कान सौरभ का कत्ल तो करना चाहती थी. पर वो साहिल से शादी नहीं करना चाहती थी. और साहिल ये सब कुछ सिर्फ मुस्कान से शादी करने के लिए कर रहा था. यानी कहानी का क्लाइमेक्स ऐसा नहीं होता तो क्या पता मुस्कान पार्ट थ्री भी बन सकता था.