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बिहार: इंस्टेंट लोन कंपनी के झांसे में फंसा शख्स, बढ़ रहा ब्याज, चुकाने का नहीं कोई रास्ता

मृत्युंजय बताते हैं कि वे साल 2019 में नोएडा के एक कॉलेज में प्रोफेशनल कोर्स कर रहे थे. उन्हें घर की डीटीएच सर्विस रिचार्ज करनी थी. गूगल पर उन्हें गैलेक्सी कार्ड के बारे में पता चला. गैलेक्सी कार्ड में लोन तुरंत अप्रूव हो जाता था जिसका बिल अगले महीने बनता था. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने पांच सौ रुपये का रिचार्ज करना चाहा तो रिचार्ज नहीं हुआ हालांकि बिल जरूर जेनरेट हो गया.

(सांकेतिक तस्वीर). (सांकेतिक तस्वीर).
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2021,
  • अपडेटेड 8:28 PM IST
  • हर साल बढ़ती जा रही कर्ज की रकम
  • शख्स ने कई बार की चुकाने की कोशिश
  • कंपनी की तरफ से नहीं मिलता है कोई जवाब

इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के बीच साइबर क्राइम के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. ठगी करने वाले लोग नए, नए पैंतरे अपना लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. बिहार में एक शख्स के साथ अजीब वाकया हुआ है. बिहार के मृत्युंजय कुमार इंस्टेंट लोन देने वाली एक कंपनी गैलैक्सी कार्ड पर भरोसा कर फंस गए.

हमारी सहयोगी न्यूज वेबसाइट लल्लनटॉप ने पड़ताल में पाया कि कई लोगों को यह फर्जी मैसेज प्राप्त हुए हैं. मैसेज में गैलेक्सी कार्ड लेने वाले शख़्स का नाम और मोबाइल नंबर दिया होता है. वायरल मैसेज में लिखा होता है, अगर आप चाहते हैं कि —-(नाम) के खिलाफ FIR ना हो तो 9654xxxxxx नंबर पर संपर्क करें. जब दिए गए नंबर पर कॉल किया जाता है तो सामने वाला शख्स भी अपनी व्यथा सुनाता है क्योंकि वो भी ऐसे फोन कॉल से परेशान हो चुका है. मामला ये है कि बहुत से लोगों के मोबाइल पर रिकवरी के मेसेज आ रहे हैं जबकि उन लोगों का कंपनी से कोई लेना देना ही नहीं है.

मृत्युंजय कुमार के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. मैसेज में नंबर उनका था और नाम किसी दिनेश कुमार लाधिया का था.  वायरल मेसेज में लिखा गया कि दिनेश को कॉल कर जानकारी दें और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से बचाएं. ये मैसेज मैसेजिंग सर्विसेज के जरिए भेजे जाते हैं. यानी कोई चाहकर भी मेसेज करने वाले से संपर्क नहीं कर पाएगा.

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मृत्युंजय बताते हैं कि वे साल 2019 में नोएडा के एक कॉलेज में प्रोफेशनल कोर्स कर रहे थे.उन्हें घर की डीटीएच सर्विस रिचार्ज करनी थी. गूगल पर उन्हें गैलेक्सी कार्ड के बारे में पता चला. गैलेक्सी कार्ड में लोन तुरंत अप्रूव हो जाता था जिसका बिल अगले महीने बनता था. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने पांच सौ रुपये का रिचार्ज करना चाहा तो रिचार्ज नहीं हुआ हालांकि बिल जरूर जेनरेट हो गया. बीते दो साल से उन्हें रिकवरी के मैसेज भी मिल रहे हैं.

उन्होंने बताया कि साल 2019 से कंपनी को ईमेल, फोन और वॉट्सऐप के ज़रिए संपर्क करने की कोशिश की है लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं है. हर महीने फाइन जोड़कर बढ़ा हुआ बिल भेज दिया जाता है. उनके पास गैलेक्सी कार्ड को किए गए मेल और व्हॉट्सऐप के स्क्रीनशॉट भी हैं. उन्होंने कहा कि कंपनी की वेबसाइट पर दिए गए नंबर पर ना तो कॉल कनेक्ट होती है ना ही कॉल रिक्वेस्ट पर कोई प्रतिक्रिया आती है. 2019 में बना पांच सौ का बिल अब 2000 रुपये तक जा पहुंचा है.

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गैलेक्सी कार्ड कंपनी की वेबसाइट भी कोई खास जानकारी नहीं है. गैलेक्सी कार्ड की रजिस्टर्ड कंपनी जीसीटी टेक्नॉलोज़ीस का पता दिल्ली के सैदुलाजाब इलाके का है. वेबसाइट पर जॉइनिंग चार्ज, ब्याज और सालाना फीस के बिना मात्र 3 मिनट में लोन अप्रूव होने की बात का जिक्र है.

कंपनी के फाउंडर अमित कुमार हैं. वह लिंक्डइन पर सक्रिय हैं और अपनी कंपनी में नए लोगों को जॉब भी ऑफर कर रहे हैं. इस पूरे मामले में दोनों पक्ष जानने के लिए हमारी सहयोगी वेबसाइट लल्लनटॉप ने फोन कॉल, ईमेल और ट्विटर के ज़रिए गैलेक्सी कार्ड और इसके फाउंडर/CEO अमित कुमार से संपर्क साधा. लेकिन करीब 72 घंटे बीत जाने के बाद भी ना तो कंपनी और ना अमित कुमार की ओर से कोई जानकारी दी गई.

 

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