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जॉर्ज फ्लॉयड के कत्ल से करीमा बलूच की मौत तक, ये हैं साल 2020 की 4 बड़ी घटनाएं

पूरी दुनिया में कुछ ऐसी वारदातों को अंजाम दिया गया, जिन्होंने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा. ये वारदातें मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा का विषय बनी रहीं. इन घटनाओं ने कहीं पुलिस को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया तो कहीं किसी देश की सरकार ही शक के घेरे में आ गई.

दुनियाभर में होने वाली जुर्म की वारदातों ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा दुनियाभर में होने वाली जुर्म की वारदातों ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 4:14 PM IST

जुर्म की दुनिया में भी साल 2020 पीछे नहीं रहा. इस साल देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कुछ ऐसी वारदातों को अंजाम दिया गया, जिन्होंने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा. ये वारदातें मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा का विषय बनी रहीं. इन घटनाओं ने कहीं पुलिस को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया तो कहीं किसी देश की सरकार ही शक के घेरे में आ गई. कहीं आतंकियों के कोहराम ने कहर बरपाया तो कहीं बड़ी साजिश ने लोगों को चौंकाया. ऐसी ही चार बड़ी वारदातों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं हम.

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25 मई 2020, जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या
अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड नाम के शख्स की मौत ने पूरी दुनिया को हिला दिया था. दरअसल, एक विवाद के बाद वहां की पुलिस ने जॉर्ज फ्लॉयड को दबोच लिया था. पुलिसवाले उनकी गर्दन पर घुटना रख कर उन्हें दबा रहे थे. जिससे उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी. उनके साथ हुई इस ज्यादती का लोगों ने वीडियो भी बनाया. जिसके बाद जॉर्ज की मौत हो गई और पूरे अमेरिका में पुलिस के खिलाफ़ हिंसक प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया. 46 साल के अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड अफ्रीकी मूल के अमेरिकी थे. वो एक रेस्त्रां में सुरक्षा गार्ड का काम करते थे और उसी रेस्त्रां के मालिक के घर किराए पर रहते थे. वारदात के रोज़ जॉर्ज एक दुकान में कुछ खरीदने गए, जहां बिल को लेकर उनका दुकानदार से विवाद हो गया. जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया. लेकिन जिस तरह से उन्हें दबोचा गया, उससे उनकी जान चली गई. 

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पुलिस के मुताबिक, जॉर्ज पर आरोप था कि उन्होंने 20 डॉलर के फर्जी नोट के जरिए एक दुकान से खरीदारी की कोशिश की. इसके बाद एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें पुलिस अधिकारी को घुटने से आठ मिनट तक जॉर्ज फ्लॉयड की गर्दन दबाते हुए देखा गया. वीडियो में जॉर्ज कहते हुए सुना जा सकता है कि मैं सांस नहीं ले सकता (आई कांट ब्रीद). बाद में फ्लॉयड की चोटों के कारण मौत हो गई. बाद में पोस्टमार्टम में पता चला कि पुलिस अधिकारी के फ्लॉयड की गर्दन को दबाए रखने से दिमाग में खून की आवाजाही रुक गई और उन्हें दिल का दौरा पड़ गया था. जिससे उनकी मौत हो गई. इसके बाद लोगों ने ब्लैक लाइव्स मैटर के नाम से मुहिम चलाई और अमेरिकी पुलिस को आईना दिखाया.

27 नवंबर 2020, ईरानी वैज्ञानिक का 'सैटेलाइट मर्डर'
कार में जा रहे ईरानी वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह की गोली मारकर हत्या कर दी गई. चौंकाने वाली बात ये थी कि जब फखरीजादेह का क़त्ल हुआ, उस वक़्त उस कार में उनकी पत्नी भी मौजूद थीं जो उनसे कुछ इंच की दूरी पर बैठी हुई थीं. लेकिन इस हमले में उनको कोई नुकसान नहीं पहुंचा. 2007 से लेकर अबतक मोहसिन 7वें ऐसे ईरानी न्यूक्लियर साइंटिस्ट हैं, जिन्हें मौत के घाट उतारा गया है. बकौल इस्लामिक रेवलूशन गार्डस कॉर्प्स के फखरीजादेह का क़त्ल सैटलाइट से ऑपरेट होने वाले हथियार से किया गया है और इसके पीछे मोसाद का हाथ होने की संभावना है. 

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हालांकि हैरान करने वाली बात ये है कि कैसे एक बंदूक का निशाना इतना अचूक हो सकता है कि वो चलती कार में जा रहे एक शख्स की जान ले सके. ऐसा माना जा रहा है कि फखरीजादेह के कत्ल में हाल में ही बनाई गई गन स्मैश होपर का इस्तेमाल किया गया था. जो न सिर्फ ऑटोमैटिक है बल्कि रिमोट कंट्रोल से भी चल सकती है. साथ ही ये निशाने को खुद ही स्कैन कर लॉक कर लेती है और बुलेटप्रूफ गाड़ी में भी इससे बच पाना मुश्किल है.

11 दिसंबर 2020, बोको हराम का कोहराम
नाइजीरिया के काटसिना में बाइक पर सवार होकर बोको हराम के सैकड़ों हथियारबंद आतंकियों ने एक स्कूल पर हमला बोल दिया. स्कूल से करीब 333 बच्चों को अपहरण कर अपने साथ उठा ले गए. इस अपहरण कांड के बाद बोको हराम के मुखिया अबू बकर शेकाऊ ने एक वॉयस मैसेज जारी कर इस किडनैपिंग की जिम्मेदारी भी ली. साल 2000 में शायद ही ऐसा कोई महीना बीता हो, जब बोको हराम ने अपनी क्रूरता से नाइजीरिया की धरती लाल ना की हो. स्कूली बच्चों की ये किडनैपिंग ऐसी कोई पहली वारदात नहीं है. इससे पहले भी ये संगठन ऐसी वारदातों को अंजाम देता रहा है. अप्रैल, 2014 में इस संगठन ने चिबोक ज़िले से 276 स्कूली छात्राओं को अगवा किया था. जिनमें से 100 से ज़्यादा लड़कियों का तो अबतक कोई अता पता नहीं चल पाया है. 

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22 दिसंबर 2020, करीमा बलूच की रहस्यमयी मौत
महिला बलोच नेता करीमा बलोच की रहस्यमयी मौत ने इस साल दुनिया को सन्न कर दिया. उनकी मौत कोई हादसा है या फिर क़त्ल, इस सवाल पर फिलहाल धुंध छाई है. ये और बात है कि बलूचिस्तान मूवमेंट से जुड़े तमाम लोगों का मानना है कि ये मौत मामूली मौत नहीं, बल्कि पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई की साज़िश का अंजाम है. ऐसा मानने के पीछे मोटे तौर पर तीन तर्क हैं. एक तो पाकिस्तान इंसाफ़ की आवाज़ बुलंद करनेवालों के साथ इस तरीक़े से पहले ही पेश आने की वकालत कर चुका है.

दूसरा आईएसआई पर इस तरह से बलूच नेताओं के क़त्ल का इल्ज़ाम पहले भी लग चुका है. और तीसरा ये अपनी तरह का दूसरा मौका है, जब किसी बलूच एक्टिविस्ट की इस तरह रहस्यमयी हालत में विदेश में मौत हुई है. इससे पहले पत्रकार साजिद हुसैन की स्वीडन में संदिग्ध हालत में जान गई थी. करीमा की मौत पर खुद उनके शौहर और बलोच एक्टिविस्ट हम्माल हैदर ने भी क़त्ल का शक ज़ाहिर किया है.

 

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