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इंजीनियरिंग की पढ़ाई, साइबर फ्रॉड से कमाई...30 लाख का चूना लगाने वाले 3 ठग ऐसे हुए गिरफ्तार

बिहार में साइबर ठगी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां पुलिस ने इंजीनियरिंग के दो छात्रों सहित तीन लोगों को लाखों की ठगी के मामले में गिरफ्तार किया है. पुलिस द्वारा पूछताछ में पता चलता है कि इस गिरोह का सरगना पटना में बैठा हुआ है. उसके इशारे पर तीनों साइबर फ्रॉड किया करते थे.

बिहार के मुजफ्फरपुर में साइबर ठगी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. बिहार के मुजफ्फरपुर में साइबर ठगी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है.
aajtak.in
  • पटना,
  • 25 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:18 PM IST

इंटरनेट के बढ़ते प्रसार के साथ साइबर फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. साल 2021 की तुलना में 2022 में साइबर क्राइम के मामलों में 24.4 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. साल 2022 में साइबर क्राइम के कुल 65893 केस दर्ज हुए थे, जबकि 2021 में ये संख्या 52974 थी. यहां राहत की बात ये है कि पुलिस पहले की तुलना में साइबर क्राइम के मामलों में ज्यादा सक्रिय हो गई है. कई राज्यों में इस तरह के मामलों के लिए अलग से साइबर सेल और साइबर थाने बनाए जा रहे हैं. यहां मौजूद एक्सपर्ट टीम न सिर्फ केस सॉल्व कर रही है, बल्कि इसमें शामिल अपराधियों को गिरफ्तार भी कर रही है. ताजा मामला, बिहार के मुजफ्फरनगर जिले का है.

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यहां पुलिस ने 30 लाख से अधिक की ठगी में शामिल मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के दो छात्रों समेत तीन आरोपियों को किया है. इनके पास से मोबाइल समेत अन्य सामान जब्त किए गए हैं. इनसे पूछताछ में पता चला कि इस गिरोह के सरगना नालंदा और पटना में बैठे हुए हैं. पुलिस की एक टीम उनकी तलाश में उन दोनों जगहों पर जाने वाली है. दरअसल, मुजफ्फरपुर साइबर थाने की पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ लड़के यूपीआई के जए से सीएसपी संचालकों को रुपया ट्रांसफर कर उनसे नगद ले लेते हैं. इसके बाद में पता चलता है कि वह पैसा ठगी करके किसी दूसरे के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है.

ठगी की सूचना मिलने के बाद मुजफ्फरनगर पुलिस ने अपना जाल बिछाया. इसके बाद ठगी करने पहुंचे आरोपियों को जिले के चर्तुभुज स्थान मोहल्ला से रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने बताया कि तीनों आरोपी फर्जी आधार कार्ड बनाकर वहां रह रहे थे. पैसों की निकासी के लिए एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते थे. ये लोग जिले के विभिन्न सीएसपी संचालकों से मिलकर बीमारी का बहाना बनाकर उनसे कैश लेते थे. इस तरह 30 लाख रुपए की राशि की अवैध तरीके से निकाली गई थी. इन पैसों को आरोपी अपने गिरोह के सरगना को बस कंडक्टर के माध्यम से भेज देते थे. इसके एवज में इनको प्रत्येक एक लाख पर 5 हजार कमीशन मिलता था.

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गिरफ्तार आरोपियों की पहचान आकाश कुमार और मो फैजान अली के रूप में हुई है. दोनों मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग के चौथे सेमेस्टर के छात्र हैं. तीसरे आरोपी की पहचान राजा कुमार के रूप में हुई है. तीनों से पूछताछ के दौरान ये भी पता चला है कि नालंदा में बैठा इस गिरोह का मास्टरमाइंड नीरज साइबर फ्रॉड को अंजाम देने के लिए कई जिलों में नेटवर्क बना रखा है. इस गिरोह का खुलासा तब हुआ जब एक सीएसपी संचालक की सूचना पर पुलिस टीम ने तीनों को गिरफ्तार किया. इनके पास से एक दर्जन से अधिक बैंक एकाउंट का डिटेल, एटीएम कार्ड, मोबाइल आदि मिला है. पुलिस इस गिरोह के नेटवर्क को ध्वस्त करने में लगी हुई है.

साइबर ठगी का शिकार होने पर क्या करना चाहिए...

1. साइबर क्राइम का शिकार होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करना चाहिए.

2. Cybercrime.gov.in वेबसाइट पर भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.

3. संबंधित जिले के साइबर थाने में भी लिखित शिकायत दर्ज करा देनी चाहिए.

4. यथाशिघ्र संबंधित बैंक की हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके अकाउंट को फ्रीज करा लेना चाहिए.

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