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चोरों की अनोखी बारात: इनकी कारस्तानी सुन रह जाएंगे दंग!

सुन कर अजीब लगता है लेकिन चोरों की बारात में कोई बीए-एलएलबी है, कोई एमबीए, तो कोई बिल्कुल ही अंगूठाटेक है. लेकिन सब के सब एक से बढ़ कर एक चोर और धंधेबाज हैं. ये काम तो चोरी का करते हैं, लेकिन महंगी और आलीशान गाड़ियों में घूमना इन चोरों का शगल बन चुका है.

चोरों की बारात में कोई बीए-एलएलबी है, कोई एमबीए चोरों की बारात में कोई बीए-एलएलबी है, कोई एमबीए
सना जैदी
  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 12:22 PM IST

देश-दुनिया के अनेक चोरों के किस्से आपने सुने होंगे. लेकिन एक ऐसी वारदात जिसकी कारस्तानी देख कर आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि ऐसे भी चोर हो सकते हैं. जरा सोचें चोरी करते-करते कोई चोर सीधे जज की ही कुर्सी पर जा बैठे और अपने जैसे दूसरे चोरों का इंसाफ भी करने लगे. तो क्या आप यकीन करेंगे?

आलीशान गाड़ियों में घूमते हैं ये चोर
सुन कर अजीब लगता है लेकिन चोरों की बारात में कोई बीए-एलएलबी है, कोई एमबीए, तो कोई बिल्कुल ही अंगूठाटेक है. लेकिन सब के सब एक से बढ़ कर एक चोर और धंधेबाज हैं. ये काम तो चोरी का करते हैं, लेकिन टशन ऐसी रखते हैं कि करीब से देखें तो बॉलीवुड के हीरो भी शर्मा जाएं. महंगी और आलीशान गाड़ियों में घूमना, चोरी के लिए भी अपने साथ ड्राइवर लेकर चलना और एक शहर से दूसरे शहर की दूरी फ्लाइट से तय करना इन चोरों का शगल बन चुका है.

 

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चोरी करते-करते बन बैठा 'मजिस्ट्रेट'
चोरों की इस तिलस्मी दुनिया में झांकने की शुरुआत चोरों के सबसे बड़े सरदार धनीराम मित्तल उर्फ इंडियन चार्ल्स शोभराज से करते हैं. वैसे तो इन जनाब की उम्र 77 साल की है. जरा भी तेजी से चलते हैं तो हांफने लगते हैं लेकिन साठ के दशक से इन्होंने चोरी और जालसाजी के जिस सिलसिले की शुरुआत की है, उससे अब भी तौबा करने को तैयार नहीं हैं. चोरी के इल्जाम में ये पहली बार 1964 में गिरफ्तार हुए थे. इसके बाद इन्होंने इतनी चोरी और जालसाजियां की कि गितनी अब इन्हें खुद भी याद नहीं है.

 

52 सालों से जुर्म की दुनिया में अंगद की तरह पांव जमाए दिल्ली के धनीराम ने चोरी और जालसाजी करते हुए ही बीए-एलएलबी, हैंडराइटिंग एक्सपर्ट और ग्राफोलॉजी की पढ़ाई की और पास भी हो गए. लेकिन इसके बाद इन्होंने वो कारनामा कर दिखाया, जैसा इनके अलावा शायद दूसरा कोई कर ही नहीं सकता. उन्होंने हरियाणा के झज्जर कोर्ट के एडिशनल सेशन जज को फर्जी तरीके से कंपलसरी लीव यानी छुट्टी पर भेज दिया. उनके पीछे मुड़ते ही खुद फर्ज़ी कागजातों के जरिए सीधे जज की कुर्सी पर विराजमान हो गए. इसके बाद तो इन्होंने पूरे दो महीने तक कितनों को सजा दी और कितनों को बरी किया किसी को नहीं पता. हालांकि रिकॉर्ड कहता है कि इन दो महीनों में चोर से जज बने धनीराम ने 2 हजार 7 सौ चालीस (2740) अपराधियों को जमानत पर रिहा कर दिया.

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धनीराम ज़्यादातर गाड़ियां चुराता है और खुद ही फर्जी कागजात बना कर उन्हें आगे बेच देता है. लेकिन पूरे उत्तर पश्चिमी भारत की पुलिस को सालों-साल छकाने वाला धनीराम अब एक बार फिर से सलाखों के पीछे है.

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