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दबंगों की दुनियाः अस्पताल में घुसकर किया था गवली के शूटर का मर्डर, दाऊद इब्राहिम भी इस डॉन को कहता था गुरु

इस गैंगस्टर को यूपी का सबसे बड़ा माफिया डॉन कहा जाता था. वो इस वक्त बनारस की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है. लेकिन उसके रसूख को राजनीति में अनदेखा नहीं किया जा सकता. हम बात कर रहे हैं बाबा उर्फ सुभाष ठाकुर का.

सुभाष ठाकुर का नाम बाबा उस वक्त पड़ा, जब उसने जेल में बाबाओं जैसा हुलिया बना लिया था सुभाष ठाकुर का नाम बाबा उस वक्त पड़ा, जब उसने जेल में बाबाओं जैसा हुलिया बना लिया था
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 20 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 7:29 AM IST

यूपी के पूर्वांचल में चाहे सियासत हो या फिर ठेकेदारी, हर जगह बाहुबलियों का बोलबाला रहा है. यूं तो पूर्वांचल के कई माफिया गैंगस्टर सुर्खियों में रहे हैं. लेकिन एक नाम ऐसा भी है, जिसे लोग यूपी का सबसे बड़ा माफिया डॉन कहते हैं और वो नाम है बाबा उर्फ सुभाष ठाकुर का. जो इस वक्त बनारस की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है. लेकिन उसके रसूख को राजनीति में अनदेखा नहीं किया जा सकता. बाबा के खिलाफ दर्जनों संगीन मामले चल रहे हैं. कई मामलों में उसे दोषी करार दिया जा चुका है.

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यूपी के पूर्वांचल में था सियासी प्रभाव
बताया जाता है कि यूपी में होने वाले किसी भी चुनाव में बाबा का बहुत दखल रहता है. खासकर पूर्वांचल की बात करें तो वहां की कई सीटों पर सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा का सीधा प्रभाव है. सूत्रों के मुताबिक, इलाके के कई बड़े-छोटे नेता सुभाष ठाकुर से जीत का आशीर्वाद लेते हैं. कई संगीन मामलों में दोषी करार दिए जाने के बाद बाबा उम्रकैद की सजा काट रहा है. उसने लंबी दाढ़ी रख ली है. उसका हुलिया बाबाओं जैसा हो गया है. इसीलिए लोग उसे बाबा कहकर बुलाते हैं. 

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अंडरवर्ल्ड में ऐसे कुख्यात हुआ था सुभाष
नए काम की तलाश में जब सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा ने पहली बार मायानगरी मुम्बई में कदम रखा, तभी वो जुर्म की दुनिया के करीब जा पहुंचा था. वहां रहते हुए ही बाबा ने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था. इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो एक बाद एक ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम दे रहा था. जुर्म की काली दुनिया में उसका नाम तेजी से मशहूर हो रहा था. उसके नाम की दहशत भी मुंबई में नजर आने लगी थी. बाबा का नाम मुंबई अंडरवर्ल्ड छाने लगा था. वो वहां के बिल्डरों और बड़े कारोबारियों पर शिकंजा कसता जा रहा था. एक वक्त था जब उसका कारोबार यूपी से लेकर मुम्बई तक फैला हुआ था.

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ठाकुर को गुरू मानता था दाऊद
जिस दौर में सुभाष ठाकुर का नाम जरायम की दुनिया में चमक रहा था. तभी मुम्बई पुलिस के एक कांस्टेबल का बेटा दाऊद इब्राहिम कासकर अपराध की दुनिया में एंट्री करता है. मगर इस काली दुनिया में दाऊद को भी किसी गुरु की ज़रूरत थी. इसी वजह से वो सुभाष ठाकुर के दरबार में पहुंचा. बाबा ने उसे अपना शिष्य बना लिया. फिर उसे जरायम की दुनिया के पाठ पढ़ाए. वहीं से दाऊद ने जुर्म करने के तरीके सीखे. वहीं से वो पहले एक कुख्यात गैंगस्टर बना और फिर मुंबई का सबसे बड़ा माफिया डॉन बन गया था.

मुंबई धमाकों के बाद छूटा साथ
सबको मालूम था कि दुनिया के कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का गुरू सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा है. दाऊद भी बाबा को बहुत मानता था लेकिन कुछ सालों बाद ही दोनों का रिश्ता टूट गया. जिसकी वजह थे मुम्बई में 1992 के दौरान हुए सीरियल ब्लास्ट. उसी वक्त सुभाष ठाकुर और दाऊद इब्राहिम हमेशा के लिए अलग हो गए थे. 

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कोर्ट से मांगी थी बुलेटप्रूफ जैकेट
दाऊद से अलग हो जाने के बाद सुभाष ठाकुर ने दाऊद के दुश्मन बन चुके माफिया सरगना छोटा राजन के साथ हाथ मिला लिया था. हालांकि सुभाष ठाकुर को अपने शिष्य दाऊद इब्राहिम से ही जान का खतरा महसूस होने लगा था. बाबा का ये खौफ आज भी बरकरार है. क्योंकि गिरफ्तारी के बाद अपनी जान को खतरा बताते हुए साल 2017 में बनारस कोर्ट में एक याचिका दायर कर बुलेटप्रूफ जैकेट और सुरक्षा की मांग की थी.

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बृजेश सिंह ने की थी सुभाष की मदद
पूर्वांचल में जुर्म की दुनिया से निकलकर सियासत में कदम रखने वाले बृजेश सिंह को सुभाष ठाकुर ने सहारा दिया था. सुभाष ठाकुर का हाथ सिर पर आ जाने से बृजेश सिंह को बहुत फायदा हुआ था. दोनों साथ मिलकर काम करने लगे थे. बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद तक कोई भी सुभाष ठाकुर से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता था. मुन्ना बजरंगी भी सुभाष ठाकुर का चरणगोह था. 

इस चर्चित कांड ने बनाया था कुख्यात
जब सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा, दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन मिलकर मायानगरी पर राज कर रहे थे, तो उनकी दुश्मनी अरुण गवली गैंग के साथ हो गई थी. इसी दौरान गवली ने दाऊद को गहरी चोट दी. उसके शूटरों ने 26 जुलाई 1992 को मुंबई के नागपाड़ा की अरब गली में दाऊद इब्राहिम के बहनोई इस्माइल पारकर का कत्ल कर दिया था. इस हत्याकांड में पहली बार एके47 राइफल और 9 एमएम पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था.

इस हत्या से दाऊद खुद दहल गया था. उसने अपने बहनोई की मौत का बदला लेने के लिए सुभाष ठाकुर और छोटा राजन को लगाया था. इन दोनों की टीम ने 12 सितम्बर 1992 को मुंबई के जेजे अस्पताल में गवली के शूटर शैलेश की हत्या कर दी थी. इसके बाद जुर्म की दुनिया में सुभाष ठाकुर का नाम कुख्यात हो गया था.

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