
महाराष्ट्र में नवी मुंबई की 29 वर्षीय एक महिला से 'टास्क फ्रॉड' के जरिए 10 लाख रुपए की ठगी करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. पीड़िता महिला से फोन और टेलीग्राम ऐप के जरिए संपर्क किया गया था. इसके बाद उसे रेटिंग टास्क के बदले मोटी रकम देने की लालच दी गई थी. महिला उनकी जाल में फंस गई. उसे टास्क के बदले शुरू में कुछ पैसे भी दिए गए. इसके बाद उसे भरोसे में लेकर 10 लाख रुपए ठग लिए गए. महिला की तहरीर पर पुलिस ने केस दर्ज करके मामले की जांच शुरू कर दी है.
पुलिस के मुताबिक, नवी मुंबई के कामोठे इलाके की इस महिला से अगस्त में दो लोगों ने संपर्क किया था. उन लोगों ने उसे कुछ सरल कार्य ऑनलाइन पूरा करने पर "अच्छे" पैसे देने का वादा किया था. उन्होंने कथित तौर पर किसी न किसी बहाने से महिला से 9.85 लाख रुपये ऐंठ लिए और उसे आश्वासन दिया कि उसे सारे पैसे भारी ब्याज के साथ भुगतान कर दिए जाएंगे. महिला को जब लंबे समय तक कोई पैसा नहीं मिला, तो उसने गुरुवार को थाने में शिकायत दर्ज कराई है. आरोपियों को ट्रेस करने की कोशिश हो रही है.
यूट्यूब चैनल के सब्सक्रिप्शन के नाम पर लाखों की ठगी
दिल्ली से सटे गुरुग्राम में इसी तरह का एक मामला सामने आया था. इस केस में भी महिला से 'टास्क फ्रॉड' के जरिए 8 लाख 20 हजार रुपए की ठगी कर ली गई थी. गुरुग्राम के सेक्टर 43 की रहने वाली एक महिला ने शिकायत दर्ज कराया था कि वर्क फ्रॉम होन के नाम उससे ठगी की गई है. ठगों ने यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब कराने के नाम पर ठगी की थी. कर्नाटक की मूल निवासी सरिता एस. के मुताबिक, उन्हें वाट्सएप पर एक मैसेज आया था जिसमें वर्क फ्रॉम के जरिए पैसा कमाने की बात कही गई थी.
इस मैसेज में लिखा था कि उन्हें शुरुआत में केवल एक यूट्यूब चैनल की सदस्यता लेनी होगी. इसके लिए प्रति सब्सक्रिप्शन 50 रुपए देने होंगे. भेजने वाले ने खुद को 'ऐडनेट ग्लोबल मार्केटिंग कंपनी' का असिस्टेंट मैनेजर बताया था. उन्होंने दो चैनलों की सदस्यता ले ली. इसके बाद एक रिसेप्शनिस्ट का कॉल आया, जिसने उन्हें अपनी टेलीग्राम आईडी साझा करने के लिए कहा था. उन्होंने जब टेलीग्राम पर मैसेज भेजा, तो कुछ अन्य चैनलों की सदस्यता के बदले 150 रुपए का भुगतान किया. फिर एक टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ दिया.
इस ग्रुप में 180 सदस्य थे. सभी लोग कुछ टास्क कर रहे थे. उनसे भी कहा गया कि यदि वो दिए गए टास्क को पूरा करती हैं तो उन्हें ज्यादा पैसा मिलेगा. ठगों के जाल में बुरी तरह फंस चुकी सरिता को पैसे मिलना तो छोड़िए उनसे 8.20 लाख रुपए ठग लिए गए. उनकी शिकायत के आधार पर साइबर पुलिस ने आईपीसी की धारा 419 (गलत पहचान बताकर धोखाधड़ी) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत केस दर्ज किया, लेकिन लंबी जांच के बाद भी आरोपियों के गिरेबान तक कानून के हाथ नहीं पहुंच पाए थे.
