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अनजान कॉल, अलग-अलग कहानियां और गिरफ्तारी का डर... ऐसे लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं शातिर साइबर अपराधी

दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध इकाई के DCP हेमंत तिवारी ने बताया कि अधिकांश साइबर अपराधी कक्षा 10 या 12 पास हैं. मगर ये बदमाश पीड़ितों का इस हद तक भरोसा जीत लेते हैं कि जब पुलिस या अन्य लोग उन्हें चेतावनी देते हैं कि वे शिकार बन सकते हैं, तो वे सलाह के लिए फिर से घोटालेबाज के पास जाते हैं.

साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके ईजाद करते हैं साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके ईजाद करते हैं
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

Cyber ​​Crime Modus Operandi: दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध इकाई के पुलिस उपायुक्त हेमंत तिवारी का कहना है कि साइबर अपराधी जटिल हाई टेक दुनिया में अपराध करते हैं, लेकिन अधिकांश साइबर अपराधी तकनीक के जानकार नहीं होते. बल्कि, वे कम शिक्षित मगर चतुर कहानीकार होते हैं, जो अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से भोले-भाले पीड़ितों को ऑनलाइन ठगते हैं. साइबर अपराधी हर दिन ठगी और धोखाधंड़ी के नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं. 

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दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध इकाई के DCP हेमंत तिवारी ने पीटीआई को बताया कि जांच के दौरान, उनके जासूस पीड़ितों और आरोपियों के प्रोफाइल बनाने में सफल रहे हैं. जिससे पता चलता है कि आरोपियों के पास कोई अच्छी शैक्षणिक पृष्ठभूमि नहीं है, लेकिन वे अपने शिकार को कहानियां सुनाने में माहिर हैं. उन्होंने कहा कि उनमें से कोई भी इंजीनियरिंग स्नातक नहीं है, वे अधिकांश कक्षा 10 या कक्षा 12 पास हैं. मगर बदमाश पीड़ितों का इस हद तक भरोसा जीत लेते हैं कि जब पुलिस या अन्य लोग उन्हें चेतावनी देते हैं कि वे शिकार बन सकते हैं, तो वे सलाह के लिए फिर से घोटालेबाज के पास जाते हैं.

हेमंत तिवारी ने कहा कि उन्हें याद है जब उनकी टीम ने साइबर धोखाधड़ी के एक मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया था. वह पश्चिम बंगाल की एक बुजुर्ग महिला को धोखा देने वाला था. पुलिस अधिकारी ने उसे फोन करके बताया कि जिस व्यक्ति को वह पैसे भेजने वाली थी, उसे गिरफ्तार कर लिया गया है. इसके बाद पुलिस अधिकारी ने कॉल काट दी.

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मगर महिला ने गिरफ्तार व्यक्ति के साथियों को ही फोन कर दिया और उन्हें बताया कि उसे एक संदिग्ध कॉल आया है और उसे आश्चर्य है कि क्या कोई व्यक्ति पुलिस होने का दावा करके उसे ठग रहा है. DCP ने कहा कि पीड़ित आम तौर पर मध्यम आयु वर्ग के पुरुष या महिलाएं होते हैं, जो वैवाहिक साइटों पर जीवनसाथी की तलाश कर रहे होते हैं, जो अच्छी तरह से शिक्षित, संपन्न और निवेश के प्रति जागरूक होते हैं.

डीसीपी के मुताबिक, पीड़ितों की अलग-अलग श्रेणियां होती हैं. जो लोग 50 या उससे अधिक उम्र के हैं, अकेले रह रहे हैं और अच्छी आर्थिक पृष्ठभूमि से हैं, वे डिजिटल गिरफ्तारी के शिकार हो सकते हैं. हाल के महीनों में एक नए तरह की साइबर धोखाधड़ी सामने आई है, जिसे तथाकथित 'डिजिटल गिरफ्तारी' कहा जाता है, जिसमें अपराधी सीबीआई या कस्टम जैसे कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर पीड़ितों को 'डिजिटल गिरफ्तारी' कहकर स्वेच्छा से घर में नजरबंद होने के लिए मजबूर करते हैं. 

यही नहीं, वे वीडियो कॉल के माध्यम से भी 'गिरफ्तार' व्यक्ति की निगरानी करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीड़ित घर के अंदर रहे और 'जांच' के दौरान दूसरों, यहां तक ​​कि परिवार के सदस्यों से भी संवाद न करे. एक बार जब पीड़ित पूरी तरह से उनके नियंत्रण में आ जाता है, तो अपराधी उससे पैसे मांगते हैं. बहाने कई हो सकते हैं: या तो पीड़ित को प्रतिबंधित सामान के साथ एक पार्सल मिला है, जिसे कस्टम ने जब्त कर लिया है, या उसके बैंक खाते का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया है. 

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पुलिस उपायुक्त तिवारी ने कहा कि साइबर अपराधी सबसे पहले पीड़ित के सोशल मीडिया प्रोफाइल और ऑनलाइन उपलब्ध अन्य विवरणों को खंगालकर अपनी जांच करते हैं. उन्होंने कहा कि निवेश धोखाधड़ी के शिकार पढ़े-लिखे होते हैं, अच्छी वित्तीय पृष्ठभूमि से आते हैं और निवेश रणनीतियों के बारे में जानते हैं. वे अक्सर निवेश योजना घोटाले के शिकार बन जाते हैं. 

तिवारी के मुताबिक, अकेले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हर दिन कम से कम 700 लोग साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं और पिछले 18 महीनों में यह संख्या काफी बढ़ गई है, जिसमें अधिकांश अपराध पीड़ितों की अज्ञानता, लालच और भय के कारण होते हैं. उन्होंने कहा कि निवेश धोखाधड़ी और जबरन वसूली के अलावा, कुछ लोग "सेक्सटॉर्शन" का भी शिकार होते हैं. यह तब होता है जब कॉल करने वाला पीड़ित पर बाल पोर्नोग्राफी का आरोप होने का दावा करता है और मामले को दबाने के लिए पैसे ऐंठता है. 

दिल्ली पुलिस ने इस साल अब तक 500 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय धोखाधड़ी की जांच की है. तिवारी ने कहा कि साइबर अपराधी एक राज्य में बैंक खाते खोलकर और दूसरे राज्य से सिम खरीदकर पूरे देश में अपना जाल फैला रहे हैं. पहले ज्यादातर साइबर अपराध झारखंड के जामताड़ा या हरियाणा के मेवात क्षेत्र से रिपोर्ट किए जाते थे. जामताड़ा वहां से काम करने वाले साइबर अपराधियों पर बनी एक सीरीज की वजह से लोकप्रिय हुआ है. लेकिन अब अन्य हॉटस्पॉट भी उभर रहे हैं.

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डीसीपी ने कहा कि उनकी यूनिट ने ऐसे 15 से अधिक क्षेत्रों की पहचान की है. तिवारी ने कहा, "मध्य प्रदेश में महाकौशल क्षेत्र (जबलपुर) और मालवा क्षेत्र (इंदौर) तथा दक्षिण भारत के कुछ इलाके - ये इलाके इस तरह की धोखाधड़ी करने के लिए बैंक खाते खोलने के केंद्र हैं." असम और पश्चिम बंगाल कॉल करने के लिए भारी मात्रा में सिम खरीदने के केंद्र हैं.

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