Advertisement

यूपी की 'गोलीमार पुलिस', सवालों के घेरे में एनकाउंटर

योगी सरकार के 12 महीने और योगी की पुलिस के करीब 12 सौ एनकाउंटर. यानी हर महीने 100 और हर दिन 3 से 4 एनकाउंटर. ना जाने ऐसा कौन सा आपातकाल यूपी में आ गया है, जिससे निपटने के लिए योगी जी के खाकी वर्दी वाले गोलीमार पुलिस बन बैठे हैं. ना गिरफ्तारी की कोशिश हो रही है, ना अदालत में लाने की ज़हमत. फैसला ऑन द स्पॉट किया जा रहा है.

यूपी पुलिस की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जा रही है यूपी पुलिस की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जा रही है
परवेज़ सागर/सुप्रतिम बनर्जी
  • नई दिल्ली,
  • 27 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 1:37 PM IST

योगी सरकार के 12 महीने और योगी की पुलिस के करीब 12 सौ एनकाउंटर. यानी हर महीने 100 और हर दिन 3 से 4 एनकाउंटर. ना जाने ऐसा कौन सा आपातकाल यूपी में आ गया है, जिससे निपटने के लिए योगी जी के खाकी वर्दी वाले गोलीमार पुलिस बन बैठे हैं. ना गिरफ्तारी की कोशिश हो रही है, ना अदालत में लाने की ज़हमत. फैसला ऑन द स्पॉट किया जा रहा है. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि एनकाउंटर की झड़ी लगने से यूपी के क्राइम ग्राफ में कोई बहुत भारी कमी आ गई हो. ऐसे में एनकाउंटर पर सरकारी मुहर ने पुलिस के साथ-साथ सरकार को भी सवालों के घेरे में ला दिया है.

Advertisement

पिछले साल अक्टूबर के महीने की 8 तारीख को अंडरट्रायल कैदी और सात सालों से जेल में बंद फुरकान अचानक शामली में अपने घर आ गया. घरवाले हैरान थे क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो उसकी ज़मानत दे सकें. मगर वो घर आ गया. और ठीक 15 दिन बाद ख़बर आई कि पुलिस एनकाउंटर में फुरकान मारा गया.

पुलिस का फर्जीवाड़ा?

हालांकि पुलिस का दावा था कि फुरकान सहारनपुर, शामली और मुज़फ्फ़रनगर में कई डकैतियों में शामिल था.. तो फिर घरवाले ये सवाल पूछ रहे हैं कि अगर फुरकान सात साल से जेल में था तो फिर वो इन डकैतियों में शामिल कैसे हो सकता है? और पुलिसवाले खुद से उसकी रिहाई के लिए बातचीत करने के लिए क्यों आए थे. जब वो उसका एनकाउंटर ही करना चाहते थे?

Advertisement

क्या फुरकान को बलि का बकरा बनाया गया. ये सवाल इसलिए भी क्योंकि ऐसे इल्ज़ाम सिर्फ फुरकान के घरवाले नहीं लगा रहे हैं बल्कि ऐसे आरोप लगाने वालों की अच्छी खासी फेहरिस्त है..

आजमगढ़ः पुलिस ने 26 जनवरी 2018 को मुकेश राजभर को मुठभेड़ में मार गिराया. भाई का आरोप कानपुर से मुकेश को उठाया गया, अगले दिन एनकाउंटर की खबर मिली.

बाग़पतः पुलिस ने 30 अक्टूबर 2017 को सुमित गुर्जर को मुठभेड़ में मार गिराया. पिता का आरोप है कि पुलिस ने उठाया और पीटने के बाद उसका एनकाउंटर किया.

आजमगढ़: पुलिस ने 14 सितंबर 2017 को राम जी पासी को मुठभेड़ में मार गिराया. बड़े भाई का आरोप है कि पुलिस कई दिनों से उसे एनकाउंटर की धमकी दे रही थी.

इटावाः पुलिस ने 18 सितंबर 2017 को आदेश यादव को मुठभेड़ में मार गिराया. परिवार ने एनकाउंटर को फर्जी बताया और न्याय के लिए राज्य मानवाधिकार आयोग से शिकायत की.

आजमगढ़ः पुलिस ने 3 अगस्त 2017 को जयहिंद को मुठभेड़ में मारा. पिता का आरोप सादे कपड़ों में आए लोग उसे अपने साथ ले गए थे और फिर उसके एनकाउंटर की खबर आई.

इसमें कोई शक नहीं सभी को अपराध से आज़ादी चाहिए. मगर उस चक्कर में पुलिस सरकारी क़त्ल करने लगे, ये कहां का इंसाफ है. लिहाज़ा, यूपी में होने वाले एनकाउंटरों पर जो सवाल उठ रहे हैं वो भी जायज़ हैं.

Advertisement

एनकाउंटर पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

सारे मामलों में एफआईआर का पैटर्न एक जैसा ही है, बदमाश भाग रहे थे, पुलिस के रोकने पर फायरिंग हो गई और जवाबी कार्रवाई में बदमाश मारे गए. पुलिस इन संदिग्ध मुठभेड़ों में साथियों को पकड़ने में नाकाम रही और साथी भागने में सफल रहे. अमूमन सभी एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों को ही गोली लगती है और कुछ ही घंटों में वे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो जाते हैं. सबसे हैरानी की बात ये है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ज्यादातर मारे गए बदमाशों को गोली सीधे सिर पर लगी है. मतलब यूपी पुलिस का निशाना कमाल का हो गया है.

सुप्रीम में कोर्ट याचिका

पुलिस एनकाउंटर पर ना सिर्फ पूरे सूबे में बल्कि संसद में भी सवाल उठ रहे हैं. दिल्ली की एक पब्लिक ट्रिब्यूनल यूपी में हो रहे धड़ाधड़ एनकाउंटर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर करने जा रही है. मगर सवाल ये जब तक ऐसी पीआईएल पर सुनवाई होकर कार्रवाई की जाएगी, तब तक ना जाने कितने लोग यूपी पुलिस के एनकाउंटर में ढेर हो चुके होंगे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement