
देश में साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से उपर जा रहा है. एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में साइबर क्राइम के 65893 मामले दर्ज किए गए हैं. साल 2021 में 52974 मामले दर्ज किए गए थे. इस तरह एक साल के दौरान साइबर क्राइम में 24.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 गेम चेंजर साबित हो रही है. साइबर फ्रॉड होने के बाद इस नंबर पर तुरंत शिकायत करने के बाद महाराष्ट्र में करीब 55 करोड़ रुपए रिकवर किए गए हैं.
महाराष्ट्र साइबर पुलिस के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में उन्होंने हेल्पलाइन के माध्यम से साइबर अपराध की सूचना मिलने के कुछ घंटों के दौरान सफलतापूर्वक 90 करोड़ रुपए रिकवर कर लिए. इस टीम में 100 से अधिक लोग सतत काम करते हैं. केवल इसी साल अलग-अलग लोगों से ठगे गए करीब 55 करोड़ रुपए रिकवर किए गए हैं. लोग जब हेल्पलाइन नंबर पर साइबर ठगी की रिपोर्ट दर्ज कराते हैं, तो महाराष्ट्र साइबर पुलिस की टीम त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करती है. महज कुछ घंटों में ही कई बार पैसे रिकवर हो जाते हैं.
साइबर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, "ठगी होने के बाद लोग घबराए हुए हेल्पलाइन नंबर पर सूचना देते हैं. हम लोग पहले पीड़ित को शांत कराते हैं. शुरुआती दो घंटों के भीतर ठगी गई रकम को ब्लॉक करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं. धोखाधड़ी को तत्काल चिह्नित करने के लिए संबंधित बैंक के नोडल अधिकारियों को विवरण भेज देते हैं. एक बार जब किसी राशि को धोखाधड़ी के रूप में चिह्नित किया जाता है, तो उसे लाभार्थी के खाते में जमा होने से रोक दिया जाता है. इसके जरूरी है कि ठगी होते ही सूचना दी जाए.''
महाराष्ट्र साइबर टीम में 100 से अधिक लोग तीन शिफ्टों में 24 घंटे काम करते हैं. ताकि साइबर अपराधियों से सक्रिय रूप से मुकाबला किया जा सके. यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश की जाती है कि ठगी के तुरंत बाद के महत्वपूर्ण घंटों के दौरान कोई भी कॉल अनुत्तरित न रहे. हेल्पलाइन बुनियादी ढांचे का विस्तार करने की योजना पर भी काम चल रहा है. एक अधिकारी ने बताया, "वर्तमान में हम 23 लाइनों के साथ काम कर रहे हैं. भविष्य में हम इन लाइनों और कर्मचारियों को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं."
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साइबर ठगों के लिए काल बना नया रिपोर्टिंग सिस्टम
देश में साइबर फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. साल 2022 के पहले 10 महीनों के मुकाबले इस साल अक्टूबर तक रैंसमवेयर के लिए दोगुने साइबर अटैक्स किए गए. लेकिन इस बीच एक अच्छी खबर ये है कि आम लोगों के साथ हो रहे साइबर फ्रॉड की रकम वापस दिलाने में एक नया सिस्टम कारगर साबित हो रहा है. इसका नाम CFCFRMS सिस्टम है, जिसे साल 2021 में तैयार किया था, जो ऑनलाइन ठगी रोकने में बेहद कारगर साबित हुआ है. इसे गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर ने बनाया है.
कैसे काम करता है ये साइबर ठगी रिपोर्टिंग सिस्टम
इस सिस्टम में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की एनफोर्समेंट एजेंसियों के साथ 243 वित्तीय संस्थाओं को जोड़ा गया है. इन वित्तीय संस्थाओं में बैंक, वर्चुअल वॉलेट, पेमेंट एग्रीगेटर, गेटवे और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शामिल हैं. ये सिस्टम पीड़ित के एनफोर्समेंट एजेंसी को धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के साथ काम करना शुरू कर देता है. इसके बाद धोखाधड़ी करने वाले की सारी जानकारी CFCFRMS के जरिए एक टिकट के तौर पर जेनरेट हो जाती है. ये टिकट संबंधित फाइनेंशियल यूनिट यानी बैंक, भुगतान वॉलेट वगैरह को भेज दिया जाता है. इसके बाद फाइनेंशियल यूनिट फ्रॉड की रकम की जांच करती है और उसके खाते में होने पर तुरंत वहीं रोक देती है.
साइबर ठगी होने के तुरंत बाद इस नंबर पर करें कॉल
किसी दूसरे खाते में रकम ट्रांसफर होने पर टिकट को अगली यूनिट को भेज दिया जाता है. ये प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक कि पैसा रोक नहीं लिया जाता. पैसा निकाले जाने की स्थिति में कानूनी एनफोर्समेंट एजेंसी को कार्रवाई करने के लिए कहा जाता है. ऐसे में अब लोगों को ये जानकारी होनी अनिवार्य है कि वो साइबर फ्रॉड के केस में कहां शिकायत करें. जितनी जल्दी वो शिकायत करेंगे उतनी ही ज्यादा रकम वापस मिलने की संभावना है. जानकारी के लिए बता दें कि साइबर ठगी होने के बाद जितनी जल्दी हो सके 1930 नंबर पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करा दें. इसके साथ ही https://www.cybercrime.gov.in/ पर या थाने में भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.
वैश्विक औसत के मुकाबले भारत में दोगुनी हुई साइबर ठगी
देश में साइबर ठगी के मामलों में लगाातर इजाफा हो रहा है. लोग जितने जागरुक और सतर्क हो रहे हैं, फ्रॉड के उतने ही नए तरीके ये साइबर ठग तलाश कर रहे हैं. साइबर की दुनिया के ये शातिर ऑनलाइन ठगी रोकने के तमाम तरीकों को मात देकर लोगों की जेब को खाली करने में जुटे हैं. दरअसल, साइबर अपराध से जुड़े केस लगातार बढ़ रहे हैं. वैश्विक औसत के मुकाबले भारत में साइबर ठगी की संख्या तकरीबन दोगुनी हो गई है. इस साल जनवरी से अक्टूबर के बीच 10 महीने में औसतन 1.54 अरब डॉलर के लिए रैंसमवेयर अटैक किया गया. ये आंकड़ा साल 2022 के बाद से दोगुना है. भारतीय साइबरस्पेस में बीते छह महीनों के दौरान औसतन 2127 बार साइबर घटनाएं सामने आई हैं.