'तुम इतने पैसे कमाकर क्या करोगे' जवाब- जामताड़ा का सबसे अमीर आदमी बनेंगे..आपको याद तो आ ही गया होगा ये डॉयलॉग नेटफ्लिक्स की बेहद लोकप्रिय वेब सीरीज जामताड़ा का ही है..जी इसकी टैग लाइन है सबका नंबर आएगा. अब आप सोच रहे होंगे कि किस बात का नंबर आएगा?? वो नंबर आएगा ठगी का जब कोई आपसे एटीएम बंद होने तो कोई लॉटरी के नाम पर साइबर फ्रॉड करके आपके बैंक खाते से पैसे निकाल लेगा.
यही वजह है कि जामताड़ा पूरे देश में साइबर अपराधों के लिए बदनाम हो चुका है. देश में ज्यादातर साइबर फ्रॉड के मामले झारखंड के इसी जिले से जुड़े हुए होते हैं. जामताड़ा में एक नाबालिग भी अच्छे-खासे पढ़े लिखे लोगों को अपने ठगी का शिकार बना लेते हैं और उन्हें कानों कान खबर तक नहीं होती है. आमलोगों से लेकर कई राजनेताओं तक को ये शातिर अपना शिकार बना चुके हैं.
आखिर कैसे कम पढ़े लिखे या अनपढ़ अपराधी साइबर ठगी के जरिए देश के बड़े शहरों में बैठे पढ़े-लिखे लोगों को झांसे में लेकर चूना लगा देते हैं? कैसे इन अपराधों के लिए टेक्नोलॉजी और टूल्स का सहारा लिया जाता है? झारखंड पुलिस की मानें तो जामताड़ा के साइबर अपराधियों पर अमेरिका भी ब्रेन मैपिंग के जरिए रिसर्च करना चाहता है. वो जानना चाहता है कि आखिर इन युवाओं के दिमाग में स्पेशल क्या है?
हाल में दिल्ली में राज्यों के डीजीपी रैंक के अधिकारियों की बैठक हुई. इसी बैठक में ये बात सामने आई कि अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश भी ये जानना चाहता है कि कैसे कम पढ़े लिखे होने के बावजूद ये युवा अपराधी आईटी (इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) में महारत हासिल कर लेते हैं. यहां तक कि आईटी में दक्ष लोग भी इनके बिछाए जाल में फंस जाते हैं.
जामताड़ा के एसपी दीपक कुमार सिन्हा ने आजतक को बताया कि “अमेरिका की ओर से जामताड़ा के साइबर अपराधियों पर रिसर्च में दिलचस्पी दिखाने की बात सामने आई है. और अगर अमेरिका से कोई रिसर्च टीम पहुंचती है तो उसे प्रशासन की ओर से पूरा सहयोग दिया जाएगा.” सिन्हा ने हालांकि साफ किया कि अभी तक इस संबंध में उन्हें आधिकारिक सूचना नहीं मिली है. उनके मुताबिक दिल्ली में डीजीपी स्तर की बैठक में ये मुद्दा उठा था.
इस मुद्दे पर जामताड़ा महिला कॉलेज के प्रोफेसर टीके माझी ने कहा, “साइबर अपराधों को किसी तरह से भी सही नहीं कहा जा सकता. सरकार को चाहिए कि इस तरह के भटके हुए युवाओं को मुख्यधारा में लाए और इनके तेज दिमाग का उपयोग अच्छे कार्यों में करें.” माझी के मुताबिक अगर अमेरिका ऐसे युवकों पर ब्रेन मैपिंग के जरिए रिसर्च करता है तो उसमें सहयोग दिया जाना चाहिए.
कमाल की बात यह है कि जामताड़ा में साइबर ठगों पर होने वाले रिसर्च को वहां के लोग गर्व के तौर पर देख रहे हैं. जामताड़ा महिला कॉलेज के प्रोफेसर टीके माझी ने कहा कि जामताड़ा जैसी जगह के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि यहां अमेरिका जैसा देश इस पर रिसर्च करेगा.
झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में स्थित जामताड़ा अतीत में भी आपराधिक घटनाओं के लिए जाना जाता रहा है. यहां पहले रेल यात्रियों को नशीले पदार्थ वाली कोई चीज खिला कर लूटने की घटनाएं आए दिन होती रहती थीं. पिछले कुछ साल से यहां अपराध के तरीके बदले हैं. अब टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से लोगों की मेहनत की कमाई को हड़पने के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. ऐसे अपराधों के लिए नारायणपुर और कर्मातार नाम के क्षेत्र खास तौर पर बदनाम है. कर्मातार में कुछ साल पहले तक झोपड़ियां ही होती थीं. लेकिन अब यहां आलीशान बंगले नजर आते हैं.
झारखंड का जामताड़ा साइबर अपराध के लिए इस कदर बदनाम हो चुका है कि आप यहां आए दिन किसी ना किसी दूसरे राज्य की पुलिस को मामले की जांच करते हुए देख सकते हैं. यह देश में साइबर अपराध के सबसे बड़े केंद्रों में से एक के रूप में उभरा है. जामताड़ा के करमातर पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड से पता चलता है कि अप्रैल 2015 से मार्च 2017 के बीच 12 अलग-अलग राज्यों की पुलिस टीमों ने 23 बार इस जिले का दौरा किया है और अलग-अलग मामलों में लगभग 38 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. करीब 90 साइबर अपराधियों की पहचान हुई है. ये आय के ज्ञात स्रोत से अतिरिक्त करोड़ों की संपत्ति जुटाने के लिए ईडी के रडार पर
यहां से यूपी, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब और यहां तक कि अंडमान-निकोबार में भी बैठे लोगों को साइबर ठगी का शिकार बनाया जा चुका है. पुलिस रिपोर्ट बताती है कि 2013 में साइबर अपराधों की शुरुआत हुई. विभिन्न राज्यों की पुलिस की ओर से जामताड़ा में 110 से ज्यादा अपराधियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. वहीं जामताड़ा जिला पुलिस द्वारा जुलाई 2014 से जुलाई 2017 के बीच क्षेत्र के 330 निवासियों के खिलाफ 80 से अधिक साइबर फ्रॉड के मामले दर्ज किए गए है. अकेले करमातर पुलिस स्टेशन में, 2017 में ठगी के मामलों में 100 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई थीं.