यह भी पढ़ें: 10 राज्य, 892 केस, 6 महीने, 21 करोड़ कमाई...एक सब्जीवाले के करोड़पति ठग बनने की हैरतअंगेज दास्तान
साइबर ठगों के लिए काल बना नया रिपोर्टिंग सिस्टम
देश में साइबर फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. साल 2022 के पहले 10 महीनों के मुकाबले इस साल अक्टूबर तक रैंसमवेयर के लिए दोगुने साइबर अटैक्स किए गए. लेकिन इस बीच एक अच्छी खबर ये है कि आम लोगों के साथ हो रहे साइबर फ्रॉड की रकम वापस दिलाने में एक नया सिस्टम कारगर साबित हो रहा है. इसका नाम CFCFRMS सिस्टम है, जिसे साल 2021 में तैयार किया था, जो ऑनलाइन ठगी रोकने में बेहद कारगर साबित हुआ है. इसे गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर ने बनाया है.
कैसे काम करता है ये साइबर ठगी रिपोर्टिंग सिस्टम
इस सिस्टम में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की एनफोर्समेंट एजेंसियों के साथ 243 वित्तीय संस्थाओं को जोड़ा गया है. इन वित्तीय संस्थाओं में बैंक, वर्चुअल वॉलेट, पेमेंट एग्रीगेटर, गेटवे और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शामिल हैं. ये सिस्टम पीड़ित के एनफोर्समेंट एजेंसी को धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के साथ काम करना शुरू कर देता है. इसके बाद धोखाधड़ी करने वाले की सारी जानकारी CFCFRMS के जरिए एक टिकट के तौर पर जेनरेट हो जाती है. ये टिकट संबंधित फाइनेंशियल यूनिट यानी बैंक, भुगतान वॉलेट वगैरह को भेज दिया जाता है. इसके बाद फाइनेंशियल यूनिट फ्रॉड की रकम की जांच करती है और उसके खाते में होने पर तुरंत वहीं रोक देती है.
साइबर ठगी होने के तुरंत बाद इस नंबर पर करें कॉल
किसी दूसरे खाते में रकम ट्रांसफर होने पर टिकट को अगली यूनिट को भेज दिया जाता है. ये प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक कि पैसा रोक नहीं लिया जाता. पैसा निकाले जाने की स्थिति में कानूनी एनफोर्समेंट एजेंसी को कार्रवाई करने के लिए कहा जाता है. ऐसे में अब लोगों को ये जानकारी होनी अनिवार्य है कि वो साइबर फ्रॉड के केस में कहां शिकायत करें. जितनी जल्दी वो शिकायत करेंगे उतनी ही ज्यादा रकम वापस मिलने की संभावना है. जानकारी के लिए बता दें कि साइबर ठगी होने के बाद जितनी जल्दी हो सके 1930 नंबर पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करा दें. इसके साथ ही https://www.cybercrime.gov.in/ पर या थाने में भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.
वैश्विक औसत के मुकाबले भारत में दोगुनी हुई साइबर ठगी
देश में साइबर ठगी के मामलों में लगाातर इजाफा हो रहा है. लोग जितने जागरुक और सतर्क हो रहे हैं, फ्रॉड के उतने ही नए तरीके ये साइबर ठग तलाश कर रहे हैं. साइबर की दुनिया के ये शातिर ऑनलाइन ठगी रोकने के तमाम तरीकों को मात देकर लोगों की जेब को खाली करने में जुटे हैं. दरअसल, साइबर अपराध से जुड़े केस लगातार बढ़ रहे हैं. वैश्विक औसत के मुकाबले भारत में साइबर ठगी की संख्या तकरीबन दोगुनी हो गई है. इस साल जनवरी से अक्टूबर के बीच 10 महीने में औसतन 1.54 अरब डॉलर के लिए रैंसमवेयर अटैक किया गया. ये आंकड़ा साल 2022 के बाद से दोगुना है. भारतीय साइबरस्पेस में बीते छह महीनों के दौरान औसतन 2127 बार साइबर घटनाएं सामने आई हैं.